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पहलगाम हमले के बाद भारत के तगड़े एक्शन से पाकिस्तान की टूटेगी रीढ़! - INDIA HITS BACK AT PAKISTAN

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में सीमा पार से आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाते हुए सिंधु संधि सहित 5 फैसले लिए हैं.

Prime Minister Modi chairing the meeting of the Cabinet Committee on Security.
सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रधानमंत्री मोदी. (ANI)
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By Aroonim Bhuyan

Published : April 24, 2025 at 10:56 AM IST

7 Min Read

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने बुधवार को पाकिस्तान के खिलाफ कड़े फैसले लिए हैं. पाकिस्तान के भारत के इन फैसलों में सिंधु जल संधि को स्थगित करने से लेकर वाघा-अटारी सीमा को सभी तरह की आवाजाही के लिए बंद करना शामिल है. इसके साथ ही पाकिस्तानी नागरिकों को जारी किए गए सभी वीजा रद करने को कहा गया है. इसके अलावा इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग में राजनयिक कर्मचारियों की संख्या में काफी कमी करने का फैसला लिया गया है. गौर करें तो पहलगाम में दहशतगर्दों के इस हमले में 26 भारतीय पर्यटक मारे गए और कई घायल हुए हैं.

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में दो घंटे से अधिक समय तक चली उच्चस्तरीय सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक के बाद मीडिया को सरकार के फैसलों की जानकारी दी.

मिसरी ने कहा, 'भारत तब तक चैन से नहीं बैठेगा, जब तक इस जघन्य हमले के दोषियों को न्याय के कटघरे में नहीं लाया जाता और उनके समर्थकों को जवाबदेह नहीं बनाया जाता.'

मिसरी के मुताबिक, सीसीएस को दी गई ब्रीफिंग में आतंकवादी हमले के सीमा पार संबंधों को विस्तार से रखा गया. उन्होंने बताया कि इसमें ये उल्लेख किया गया कि जम्मू-कश्मीर में सफलतापूर्वक चुनाव होने और निरंतर हो रहे आर्थिक वृद्धि के मद्देनजर ये आतंकी गतिविधियां हुईं.

सीमा पार से नियंत्रित किए जा रहे इस आतंकवादी हमले की वजह से सीसीएस ने पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई के लिए 5 बड़े एक्शन लिए हैं.

उन्होंने कहा, "1960 की सिंधु जल संधि तत्काल प्रभाव से स्थगित रहेगी, जब तक कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के लिए अपना समर्थन त्याग नहीं देता."

गौर करें तो सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच जल के बंटवारे की संधि है. इस संधि को विश्व बैंक की मध्यस्थता में तय किया गया था. इसके जरिए सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों में उपलब्ध पानी के उपयोग पर सहमति जताई गई थी. इस संधि पर सितंबर 1960 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनके समकक्ष पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान ने कराची में दस्तखत किए थे.

इस संधि के मुताबिक तीन पूर्वी नदियों ब्यास, रावी और सतलुज के जल पर भारत नियंत्रण दिया गया था. वहीं तीन पश्चिमी नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम के जल पर पाकिस्तान के नियंत्रण की बात कही थी. इस संधि के जरिए ही ये दोनों देश इन छह नदियों के जल बंटवारे को लेकर सहकारी तंत्र स्थापित करके सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं.

सिंधु संधि की प्रस्तावना में सद्भावना, मित्रता और सहयोग की भावना से सिंधु नदी प्रणाली से पानी के उपयोग की बात कही गई है. इसमें नदी जल उपयोग के लिए प्रत्येक देश के अधिकारों और दायित्वों को मान्यता दी गई है. यह संधि भारत को पश्चिमी नदी के पानी का सीमित सिंचाई उपयोग और बिजली उत्पादन, नौवहन, संपत्ति का संचालन और मछली पालन के लिए उपयोग करने की असीमित अनुमति देती है.

सिंधु संधि के तहत एक स्थायी सिंधु आयोग यानी PIC की स्थापना की गई है. इस आयोग में दोनों देशों से एक-एक कमिश्नर होता है. जो आपस में भारत-पाकिस्तान के बीच समन्वय स्थापित करता है.

