पलामूः 12 अप्रैल 2000 की वह रात जब पलामू में एक साथ 29 लोगों की मौत हुई थी. यह आंकड़ा सरकारी है लेकिन लोग इस मौत के आंकड़े को कहीं अधिक बताते हैं. इस घटना रामनवमी हादसा के नाम से जाना जाता है.
25 साल बाद पलामू के रामवनमी हादसे का जिक्र पूरे देश भर में हुआ है. रामनवमी में बिजली काटने को लेकर झारखंड हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है. इसी सुनवाई के दौरान झारखंड की सरकार ने 2000 में हुए पलामू के रामनवमी हादसे का जिक्र किया है. झारखंड सरकार के द्वारा रामनवमी हादसे का जिक्र किए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बिजली काटने को लेकर अहम फैसला दिया है.
क्या था पलामू का रामनवमी हादसा
पलामू में मेदिनीनगर टाउन थाना क्षेत्र के लालकोठा के इलाके में 12 अप्रैल 2000 को रात 12 बजे के करीब रामनवमी हादसा हुआ था. जब हाई वोल्टेज का तार रामवनमी के जुलूस पर गिरा था, इस हादसे में 29 लोगों की मौत हुई थी. दरअसल, रामनवमी के जुलूस पलामू के पूर्व सांसद जोरावर राम के घर से होते हुए लालकोठा के इलाके में पहुंची थी. लालकोठा के पास एक जुलूस में शामिल एक व्यक्ति लग्घी (लकड़ी से बना हुआ बांस का एक वस्तु जो बिजली के तार को ऊपर करने के लिए होता है) से ट्रांसफार्मर से निकली बिजली के तार को ऊपर उठा रहा था. इसी बीच ट्रांसफार्मर से निकला हुआ बिजली का तार ऊपर से गुजरे 11000 के हाईटेंशन तार के संपर्क में आ गया. हाईटेंशन का तार कटकर नीचे जुलूस में गिर गया. इसी हाई वोल्टेज तार की चपेट में दर्जनों लोग आ गए थे.
-नवमी की रात की जुलूस थी, सभी लोगों का गोल एक जगह जमा हुआ था. किसी ने बिजली के तार को लग्घी से उठाया था, जिसके बाद यह हादसा हुआ था. उस वक्त चारों तरफ अंधेरा भी था. यह घटना रात के 12 बजे के करीब की थी. मृतकों के परिजनों को कैंप लगाकर उस दौरान मुआवजा और नौकरी दी गई थी. -दुर्गा जौहरी, तत्कालीन रामवनमी कमेटी के महामंत्री.
घटना के बाद मची से अफरातफरी
जिस जगह पर बिजली का तार गिरा था वहां पर मौजूद कोई भी व्यक्ति नहीं बचा था. सभी जख्मी को इलाज के लिए अस्पताल में भेजा गया था लेकिन अस्पताल में भी बिजली नहीं थी. घटना की जानकारी मिलने के बाद तत्कालीन पलामू कमिश्नर अमिता पॉल मौके पर पहुंची थीं. कई जख्मी को रिम्स भेजा गया था लेकिन अस्पताल में उतनी व्यवस्था नहीं थी कि सभी का इलाज हो सके. सदर अस्पताल के बाहरी हिस्से में शवों को रखा गया था जबकि अंधेरे में ही कइयों का इलाज किया जा रहा था.
-चारों तरफ दुख का माहौल था, इस हादसे में छह बच्चों की भी जान गई थी. दो बिजली कर्मी है कोई भी मौत हुई थी. उसे दौरान अमिता पॉल पलामू कमिश्नर जबकि निर्मल कुमार आजाद पलामू के एसपी थे. ये सभी अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे थे. -फैयाज अहमद, वरिष्ठ पत्रकार.
-अस्पताल में चारों तरफ अंधेरा था, अस्पताल के बाहर बड़ी संख्या में लोग पड़े हुए थे. किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हुआ है और आगे क्या करना है. चारों तरफ मार्मिक मंजर था और लोग तड़प रहे थे. -रबिन्द्र मिश्रा, प्रत्यक्षदर्शी.
किसी ने नाली तो किसी ने रथ के नीचे छुपकर बचाई अपनी जान
साल 2000 में हुए रामनवमी हादसे का जिक्र होने के साथ ही पलामू के मेदिनीनगर के रहने वाले कई लोग सिहर जाते हैं. घटना के वक्त किसी ने नाली तो किसी ने रथ के नीचे छुपकर अपनी जान बचाई थी. प्रत्यक्षदर्शी सह पत्रकार केतन आनंद बताते हैं कि उस दौरान शहर के गांधी मैदान में सर्कस लगा हुआ था. वे अपने साथियों के साथ रामनवमी का जुलूस देखने जा रहे थे जब की सर्कस के जोकर ने भी साथ में चलने का आग्रह किया था. वे घूमते हुए लालकोठा तक पहुंचे थे, उस दौरान रामनवमी के कमेटी का सम्मान समारोह चल रहा थी.
इसी बीच अचानक बिजली की तार गिरी और वह नाली में गिर गए थे. उन्हें ध्यान आया कि नाली में बिजली का करंट आएगा वह ताकत के साथ उठे एक घर के अहाते में कूद गए थे. अहाते में कूदने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो चारों तरफ भयावह वह मंजर था. उनकी नजर के सामने एक व्यक्ति गोद में अपने बच्चे को लिए हुआ था और वह जल रहा था. उनके एक व्यक्ति को बचाने की कोशिश की और वह खुद जल गए. सर्कस का जोकर और उनके एक साथी रथ के नीचे छुपे हुए थे और भयावह मंजर को देख रहे थे.
घटना के वक्त कौन-कौन थे रामनवमी कमेटी सदस्य
2000 के रामनवमी कमेटी के अध्यक्ष पद पर संजय साहनी, महामंत्री दुर्गा जौहरी, प्रधान कैप्टन गणेश गिरी, जबकि कोषाध्यक्ष के पद पर विशेश्वर गिरी थे. उसे दौरान रामनवमी कमेटी के प्रधान कैप्टन गणेश गिरी बताते हैं कि घटना काफी भयावह थी और झकझोर देने वाली थी. वे घटनास्थल पर मौजूद थे और लोगों को उठाकर अस्पताल में भेज रहे थे. जिस जगह पर यह घटना हुई थी वह काफी संवेदनशील था, रामनवमी से जुड़े हुए सभी लोगों से बातचीत किया गया था.
मुहर्रम इंतजामिया कमेटी के लोगों ने उसे दौरान काफी सहयोग किया था. पलामू का रामनवमी हादसा भगवान ना करें दोबारा कभी हो. उस दौरान बिजली वाले को फोन किया गया था और सप्लाई कटवाई गई थी. घटनास्थल पर वह बने हुए थे ताकि कोई गलतफहमी नहीं फैले.
इसे भी पढ़ें- जुलूस के दौरान घंटों बिजली नहीं काटने के हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, जेबीवीएनएल से मांगा अंडरटेकिंग
इसे भी पढ़ें- रामनवमी जुलूस के दौरान इन बातों का रखें खास ख्याल, बिजली विभाग ने जारी की गाइडलाइन
इसे भी पढ़ें- सरहुल पर बिजली रहेगी बाधित, जुलूस को लेकर अलर्ट मोड में विभाग