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क्या बदलाव के बीच बीएसएनएल 2025 में मनाएगा सिल्वर जुबली ? - BSNL SILVER JUBILEE YEAR 2025

दूरसंचार विभाग से अलग कर बनाया गया बीएसएनएल बदलाव के दौर से गुजर रहा है. क्या मनाएगा सिल्वर जुबली प्रोग्राम. पढ़ें आर पटनायक का विश्लेषण.

Will BSNL Celebrate Silver Jubilee Year 2025 With Turnaround
बदलाव के बीच बीएसएनएल 2025 में मनाएगा सिल्वर जुबली! (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : March 22, 2025 at 5:16 PM IST

9 Min Read

हैदराबाद: सार्वजनिक क्षेत्र का प्राथमिक लक्ष्य देश के नागरिकों को जरूरी सेवाएं देने और उन्हें फायदा पहुंचाने के साथ आत्मनिर्भर बनाना होता है. इसका मकसद लाभ कमाना नहीं होता है. इसका उद्देश्य सभी लोगों तक सरकारी पहुंच को सुनिश्चित करना होता है. इसके तहत आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देना, कमजोर वर्गों के हितों की रक्षा करना और देश और समाज की प्रगति के लिए एक मजबूत आधार देना होता है. इस तरह से पब्लिक सेक्टर के उपक्रम लाखों लोगों को रोजगार मुहैया कराते हैं. इससे ये सेक्टर देश की समग्र प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. साल 1947 में देश को आजादी मिलने के बाद 1 जनवरी 1949 को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का राष्ट्रीयकरण हुआ. जुलाई 1969 में 14 बड़े निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया. अप्रैल 1980 में 5 और बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ। इसके अलावा 1971-72 में कोयला क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण किया गया. वहीं साल 1991 के सुधारों ने देश की अर्थव्यवस्था को पूरी दुनिया के लिए खोल दिया. इसी कड़ी में अब तक सरकारी स्वामित्व वाला दूरसंचार क्षेत्र निजी टीएसपी यानी टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर की एंट्री के लिए खुला था, जिसका उद्देश्य दूरसंचार के क्षेत्र में तेजी लाना था.

निजी टीएसपी के लिए समान अवसर पैदा करने के लिए सरकार ने अक्टूबर 2000 में दूरसंचार विभाग से बीएसएनएल को अलग कर दिया. इस प्रकार बीएसएनएल शुरू से स्थापित सार्वजनिक उपक्रम नहीं रहा. अपने गठन के बाद, सभी मध्यम और निचले स्तर के कर्मचारियों को तकनीकी रूप से बीएसएनएल में रख लिया गया. लेकिन सीनियर मैनेजमेंट में सीधी भर्ती वाले अधिकतर कर्मचारियों और अधिकारियों ने सार्वजनिक उपक्रम की सेवा का विकल्प ही नहीं चुना. जिसकी वजह से अभी तक बीएसएनएल का प्रबंधन प्रतिनियुक्ति पर आए सरकारी मानसिकता वाले अधिकारियों द्वारा होता है. वहीं देखा जाए तो टीएसपी मानव संसाधन पैटर्न और प्रेरणा में बेजोड़ हैं. इसके साथ ही राजनीतिक और नौकरशाही की उदासीनता और अनिर्णय की स्थिति, बजटीय बाधाएं, मांग के अनुरूप क्षमता वृद्धि न होना, जवाबदेही की कमी और अन्य बेमेल कारण हैं. जिनकी वजह से बीएसएनएल फलफूल नहीं सका. ये सब वजहें बीएसएनएल के पैरों में बेड़ियों की तरह हैं. अपने गठन के सिर्फ एक दशक में ही बीएसएनएल को निजी टीएसपी के लेवल का संसाधन नहीं मिला. जिसकी वजह से धीरे-धीरे बीएसएनएल का मार्केट कम होता गया.

