पराजित पक्ष हमेशा अपनी हार को छिपाने की कोशिश करता है और छोटी-मोटी उपलब्धियों को बड़ी जीत के रूप में पेश करता है. यह तब और बढ़ जाता है जब हारा हुआ पक्ष न केवल अपने देश में, जहां वह ताकत से नियंत्रण रखता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी प्रतिष्ठा बचानी होती है. विजेता को हमेशा पराजित को कुछ छूट देनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि शांति फिर से स्थापित हो.
अगर हारे हुए पक्ष को पूरी तरह से दबा दिया जाए, तो संघर्ष को सुलझाना मुश्किल हो जाता है. इसके अलावा, विजेता को पता है कि उसने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया है, इसलिए वह घमंड नहीं करेगा. जबकि, पराजित व्यक्ति अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए जीत के बड़े-बड़े दावे करेगा. दोनों पक्षों के डीजीएमओ (सैन्य संचालन महानिदेशक) की प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह अंतर साफ दिखा.
Earlier this morning, I went to AFS Adampur and met our brave air warriors and soldiers. It was a very special experience to be with those who epitomise courage, determination and fearlessness. India is eternally grateful to our armed forces for everything they do for our nation. pic.twitter.com/RYwfBfTrV2
— Narendra Modi (@narendramodi) May 13, 2025
यह पराजित के झूठ और विजेता के सच के बीच का अंतर है जो उन लोगों के दिमाग को प्रभावित करता है जो सोशल मीडिया से राय बनाते हैं कि किस पर विश्वास किया जाए. यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि व्यक्ति किसका समर्थन करता है. हमें याद रखना चाहिए कि तटस्थ लोग बहुत कम हैं और उन्हें नजरअंदाज किया जाता है. यह चल रहे ऑपरेशन सिंदूर में स्पष्ट रूप से देखा गया.
पाकिस्तान के लिए भारत से किसी भी क्षेत्र में हारना, चाहे वह खेल का मैदान हो या सैन्य ऑपरेशन, उनकी विचारधारा के कारण स्वीकार्य नहीं है. भले ही वह युद्ध के मैदान में न जीत सके, लेकिन सोशल मीडिया पर वह नकली कहानियां फैलाकर लोगों के दिमाग को प्रभावित करने की कोशिश करता है ताकि लगे कि वह जीत रहा है. इस तरह ऑपरेशन सिंदूर का खेल ज्यादातर सोशल मीडिया पर ही खेला गया, जहां एक पक्ष सच बता रहा था और दूसरा हार को जीत में बदलने की कोशिश कर रहा था.
This #fake claim was further amplified by Pakistan’s Foreign Minister Ishaq Dar during his statement to the Senate on 15 May 2025.
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) May 16, 2025
By endorsing a completely fabricated image and headline, #Pakistan intentionally lent official weight to a piece of digital deception.… pic.twitter.com/k2s8LT5YJh
ऑपरेशन सिंदूर के पहले दिन से ही पाकिस्तान ने संगठित तरीके से झूठी खबरें फैलानी शुरू कर दीं, यह दावा करते हुए कि उनकी सेना ने भारत को करारी शिकस्त दी. यह कोई नई बात नहीं है. पाकिस्तान दशकों से ऐसा करता आ रहा है, अपने प्रशिक्षित और दिमागी तौर पर तैयार इंटर्न्स का इस्तेमाल करके.
पाकिस्तान का डीजीआईएसपीआर (जनसंपर्क निदेशालय) नियमित रूप से युवाओं के लिए मीडिया साइंस में इंटर्नशिप प्रोग्राम चलाता है. इस साल जनवरी-फरवरी में ऐसा ही एक प्रोग्राम हुआ था, जिसमें 2500 से ज्यादा युवाओं ने हिस्सा लिया था. एक लेख में बताया गया कि इन युवाओं को सिखाया जाता है कि 'संकट के समय सेना की छवि को कैसे बेहतर बनाया जाए.' ऑपरेशन सिंदूर एक संकट था और ऐसे वक्त में इनका काम था पाकिस्तान की सकारात्मक छवि बनाना.
In its media briefing, the DG ISPR of Pakistan used a small part of a full video clip of Aaj Tak News Channel to claim Indian airfield has been destroyed.
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) May 12, 2025
This is an attempt by #Pakistan to mislead its own people by producing doctored footage as evidence.
