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मौत के बाद भी काम आएगा 102 साल के जांबाज फौजी का शरीर, 8 वीरता पुरस्कारों से हो चुके हैं सम्मानित - ACHHAR SINGH BODY DONATION NERCHOWK

102 वर्षीय फौजी अच्छर सिंह ने कई साल तक सेना में सेवाएं दीं. इस दौरान उन्हें 8 वीरता पुरस्कारों से नवाजा गया.

देश के लिए जिया, समाज के लिए मरा 'अच्छर सिंह'
देश के लिए जिया, समाज के लिए मरा 'अच्छर सिंह' (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 15, 2025 at 2:15 PM IST

Updated : May 15, 2025 at 8:07 PM IST

2 Min Read

मंडी: एक सदी से भी ज्यादा की उम्र जीने वाले, सूबेदार मेजर ऑनरेरी कैप्टन अच्छर सिंह ने न सिर्फ जिंदगी भर देश की सेवा की, बल्कि अपनी मृत्यु के बाद भी समाज के लिए मिसाल बन गए. 102 वर्षीय इस जांबाज फौजी ने सेना में वीरता के साथ 30 साल तक सेवाएं देने के बाद अपनी देह मेडिकल शोध के लिए दान कर दी, ताकि आने वाली पीढ़ियों को ज्ञान और प्रेरणा मिलती रहे.

जिला मंडी के जेल रोड में रहने वाले और सरकाघाट उपमंडल के सरस्कान गांव के मूल निवासी सूबेदार मेजर ऑनरेरी कैप्टन अच्छर सिंह ने 102 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली. उन्होंने अपनी पूरी जवानी भारतीय सेना को समर्पित की और मरने के बाद भी समाज के लिए प्रेरणा बन गए. उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार, उनका पार्थिव शरीर श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक को दान कर दिया गया, ताकि प्रशिक्षु डॉक्टर उनके शरीर पर शोध कर सकें और चिकित्सा क्षेत्र में अपना योगदान दे सकें.

देशभक्ति और सेवा की मिसाल

अच्छर सिंह के बेटे और रिटायर्ड बैंक अधिकारी एम.सिंह ने बताया कि '12 अप्रैल 1923 को जन्मे अच्छर सिंह ने 1940 से 1969 तक भारतीय सेना में सेवाएं दीं. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने ब्रिटिश इंडियन आर्मी की सिग्नल कोर में बसरा, काहिरा, सिसिली और रंगून में अदम्य साहस दिखाया. 1965 में भारत-पाक युद्ध में भाग लेने पर उन्हें ‘रक्षा पदक 1965’ से सम्मानित किया गया. सेना में सेवाकाल के दौरान उन्हें कुल 8 वीरता पुरस्कार भी प्राप्त हुए.'

सेवानिवृत्ति के बाद भी समाजसेवा

सेवानिवृत्ति के बाद अच्छर सिंह ने जालंधर और आईआईटी कानपुर में एनसीसी प्रशिक्षक के तौर पर कार्य किया और नई पीढ़ी को देशभक्ति की प्रेरणा दी. रिटायरमेंट के बाद वो समाजसेवा से जुड़े रहे. रिटायर्ड बैंक अधिकारी एम.सिंह ने बताया कि 'मेरे पिता ने साल 2007 में देहदान का निर्णय लिया और पहले आईजीएमसी शिमला को इसके लिए चुना, जिसे बाद में लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक में स्थानांतरित कर दिया गया.' परिजनों,रिश्तेदारों और गांववासियों की मौजूदगी में रेडक्रॉस के वाहन के जरिए शव को विधिवत नेरचौक मेडिकल कॉलेज पहुंचाया गया.

ये भी पढ़ें- हिमाचल में इन उपभोक्ताओं को मिलती रहेगी बिजली सब्सिडी, एक यूनिट खर्च करने पर चुकाने होंगे इतने पैसे

मंडी: एक सदी से भी ज्यादा की उम्र जीने वाले, सूबेदार मेजर ऑनरेरी कैप्टन अच्छर सिंह ने न सिर्फ जिंदगी भर देश की सेवा की, बल्कि अपनी मृत्यु के बाद भी समाज के लिए मिसाल बन गए. 102 वर्षीय इस जांबाज फौजी ने सेना में वीरता के साथ 30 साल तक सेवाएं देने के बाद अपनी देह मेडिकल शोध के लिए दान कर दी, ताकि आने वाली पीढ़ियों को ज्ञान और प्रेरणा मिलती रहे.

जिला मंडी के जेल रोड में रहने वाले और सरकाघाट उपमंडल के सरस्कान गांव के मूल निवासी सूबेदार मेजर ऑनरेरी कैप्टन अच्छर सिंह ने 102 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली. उन्होंने अपनी पूरी जवानी भारतीय सेना को समर्पित की और मरने के बाद भी समाज के लिए प्रेरणा बन गए. उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार, उनका पार्थिव शरीर श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक को दान कर दिया गया, ताकि प्रशिक्षु डॉक्टर उनके शरीर पर शोध कर सकें और चिकित्सा क्षेत्र में अपना योगदान दे सकें.

देशभक्ति और सेवा की मिसाल

अच्छर सिंह के बेटे और रिटायर्ड बैंक अधिकारी एम.सिंह ने बताया कि '12 अप्रैल 1923 को जन्मे अच्छर सिंह ने 1940 से 1969 तक भारतीय सेना में सेवाएं दीं. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने ब्रिटिश इंडियन आर्मी की सिग्नल कोर में बसरा, काहिरा, सिसिली और रंगून में अदम्य साहस दिखाया. 1965 में भारत-पाक युद्ध में भाग लेने पर उन्हें ‘रक्षा पदक 1965’ से सम्मानित किया गया. सेना में सेवाकाल के दौरान उन्हें कुल 8 वीरता पुरस्कार भी प्राप्त हुए.'

सेवानिवृत्ति के बाद भी समाजसेवा

सेवानिवृत्ति के बाद अच्छर सिंह ने जालंधर और आईआईटी कानपुर में एनसीसी प्रशिक्षक के तौर पर कार्य किया और नई पीढ़ी को देशभक्ति की प्रेरणा दी. रिटायरमेंट के बाद वो समाजसेवा से जुड़े रहे. रिटायर्ड बैंक अधिकारी एम.सिंह ने बताया कि 'मेरे पिता ने साल 2007 में देहदान का निर्णय लिया और पहले आईजीएमसी शिमला को इसके लिए चुना, जिसे बाद में लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक में स्थानांतरित कर दिया गया.' परिजनों,रिश्तेदारों और गांववासियों की मौजूदगी में रेडक्रॉस के वाहन के जरिए शव को विधिवत नेरचौक मेडिकल कॉलेज पहुंचाया गया.

ये भी पढ़ें- हिमाचल में इन उपभोक्ताओं को मिलती रहेगी बिजली सब्सिडी, एक यूनिट खर्च करने पर चुकाने होंगे इतने पैसे

Last Updated : May 15, 2025 at 8:07 PM IST
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