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ढाका से आयात पर भारत की सख्ती से क्यों नरम पड़ रहा बांग्लादेश? - INDIA BANGLADESH RELATIONS

भारत द्वारा आयात चैनलों पर सख्ती लागू करने के बाद बांग्लादेश द्विपक्षीय वाणिज्य में निरंतरता की बात करने लगा है.

Bangladesh softened after tough stand on Bangladeshi imports.
बांग्लादेशी आयात पर कड़ा रुख अपनाने पर नरम पड़ा बांग्लादेश. (IANS (File- Photo))
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By Aroonim Bhuyan

Published : May 19, 2025 at 10:21 AM IST

8 Min Read

नई दिल्ली: भारत के बांग्लादेशी वस्तुओं के आयात प्रतिबंधों के बीच ढाका के निर्यात क्षेत्र में हलचल मच गई है. ऐसा होने से द्विपक्षीय व्यापार के भविष्य को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. वहीं बांग्लादेश के तेवर नरम पड़ रहे हैं.

अब भारत द्वारा आयात चैनलों को सख्त करने के बाद बांग्लादेश निरंतरता क्यों चाहता है? गौर करें तो बांग्लादेशी आयात पर भारत के नए बंदरगाह प्रतिबंध बढ़ते व्यापार घर्षण का संकेत देते हैं. इससे बढ़ती कूटनीतिक बेचैनी के बीच ढाका द्विपक्षीय वाणिज्य में निरंतरता की बात करने लगा है.

बांग्लादेश में राजनीतिक पुनर्संतुलन और ढाका की उभरती रणनीतिक स्थिति पर भारत की बढ़ती चिंताओं के समय बंदरगाह प्रतिबंधों का असर दिखने लगा है. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के वाणिज्य सलाहकार एस.के. बशीर उद्दीन ने रविवार को आश्वासन दिया कि द्विपक्षीय व्यापार “निर्बाध” बना रहेगा. इससे यह संकेत मिलता है कि ढाका की ओर से यह विवादों को रोकने का प्रयास है. वहीं यह बांग्लादेश के लिए भारत-बांग्लादेश आर्थिक सहयोग पर छा रही बेचैनी को छिपाने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है. हालांकि भारत की ओर से इसे एक सोची-समझी दबाव रणनीति के रूप में देखा जा सकता है.

ढाका ट्रिब्यून समाचार वेबसाइट ने बशीरउद्दीन के हवाले से ढाका सचिवालय में संवाददाताओं से कहा, "हमें अभी तक भारतीय पक्ष से कोई आधिकारिक संदेश नहीं मिला है." "एक बार जब हमें संदेश मिल जाएगा, तो हम उचित कदम उठाएंगे. यदि कोई मुद्दा उठता है, तो दोनों पक्ष बातचीत के माध्यम से उन्हें हल करने का प्रयास करेंगे."

भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने शनिवार को एक अधिसूचना जारी कर बांग्लादेश से भारत में रेडीमेड गारमेंट्स, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ आदि जैसे कुछ सामानों के आयात पर बंदरगाह प्रतिबंध लगा दिए हैं. हालांकि, ये बंदरगाह प्रतिबंध भारत से होकर नेपाल और भूटान जाने वाले बांग्लादेशी सामानों पर लागू नहीं होंगे. यह निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है.

डीजीएफटी के प्रेस नोट में कहा गया है कि "बांग्लादेश से सभी प्रकार के रेडीमेड कपड़ों के आयात की अनुमति किसी भी भूमि बंदरगाह से नहीं दी जाएगी. हालांकि, इसे केवल न्हावा शेवा और कोलकाता बंदरगाहों के माध्यम से ही अनुमति दी गई है." "फल/ फल-स्वाद वाले और कार्बोनेटेड पेय; प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ; कपास और सूती धागे के अपशिष्ट; प्लास्टिक और पीवीसी तैयार माल, पिगमेंट, डाई, प्लास्टिसाइजर और कणिकाओं को छोड़कर जो अपने उद्योगों के लिए इनपुट बनाते हैं; और लकड़ी के फर्नीचर, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में किसी भी भूमि सीमा शुल्क स्टेशन (एलसीएस) / एकीकृत चेक पोस्ट (आईसीपी) और पश्चिम बंगाल में एलसीएस चंग्रबांधा और फुलबारी के माध्यम से अनुमति नहीं दी जाएगी.

बंदरगाह प्रतिबंध बांग्लादेश से मछली, एलपीजी, खाद्य तेल और कुचल पत्थर के आयात पर लागू नहीं होते हैं.”

बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है और भारत एशिया में बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में बांग्लादेश ने भारत को 1.97 बिलियन डॉलर का सामान निर्यात किया. विदेश मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 में कुल द्विपक्षीय व्यापार 14.01 बिलियन डॉलर बताया गया है.

ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, जब बशीर से पूछा गया कि क्या भारत के इस फैसले से बांग्लादेश के निर्यात पर नकारात्मक असर पड़ेगा, तो उन्होंने कहा: "हम जो कुछ भी निर्यात करते हैं, उस पर इसका असर नहीं पड़ता. हमारे निर्यात का एक बड़ा हिस्सा परिधान क्षेत्र से आता है. हमारा ध्यान प्रतिस्पर्धात्मकता हासिल करने पर बना हुआ है. व्यापार दोनों देशों के लिए फायदेमंद है. भारत में भी एक मजबूत कपड़ा उद्योग है, फिर भी वे हमारी क्षमताओं के आधार पर हमारे उत्पादों का आयात करते हैं."

उन्होंने यह भी आशा व्यक्त की कि व्यापार जारी रहेगा, तथा कहा कि “यह दोनों पक्षों के उपभोक्ताओं और उत्पादन क्षेत्रों के हित में है.”

भारत का बंदरगाह प्रतिबंध उपाय बांग्लादेश के साथ भारत द्वारा बनाए गए पारंपरिक उदार व्यापार व्यवस्था से बदलाव को दर्शाता है. खासकर 2010 के दशक की शुरुआत से ऐसे हो रहा है. यह एक रणनीतिक आर्थिक संकेत प्रतीत होता है. साथ ही ढाका में घटनाक्रमों के साथ कूटनीतिक असहजता को दर्शाता है. खासकर अगस्त 2024 में प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद से हटने और उसके बाद शासन के चीन और पाकिस्तान की ओर झुकाव के बाद ऐसा हो रहा है. चीनी सैन्य सलाहकारों को आमंत्रित करने और भारत के साथ संबंधों को ठंडा करने जैसे नए शासन के फैसलों ने नई दिल्ली में बेचैनी पैदा कर दी है.

आयात प्रवेश बिंदुओं को सीमित करके, भारत ने प्रत्यक्ष टैरिफ या प्रतिबंध लगाए बिना ही ढाका पर आर्थिक दबाव डाला है. इसके साथ ही अस्वीकृति का संकेत देते हुए विश्व व्यापार संगठन का अनुपालन भी बनाए रखा है.

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024 में भारत को बांग्लादेश का निर्यात कुल 1.97 बिलियन डॉलर रहा. ये निर्यात वित्त वर्ष 2023 में 2 बिलियन डॉलर से थोड़ा कम है. इस गिरावट का कारण मुद्रा अवमूल्यन, रसद संबंधी चुनौतियाँ और गैर-टैरिफ बाधाएं जैसे कारक हैं. उल्लेखनीय रूप से, बांग्लादेश की निर्यात अर्थव्यवस्था की आधारशिला, रेडीमेड गारमेंट्स (आरएमजी) के निर्यात में गिरावट देखी गई है. वित्त वर्ष 2024 में, भारत को निटवियर निर्यात 34.05 प्रतिशत घटकर 204.11 मिलियन डॉलर रह गया. साथ ही बुने हुए कपड़ों का निर्यात 11.79 प्रतिशत घटकर 391.42 मिलियन डॉलर रह गया.

इन चुनौतियों के बावजूद, बांग्लादेश, भारत को कई तरह के सामान निर्यात करता रहा है. भारत ने 2023 में लगभग 218.3 मिलियन डॉलर के जूट उत्पादों का आयात किया. चमड़े के सामान का आयात 101.39 मिलियन डॉलर, समुद्री भोजन का 46.66 मिलियन डॉलर और जूते का आयात कुल 70.75 मिलियन डॉलर रहा. पहने हुए कपड़ों सहित विविध वस्त्रों का आयात कुल 149.39 मिलियन डॉलर रहा.

नई दिल्ली स्थित रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर डेवलपिंग नेशंस (आरआईएस) थिंक टैंक के प्रोफेसर प्रबीर डे ने ईटीवी भारत को बताया, "इस तरह के प्रतिबंध दुनिया भर में बहुत आम हैं. 2006-08 में, SAFTA (दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार समझौता) पेश किया गया था. भारत ने नकारात्मक सूची के तहत 25 वस्तुओं को छोड़कर बांग्लादेश से लगभग हर चीज के आयात का उदारतापूर्वक समर्थन किया."