The actual story in… pic.twitter.com/Bm2mKd12IO
भारत के पास ऐसा कोई संगठन नहीं है, क्योंकि भारत को सच छिपाने की जरूरत नहीं पड़ती. ऑपरेशन सिंदूर के हर चरण में भारतीय मीडिया ब्रीफिंग में तथ्य और आंकड़े दिए गए, साथ ही निशाने पर लिए गए लक्ष्यों और उनके परिणामों का सबूत भी पेश किया गया. जहां सबूत नहीं थे, वहां बताया गया कि ऐसा हुआ, लेकिन विवरण साझा नहीं किया गया. जैसे पाकिस्तानी विमानों को मार गिराने की घटना. पाकिस्तान की मीडिया ब्रीफिंग शुरू से ही हास्यास्पद थीं. उनके दावे अतिशयोक्तिपूर्ण थे, सबूत गायब थे और सारी बातें सिर्फ खोखली थीं.
लेकिन हकीकत यह है कि पाकिस्तान में सभी मीडिया हाउस आईएसआई (इंटर-सर्विस इंटेलिजेंस) के सख्त नियंत्रण में हैं. वहां जो कुछ छपता है, वह सेना की मंजूरी से ही छपता है. इससे वे अपने देश के लोगों के विचारों को आसानी से प्रभावित कर सकते हैं. भारत के प्रति नफरत उनके उत्साह को बढ़ाती है कि वे केवल वही विश्वास करें जो पाकिस्तान के लिए दांव पर लगा हो.
🚨An infographic is doing the rounds on social media with @CNN's logo#PIBFactCheck
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) May 12, 2025
✅This infographic is #fake and part of the propaganda campaign.
✅#CNN never ran any such story or infographic comparing losses #IndiafightsPropaganda pic.twitter.com/srlYVUf3Xu
पाकिस्तान ने सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार अभियान चलाया, जिसका मकसद अपने देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों को अपने पक्ष में करना था. उन्होंने दावा किया कि उन्होंने भारत के अदमपुर में स्थित एस-400 वायु रक्षा प्रणाली को नष्ट कर दिया और हवाई अड्डे को भी तबाह कर दिया, जिसे उन्होंने जीत बताया. लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री की उस अड्डे की यात्रा, जहां वे एस-400 के साथ तस्वीर में दिखे, ने पाकिस्तान के झूठ को बेनकाब कर दिया. यह पाकिस्तान के सोशल मीडिया पर झूठे दावों का सिर्फ एक उदाहरण है.
दूसरा मामला, भारतीय विमानों को गिराने का था. पाकिस्तान के दावे दो से छह विमानों तक बदलते रहे. कोई सबूत नहीं था, सिवाय छेड़छाड़ किए गए वीडियो क्लिप के. जब CNN ने पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ से भारतीय विमानों को नष्ट करने के दावे पर सवाल किया, तो उन्होंने कहा, 'यह सब सोशल मीडिया पर है.' जब और सबूत मांगे गए, तो उन्होंने सवाल को टाल दिया और कहा कि वे सवाल सुन नहीं पाए.
A social media post claims this is a photo of aircrafts on fire at Udhampur Air Base in India.#PIBFactCheck
— All India Radio News (@airnewsalerts) May 15, 2025
✅ This claim is #fake.
✅ The Indian Air Force does not have any such aircraft in its fleet, as seen in the photo. Nor is this Udhampur Force Station.
🔎Stay… pic.twitter.com/GhM4Pn0L6D
एक और पहलू जिसे पाकिस्तान ने पूरी तरह छिपाने की कोशिश की, वह था युद्ध विराम के लिए भारत से संपर्क करना. यह सर्वविदित है कि पाकिस्तान ने अपने एयरबेस और वायु रक्षा प्रणालियों को नुकसान पहुंचाने के बाद, जो उनकी रक्षा की रीढ़ हैं, महसूस किया कि आगे की कार्रवाई हानिकारक हो सकती है. इसलिए उसने युद्ध विराम के लिए भारत से संपर्क किया. हालांकि, एक 'जिहादी' सेना के लिए, युद्ध विराम के लिए संपर्क करना आत्मसमर्पण करने के समान है.
इसलिए, सोशल मीडिया पर यह बात चल पड़ी कि उसने ऐसा कोई आह्वान नहीं किया और युद्ध विराम के लिए अमेरिका ने बातचीत की. इसका कारण जनता के सामने अपनी छवि बचाना था, जिसे नियंत्रित करना जारी रखना है. इसके नेताओं ने युद्ध विराम के लिए ट्रंप का आभार जताया, जबकि इसके विदेश कार्यालय ने एक बयान में भारत से संपर्क करने से इनकार किया.