संधि के कार्यान्वयन पर चर्चा करने और उत्पन्न होने वाले किसी भी मुद्दे को संबोधित करने के लिए आयोग को वर्ष में कम से कम एक बार मिलना जरूरी होता है. इसके साथ ही पीआईसी नदियों का नियमित निरीक्षण करता है. साथ ही छोटे-मोटे मुद्दों को हल करने के लिए काम करता है. यह आयोग दोनों देशों के बीच नदी के प्रवाह और जल विज्ञान संबंधी डेटा का आदान-प्रदान करता है. आयोग विवाद समाधान के लिए सीधे संवाद के माध्यम से मतभेदों को सुलझाने पर काम करता है. इसके बाद भी यदि मुद्दों का समाधान नहीं हो पाता है, तो उन्हें किसी तटस्थ विशेषज्ञ या मध्यस्थता न्यायालय को भेजे जाने का प्रावधान है.

भारत ने पाकिस्तान को दूसरा बड़ा झटका दिया है. इसके बारे में मिसरी ने कहा कि एकीकृत चेक पोस्ट अटारी को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया जाएगा.

विदेश सचिव ने कहा, 'जो लोग वैध अनुमोदन के साथ सीमा पार कर चुके हैं, वे 1 मई, 2025 से पहले उस मार्ग से वापस आ सकते हैं.' इसके साथ ही पाकिस्तानी नागरिकों को SAARC वीज़ा छूट योजना (SVES) वीज़ा के तहत भारत की यात्रा करने की छूट अब खत्म की जा रही है. पाकिस्तानी नागरिकों को जारी किए गए किसी भी SVES वीज़ा को रद कर दिया गया है. SVES वीज़ा के तहत मौजूदा समय में भारत में मौजूद किसी भी पाकिस्तानी नागरिक के पास भारत छोड़ने के लिए 48 घंटे हैं'

वहीं भारत में अमृतसर और पाकिस्तान में लाहौर के बीच स्थित अटारी-वाघा बॉर्डर नागरिकों और पर्यटकों दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल ट्रांजिट स्थल है.

गौर करें तो अटारी-वाघा बॉर्डर पर ‘बीटिंग रिट्रीट’ समारोह एक प्रमुख आकर्षण होता है. इसको देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. वैसे तो हरेक दिन लगभग 15,000 विजिटर इस समारोह में भाग लेते हैं. सप्ताहांत और राष्ट्रीय छुट्टियों के दिन यहां पर 25,000 दर्शकों तक की भीड़ उमड़ पड़ती है.

अटारी-वाघा सीमा भारत और पाकिस्तान के बीच नागरिक आवागमन को भी आसान बनाती है. मोदी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2023-24 में इस सीमा से 71,563 यात्रियों की आवाजाही हुई.

गौर करें तो ये सीमा दोनों देशों के बीच व्यापार में भी अहम रोल अदा करती है. अटारी एकीकृत चेक पोस्ट भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार के लिए एकमात्र स्थल मार्ग है. भारतीय भूमि बंदरगाह प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक 2023-24 में इस क्रॉसिंग के माध्यम से कुल व्यापार 3,886.53 करोड़ रुपये तक व्यापार पहुंच गया था.

हालांकि बीते वर्षों में भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार की मात्रा में उतार-चढ़ाव रहा है. दोनों दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों और नीतिगत निर्णयों से दोनों देशों का व्यापार प्रभावित रहा है.

इसके साथ ही सीसीएस ने अपने फैसले में नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में सैन्य, नौसेना और वायु सलाहकारों को भी अवांछित (Persona Non Grata) घोषित कर दिया है.

विदेश सचिव मिसरी ने कहा, "उनके पास भारत छोड़ने के लिए एक सप्ताह का समय है." "भारत इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग से अपने रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को वापस बुलाएगा. साथ ही संबंधित उच्चायोगों में ये पद निरस्त माने जाएंगे. इसके अलावा सेवा सलाहकारों के 5 सहायक कर्मचारियों को भी दोनों उच्चायोगों से वापस बुलाया जाएगा."

इसके साथ ही भारत ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को लेकर फैसला लेते हुए उच्चायोगों में मौजूदा संख्या कर्मचारियों और अधिकारियों की संख्या को 55 से घटाकर 30 कर दिया जाएगा. ये निर्णय 1 मई 2025 से लागू होगा.

इस तरह से कहा जाए तो भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद अपनी पाकिस्तान नीति में एक साहसिक बदलाव किया है. इसमें कूटनीतिक और आर्थिक रूप से इस्लामाबाद को अलग-थलग करने के लिए बड़े कदम उठाए गए हैं. सिंधु जल संधि को निलंबित करके और सीमा पार लोगों के बीच संपर्क को रोककर भारत ने यह संकेत दे दिया है कि राज्य प्रायोजित आतंकवाद अब ठोस परिणाम लाएगा.