अगर देखा जाए तो 4G लॉन्च के मामले में बीएसएनएल निजी टीएसपी कंपनियों से 10 साल पीछे है. साल 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 5G में अपग्रेड करने योग्य स्वदेशी 4G उपकरण अपनाने की इच्छा जाहिर की थी। इसके लिए टीसीएस, सीडॉट और तेजस नेटवर्क के कंसोर्टियम को अगस्त 2023 से 100,000 साइटों के लिए उपकरण सप्लाई करनी थी, जो अब भी अधूरे हैं. इसी के साथ नवंबर 2024 से पहले चार माह में बीएसएनएल द्वारा 68 लाख ग्राहक जोड़े गए थे. वहीं इसी अवधि के दौरान रिलायंस जियो द्वारा 165 लाख ग्राहकों का खोना दिखाया गया. ये आंकड़े मात्र दिखावटी प्रतीत होते हैं. ताजा आंकड़े पर गौर करें तो अभी 46 करोड़ कनेक्शन के साथ आर जियो की बाजार हिस्सेदारी 39.9 फीसदी है. साथ ही जिओ की बाजार हिस्सेदारी टॉप पर है, जबकि 9.24 करोड़ ग्राहकों के साथ बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी 8.05 फीसदी है. इस तरह से बाजार की हिस्सेदारी के साथ बीएसएनएल चौथे पायदान पर है.

बीते 3 वर्षों में बीएसएनएल को दिए गए कई वित्तीय पैकेज में से ज्यादातर गैर-नकदी हैं. इस दौरान बीएसएनल को मात्र 21,000 करोड़ रु. नकदी के रूप में मिले. जबकि बाकी के पैसे 4जी और 5जी स्पेक्ट्रम, एजीआर बकाया का निपटान, कर्मचारी वीआरएस पैकेज, बॉंड के लिए सॉवरेन गारंटी और 4 वर्षों में संपत्ति मुद्रीकरण आदि के रूप में परिसंपत्तियों के लिए दी गई. इस सिलसिले में मिनिस्टर ऑफ कम्युनिकेशन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा कि भारत अब वैश्विक स्तर पर पांचवां देश है जिसके पास अपना 4 जी स्टैक है. उन्होंने ये भी कहा था कि और बीएसएनएल 2025 के मध्य तक 1 लाख 4जी टावरों का रोलआउट पूरा कर लेगा. इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा कि विकसित 4जी स्टैक को इस तकनीक की जरूरत वाले अन्य देशों में भी निर्यात किया जा सकता है.

इसको लेकर दिसंबर 2024 में सार्वजनिक उपक्रमों पर संसदीय समिति ने बीएसएनएल को एक बहुआयामी स्ट्राटेजी बनाने की सलाह दी. इस सलाह के अनुसार इसमें भारतीय प्रौद्योगिकी डेवलपर्स और वैश्विक विशेषज्ञों के साथ सहयोग बढ़ाना भी शामिल था. इसका मकसद था कि ऐसा करने से स्वदेशी 4जी प्रौद्योगिकी को मान्यता मिले और इसके परिशोधन प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके. इसके अतिरिक्त समिति का मानना ​​था कि बीएसएनएल अस्थायी एकीकरण के लिए विदेशी प्रौद्योगिकी प्रदाताओं के साथ साझेदारी की संभावनाएं भी तलाश कर सकता है. ऐसा करने से स्वदेशी समाधानों के परिपक्व होने तक प्रौद्योगिकी अंतर को पाटने में काफी मदद मिल सकती है.

वहीं राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ मौजूदा मोदी सरकार बीएसएनएल को लेकर चमत्कार कर सकती है. उदाहरण के तौर पर समझ सकते हैं कि भारत के कुछ प्रमुख रक्षा उत्पादन पीएसयू देश को आत्मनिर्भर बना रहे हैं. इनमें बीईएल, भारत डायनेमिक्स, बीईएमएल और एचएएल शामिल हैं. इसके साथ ही कोचीन शिपयार्ड, गार्डनरीच शिप बिल्डर्स पीएसयू के रूप में शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं. पब्लिक सेक्टर की ऊर्जा और बिजली क्षेत्र की कंपनियाँ जैसे ओएनजीसी, ऑयल इंडिया, बीपीसीएल, एचपीसीएल, आईओसी, कोल इंडिया, पावरग्रिड भी अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं. बीते 10 वर्षों में इन सभी पीएसयू की पूंजी 5 गुने से 10 गुने तक बढ़ गई है.

