लगभग डेढ़ साल पहले आतंकी संगठन हमास ने इजराइल की सुरक्षा प्रणाली को धता बताते हुए ताबड़तोड़ हमले किए थे. 7 अक्टूबर 2023 को हुए हमास के इस आतंकी हमले में 1195 लोग मारे गए थे. इसी के साथ हमास ने 251 लोगों को बंधक बना लिया था. हमास के इस आतंकी हमले की दुनिया भर में निंदा हुई थी. इसके जवाब में अब तक इजरायल ने लगभग 70,000 फिलिस्तीनियों को जान से मार दिया है. इन 70 हजार में से 15,000 के करीब लापता या मृत माने जाने वाले लोग शामिल हैं, जिनमें से 60 फीसदी महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग हैं. इतना ही नहीं अब भी किसी न किसी बहाने से फिलिस्तीनियों को निशाना बनाना जारी रखा है.
इजराइल-हमास में साल 2023 में वॉर शुरू होने से पहले, इजरायल की जेलों में 5200 फिलिस्तीनी कैद में थे. ये आंकड़ा नवंबर 2023 तक यह संख्या बढ़कर 10,000 हो गई थी. गौर करें तो इजराइल के पास प्रशासनिक हिरासत नामक एक कैटेगरी है. इसके तहत इजरायल को बिना किसी आरोप या मुकदमे के फिलिस्तीनियों को पकड़ कर अनिश्चित काल तक रखने की शक्ति देता है. इस तरह से 1967 से अब तक 10 लाख फिलिस्तीनी इजरायल की जेलों में बंद हैं. जेलों में बंद ये 10 लाख फिलीस्तीनी, उसकी कुल आबादी का 18 प्रतिशत है. वहीं 40 प्रतिशत फिलिस्तीनी पुरुष किसी न किसी समय इजरायल की जेलों में बंद रही है.

इजराइल-हमास युद्ध शुरू होने के तुरंत बाद हमास ने ‘सबके लिए सबका’ सौदा पेश किया था. हमास की इस पेशकश का मतलब था कि हमास द्वारा बंदी बनाए गए सभी बंधकों को रिहा करना. साथ ही इसके बदले में इजरायली जेलों में बंद सभी कैदियों को रिहा करने की बात शामिल थी. इसी को लेकर नवंबर 2023 में, इजरायल ने 240 कैदियों को मुक्त कर दिया था. इसके बदले में हमास ने 81 इजरायली, 23 थाई और 1 फिलिपिनो बंधक को छोड़ा था. ये सभी मजदूर के रूप में काम करने के लिए इजरायल आए थे. हालाँकि, इजरायल और हमास के बीच युद्ध विराम समझौता ज्यादा समय तक नहीं चला और युद्ध दोबारा शुरू हो गया. युद्ध विराम खत्म खत्म होने के बाद इजरायल सैन्य कार्रवाई के माध्यम से बंधकों को रिहा कराने पर आमादा हो गया था.

उधर इजराइल ने फिलिस्तीनियों को हिरासत में रखने की अपनी नीति को जारी रखा. इस दौरान जैसे ही किसी फिलीस्तीनी की रिहाई होती इजराइल एक और फिलिस्तीनी को गिरफ्तार कर लेता. इस तरह से इजरायल द्वारा रिहा किए गए फिलिस्तीनियों की तुलना में कहीं और अधिक फिलिस्तीनी गिरफ्तार किए गए. इस तरह इजराइली कैद में बंद फिलिस्तीनियों की संख्या दोगुनी हो गई. 24 जनवरी, 2024 को इजराइल ने एक किशोर को फिर से गिरफ्तार कर लिया. इस किशोर उम्र के लड़के को अदला-बदली के लिए समझौते की शर्तों का उल्लंघन करके रिहा किया गया था. इस दौरान सैकड़ों इजराइली बंधकों को लेकर बहुत शोर मचा था. इस कड़ी में हजारों फिलिस्तीनी बंदियों को इजरायल ने बंधक नहीं माना.
