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पीरियड्स के दौरान महिलाओं को क्यों नहीं करना चाहिए पूजा-पाठ, जानिए इसके पीछे की वजह

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है. पूजा-पाठ के दौरान, खासकर महिलाओं को कई नियमों का पालन करना आवश्यक होता है, जिनमें...

Why should women perform puja-paath during menstruation, know the reason behind it?
पीरियड्स के दौरान महिलाओं को क्यों करना चाहिए पूजा-पाठ, जानिए इसके पीछे की वजह (GETTY IMAGES)
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By ETV Bharat Lifestyle Team

Published : October 13, 2025 at 3:13 PM IST

4 Min Read
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हिंदू धर्म में पूजा-अर्चना का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसमें पवित्रता और स्वच्छता पर बहुत ध्यान दिया जाता है, जिसमें साफ कपड़े पहनना और पूजा स्थल को साफ-सुथरा रखना शामिल है. पूजा-अर्चना के संबंध में जहां सामान्य नियमों का पालन किया जाता है, वहीं पूजा के दौरान महिलाओं पर भी कई नियम लागू होते हैं.

अगर महिलाओं को अपनी पूजा का फल पाना है, तो उनके लिए इन नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है. इन्हीं नियमों में से एक है कि मेंस्ट्रुअल साइकिल के दौरान महिलाओं को पूजा-पाठ करने की मनाही होती है. इसके अलावा, इस दौरान महिलाओं का मंदिर जाना भी वर्जित है. आइए जानें कि मेंस्ट्रुअल साइकिल के दौरान महिलाओं को पूजा-पाठ क्यों नहीं करना चाहिए.

मासिक धर्म के दौरान पूजा-पाठ क्यों नहीं करना चाहिए?
पीरियड्स के दौरान महिलाओं को पूजा-पाठ करने की मनाही होती है. यह प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है. कहा जाता है कि इस समय महिलाओं के शरीर में अधिक ऊर्जा प्रवाहित होती है. ऐसा माना जाता है कि भगवान इस स्तर की ऊर्जा को सहन नहीं कर पाते हैं. उदाहरण के लिए, यदि कोई महिला मासिक धर्म के दौरान तुलसी पर जल चढ़ाती है, तो तुलसी सूख जाती है. इसी कारण पीरियड्स के दौरान पूजा-पाठ वर्जित है.

मासिक धर्म के बाद कितने दिनों तक पूजा करनी चाहिए?
मेंस्ट्रुअल साइकिल के पांचवें दिन, महिलाएं अपने बाल धोकर पूजा में भाग ले सकती हैं. कुछ महिलाओं का मासिक धर्म सात दिनों तक चलता है. लेकिन वे पांच दिन बाद बाल धोकर पूजा में भाग ले सकती हैं.

अगर उपवास के दौरान पीरियड्स आ जाए तो क्या करें?
कई बार व्रत के दौरान महिलाओं को मासिक धर्म आ जाता है. ऐसे में समझ नहीं आता कि पूजा में शामिल हों या नहीं. जानकारों के अनुसार, ऐसी स्थिति में व्रत तो रखना चाहिए, लेकिन उस दौरान पूजा नहीं कर सकते. साथ ही, इस व्रत की गणना भी नहीं होती. ऐसे में उन्हें किसी और से पूजा करवानी चाहिए.

पीरियड्स के दौरान काम भी वर्जित
पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कई नियमों का पालन करना पड़ता है. इस दौरान महिलाओं को अचार छूने की भी मनाही होती है. ऐसा माना जाता है कि इससे अचार खराब हो सकता है. कुछ जगहों पर तो महिलाओं के लिए रसोई में खाना बनाना भी वर्जित होता है.

पहले के समय में कई चीजें थी वर्जीत

  • पहले के जमाने में मासिक धर्म वाली महिलाओं को बिना किसी अन्य व्यंजन के केवल चावल या कसावा की जड़ खाने की अनुमति थी. उन्हें शिकार या पालतू जानवरों का मांस, नमक, मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी), और खाना पकाने का तेल खाने की मनाही थी.
  • मासिक धर्म वाली लड़कियों और महिलाओं को प्रार्थना करने और पवित्र पुस्तकों को छूने से भी प्रतिबंधित किया जाता है.
  • भारत के कुछ हिस्सों में, मेंस्ट्रुअल साइकिल के दौरान कुछ सख्त आहार प्रतिबंधों का भी पालन किया जाता है, जैसे दही, इमली जैसे खट्टे खाद्य पदार्थ, आमतौर पर मासिक धर्म वाली लड़कियों द्वारा नहीं खाए जाते. ऐसा माना जाता है कि ऐसे खाद्य पदार्थ मासिक धर्म के प्रवाह को बाधित या बंद कर सकते हैं.
  • ऐसा माना जाता है कि यदि कोई लड़की या महिला पीरियड्स के दौरान गाय को छू ले, तो गाय बांझ हो जाती है - जिसके कारण लड़कियां अपने शरीर को अभिशाप और अशुद्धता से जोड़ लेती हैं.

(डिस्क्लेमर: यह सामान्य जानकारी केवल पढ़ने के उद्देश्य से प्रदान की गई है. ईटीवी भारत इस जानकारी की वैज्ञानिक वैधता के बारे में कोई दावा नहीं करता है. अधिक जानकारी के लिए कृपया विशेषज्ञों से सलाह लें.)

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