इस तरह से देखा जाए तो जब देश की बहुत सारी पब्लिक सेक्टर कंपनियां अपने काम को कई गुना विस्तार दे रही हैं, तो फिर बीएसएनएल क्यों नहीं फलता-फूलता? क्योंकि देश के सामरिक हित राजनीतिक मजबूरियों पर भारी पड़ते हैं. ऐसे में उन सेक्टरों में अच्छी-खासी प्रगति हो रही है. वहीं इस डिजिटल युग में तकनीकी हमले के कारण होने वाली तोड़फोड़ और निगरानी के साथ, बीएसएनएल को सूचीबद्ध नहीं किया जा सकता है. इसके साथ ही इसे शुद्ध सरकारी इकाई के रूप में बीएसएनएल को बनाए रखना चाहिए. इस डिजिटल युग में तकनीकी हमले के कारण होने वाली तोड़फोड़ और निगरानी के साथ, बीएसएनएल को सूचीबद्ध नहीं किया जा सकता है. और इसे शुद्ध सरकारी इकाई के रूप में बनाए रखना चाहिए.

साल 2024 की अंतिम तिमाही के दौरान सार्वजनिक डोमेन में रिपोर्ट किए गए साइबर हमलों का उल्लेख किया गया है. इसके तहत सितंबर 2024 में एक इजरायली हमले में हिजबुल्लाह द्वारा उपयोग के लिए रखे गए हजारों लक्षित हैंडहेल्ड पेजर और वॉकी-टॉकी लेबनान और सीरिया में एक ही साथ फट गए. इसमें 42 लोग मारे गए और 3,000 घायल हो गए. नवंबर 2024 में माइक्रोसॉफ्ट द्वारा "साल्ट टाइफून" नाम दिया गया चीनी खुफिया यंत्र अमेरिकी दूरसंचार प्रणाली के अंतरतम कामकाज में सेंध लगा सकता है, ये बात सामने आई. वहीं साल 2024 में अकेले इंडिया के आंध्र प्रदेश में ही 1229 करोड़ रुपये से जुड़े वित्तीय मामले के 916 साइबर अपराध दर्ज किए गए, जो साल 2023 की तुलना में 34 फीसदी अधिक थे.

आजकल मीडिया में खबर वायरल हो रही है कि आने वाले दिनों में बीएसएनएल वीआरएस 2.0 के साथ कर्मचारियों की संख्या में 35 फीसदी की कटौती करना चाहती है. इसके लिए डीओटी 15,000 करोड़ रुपये के लिए वित्त मंत्रालय की मंजूरी मांग रहा है. इन हालात में दूरसंचार संचार विभाग को कर्मचारियों की छंटनी के बजाय बीएसएनल की परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिए कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाना चाहिए. इसके लिए उन्हें अच्छी तरह से प्रशिक्षित कर्मचारियों में से सर्वश्रेष्ठ की पहचान करनी चाहिए. इसके अलावा जहां जरूरत हो, साइबर अपराध से निपटने के लिए कमांडो बल के रूप में तैनात करने के लिए उन्हें अच्छी तरह से प्रशिक्षित करना चाहिए. वहीं टॉप लेवल के अधिकारी, जो पीएसयू सेवा का विकल्प चुने बिना काम कर रहे हैं, सेवानिवृत्ति के बाद 7वें सीपीसी पेंशन लाभ का लाभ उठा रहे हैं. जबकि जिन कर्मचारियों ने विश्वास के साथ पीएसयू का विकल्प चुना है, उनको साल 2017 से पेंशन संशोधन नहीं दिया जा रहा है. ये उनके साथ घोर अन्याय है. सरकार को गठन के समय कर्मचारियों को दिए गए सीजी कर्मचारियों के बराबर पेंशन लाभ देने की अपनी प्रतिबद्धता का सम्मान करना चाहिए. भले ही बीएसएनएल का रजत जयंती वर्ष और भारतीय गणतंत्र की डायमंड जुबली वर्ष एक ही साल हो रहा हो. ऐसे में देखना ये है कि इस साल बीएसएनएल अपनी रजत जयंती मनाता है या नहीं. यह अब बदलाव देखने और प्रतीक्षा करने का विषय है.

