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शरद पूर्णिमा पर मिलेगी मां लक्ष्मी की कृपा, मुख्य द्वार पर करें ये काम, आएगी सुख-समृद्धि और होगा धन लाभ

आश्विन माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा कहते हैं. मान्यता है कि इस रात देवी लक्ष्मी स्वयं पृथ्वी पर आती हैं.

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शरद पूर्णिमा 2025 (file photo)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : October 4, 2025 at 2:42 PM IST

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हैदराबाद: 6 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का पावन पर्व पूरे देश में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाएगा. हिंदू धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है क्योंकि मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ धरती के सबसे निकट आता है और अपनी चांदनी से अमृत की वर्षा करता है.

मां लक्ष्मी का अवतरण
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन धन और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी का अवतरण हुआ था. इस दिन मां लक्ष्मी उल्लू पर सवार होकर पृथ्वी का भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों को धन, यश, वैभव और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. यही कारण है कि इस दिन विशेष रूप से मां लक्ष्मी का पूजन करने का विधान है. घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाकर देवी का स्वागत करना शुभ माना जाता है.

भगवान श्रीकृष्ण की महारास लीला
शास्त्रों में उल्लेख है कि शरद पूर्णिमा की रात ही भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन में राधा और गोपियों संग अद्भुत महारास का आयोजन किया था. इस रासलीला में भगवान श्रीकृष्ण ने अनेक रूप धारण कर गोपियों के साथ नृत्य किया था. यह घटना प्रेम, भक्ति और आनंद का अद्वितीय प्रतीक मानी जाती है और इसी वजह से शरद पूर्णिमा की रात को दिव्य और पवित्र कहा जाता है.

समुद्र मंथन से जुड़ी मान्यता
कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात ही समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं. इसी वजह से इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है. कई जगहों पर इस अवसर पर कुंवारी कन्याएं सूर्य और चंद्र देव की पूजा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करती हैं.

खीर का विशेष महत्व
लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि, शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाने और उसे चंद्रमा की रोशनी में रखने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है. मान्यता है कि इस रात चंद्रमा की किरणों में अमृत का संचार होता है और उसकी छाया में रखी खीर अमृतमयी हो जाती है. अगली सुबह इस खीर को प्रसाद स्वरूप ग्रहण करने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है और घर में मां लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है.

शरद पूर्णिमा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि इसे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी खास माना जाता है. यह पर्व मां लक्ष्मी की कृपा, भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और चंद्रमा की शीतल अमृतवर्षा का संगम है, जो भक्तों के जीवन में समृद्धि, सुख और सौभाग्य लाता है.

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