इसे भी पढ़ें - सिंधु जल संधि: 'हमें BJP की लाइन पर नहीं चलना चाहिए', महबूबा का CM उमर पर पलटवार

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने बुधवार को पाकिस्तान के खिलाफ कड़े फैसले लिए हैं. पाकिस्तान के भारत के इन फैसलों में सिंधु जल संधि को स्थगित करने से लेकर वाघा-अटारी सीमा को सभी तरह की आवाजाही के लिए बंद करना शामिल है. इसके साथ ही पाकिस्तानी नागरिकों को जारी किए गए सभी वीजा रद करने को कहा गया है. इसके अलावा इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग में राजनयिक कर्मचारियों की संख्या में काफी कमी करने का फैसला लिया गया है. गौर करें तो पहलगाम में दहशतगर्दों के इस हमले में 26 भारतीय पर्यटक मारे गए और कई घायल हुए हैं.

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में दो घंटे से अधिक समय तक चली उच्चस्तरीय सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक के बाद मीडिया को सरकार के फैसलों की जानकारी दी.

मिसरी ने कहा, 'भारत तब तक चैन से नहीं बैठेगा, जब तक इस जघन्य हमले के दोषियों को न्याय के कटघरे में नहीं लाया जाता और उनके समर्थकों को जवाबदेह नहीं बनाया जाता.'

मिसरी के मुताबिक, सीसीएस को दी गई ब्रीफिंग में आतंकवादी हमले के सीमा पार संबंधों को विस्तार से रखा गया. उन्होंने बताया कि इसमें ये उल्लेख किया गया कि जम्मू-कश्मीर में सफलतापूर्वक चुनाव होने और निरंतर हो रहे आर्थिक वृद्धि के मद्देनजर ये आतंकी गतिविधियां हुईं.

सीमा पार से नियंत्रित किए जा रहे इस आतंकवादी हमले की वजह से सीसीएस ने पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई के लिए 5 बड़े एक्शन लिए हैं.

उन्होंने कहा, "1960 की सिंधु जल संधि तत्काल प्रभाव से स्थगित रहेगी, जब तक कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के लिए अपना समर्थन त्याग नहीं देता."

गौर करें तो सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच जल के बंटवारे की संधि है. इस संधि को विश्व बैंक की मध्यस्थता में तय किया गया था. इसके जरिए सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों में उपलब्ध पानी के उपयोग पर सहमति जताई गई थी. इस संधि पर सितंबर 1960 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनके समकक्ष पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान ने कराची में दस्तखत किए थे.

इस संधि के मुताबिक तीन पूर्वी नदियों ब्यास, रावी और सतलुज के जल पर भारत नियंत्रण दिया गया था. वहीं तीन पश्चिमी नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम के जल पर पाकिस्तान के नियंत्रण की बात कही थी. इस संधि के जरिए ही ये दोनों देश इन छह नदियों के जल बंटवारे को लेकर सहकारी तंत्र स्थापित करके सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं.

सिंधु संधि की प्रस्तावना में सद्भावना, मित्रता और सहयोग की भावना से सिंधु नदी प्रणाली से पानी के उपयोग की बात कही गई है. इसमें नदी जल उपयोग के लिए प्रत्येक देश के अधिकारों और दायित्वों को मान्यता दी गई है. यह संधि भारत को पश्चिमी नदी के पानी का सीमित सिंचाई उपयोग और बिजली उत्पादन, नौवहन, संपत्ति का संचालन और मछली पालन के लिए उपयोग करने की असीमित अनुमति देती है.

सिंधु संधि के तहत एक स्थायी सिंधु आयोग यानी PIC की स्थापना की गई है. इस आयोग में दोनों देशों से एक-एक कमिश्नर होता है. जो आपस में भारत-पाकिस्तान के बीच समन्वय स्थापित करता है.