इस युद्ध की वजह से बीते साल 2024 में गाजा के साथ-साथ पश्चिमी तट पर भी विनाश हुआ और बहुत से जानें चली गईं. इस तरह से देखा जाए तो फिलिस्तीनियों की पीड़ा हमेशा से इजरायलियों की तुलना में असंगत रहीं.
अंत में कतर, मिस्र और अमेरिका के हस्तक्षेप से इजराइल-हमास युद्ध विराम हुआ. इस युद्ध विराम को तीन चरणों में लागू किए जाने पर सहमति बनी. 19 जनवरी, 2025 से शुरू होने वाले पहले फेज में हमास ने कैदियों को इज़रायली कैद से मुक्त करने के बदले में 8 चरणों में बंधकों को रिहा करने पर सहमति बनी थी. इस सहमति के आधार पर उत्तरी गाजा में फ़िलिस्तीनियों की वापसी और मानवीय सहायता में और और गति लाना था. वहीं दूसरे चरण में अधिक कैदियों के बदले में अधिक बंधकों को रिहा किया जाना था. साथ ही इज़रायली सेना को गाजा के कब्जे वाले क्षेत्रों से पूरी तरह से हट जाना था. तीसरे चरण में गाजा का पुनर्निर्माण किया जाना था. इस तरह से पहले चरण में ही युद्ध शुरू होने से घायल फ़िलिस्तीनियों को पहली बार मिस्र जाने की अनुमति दी गई थी.

इस समझौते के बाद पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा हुआ. 19 जनवरी, 2025 को 90 फिलिस्तीनी कैदियों के बदले में 3 इजरायली महिला बंधकों को रिहा किया गया. साथ ही भोजन और ईंधन से भरे सहायता ट्रकों को राफा क्रॉसिंग के जरिए गाजा में प्रवेश करने की अनुमति दी गई. इसी तरह से 25 जनवरी को 200 फिलिस्तीनी कैदियों के बदले में 4 इजरायली महिला सैनिक बंधकों को छोड़ा गया. इसी कड़ी में 30 जनवरी को 110 फिलिस्तीनी कैदियों के बदले में 3 इजरायली बंधकों को रिहा किया गया. समझौते के तहत एक फरवरी को 183 फिलिस्तीनी कैदियों के बदले में 3 इजरायली बंधकों को छोड़ा गया. 8 फरवरी को फिर से 183 कैदियों के बदले में 3 इजरायली बंधकों को विभिन्न इजरायली जेलों से रिहा किया गया.
इस कड़ी में 15 फरवरी को, 369 फिलिस्तीनियों को इजरायल की जेलों से रिहा करने के बदले में 3 इजरायली नागरिकों को रिहा किया गया. 20 फरवरी को, 3 इजरायली बंधकों के शवों को हमास ने इजरायल को सौंपा. इस दौरान चौथा शव शिरी बिबास का नहीं पाया गया. इसको लेकर पहले दावा किया गया था कि उसे वापस कर दिया. 22 फरवरी को, 6 इजरायली बंधकों को छोड़ा गया. लेकिन इजरायल अपने वायदे से मुकर गया और किसी भी फिलिस्तीनी कैदी को रिहा नहीं किया. ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि शिरी बिबास का शव अभी तक नहीं सौंपा गया था. हो-हल्ला के बीच उसी दिन शिरी बिबास की डेडबॉडी मिल गई और उसे इजरायल को सौंप दिया गया। 27 फरवरी को 4 बंधकों के शवों को गाजा या इजरायली जेलों से भेजा गया. इन शवों को रिहा किए गए 620 कैदियों के बदले में रिहा किया गया.
उधर इजरायल ने इजरायली बंधकों की रिहाइयों को लेकर बहुत ज्यादा प्रचार-प्रसार करने पर आपत्ति जताई. हालांकि इस दौरान इजरायली सेना उन फिलिस्तीनियों के घरों पर छापे मार रही थी, जिन्हें रिहा किया जाना था.

