कानपुर: पूर्व भारतीय क्रिकेटर पियूष चावला शनिवार, 21 जून को उत्तर प्रदेश के कानपूर में नजर आए. जहां उन्होंने द स्पोर्ट्स हब में आयोजित क्रिकेट कैंप में शामिल हुए और मीडिया से बात भी कि. इस मौके पर पीयूष ने ईटीवी भारत से खास बात चीत की और कहा कि जब मैंने क्रिकेट की दुनिया में कदम रखा था तो शुरुआत एक बल्लेबाज के तौर पर की थी और मैं पार्ट टाइम बॉलर था, लेकिन मेरे कोच केके गौतम ने लेग स्पिन फेंकने को कहा और फिर मैंने वाहां से पीछे मुड़कर नहीं देखा.
उन्होंने कहा कि लेग स्पिन बॉलिंग एक अननैचुरल आर्ट थी. साथ ही रिस्ट में जो कला मिली, वह ईश्वर की देन थी. इन दोनों के सामंजस्य से लेग स्पिन फेंकनी शुरू कर दी और सफलता मिल गई. उन्होंने ये भी कहा कि ऑफ स्पिन हर कोई फेंक सकता है पर उसके मुकाबले लेग स्पिन बॉल करना थोड़ा मुश्किल होता है.
एक अच्छा लेग स्पिनर बनने के लिए क्या करना होगा? इस सवाल के जवाब में पीयूष चावला ने कहा केवल एक दिन में आठ ओवर गेंदबाजी करने वाला लेग स्पिनर नहीं बन सकता. जब आप ग्राऊंड पर प्रैक्टिस कर रहे हैं तो एक दिन में 20 से 22 ओवर या 100 से 120 गेंदों का अभ्यास करना होगा. भले ही आप नेट पर केवल अकेले बॉलिंग करते रहें.
बता दें कि पियूष चावला ने 6 जून 2025 को क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर चुके हैं. उन्हों ने भारत के लिए 3 टेस्ट, 25 वनडे और 7 टी 20 मैच खेले हैं. इस के अलावा वो आईपीएल में चार टीमों केकेआर, सीएसके, एमआई और पंजाब के लिए कुल 192 मैच खेले हैं.

टेस्ट क्रिकेट के प्रारूप में हर खिलाड़ी का होता टेस्ट
भारतीय क्रिकेटर पीयूष चावला ने कहा क्रिकेट की दुनिया में तीन अलग-अलग प्रारूप- टेस्ट, वनडे और टी-20 हैं जरूर. पर इनमें से अधिकतर खिलाड़ियों को टेस्ट क्रिकेट भाता है. क्योंकि इस क्रिकेट में खिलाड़ी की स्किल, डिस्पिलिन, पर्सनॉलिटी का टेस्ट हो जाता है. पांच दिनों तक खेलते हुए कई अनुभव मिलते हैं. इसी तरह पीयूष चावला ने कहा जब आप ग्राऊंड पर टीम-11 का हिस्सा होते हैं, तो निश्चित तौर पर एक दबाव होता है. लेकिन, मेरा मानना है उस दबाव को एंज्वॉय करना चाहिए. इसके पीछे एक बड़ी वजह यह भी है, जब आप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट खेलते हैं, तो उससे पहले अंडर-19, रणजी जैसे क्रिकेट खेलकर आते हैं. वहां बड़े खिलाड़ियों के साथ टीम में रहने पर आपको बहुत कुछ सीखने को मिल जाता है
टीएसएच एके बेहतरी इंफ्रास्ट्रक्चर, ऐसे मॉडल पूरे देश में बनने चाहिए
'द स्पोर्ट्स हब' (टीएसएच) की सुविधाओं पर बोलते हुए चावला ने कहा, यहां का इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतरीन है और उसके मुकाबले फीस काफी सामान्य है. उन्होंने कहा जो बच्चे यहां प्रशिक्षण ले रहे हैं, उनमें से आठ से 10 खिलाड़ी ऐसे हैं जिनका नाम आगे चलकर जरूर सुनाई देगा. पीयूष चावला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खेलों के प्रति सकारात्मक सोच को भी सराहा. उन्होंने यह भी कहा टीएसएच जैसे कॉम्प्लेक्स देश के अन्य शहरों में भी बनने चाहिए ताकि देशभर के युवाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण मिल सके.
वहीं, टीएसएच के निदेशक प्रणीत अग्रवाल ने बताया, मौजूदा समय में टीएसएच की ओर से 100 बच्चों को निश्शुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जिसमें 40 बच्चे हॉस्टल में रह रहे हैं. उन्होंने कहा, पालिका स्टेडियम में मेट्रो के एक एंड साइड का नाम पीयूष चावला एंड रखा जाएगा. इसके लिए मेट्रो के अफसरों से बात हो गई.

ऑनेस्ट हार्डवर्क से मिलेगी सफलता, फ्यूचर प्लान अभी तय नहीं
भारतीय क्रिकेटर पीयूष चावला ने कहा, अगर आपको क्रिकेटर बनना है तो निश्चित तौर पर आपको ऑनेस्ट हार्डवर्क करना होगा. पूरी लगन, मन से क्रिकेट में रमना होगा. इस खेल से प्यार करना होगा. आप जितना अधिक प्यार करेंगे, उतनी बेहतर क्रिकेट खेल पाएंगे. फ्यूचर प्लान को लेकर बताया, फिलहाल दो सालों से कमेंट्री कर रहा हूं। इसके अलावा अभी कुछ सोचा नहीं है.