संधि के कार्यान्वयन पर चर्चा करने और उत्पन्न होने वाले किसी भी मुद्दे को संबोधित करने के लिए आयोग को वर्ष में कम से कम एक बार मिलना जरूरी होता है. इसके साथ ही पीआईसी नदियों का नियमित निरीक्षण करता है. साथ ही छोटे-मोटे मुद्दों को हल करने के लिए काम करता है. यह आयोग दोनों देशों के बीच नदी के प्रवाह और जल विज्ञान संबंधी डेटा का आदान-प्रदान करता है. आयोग विवाद समाधान के लिए सीधे संवाद के माध्यम से मतभेदों को सुलझाने पर काम करता है. इसके बाद भी यदि मुद्दों का समाधान नहीं हो पाता है, तो उन्हें किसी तटस्थ विशेषज्ञ या मध्यस्थता न्यायालय को भेजे जाने का प्रावधान है.

भारत ने पाकिस्तान को दूसरा बड़ा झटका दिया है. इसके बारे में मिसरी ने कहा कि एकीकृत चेक पोस्ट अटारी को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया जाएगा.

विदेश सचिव ने कहा, 'जो लोग वैध अनुमोदन के साथ सीमा पार कर चुके हैं, वे 1 मई, 2025 से पहले उस मार्ग से वापस आ सकते हैं.' इसके साथ ही पाकिस्तानी नागरिकों को SAARC वीज़ा छूट योजना (SVES) वीज़ा के तहत भारत की यात्रा करने की छूट अब खत्म की जा रही है. पाकिस्तानी नागरिकों को जारी किए गए किसी भी SVES वीज़ा को रद कर दिया गया है. SVES वीज़ा के तहत मौजूदा समय में भारत में मौजूद किसी भी पाकिस्तानी नागरिक के पास भारत छोड़ने के लिए 48 घंटे हैं'

वहीं भारत में अमृतसर और पाकिस्तान में लाहौर के बीच स्थित अटारी-वाघा बॉर्डर नागरिकों और पर्यटकों दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल ट्रांजिट स्थल है.

गौर करें तो अटारी-वाघा बॉर्डर पर ‘बीटिंग रिट्रीट’ समारोह एक प्रमुख आकर्षण होता है. इसको देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. वैसे तो हरेक दिन लगभग 15,000 विजिटर इस समारोह में भाग लेते हैं. सप्ताहांत और राष्ट्रीय छुट्टियों के दिन यहां पर 25,000 दर्शकों तक की भीड़ उमड़ पड़ती है.

अटारी-वाघा सीमा भारत और पाकिस्तान के बीच नागरिक आवागमन को भी आसान बनाती है. मोदी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2023-24 में इस सीमा से 71,563 यात्रियों की आवाजाही हुई.

गौर करें तो ये सीमा दोनों देशों के बीच व्यापार में भी अहम रोल अदा करती है. अटारी एकीकृत चेक पोस्ट भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार के लिए एकमात्र स्थल मार्ग है. भारतीय भूमि बंदरगाह प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक 2023-24 में इस क्रॉसिंग के माध्यम से कुल व्यापार 3,886.53 करोड़ रुपये तक व्यापार पहुंच गया था.

हालांकि बीते वर्षों में भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार की मात्रा में उतार-चढ़ाव रहा है. दोनों दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों और नीतिगत निर्णयों से दोनों देशों का व्यापार प्रभावित रहा है.

इसके साथ ही सीसीएस ने अपने फैसले में नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में सैन्य, नौसेना और वायु सलाहकारों को भी अवांछित (Persona Non Grata) घोषित कर दिया है.

विदेश सचिव मिसरी ने कहा, "उनके पास भारत छोड़ने के लिए एक सप्ताह का समय है." "भारत इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग से अपने रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को वापस बुलाएगा. साथ ही संबंधित उच्चायोगों में ये पद निरस्त माने जाएंगे. इसके अलावा सेवा सलाहकारों के 5 सहायक कर्मचारियों को भी दोनों उच्चायोगों से वापस बुलाया जाएगा."

इसके साथ ही भारत ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को लेकर फैसला लेते हुए उच्चायोगों में मौजूदा संख्या कर्मचारियों और अधिकारियों की संख्या को 55 से घटाकर 30 कर दिया जाएगा. ये निर्णय 1 मई 2025 से लागू होगा.

इस तरह से कहा जाए तो भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद अपनी पाकिस्तान नीति में एक साहसिक बदलाव किया है. इसमें कूटनीतिक और आर्थिक रूप से इस्लामाबाद को अलग-थलग करने के लिए बड़े कदम उठाए गए हैं. सिंधु जल संधि को निलंबित करके और सीमा पार लोगों के बीच संपर्क को रोककर भारत ने यह संकेत दे दिया है कि राज्य प्रायोजित आतंकवाद अब ठोस परिणाम लाएगा.

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