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हैदराबाद: सार्वजनिक क्षेत्र का प्राथमिक लक्ष्य देश के नागरिकों को जरूरी सेवाएं देने और उन्हें फायदा पहुंचाने के साथ आत्मनिर्भर बनाना होता है. इसका मकसद लाभ कमाना नहीं होता है. इसका उद्देश्य सभी लोगों तक सरकारी पहुंच को सुनिश्चित करना होता है. इसके तहत आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देना, कमजोर वर्गों के हितों की रक्षा करना और देश और समाज की प्रगति के लिए एक मजबूत आधार देना होता है. इस तरह से पब्लिक सेक्टर के उपक्रम लाखों लोगों को रोजगार मुहैया कराते हैं. इससे ये सेक्टर देश की समग्र प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. साल 1947 में देश को आजादी मिलने के बाद 1 जनवरी 1949 को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का राष्ट्रीयकरण हुआ. जुलाई 1969 में 14 बड़े निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया. अप्रैल 1980 में 5 और बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ। इसके अलावा 1971-72 में कोयला क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण किया गया. वहीं साल 1991 के सुधारों ने देश की अर्थव्यवस्था को पूरी दुनिया के लिए खोल दिया. इसी कड़ी में अब तक सरकारी स्वामित्व वाला दूरसंचार क्षेत्र निजी टीएसपी यानी टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर की एंट्री के लिए खुला था, जिसका उद्देश्य दूरसंचार के क्षेत्र में तेजी लाना था.

निजी टीएसपी के लिए समान अवसर पैदा करने के लिए सरकार ने अक्टूबर 2000 में दूरसंचार विभाग से बीएसएनएल को अलग कर दिया. इस प्रकार बीएसएनएल शुरू से स्थापित सार्वजनिक उपक्रम नहीं रहा. अपने गठन के बाद, सभी मध्यम और निचले स्तर के कर्मचारियों को तकनीकी रूप से बीएसएनएल में रख लिया गया. लेकिन सीनियर मैनेजमेंट में सीधी भर्ती वाले अधिकतर कर्मचारियों और अधिकारियों ने सार्वजनिक उपक्रम की सेवा का विकल्प ही नहीं चुना. जिसकी वजह से अभी तक बीएसएनएल का प्रबंधन प्रतिनियुक्ति पर आए सरकारी मानसिकता वाले अधिकारियों द्वारा होता है. वहीं देखा जाए तो टीएसपी मानव संसाधन पैटर्न और प्रेरणा में बेजोड़ हैं. इसके साथ ही राजनीतिक और नौकरशाही की उदासीनता और अनिर्णय की स्थिति, बजटीय बाधाएं, मांग के अनुरूप क्षमता वृद्धि न होना, जवाबदेही की कमी और अन्य बेमेल कारण हैं. जिनकी वजह से बीएसएनएल फलफूल नहीं सका. ये सब वजहें बीएसएनएल के पैरों में बेड़ियों की तरह हैं. अपने गठन के सिर्फ एक दशक में ही बीएसएनएल को निजी टीएसपी के लेवल का संसाधन नहीं मिला. जिसकी वजह से धीरे-धीरे बीएसएनएल का मार्केट कम होता गया.

