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अनंत चतुर्दशी का व्रत करने से 14 साल तक मिलता है अनंत फल, जानिए क्या है महिमा और अनंत सूत्र बांधने से क्या होता है - Anant Chaturdashi 2024

Anant Chaturdashi 2024: अनंत चतुर्दशी का व्रत करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस दिन भगवान गणेश का विसर्जन भी किया जाता है. आइये जानते हैं इस व्रत के करने के क्या हैं नियम.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 16, 2024, 10:49 AM IST

Updated : Sep 17, 2024, 6:21 AM IST

ANANT CHATURDASHI 2024
अनंत चतुर्दशी 2024 (ETV Bharat)

हैदराबाद: हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी 2024 के व्रत की महिमा बहुत खास है. इसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन जगत के पालनहार श्री विष्णु भगवान की पूजा होती है. भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन के हर कष्ट दूर होते हैं. इसके साथ-साथ प्रथम पूज्यनीय भगवान गणेश का विसर्जन भी किया जाता है.

लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने इस अवसर पर बताया कि हिंदू पंचांग के मुताबिक भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी 2024 का त्योहार मनाया जाता है. उन्होंने कहा कि इस बार अनंत चतुर्दशी का त्योहार आज यानी मंगलवार 17 सितंबर को मनाया जा रहा है. इस दिन अनंत सूत्र बांधने की परंपरा है. ये रक्षा सूक्ष रेशम या कपास का होता है, जिसमें करीब 14 गांठें लगाई जाती हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी मान्यता है कि सालभर में इस दिन श्रीहरि की पूजा कर ली जाए तो 14 साल तक अनंत फल प्राप्त होता है.

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पांडवों ने भी इस व्रत को किया था. इस व्रत के प्रताप से उन्हें खोए हुए राजपाठ की प्राप्ति हुई थी. आइये जानते हैं कि आखिर क्यो मनाई जाती है अनंत चतुर्दशी 2024 और क्या है इसका महत्व.

जानिए अनंत चतुर्दशी 2024 व्रत कथा
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में सुमंत नामक ब्राह्मण अपनी बेटी दीक्षा और सुशीला के साथ रहता था. सुशीला जब विवाह लायक हुई तो उसकी मां का निधन हो गया. सुमंत ने बेटी सुशीला का विवाह कौंडिन्य ऋषि से कर दिया. कौंडिन्य ऋषि सुशीला को लेकर अपने आश्रम जा रहे थे, लेकिन रास्ते में रात हो गई तो एक जगह पर रुक गए. उस जगह कुछ स्त्रियां अनंत चतुर्दशी व्रत की पूजा कर रही थीं. सुशीला ने भी महिलाओं से उस व्रत की महिमा जानी और उसने भी 14 गांठों वाला अनंत धागा पहन लिया और कौंडिन्य ऋषि के पास आ गई, लेकिन कौंडिन्य ऋषि ने उस धागे को तोड़कर आग में डाल दिया, इससे भगवान अनंत सूत्र का अपमान हुआ. श्रीहरि के अनंत रूप के अपमान के बाद कौंडिन्य ऋषि की सारी संपत्ति नष्ट हो गई और वे दुखी रहने लगे.

फिर कौंडिन्य ऋषि उस अनंत धागे की प्राप्ति के लिए वन में भटकने लगे. एक दिन वे भूख-प्यास से जमीन पर गिर पड़े, तब भगवान अनंत प्रकट हुए. उन्होंने कहा कि कौंडिन्य तुमने अपनी गलती का पश्चाताप कर लिया है. अब घर जाकर अनंत चतुर्दशी का व्रत करो और 14 साल तक इस व्रत को करना. इसके प्रभाव से तुम्हारा जीवन सुखमय हो जाएगा और संपत्ति भी वापस आ जाएगी. कौंडिन्य ऋषि ने वैसा ही किया, जिसके बाद उनकी धन, संपत्ति वापस लौट आई और जीवन खुशहाल हो गया.