हालांकि, उन्होंने बताया कि भारत ने अगरतला आईसीटी के माध्यम से आयात को प्रतिबंधित कर दिया है. साथ ही वह चाहता है कि यह आयात पश्चिम बंगाल में पेट्रापोल आईसीटी के माध्यम से हो.

डे ने कहा, "बांग्लादेश में 2024 के विद्रोह से पहले भी भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार संबंधी मुद्दे थे. इसमें एंटी-डंपिंग मुद्दे भी शामिल थे." "GVC (वैश्विक मूल्य जांच) का मुद्दा है, क्योंकि बांग्लादेश से भारत के कपड़ों का आयात खुदरा शृंखलाओं के माध्यम से बड़े पैमाने पर बेचा जाता है."

उन्होंने आगे कहा कि भारतीय परिधान निर्माता, विशेषकर तमिलनाडु और अन्य दक्षिणी राज्यों में स्थित अंतःवस्त्र निर्माता, कष्ट झेल रहे हैं.

डे ने कहा, "हमारे कई एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) संघर्ष कर रहे हैं या बंद हो गए हैं." "भारत परिधान क्षेत्र में हमारे एमएसएमई का समर्थन करना चाहता है. अब, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ के तहत, हमारे पास अमेरिका सहित वैश्विक स्तर पर परिधान निर्यात करने का मौका है."

ढाका स्थित पत्रकार सैफुर रहमान तपन के मुताबिक, वाणिज्य सलाहकार बशीरउद्दीन इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कह सके, क्योंकि भारत का कदम अंतरिम सरकार की कल्पना से परे था.

तपन ने ढाका से ईटीवी भारत को फोन पर बताया, "जब भारत ने बांग्लादेशी सामानों के लिए ट्रांसशिपमेंट सुविधाएं बंद कर दीं, तो वाणिज्य सलाहकार ने दावा किया कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को ज्यादा नुकसान नहीं होगा. हालांकि, बाद में उन्होंने स्वीकार किया कि नुकसान बांग्लादेशी टका 2,000 करोड़ तक होगा."

उन्होंने कहा कि अब जब भारत ने बांग्लादेशी वस्तुओं के आयात को केवल बंदरगाहों के माध्यम से प्रतिबंधित कर दिया है, तो उनके देश के परिधान निर्यातकों को लगता है कि इससे बांग्लादेशी टका 2,000 करोड़ से कहीं अधिक लागत आएगी. तपन ने कहा, "यह हमारी सरकार के लिए बहुत बड़ी शर्मिंदगी बन गई है."

ये भी पढ़ें- भारत ने बांग्लादेश को दिया बड़ा झटका! रेडीमेड कपड़ों, प्रोसेस्ड फूड समेत इन वस्तुओं पर लगाया प्रतिबंध

नई दिल्ली: भारत के बांग्लादेशी वस्तुओं के आयात प्रतिबंधों के बीच ढाका के निर्यात क्षेत्र में हलचल मच गई है. ऐसा होने से द्विपक्षीय व्यापार के भविष्य को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. वहीं बांग्लादेश के तेवर नरम पड़ रहे हैं.

अब भारत द्वारा आयात चैनलों को सख्त करने के बाद बांग्लादेश निरंतरता क्यों चाहता है? गौर करें तो बांग्लादेशी आयात पर भारत के नए बंदरगाह प्रतिबंध बढ़ते व्यापार घर्षण का संकेत देते हैं. इससे बढ़ती कूटनीतिक बेचैनी के बीच ढाका द्विपक्षीय वाणिज्य में निरंतरता की बात करने लगा है.

बांग्लादेश में राजनीतिक पुनर्संतुलन और ढाका की उभरती रणनीतिक स्थिति पर भारत की बढ़ती चिंताओं के समय बंदरगाह प्रतिबंधों का असर दिखने लगा है. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के वाणिज्य सलाहकार एस.के. बशीर उद्दीन ने रविवार को आश्वासन दिया कि द्विपक्षीय व्यापार “निर्बाध” बना रहेगा. इससे यह संकेत मिलता है कि ढाका की ओर से यह विवादों को रोकने का प्रयास है. वहीं यह बांग्लादेश के लिए भारत-बांग्लादेश आर्थिक सहयोग पर छा रही बेचैनी को छिपाने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है. हालांकि भारत की ओर से इसे एक सोची-समझी दबाव रणनीति के रूप में देखा जा सकता है.

