हैदराबाद: ज्योतिष शास्त्र में जन्म कुंडली का विशेष महत्व है. जन्म के समय ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर व्यक्ति के भविष्य और स्वभाव का आंकलन किया जाता है. कुंडली में अनेक प्रकार के योग और दोष बनते हैं, जो जातक के जीवन को प्रभावित करते हैं. अक्सर लोग अपनी कुंडली में मौजूद इन योगों और दोषों को पहचान नहीं पाते, जिसके कारण उन्हें जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. आज हम एक ऐसे ही खतरनाक दोष के बारे में बात करेंगे, जिससे लोगों के जीवन में त्राहिमाम मचा रहता है - कालसर्प दोष
कालसर्प दोष क्या है?
ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्रा के अनुसार जन्म कुंडली के लग्न चार्ट में यदि सभी ग्रह राहु और केतु के मध्य आ जाते हैं, तो कालसर्प दोष का निर्माण होता है. राहु को सर्प का मुख और केतु को सर्प की पूंछ माना जाता है. कुछ विशेष परिस्थितियों में, जैसे चंद्रमा का राहु और केतु से बाहर होना, अथवा एक या दो अन्य ग्रहों के बाहर होने पर भी कालसर्प दोष बनता है. इसलिए, जन्म कुंडली में मौजूद ग्रहों की डिग्री का गहन अध्ययन करके ही इसका विश्लेषण किया जा सकता है.
कालसर्प दोष 12 प्रकार का होता है, और प्रत्येक प्रकार का व्यक्ति के जीवन पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है.
कालसर्प दोष के मुख्य लक्षण: कालसर्प दोष से पीड़ित जातक को जीवन में अनेक प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं.
- मानसिक अशांति और चिंता: ऐसे जातक सदैव ही मानसिक रूप से परेशान और चिंतित रहते हैं. उनके जीवन में शांति का अभाव होता है.
- कार्यों में बाधा: उन्हें हर कार्य में कठिनाई का अनुभव करना पड़ता है. सफलता प्राप्त करने के लिए अथक प्रयास करने पड़ते हैं.
- पारिवारिक कलह: ऐसे जातकों के परिवार में सदस्यों के बीच तनाव, झगड़े और आपसी मतभेद बने रहते हैं. घर में शांति का वातावरण नहीं रहता.
- धार्मिक कार्यों में बाधा: इन लोगों के घर में कोई भी धार्मिक आयोजन शांतिपूर्वक संपन्न नहीं होता है.
- करियर, शिक्षा और वैवाहिक जीवन में समस्याएं: ऐसे जातकों के जीवन में करियर, शिक्षा और वैवाहिक जीवन में अनेक बाधाएं आती हैं. उन्हें इन क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है.
हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कालसर्प दोष 12 प्रकार का होता है, और सभी के लक्षण एक समान नहीं होते. कुछ कालसर्प दोषों में लोगों को लाभ और उन्नति भी मिलती है. प्रत्येक कालसर्प दोष का अपना अलग महत्व एवं लक्षण है.
कालसर्प दोष के उपाय: उमाशंकर मिश्रा का कहना है कि कालसर्प दोष से पीड़ित लोगों के लिए ज्योतिष में अनेक उपाय बताए गए हैं, जिनसे इस दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है. कुछ सामान्य उपाय इस प्रकार हैं.
- कालसर्प दोष की शांति: कालसर्प दोष की शांति के लिए विशेष पूजन करना चाहिए. यह पूजन किसी योग्य पंडित द्वारा विधि-विधान से करवाना चाहिए.
- राहु और केतु की शांति: राहु और केतु के मंत्रों का जाप करना चाहिए और उनसे संबंधित दान करना चाहिए.
- भगवान शिव की पूजा: भगवान शिव को कालसर्प दोष का निवारण करने वाला माना जाता है. इसलिए, नियमित रूप से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए और उन्हें जल चढ़ाना चाहिए.
- अन्य उपाय: सभी 12 प्रकार के कालसर्प दोष के लिए अलग-अलग उपाय हैं, जो कुंडली के विश्लेषण के पश्चात ही तय किए जा सकते हैं.
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