तभी से अनंत चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाने लगा.

पढ़ें: विश्वकर्मा पूजा 2024 पर करें ये छोटा सा उपाय, मिलेगा धनलाभ और मकान खरीदने का सौभाग्य - Vishwakarma Puja 2024

हैदराबाद: हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी 2024 के व्रत की महिमा बहुत खास है. इसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन जगत के पालनहार श्री विष्णु भगवान की पूजा होती है. भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन के हर कष्ट दूर होते हैं. इसके साथ-साथ प्रथम पूज्यनीय भगवान गणेश का विसर्जन भी किया जाता है.

लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने इस अवसर पर बताया कि हिंदू पंचांग के मुताबिक भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी 2024 का त्योहार मनाया जाता है. उन्होंने कहा कि इस बार अनंत चतुर्दशी का त्योहार आज यानी मंगलवार 17 सितंबर को मनाया जा रहा है. इस दिन अनंत सूत्र बांधने की परंपरा है. ये रक्षा सूक्ष रेशम या कपास का होता है, जिसमें करीब 14 गांठें लगाई जाती हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी मान्यता है कि सालभर में इस दिन श्रीहरि की पूजा कर ली जाए तो 14 साल तक अनंत फल प्राप्त होता है.

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पांडवों ने भी इस व्रत को किया था. इस व्रत के प्रताप से उन्हें खोए हुए राजपाठ की प्राप्ति हुई थी. आइये जानते हैं कि आखिर क्यो मनाई जाती है अनंत चतुर्दशी 2024 और क्या है इसका महत्व.

जानिए अनंत चतुर्दशी 2024 व्रत कथा
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में सुमंत नामक ब्राह्मण अपनी बेटी दीक्षा और सुशीला के साथ रहता था. सुशीला जब विवाह लायक हुई तो उसकी मां का निधन हो गया. सुमंत ने बेटी सुशीला का विवाह कौंडिन्य ऋषि से कर दिया. कौंडिन्य ऋषि सुशीला को लेकर अपने आश्रम जा रहे थे, लेकिन रास्ते में रात हो गई तो एक जगह पर रुक गए. उस जगह कुछ स्त्रियां अनंत चतुर्दशी व्रत की पूजा कर रही थीं. सुशीला ने भी महिलाओं से उस व्रत की महिमा जानी और उसने भी 14 गांठों वाला अनंत धागा पहन लिया और कौंडिन्य ऋषि के पास आ गई, लेकिन कौंडिन्य ऋषि ने उस धागे को तोड़कर आग में डाल दिया, इससे भगवान अनंत सूत्र का अपमान हुआ. श्रीहरि के अनंत रूप के अपमान के बाद कौंडिन्य ऋषि की सारी संपत्ति नष्ट हो गई और वे दुखी रहने लगे.

फिर कौंडिन्य ऋषि उस अनंत धागे की प्राप्ति के लिए वन में भटकने लगे. एक दिन वे भूख-प्यास से जमीन पर गिर पड़े, तब भगवान अनंत प्रकट हुए. उन्होंने कहा कि कौंडिन्य तुमने अपनी गलती का पश्चाताप कर लिया है. अब घर जाकर अनंत चतुर्दशी का व्रत करो और 14 साल तक इस व्रत को करना. इसके प्रभाव से तुम्हारा जीवन सुखमय हो जाएगा और संपत्ति भी वापस आ जाएगी. कौंडिन्य ऋषि ने वैसा ही किया, जिसके बाद उनकी धन, संपत्ति वापस लौट आई और जीवन खुशहाल हो गया.

तभी से अनंत चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाने लगा.

पढ़ें: विश्वकर्मा पूजा 2024 पर करें ये छोटा सा उपाय, मिलेगा धनलाभ और मकान खरीदने का सौभाग्य - Vishwakarma Puja 2024

Last Updated : Sep 17, 2024, 6:21 AM IST
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