ढाका ट्रिब्यून समाचार वेबसाइट ने बशीरउद्दीन के हवाले से ढाका सचिवालय में संवाददाताओं से कहा, "हमें अभी तक भारतीय पक्ष से कोई आधिकारिक संदेश नहीं मिला है." "एक बार जब हमें संदेश मिल जाएगा, तो हम उचित कदम उठाएंगे. यदि कोई मुद्दा उठता है, तो दोनों पक्ष बातचीत के माध्यम से उन्हें हल करने का प्रयास करेंगे."

भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने शनिवार को एक अधिसूचना जारी कर बांग्लादेश से भारत में रेडीमेड गारमेंट्स, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ आदि जैसे कुछ सामानों के आयात पर बंदरगाह प्रतिबंध लगा दिए हैं. हालांकि, ये बंदरगाह प्रतिबंध भारत से होकर नेपाल और भूटान जाने वाले बांग्लादेशी सामानों पर लागू नहीं होंगे. यह निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है.

डीजीएफटी के प्रेस नोट में कहा गया है कि "बांग्लादेश से सभी प्रकार के रेडीमेड कपड़ों के आयात की अनुमति किसी भी भूमि बंदरगाह से नहीं दी जाएगी. हालांकि, इसे केवल न्हावा शेवा और कोलकाता बंदरगाहों के माध्यम से ही अनुमति दी गई है." "फल/ फल-स्वाद वाले और कार्बोनेटेड पेय; प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ; कपास और सूती धागे के अपशिष्ट; प्लास्टिक और पीवीसी तैयार माल, पिगमेंट, डाई, प्लास्टिसाइजर और कणिकाओं को छोड़कर जो अपने उद्योगों के लिए इनपुट बनाते हैं; और लकड़ी के फर्नीचर, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में किसी भी भूमि सीमा शुल्क स्टेशन (एलसीएस) / एकीकृत चेक पोस्ट (आईसीपी) और पश्चिम बंगाल में एलसीएस चंग्रबांधा और फुलबारी के माध्यम से अनुमति नहीं दी जाएगी.

बंदरगाह प्रतिबंध बांग्लादेश से मछली, एलपीजी, खाद्य तेल और कुचल पत्थर के आयात पर लागू नहीं होते हैं.”

बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है और भारत एशिया में बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में बांग्लादेश ने भारत को 1.97 बिलियन डॉलर का सामान निर्यात किया. विदेश मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 में कुल द्विपक्षीय व्यापार 14.01 बिलियन डॉलर बताया गया है.

ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, जब बशीर से पूछा गया कि क्या भारत के इस फैसले से बांग्लादेश के निर्यात पर नकारात्मक असर पड़ेगा, तो उन्होंने कहा: "हम जो कुछ भी निर्यात करते हैं, उस पर इसका असर नहीं पड़ता. हमारे निर्यात का एक बड़ा हिस्सा परिधान क्षेत्र से आता है. हमारा ध्यान प्रतिस्पर्धात्मकता हासिल करने पर बना हुआ है. व्यापार दोनों देशों के लिए फायदेमंद है. भारत में भी एक मजबूत कपड़ा उद्योग है, फिर भी वे हमारी क्षमताओं के आधार पर हमारे उत्पादों का आयात करते हैं."

उन्होंने यह भी आशा व्यक्त की कि व्यापार जारी रहेगा, तथा कहा कि “यह दोनों पक्षों के उपभोक्ताओं और उत्पादन क्षेत्रों के हित में है.”

भारत का बंदरगाह प्रतिबंध उपाय बांग्लादेश के साथ भारत द्वारा बनाए गए पारंपरिक उदार व्यापार व्यवस्था से बदलाव को दर्शाता है. खासकर 2010 के दशक की शुरुआत से ऐसे हो रहा है. यह एक रणनीतिक आर्थिक संकेत प्रतीत होता है. साथ ही ढाका में घटनाक्रमों के साथ कूटनीतिक असहजता को दर्शाता है. खासकर अगस्त 2024 में प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद से हटने और उसके बाद शासन के चीन और पाकिस्तान की ओर झुकाव के बाद ऐसा हो रहा है. चीनी सैन्य सलाहकारों को आमंत्रित करने और भारत के साथ संबंधों को ठंडा करने जैसे नए शासन के फैसलों ने नई दिल्ली में बेचैनी पैदा कर दी है.

आयात प्रवेश बिंदुओं को सीमित करके, भारत ने प्रत्यक्ष टैरिफ या प्रतिबंध लगाए बिना ही ढाका पर आर्थिक दबाव डाला है. इसके साथ ही अस्वीकृति का संकेत देते हुए विश्व व्यापार संगठन का अनुपालन भी बनाए रखा है.

