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सावन 2025: इस दिन से शुरू हो रहे भोलेनाथ की भक्ति के दिन, जानें इस बार कितने होंगे सोमवार - SAWAN MONTH 2025

आज से आषाढ़ महीने की शुरुआत हो चुकी है. इसके बाद सावन महीना शुरू होगा. विस्तार से जानते हैं इसका महत्व,

SAWAN MONTH 2025
सावन 2025 (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : June 12, 2025 at 12:29 PM IST

3 Min Read

हैदराबाद: हिंदू सनातन धर्म में सभी महीनों का विशेष महत्व है. लेकिन सावन महीने की महत्ता कहीं ज्यादा है. इस महीने में देवादिदेव भगवान शिव की पूजा का विधान है. यह महीना भोलेनाथ को समर्पित होता है. वहीं, इस महीने के सोमवार को सभी भक्त शंकर भगवान की पूजा-आराधना करते हैं. ऐसा माना जाता है कि भोलेनाथ की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

लखनऊ के ज्योतिषातार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र बताते हैं कि यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है. सभी शिवभक्त शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद, जल और बेलपत्र से अभिषेक करते हैं. हर मंदिर में भोलेनाथ के मंत्रों की गूंज रहती है. उन्होंने कहा कि मात्र बेलपत्र और एक लोटा जल चढ़ाने से भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की इच्छाएं पूरी करते हैं. उन्होंने कहा कि इस बार सावन महीने की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है. आइये विस्तार से जानते हैं.

उन्होंने कहा कि ऐसी मान्यता है कि जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु देवशयनी एकादशी से क्षीर सागर में चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं. तब सृष्टि का संचालन भोलेनाथ के हाथों में आ जाता है. चार महीने आषाढ़,सावन, भादों और आश्विन चातुर्मास कहलाते हैं. इन चार महीनों में सावन महीना काफी खास महत्व रखता है.

इस दिन से हो रही सावन की शुरुआत
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस साल सावन महीने की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से हो रही है और इसकी समाप्ति 9 अगस्त को पूर्णिमा के दिन होगी. उन्होंने कहा कि पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है. अब बात करते हैं सावन के सोमवार की. सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ेगा. वहीं, दूसरा 21 जुलाई, तीसरा 28 जुलाई और चौथा और अंतिम सोमवार 4 अगस्त को पड़ेगा. इसके बाद यह महीना 9 अगस्त को पूर्णिमा के साथ समाप्त हो जाएगा.

जानें पूजा-विधि
डॉ. उमाशंकर मिश्र ने आगे बताया कि सावन के पूरे महीने चारों ओर शिवभक्ति के अद्भुत नजारें देखने को मिलते हैं. जातकों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. ज्योतिषाचार्य ने पूजा विधि के लिए बताया कि सबसे पहले स्वच्छ जल से स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. उसके बाद शिवलिंग पर सबसे पहले गंगाजल चढ़ाए, फिर कच्चे दूध से भोलेनाथ को स्नान करवाएं. इसके बाद फिर जल अर्पित करें. इसके पश्चात बेलपत्र, धतूरा, सफेद फूल, भस्म, नैवेद्य अर्पण करें. इस दौरान शिव के मंत्रों का जाप निरंतर करते रहें. शिव चालीसा का पाठ भी करें. पूजा समाप्त होने के बाद आरती करें और कामना करें.

पढ़ें: आषाढ़ माह 2025: आज से शुरू हो रहा कामनापूर्ति का महीना, जानें कैसे करें पूजा-अर्चना और व्रत-त्योहार

हैदराबाद: हिंदू सनातन धर्म में सभी महीनों का विशेष महत्व है. लेकिन सावन महीने की महत्ता कहीं ज्यादा है. इस महीने में देवादिदेव भगवान शिव की पूजा का विधान है. यह महीना भोलेनाथ को समर्पित होता है. वहीं, इस महीने के सोमवार को सभी भक्त शंकर भगवान की पूजा-आराधना करते हैं. ऐसा माना जाता है कि भोलेनाथ की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

लखनऊ के ज्योतिषातार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र बताते हैं कि यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है. सभी शिवभक्त शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद, जल और बेलपत्र से अभिषेक करते हैं. हर मंदिर में भोलेनाथ के मंत्रों की गूंज रहती है. उन्होंने कहा कि मात्र बेलपत्र और एक लोटा जल चढ़ाने से भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की इच्छाएं पूरी करते हैं. उन्होंने कहा कि इस बार सावन महीने की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है. आइये विस्तार से जानते हैं.

उन्होंने कहा कि ऐसी मान्यता है कि जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु देवशयनी एकादशी से क्षीर सागर में चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं. तब सृष्टि का संचालन भोलेनाथ के हाथों में आ जाता है. चार महीने आषाढ़,सावन, भादों और आश्विन चातुर्मास कहलाते हैं. इन चार महीनों में सावन महीना काफी खास महत्व रखता है.

इस दिन से हो रही सावन की शुरुआत
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस साल सावन महीने की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से हो रही है और इसकी समाप्ति 9 अगस्त को पूर्णिमा के दिन होगी. उन्होंने कहा कि पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है. अब बात करते हैं सावन के सोमवार की. सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ेगा. वहीं, दूसरा 21 जुलाई, तीसरा 28 जुलाई और चौथा और अंतिम सोमवार 4 अगस्त को पड़ेगा. इसके बाद यह महीना 9 अगस्त को पूर्णिमा के साथ समाप्त हो जाएगा.

जानें पूजा-विधि
डॉ. उमाशंकर मिश्र ने आगे बताया कि सावन के पूरे महीने चारों ओर शिवभक्ति के अद्भुत नजारें देखने को मिलते हैं. जातकों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. ज्योतिषाचार्य ने पूजा विधि के लिए बताया कि सबसे पहले स्वच्छ जल से स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. उसके बाद शिवलिंग पर सबसे पहले गंगाजल चढ़ाए, फिर कच्चे दूध से भोलेनाथ को स्नान करवाएं. इसके बाद फिर जल अर्पित करें. इसके पश्चात बेलपत्र, धतूरा, सफेद फूल, भस्म, नैवेद्य अर्पण करें. इस दौरान शिव के मंत्रों का जाप निरंतर करते रहें. शिव चालीसा का पाठ भी करें. पूजा समाप्त होने के बाद आरती करें और कामना करें.

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