अगर देखा जाए तो 4G लॉन्च के मामले में बीएसएनएल निजी टीएसपी कंपनियों से 10 साल पीछे है. साल 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 5G में अपग्रेड करने योग्य स्वदेशी 4G उपकरण अपनाने की इच्छा जाहिर की थी। इसके लिए टीसीएस, सीडॉट और तेजस नेटवर्क के कंसोर्टियम को अगस्त 2023 से 100,000 साइटों के लिए उपकरण सप्लाई करनी थी, जो अब भी अधूरे हैं. इसी के साथ नवंबर 2024 से पहले चार माह में बीएसएनएल द्वारा 68 लाख ग्राहक जोड़े गए थे. वहीं इसी अवधि के दौरान रिलायंस जियो द्वारा 165 लाख ग्राहकों का खोना दिखाया गया. ये आंकड़े मात्र दिखावटी प्रतीत होते हैं. ताजा आंकड़े पर गौर करें तो अभी 46 करोड़ कनेक्शन के साथ आर जियो की बाजार हिस्सेदारी 39.9 फीसदी है. साथ ही जिओ की बाजार हिस्सेदारी टॉप पर है, जबकि 9.24 करोड़ ग्राहकों के साथ बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी 8.05 फीसदी है. इस तरह से बाजार की हिस्सेदारी के साथ बीएसएनएल चौथे पायदान पर है.

बीते 3 वर्षों में बीएसएनएल को दिए गए कई वित्तीय पैकेज में से ज्यादातर गैर-नकदी हैं. इस दौरान बीएसएनल को मात्र 21,000 करोड़ रु. नकदी के रूप में मिले. जबकि बाकी के पैसे 4जी और 5जी स्पेक्ट्रम, एजीआर बकाया का निपटान, कर्मचारी वीआरएस पैकेज, बॉंड के लिए सॉवरेन गारंटी और 4 वर्षों में संपत्ति मुद्रीकरण आदि के रूप में परिसंपत्तियों के लिए दी गई. इस सिलसिले में मिनिस्टर ऑफ कम्युनिकेशन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा कि भारत अब वैश्विक स्तर पर पांचवां देश है जिसके पास अपना 4 जी स्टैक है. उन्होंने ये भी कहा था कि और बीएसएनएल 2025 के मध्य तक 1 लाख 4जी टावरों का रोलआउट पूरा कर लेगा. इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा कि विकसित 4जी स्टैक को इस तकनीक की जरूरत वाले अन्य देशों में भी निर्यात किया जा सकता है.

इसको लेकर दिसंबर 2024 में सार्वजनिक उपक्रमों पर संसदीय समिति ने बीएसएनएल को एक बहुआयामी स्ट्राटेजी बनाने की सलाह दी. इस सलाह के अनुसार इसमें भारतीय प्रौद्योगिकी डेवलपर्स और वैश्विक विशेषज्ञों के साथ सहयोग बढ़ाना भी शामिल था. इसका मकसद था कि ऐसा करने से स्वदेशी 4जी प्रौद्योगिकी को मान्यता मिले और इसके परिशोधन प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके. इसके अतिरिक्त समिति का मानना ​​था कि बीएसएनएल अस्थायी एकीकरण के लिए विदेशी प्रौद्योगिकी प्रदाताओं के साथ साझेदारी की संभावनाएं भी तलाश कर सकता है. ऐसा करने से स्वदेशी समाधानों के परिपक्व होने तक प्रौद्योगिकी अंतर को पाटने में काफी मदद मिल सकती है.

वहीं राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ मौजूदा मोदी सरकार बीएसएनएल को लेकर चमत्कार कर सकती है. उदाहरण के तौर पर समझ सकते हैं कि भारत के कुछ प्रमुख रक्षा उत्पादन पीएसयू देश को आत्मनिर्भर बना रहे हैं. इनमें बीईएल, भारत डायनेमिक्स, बीईएमएल और एचएएल शामिल हैं. इसके साथ ही कोचीन शिपयार्ड, गार्डनरीच शिप बिल्डर्स पीएसयू के रूप में शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं. पब्लिक सेक्टर की ऊर्जा और बिजली क्षेत्र की कंपनियाँ जैसे ओएनजीसी, ऑयल इंडिया, बीपीसीएल, एचपीसीएल, आईओसी, कोल इंडिया, पावरग्रिड भी अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं. बीते 10 वर्षों में इन सभी पीएसयू की पूंजी 5 गुने से 10 गुने तक बढ़ गई है.