इसी तरह से इजराइल द्वारा रिहा किए गए फिलिस्तीनियों में से कुछ दो दशकों से इज़रायली जेल में जिंदगी काट रहे थे. जैसे कि 42 वर्षीय बिलाल यासीन को 20 साल बाद इज़रायली जेल से रिहा किया गया.
42 दिनों के पहले चरण के युद्ध विराम में 1,755 कैदियों और बंदियों के बदले में 8 शवों समेत 33 बंधकों को छोड़ा गया. साल 2023 और 2025 के युद्ध विराम में कुल 141 बंधकों को रिहा किया गया, जिनमें से 114 इजरायली थे. इस इजरायली कैदियों की रिहाई के बदले में, 1,995 फिलिस्तीनियों को छोड़ा गया. अब भी 59 इजरायली बंधकों को रिहा किया जाना बाकी है. जिनमें से कुछ के मृत होने का अंदेशा है. इस दौरान जिन इज़रायली बंधकों की जानें चली गई, उनमें से कुछ की हत्या उनके अपहर्ताओं ने ही की थी. जबकि अन्य इजरायली बंधक गाजा पर हुए इज़रायली हमलों में मारे गए.
हालांकि, यदि इजरायली सरकार हठी न होती और नवंबर 2023 में युद्ध विराम जारी रखती और तब ही बंधकों और कैदियों का एक्सचेंज पूरा कर लेती तो दोनों पक्षों के हताहतों की संख्या बहुत कम हो सकती थी. इतिहास ने दिखाया है कि इजरायल को हमेशा कुछ इजरायलियों के बदले में ज्यादा संख्या में फिलिस्तीनी या अरब बंदियों को रिहा करना पड़ा है. एक्जाम्पल के तौर पर देखें तो जब हमास ने साल 2006 में इजरायली सैनिक गिलाद शालिट को पकड़ा था. उस गिलाद शालिट की रिहाई के बदले इजरायल को साल 2011 में 1,027 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करना पड़ा था. इसी तरह से 1985 में जिब्रील समझौते के तहत अपहृत तीन इजरायलियों के बदले में 1,150 फिलिस्तीनियों को रिहा किया गया था. जिब्रील समझौता अहमद जिब्रील के नाम पर रखा गया था. जिब्रील फिलिस्तीन की मुक्ति के लिए पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑव फिलिस्तीन के जनरल कमांड के नेता थे. इस कड़ी में उनके समूह द्वारा अपहृत तीन इजरायलियों के बदले में 1,150 फिलिस्तीनियों को रिहा किया गया था.
ऐसे में गौर करें तो इजरायल भले ही फिलिस्तीन या पड़ोसी अरब देशों के खिलाफ युद्ध में बढ़त हासिल लेता हो, लेकिन अंततः उसे अपने जीवित या मृत नागरिकों या सैनिकों की रिहाई के बदले में हजारों कैदियों को रिहा करना पड़ा है.
ऐसे में हाल ही में समाप्त हुए हमास-इजरायल युद्ध में, उम्मीद है कि इसमें कोई पुनरावृत्ति नहीं होगी. इजरायल हमास को हराने के अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में विफल रहा. इतना ही नहीं उसे हमास द्वारा रखी गई सभी शर्तों को मानना पड़ा. इन शर्तों में कैदियों की रिहाई से लेकर अपनी सेना को वापस बुलाना और गाजा का पुनर्निर्माण करना शामिल है. इस दृष्टिकोण से यह हमास ही है जो विजयी हुआ है, भले ही उसे भारी कीमत चुकानी पड़ी हो, जिस पर उसका कोई नियंत्रण नहीं था.
गाजा पट्टी में इजरायल के नए हमले के बाद चल रहे इजरायली सैन्य अभियानों के बीच राफा से भागकर विस्थापित हुए फिलिस्तीनी, रविवार, 23 मार्च, 2025 को खान यूनिस, गाजा पहुंचे. (एपी) (AP)