हॉटलाइन पर दोनों डीजीएमओ के बीच हुई बातचीत के बारे में भारत का बयान, पाकिस्तान को नीचा दिखाए बिना, तथ्यात्मक तरीके से दिया गया. ऐसा नहीं है कि बातचीत रिकॉर्ड नहीं की गई थी, और इसे जारी किया जा सकता था, लेकिन भारत ने चुप्पी बनाए रखी. जिससे पाक सेना को अपने लोगों के बीच अपनी इज्जत बचाने का मौका मिला.
पाकिस्तान ने यह अभियान कैसे चलाया? उसने अपनी सफलताओं को बताने के लिए डॉक्टर्ड वीडियो, डीप फेक और यहां तक कि वीडियो गेम के क्लिप का इस्तेमाल किया. अपनी बात को साबित करने के लिए भारतीय खुफिया एजेंसियों के फर्जी दस्तावेज भी प्रसारित किए. अपनी तैयारियों को दिखाने के लिए कई मौकों पर दूसरे देशों के अभ्यासों के पुराने क्लिप दिखाए गए.
उन्होंने भारतीय मीडिया ब्रीफिंग और भारतीय समाचार चैनलों के क्लिप को संपादित करके यह दिखाया कि भारत अपने रणनीतिक संसाधनों के नुकसान को स्वीकार कर रहा है. एक मामले में उन्होंने सीएनएन की फर्जी रिपोर्ट दिखाई, जिसमें भारतीय सेना के नुकसान की तुलना में उनकी जीत दिखाई गई थी, जिसे सीएनएन ने सिरे से खारिज कर दिया.

आखिरकार, सीएनएन, रॉयटर्स, ब्लूमबर्ग, न्यूयॉर्क टाइम्स में काम करने वाले पाकिस्तानी पत्रकारों ने बिना सबूत के और निराधार दावों के साथ भारत विरोधी बयान प्रकाशित किए. इससे कुछ हद तक अंतरराष्ट्रीय दर्शकों पर असर पड़ा. पाकिस्तान की हर कहानी को उनके सैकड़ों मीडिया हैंडल्स ने बढ़ावा दिया ताकि उसे विश्वसनीयता मिले.
पाकिस्तान को तुर्की और चीन का समर्थन मिला. तुर्की की सरकारी मीडिया, जैसे टीआरटी वर्ल्ड और अनादोलु एजेंसी, और चीन का ग्लोबल टाइम्स ने पाकिस्तान की कहानी को बढ़ावा दिया. इसके पीछे कारण साफ था. ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान द्वारा इस्तेमाल किए गए तुर्की और चीनी रक्षा उत्पाद भारतीय रक्षा प्रणालियों को भेदने में नाकाम रहे.
तुर्की के ड्रोन को बड़ी संख्या में मार गिराया गया, जबकि चीनी रडार एक भी भारतीय मिसाइल का पता लगाने और उसे नष्ट करने में विफल रहे. यह उनकी रक्षा इंडस्ट्री के लिए बड़ा झटका था, जिसे केवल भारतीय संपत्तियों को बड़े नुकसान का दावा करके ही दूर किया जा सकता था.

दोनों देश जानते हैं कि अब उनके रक्षा उत्पादों को ठुकरा दिया जाएगा और उनकी जगह भारतीय और रूसी रक्षा उपकरण, जो युद्ध में सफल साबित हुए, ले लेंगे. भारतीय स्वदेशी उपकरण अब वैश्विक मांग में होंगे, जबकि वे अपना बाजार खो देंगे. इसके अलावा आरोप-प्रत्यारोप का खेल शुरू हो जाएगा, जिसमें पाकिस्तान पर उनके उपकरणों को गैर-पेशेवर तरीके से इस्तेमाल करने का आरोप लगाया जाएगा.
दुष्प्रचार का खेल अभी शुरू हुआ है. समय के साथ पाकिस्तान की ओर से और ज्यादा संपादित वीडियो, फर्जी क्लिप और लेख सोशल मीडिया पर आएंगे, जो झूठी कहानियां पेश करेंगे. भारत, जो झूठ फैलाने से बचता है, चुप रहेगा, क्योंकि उसे पता है कि पाकिस्तान और दुनिया में जो लोग मायने रखते हैं, वे भारत की ताकत और तीन दिन में मिली कामयाबी से वाकिफ हैं. भारतीय जनता को चाहिए कि वह सीमा पार से आने वाले झूठ से सावधान रहे.
(डिसक्लेमर: इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. यहां व्यक्त तथ्य और राय ईटीवी भारत के विचारों को नहीं दर्शाते हैं)
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