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पितृपक्ष 2024: इस समय करें पितरों का तर्पण और पिंडदान, मिलेगी असीम कृपा, इनको लगाएं भोग - Pitra Paksha 2024

Pitra Paksha 2024: पितृपक्ष 2024 भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से लेकर अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक रहते हैं. इस साल पितृपक्ष मंगलवार 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक रहेगा.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 14, 2024, 10:08 AM IST

Updated : Sep 17, 2024, 7:07 AM IST

PITRA PAKSHA 2024
इस समय करें पितरों का तर्पण और पिंडदान (ETV Bharat)

हैदराबाद: इस साल पितृपक्ष की शुरुआत मंगलवार यानी आज 17 सिंतबर 2024 से हो रही है और इसका समापन 2 अक्टूबर को होगा. हिंदू शास्त्र के मुताबिक इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है. केवल पितरों का श्राद्ध किया जाता है. ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि पितृपक्ष में तिथि के अनुसार ही पितरों के श्राद्ध करने की परंपरा है.

ज्योतिषाचार्य डॉ.उमाशंकर मिश्र ने बताया कि कुंडली के पितृ दोष को दूर करने के लिए यह सबसे उपयुक्त समय है. इन दिनों पितरों की कृपा पाने और उनको खुश करने के लिए तमाम उपाय भी किए जाते हैं. इसके साथ-साथ पितरों की पूजा करने का भी समय नियत है. अगर इस समय पितरों का पिंडदान, तर्पण किया जाए तो पूजा सफल होती है और उनका आर्शावाद भी प्राप्त होता है.

सबसे पहले ये जानते हैं कि पितृ दोष क्या होता है. जिन जातकों की कुंडली में पितृ दोष होता है उन लोगों को संतान सुख प्राप्त नहीं होता. अगर संतान हो भी गई तो जीवनभर परेशानी का सामना करना पड़ेगा. ऐसे जातकों को रोजगार में भी दिक्कतें आती हैं. हर काम में रुकावटें झेलनी पड़ती हैं. सुख-समृद्धि का अभाव होता है. घर में मांगलिक कार्य भी नहीं होते हैं.

ज्योतिषाचार्य ने जानकारी दी कि पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं. इससे उनकी आत्मा तृप्त होती है और आर्शीवाद देते हैं. ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है. उन्हें दान-दक्षिणा देकर पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है. आइये भादो पूर्णिमा के पहले श्राद्ध से लेकर आखिरी सर्वपितृ अमावस्या की तारीख के बारे में जानते हैं.

श्राद्धकर्म करना किस समय रहेगा उपयुक्त

उन्होंने कहा कि हिंदू शास्त्र के अनुसार पितृपक्ष में सुबह और शाम के समय देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए, जबकि दोपहर का समय पितरों को समर्पित होता है. इसलिए पितरों का श्राद्ध केवल दोपहर के समय करना ही उत्तम होता है. पितृपक्ष में जातक किसी भी तिथि पर दोपहर 12 बजे के बाद श्राद्धकर्म कर सकते हैं. इस दौरान पितरों का तर्पण करें, ब्राह्मणों को भोजन कराएं, दान-दक्षिणा दें, श्राद्ध के दिन कौवे, चींटी, गाय और कुत्ते को भोग लगाएं.

ये हैं तिथियां

पूर्णिमा का श्राद्ध 17 सितंबर 2024 मंगलवार
प्रतिप्रदा का श्राद्ध 18 सितंबर 2024, बुधवार
द्वितिया का श्राद्ध 19 सितंबर 2024, गुरुवार
तृतीया का श्राद्ध 20 सितंबर 2024, शुक्रवार
चतुर्थी का श्राद्ध 21 सितंबर 2024, शनिवार
पंचमी का श्राद्ध 22 सितंबर 2024, रविवार
षष्ठी का श्राद्ध 23 सितंबर 2024, सोमवार
सप्तमी का श्राद्ध 23 सितंबर 2024, सोमवार
अष्टमी का श्राद्ध 24 सितंबर 2024, बुधवार
नवमी का श्राद्ध 25 सितंबर 2024, गुरुवार
दशमी का श्राद्ध 26 सितंबर 2024, शुक्रवार
एकादशी का श्राद्ध 27 सितंबर 2024, शुक्रवार
द्वादशी का श्राद्ध 29 सितंबर 2024, रविवार
मघा का श्राद्ध 29 सितंबर 2024, रविवार
त्रयोदशी का श्राद्ध 30 सितंबर 2024, सोमवार
चतुर्दशी का श्राद्ध 1 अक्टूबर 2024, मंगलवार
सर्वपितृ का श्राद्ध 2 अक्टूबर 2024, बुधवार

पढ़ें: सितंबर महीने में कौन-कौन से प्रमुख त्योहार हैं, कब शुरू होगा पितृपक्ष, कब पधारेंगे गणपति बप्पा, जानें - September 2024 Vrat Tyohar list

हैदराबाद: इस साल पितृपक्ष की शुरुआत मंगलवार यानी आज 17 सिंतबर 2024 से हो रही है और इसका समापन 2 अक्टूबर को होगा. हिंदू शास्त्र के मुताबिक इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है. केवल पितरों का श्राद्ध किया जाता है. ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि पितृपक्ष में तिथि के अनुसार ही पितरों के श्राद्ध करने की परंपरा है.