इस तरह से देखा जाए तो जब देश की बहुत सारी पब्लिक सेक्टर कंपनियां अपने काम को कई गुना विस्तार दे रही हैं, तो फिर बीएसएनएल क्यों नहीं फलता-फूलता? क्योंकि देश के सामरिक हित राजनीतिक मजबूरियों पर भारी पड़ते हैं. ऐसे में उन सेक्टरों में अच्छी-खासी प्रगति हो रही है. वहीं इस डिजिटल युग में तकनीकी हमले के कारण होने वाली तोड़फोड़ और निगरानी के साथ, बीएसएनएल को सूचीबद्ध नहीं किया जा सकता है. इसके साथ ही इसे शुद्ध सरकारी इकाई के रूप में बीएसएनएल को बनाए रखना चाहिए. इस डिजिटल युग में तकनीकी हमले के कारण होने वाली तोड़फोड़ और निगरानी के साथ, बीएसएनएल को सूचीबद्ध नहीं किया जा सकता है. और इसे शुद्ध सरकारी इकाई के रूप में बनाए रखना चाहिए.

साल 2024 की अंतिम तिमाही के दौरान सार्वजनिक डोमेन में रिपोर्ट किए गए साइबर हमलों का उल्लेख किया गया है. इसके तहत सितंबर 2024 में एक इजरायली हमले में हिजबुल्लाह द्वारा उपयोग के लिए रखे गए हजारों लक्षित हैंडहेल्ड पेजर और वॉकी-टॉकी लेबनान और सीरिया में एक ही साथ फट गए. इसमें 42 लोग मारे गए और 3,000 घायल हो गए. नवंबर 2024 में माइक्रोसॉफ्ट द्वारा "साल्ट टाइफून" नाम दिया गया चीनी खुफिया यंत्र अमेरिकी दूरसंचार प्रणाली के अंतरतम कामकाज में सेंध लगा सकता है, ये बात सामने आई. वहीं साल 2024 में अकेले इंडिया के आंध्र प्रदेश में ही 1229 करोड़ रुपये से जुड़े वित्तीय मामले के 916 साइबर अपराध दर्ज किए गए, जो साल 2023 की तुलना में 34 फीसदी अधिक थे.

आजकल मीडिया में खबर वायरल हो रही है कि आने वाले दिनों में बीएसएनएल वीआरएस 2.0 के साथ कर्मचारियों की संख्या में 35 फीसदी की कटौती करना चाहती है. इसके लिए डीओटी 15,000 करोड़ रुपये के लिए वित्त मंत्रालय की मंजूरी मांग रहा है. इन हालात में दूरसंचार संचार विभाग को कर्मचारियों की छंटनी के बजाय बीएसएनल की परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिए कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाना चाहिए. इसके लिए उन्हें अच्छी तरह से प्रशिक्षित कर्मचारियों में से सर्वश्रेष्ठ की पहचान करनी चाहिए. इसके अलावा जहां जरूरत हो, साइबर अपराध से निपटने के लिए कमांडो बल के रूप में तैनात करने के लिए उन्हें अच्छी तरह से प्रशिक्षित करना चाहिए. वहीं टॉप लेवल के अधिकारी, जो पीएसयू सेवा का विकल्प चुने बिना काम कर रहे हैं, सेवानिवृत्ति के बाद 7वें सीपीसी पेंशन लाभ का लाभ उठा रहे हैं. जबकि जिन कर्मचारियों ने विश्वास के साथ पीएसयू का विकल्प चुना है, उनको साल 2017 से पेंशन संशोधन नहीं दिया जा रहा है. ये उनके साथ घोर अन्याय है. सरकार को गठन के समय कर्मचारियों को दिए गए सीजी कर्मचारियों के बराबर पेंशन लाभ देने की अपनी प्रतिबद्धता का सम्मान करना चाहिए. भले ही बीएसएनएल का रजत जयंती वर्ष और भारतीय गणतंत्र की डायमंड जुबली वर्ष एक ही साल हो रहा हो. ऐसे में देखना ये है कि इस साल बीएसएनएल अपनी रजत जयंती मनाता है या नहीं. यह अब बदलाव देखने और प्रतीक्षा करने का विषय है.

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