नई दिल्ली/गाजियाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीबी को खत्म करने के वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले यानी 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है. इसी कड़ी में गाजियाबाद को टीबी मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जमीनी स्तर पर कवायद जारी है. स्वास्थ्य विभाग के प्रयास काफी हद तक सफल होते हुए भी दिख रहे हैं. अब सामने आया है कि 26 मार्च, 2025 तक गाजियाबाद की 24 ग्राम पंचायत को टीबी मुक्त घोषित किया जा चुका है.
इन 24 ग्राम पंचायतों में लोनी ब्लॉक के कोतवालपुर, बनेड़ा, मेवला भट्टी, भूखेड़ी; भोजपुर ब्लॉक के याकूतपुर मावी; राजपुर ब्लॉक के शमशेर, मथुरापुर, भीखनपुर; मुरादनगर ब्लॉक के बांदीपु, डिंडोली, फिरोजपुर, गयासपुर, दीनदार, कुम्हेड़ा, मटौर, शहजादपुर, सुराणा, मकरेड़ा, दोसा बंजरपुर, आजमपुर, बहादुरपुर, चित्तौड़ा नूरपुर और असदपुर नांगल को टीबी मुक्त ग्राम पंचायत घोषित कर दिया गया है.
टीबी रोगी बताने पर स्वास्थ्य विभाग ने बीते 100 दिनों में कुल 17 लाख रुपए का इनाम बांटा है. मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अखिलेश मोहन के मुताबिक, प्राइवेट चिकित्सक और प्राइवेट इनफॉर्मेंट को इसकी सूचना देने पर 500 रुपये और नोटिफिकेशन देने पर 500 रुपये पर केस दिए जाते हैं. इस तरह बीते दो महीने में तकरीबन 17 लाख रुपए इनाम के तौर पर प्राइवेट चिकित्सक और प्राइवेट इनफॉर्मेंट को दिए जा चुके हैं. प्राइवेट क्लीनिक का डॉक्टर, प्राइवेट हॉस्पिटल और एनजीओ के अलावा आम लोग इनफॉर्मेंट हो सकते हैं.
स्वास्थ्य विभाग द्वारा यह प्रोत्साहन दिए जाने का कारण स्वयंसेवी संस्थाओं, प्राइवेट चिकित्सकों और आम लोगों आदि को प्रोत्साहित करना है, ताकि स्वास्थ्य विभाग इनकी मदद से टीबी रोगियों तक पहुंच सके. और तो और मरीज को समय रहते उपचार मिल सके. 100 दिवसीय अभियान में प्राइवेट अस्पतालों, एनजीओ और आम लोगों ने भी अहम भूमिका निभाई. यही वजह रही की लाखों लोगों की स्क्रीनिंग संभव हो सकी और बड़ी संख्या में टीबी के मरीजों की स्क्रीनिंग के दौरान पुष्टि हुई.
बीते वर्षों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा दिया गया ईनाम
वर्ष 2023: 24.17 लाख रुपये
वर्ष 2024: 55.21 लाख रुपये
गाजियाबाद स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, दो सप्ताह से अधिक समय तक की खांसी टीबी हो सकती है. ऐसी स्थिति में तत्काल जांच कराएं. टीबी पूरी तरह से ठीक हो सकती है, यदि उसका इलाज निश्चित अवधि तक पूरा कर लिया जाए. वहीं, अगर टीबी का पूरा इलाज न कराया जाए तो वो लाइलाज हो सकती है. टीबी रोगियों को अस्पताल में भर्ती होने की भी आवश्यकता नहीं होती है.
यह भी पढ़ें-
फोर्टिस हॉस्पिटल ने शुरू किया वयस्क वैक्सीनेशन क्लीनिक, दिल्ली स्वास्थ्य मंत्री पंकज कुमार हुए शामिल