ज्योतिषाचार्य डॉ.उमाशंकर मिश्र ने बताया कि कुंडली के पितृ दोष को दूर करने के लिए यह सबसे उपयुक्त समय है. इन दिनों पितरों की कृपा पाने और उनको खुश करने के लिए तमाम उपाय भी किए जाते हैं. इसके साथ-साथ पितरों की पूजा करने का भी समय नियत है. अगर इस समय पितरों का पिंडदान, तर्पण किया जाए तो पूजा सफल होती है और उनका आर्शावाद भी प्राप्त होता है.

सबसे पहले ये जानते हैं कि पितृ दोष क्या होता है. जिन जातकों की कुंडली में पितृ दोष होता है उन लोगों को संतान सुख प्राप्त नहीं होता. अगर संतान हो भी गई तो जीवनभर परेशानी का सामना करना पड़ेगा. ऐसे जातकों को रोजगार में भी दिक्कतें आती हैं. हर काम में रुकावटें झेलनी पड़ती हैं. सुख-समृद्धि का अभाव होता है. घर में मांगलिक कार्य भी नहीं होते हैं.

ज्योतिषाचार्य ने जानकारी दी कि पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं. इससे उनकी आत्मा तृप्त होती है और आर्शीवाद देते हैं. ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है. उन्हें दान-दक्षिणा देकर पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है. आइये भादो पूर्णिमा के पहले श्राद्ध से लेकर आखिरी सर्वपितृ अमावस्या की तारीख के बारे में जानते हैं.

श्राद्धकर्म करना किस समय रहेगा उपयुक्त

उन्होंने कहा कि हिंदू शास्त्र के अनुसार पितृपक्ष में सुबह और शाम के समय देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए, जबकि दोपहर का समय पितरों को समर्पित होता है. इसलिए पितरों का श्राद्ध केवल दोपहर के समय करना ही उत्तम होता है. पितृपक्ष में जातक किसी भी तिथि पर दोपहर 12 बजे के बाद श्राद्धकर्म कर सकते हैं. इस दौरान पितरों का तर्पण करें, ब्राह्मणों को भोजन कराएं, दान-दक्षिणा दें, श्राद्ध के दिन कौवे, चींटी, गाय और कुत्ते को भोग लगाएं.

ये हैं तिथियां

पूर्णिमा का श्राद्ध 17 सितंबर 2024 मंगलवार
प्रतिप्रदा का श्राद्ध 18 सितंबर 2024, बुधवार
द्वितिया का श्राद्ध 19 सितंबर 2024, गुरुवार
तृतीया का श्राद्ध 20 सितंबर 2024, शुक्रवार
चतुर्थी का श्राद्ध 21 सितंबर 2024, शनिवार
पंचमी का श्राद्ध 22 सितंबर 2024, रविवार
षष्ठी का श्राद्ध 23 सितंबर 2024, सोमवार
सप्तमी का श्राद्ध 23 सितंबर 2024, सोमवार
अष्टमी का श्राद्ध 24 सितंबर 2024, बुधवार
नवमी का श्राद्ध 25 सितंबर 2024, गुरुवार
दशमी का श्राद्ध 26 सितंबर 2024, शुक्रवार
एकादशी का श्राद्ध 27 सितंबर 2024, शुक्रवार
द्वादशी का श्राद्ध 29 सितंबर 2024, रविवार
मघा का श्राद्ध 29 सितंबर 2024, रविवार
त्रयोदशी का श्राद्ध 30 सितंबर 2024, सोमवार
चतुर्दशी का श्राद्ध 1 अक्टूबर 2024, मंगलवार
सर्वपितृ का श्राद्ध 2 अक्टूबर 2024, बुधवार

पढ़ें: सितंबर महीने में कौन-कौन से प्रमुख त्योहार हैं, कब शुरू होगा पितृपक्ष, कब पधारेंगे गणपति बप्पा, जानें - September 2024 Vrat Tyohar list

Last Updated : Sep 17, 2024, 7:07 AM IST
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