देहरादून: उत्तराखंड में संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. कुछ साल पहले प्रदेश के सभी जिलों में एक-एक गांव को 'आदर्श संस्कृत ग्राम' बनाए जाने का निर्णय लिया गया था, लेकिन संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए ये योजना धरातल पर नहीं उतर पाई. ऐसे में मंगलवार को हुई धामी मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान निर्णय लिया गया कि प्रदेश के हर जिले में एक-एक गांव को संस्कृत ग्राम के रूप में विकसित किया जाएगा. साथ ही वहां के लोगों को संस्कृत भाषा की जानकारी देने के लिए बाकायदा एक शिक्षक की नियुक्ति भी की जाएगी.
उत्तराखंड में संस्कृत भाषा को विकसित करने और उसे आम जनता तक पहुंचाने के लिए विभाग में कई स्तरों पर संस्कृत विद्यालय, संस्कृत महाविद्यालय एवं संस्कृत विश्वविद्यालय संचालित किए जा रहे हैं. इसी को देखते हुए संस्कृत के प्रचार-प्रचार और प्रदेश में संस्कृतमय वातावरण बनाए जाने के लिए संस्कृत ग्रामों को बनाने का निर्णय लिया गया है. जिसका मुख्य उद्देश्य राज्य में संस्कृत ग्राम के तहत सभी लोगों को आपस में संस्कृत भाषा में बातचीत के प्रति प्रेरित करना है.
इसके साथ ही नई पीढ़ी को संस्कृत के जरिए भारतीय दर्शन और ज्ञान परंपरा से जोड़ना, सनातन संस्कृति के अनुसार संस्कारों के अवसर पर वेद पुराणों और उपनिषदों का पठन-पाठन एवं ग्राम की धरोहरों को संस्कृत भाषा में ट्रांसलेट किया जाएगा. साथ ही संस्कृत के सार्वभौमिकरण (Universalization) के लिए संस्कृत ग्राम को सुसभ्य, स्वच्छता की प्रवृत्ति अपनाने को लेकर भी जानकारी होगी.

संस्कृत ग्राम में तैनात किए जाएंगे शिक्षक, 20 हजार रुपए होगा वेतन: इसके लिए राज्य के हर जिले में एक-एक संस्कृत ग्राम घोषित किए जाने का निर्णय लिया गया है. जिसे जल्द ही धरातल पर उतर जाएगा. ग्रामीणों को संस्कृत भाषा की जानकारी दिए जाने को लेकर अगले तीन साल के लिए एक शिक्षक की नियुक्ति की जाएगी. जिसकी सैलरी 20 हजार रुपए प्रति महीना होगा.
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