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024 में भारत को बांग्लादेश का निर्यात कुल 1.97 बिलियन डॉलर रहा. ये निर्यात वित्त वर्ष 2023 में 2 बिलियन डॉलर से थोड़ा कम है. इस गिरावट का कारण मुद्रा अवमूल्यन, रसद संबंधी चुनौतियाँ और गैर-टैरिफ बाधाएं जैसे कारक हैं. उल्लेखनीय रूप से, बांग्लादेश की निर्यात अर्थव्यवस्था की आधारशिला, रेडीमेड गारमेंट्स (आरएमजी) के निर्यात में गिरावट देखी गई है. वित्त वर्ष 2024 में, भारत को निटवियर निर्यात 34.05 प्रतिशत घटकर 204.11 मिलियन डॉलर रह गया. साथ ही बुने हुए कपड़ों का निर्यात 11.79 प्रतिशत घटकर 391.42 मिलियन डॉलर रह गया.

इन चुनौतियों के बावजूद, बांग्लादेश, भारत को कई तरह के सामान निर्यात करता रहा है. भारत ने 2023 में लगभग 218.3 मिलियन डॉलर के जूट उत्पादों का आयात किया. चमड़े के सामान का आयात 101.39 मिलियन डॉलर, समुद्री भोजन का 46.66 मिलियन डॉलर और जूते का आयात कुल 70.75 मिलियन डॉलर रहा. पहने हुए कपड़ों सहित विविध वस्त्रों का आयात कुल 149.39 मिलियन डॉलर रहा.

नई दिल्ली स्थित रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर डेवलपिंग नेशंस (आरआईएस) थिंक टैंक के प्रोफेसर प्रबीर डे ने ईटीवी भारत को बताया, "इस तरह के प्रतिबंध दुनिया भर में बहुत आम हैं. 2006-08 में, SAFTA (दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार समझौता) पेश किया गया था. भारत ने नकारात्मक सूची के तहत 25 वस्तुओं को छोड़कर बांग्लादेश से लगभग हर चीज के आयात का उदारतापूर्वक समर्थन किया."

हालांकि, उन्होंने बताया कि भारत ने अगरतला आईसीटी के माध्यम से आयात को प्रतिबंधित कर दिया है. साथ ही वह चाहता है कि यह आयात पश्चिम बंगाल में पेट्रापोल आईसीटी के माध्यम से हो.

डे ने कहा, "बांग्लादेश में 2024 के विद्रोह से पहले भी भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार संबंधी मुद्दे थे. इसमें एंटी-डंपिंग मुद्दे भी शामिल थे." "GVC (वैश्विक मूल्य जांच) का मुद्दा है, क्योंकि बांग्लादेश से भारत के कपड़ों का आयात खुदरा शृंखलाओं के माध्यम से बड़े पैमाने पर बेचा जाता है."

उन्होंने आगे कहा कि भारतीय परिधान निर्माता, विशेषकर तमिलनाडु और अन्य दक्षिणी राज्यों में स्थित अंतःवस्त्र निर्माता, कष्ट झेल रहे हैं.

डे ने कहा, "हमारे कई एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) संघर्ष कर रहे हैं या बंद हो गए हैं." "भारत परिधान क्षेत्र में हमारे एमएसएमई का समर्थन करना चाहता है. अब, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ के तहत, हमारे पास अमेरिका सहित वैश्विक स्तर पर परिधान निर्यात करने का मौका है."

ढाका स्थित पत्रकार सैफुर रहमान तपन के मुताबिक, वाणिज्य सलाहकार बशीरउद्दीन इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कह सके, क्योंकि भारत का कदम अंतरिम सरकार की कल्पना से परे था.

तपन ने ढाका से ईटीवी भारत को फोन पर बताया, "जब भारत ने बांग्लादेशी सामानों के लिए ट्रांसशिपमेंट सुविधाएं बंद कर दीं, तो वाणिज्य सलाहकार ने दावा किया कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को ज्यादा नुकसान नहीं होगा. हालांकि, बाद में उन्होंने स्वीकार किया कि नुकसान बांग्लादेशी टका 2,000 करोड़ तक होगा."

उन्होंने कहा कि अब जब भारत ने बांग्लादेशी वस्तुओं के आयात को केवल बंदरगाहों के माध्यम से प्रतिबंधित कर दिया है, तो उनके देश के परिधान निर्यातकों को लगता है कि इससे बांग्लादेशी टका 2,000 करोड़ से कहीं अधिक लागत आएगी. तपन ने कहा, "यह हमारी सरकार के लिए बहुत बड़ी शर्मिंदगी बन गई है."

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