नई दिल्ली: संयुक्त राज्य अमेरिका ने रविवार को तड़के ईरान की तीन प्रमुख परमाणु सुविधाओं पर बमबारी की. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि हमलों में इन साइट्स को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है. इन हमलों के टारगेट्स में ईरान का मुख्य यूरेनियम संवर्धन स्थल नातान्ज, फोर्डो और इस्फाहान शामिल हैं.
ट्रंप ने हाल के दिनों में संकेत दिया था कि वह फोर्डो पर बमबारी में मदद करने के लिए इजराइली अनुरोधों पर विचार कर रहे है, जिसमें ऐसे हथियार थे जो उसके मध्य पूर्वी सहयोगी के पास नहीं हैं. फिर, उन्होंने खुद को दो सप्ताह का समय दिया. उन्होंने कहा कि वे ईरान पर हमला करने या न करने का फैसला करेंगे.
हालांकि, रविवार को ही यह स्पष्ट हो गया कि उन्होंने अपना मन बना लिया था कि वह ईरान पर हमला करेंगे. हमले के बाद ट्रंप ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "फोर्डो खत्म हो गया है." ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर फोर्डो में ऐसा किया था कि वह इजराइल और अमेरिका के हमलों का केंद्र बना?
फोर्डो परमाणु सुविधा क्या है?
फोर्डो को मूल रूप से इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के लिए एक सैन्य सुविधा के रूप में बनाया गया था. यह उत्तर-पश्चिमी ईरान के कोम शहर से 30 किमी (18.5 मील) उत्तर-पूर्व में स्थित है, और कथित तौर पर एक पहाड़ के अंदर सैकड़ों मीटर की दूरी पर है.
ईरान ने 21 सितंबर 2009 को वैश्विक परमाणु निगरानी संस्था, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) को लिखे एक पत्र में परमाणु स्थल में अपने कंवर्जन का खुलासा किया, जब उसे पता चला कि पश्चिमी खुफिया सेवाओं को पहले से ही इसके बारे में पता था.

कुछ दिनों बाद अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस ने सार्वजनिक रूप से पुष्टि की कि उन्हें वास्तव में फोर्डो में एक गुप्त ईंधन संवर्धन संयंत्र के बारे में पता था. 2009 की शुरुआत में यह निर्णायक खुफिया जानकारी मिली थी कि ईरान इस साइट पर 3000 सेंट्रीफ्यूज लगाने की कोशिश कर रहा था. सितंबर तक, फोर्डो का कंवर्जन पूरा होने वाला था.
फोर्डो एकमात्र ईरानी सुविधा है, जहां IAEA निरीक्षकों ने हथियार-ग्रेड शुद्धता के करीब शुद्ध किए गए यूरेनियम के कण पाए हैं. IAEA ने कहा कि इस साइट को 2976 स्पिनिंग सेंट्रीफ्यूज रखने के लिए डिजाइन किया गया है, जो ईरान के मुख्य परमाणु स्थल नतांज में लगभग 50,000 की क्षमता का एक अंश है.
क्या रविवार को अमेरिकी हमले में फोर्डो नष्ट हो गया?
ट्रंप ने दावा किया कि सुविधा नष्ट हो गई है, ईरान ने अभी तक आधिकारिक तौर पर साइट पर नुकसान की सीमा का वर्णन नहीं किया है, हालांकि उसने हमले की पुष्टि की है. ईरान की आधिकारिक समाचार एजेंसी IRNA ने कहा कि फोर्डो के पास के निवासियों ने अमेरिकी हमले के बाद किसी बड़े विस्फोट के कोई संकेत महसूस नहीं किए."
एजेंसी ने कहा, "क्षेत्र में स्थितियां पूरी तरह से सामान्य हैं.घटना के आगे के विवरण आधिकारिक विशेषज्ञों द्वारा रिपोर्ट किए जाएंगे." कोम प्रांत में संकट प्रबंधन मुख्यालय, जहां फोर्डो स्थित है. उसने एक बयान जारी कर कहा कि कोम और आसपास के क्षेत्र के लोगों के लिए कोई खतरा नहीं है.
इससे पहले ईरान के संसद अध्यक्ष मोहम्मद बाघेर गालिबफ के सलाहकार महदी मोहम्मदी ने कहा कि ईरान ने हमले की आशंका में फोर्डो से अपना परमाणु बुनियादी ढांचा हटा लिया था. मोहम्मदी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "साइट को पहले ही खाली कर दिया गया था और हमले में कोई अपरिवर्तनीय क्षति नहीं हुई है."

16 जून को इजराइली हमले के बाद IAEA के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी ने कहा था, "फोर्डो ईंधन संवर्धन संयंत्र या निर्माणाधीन खोंडब भारी जल रिएक्टर की साइट पर कोई नुकसान नहीं देखा गया है."
फोर्डो में न्यूक्लियर डेवलपमेंट
2009 में फोर्डो साइट की मौजूदगी सार्वजनिक होने के बाद अमेरिका और ईरान ने 30 वर्षों में अपनी पहली सीधी वार्ता शुरू की. IAEA ने कहा, "इन वार्ताओं का लक्ष्य एक पारस्परिक रूप से सहमत लॉन्ग टर्म सोल्यूशन तक पहुंचना है जो यह सुनिश्चित करेगा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण होगा."
वहीं, ईरान ने अक्टूबर 2009 में फोर्डो के बारे में जानकारी IAEA को प्रस्तुत की, उसने इसके डिजाइन, निर्माण और मूल उद्देश्यों के लिए समयसीमा प्रस्तुत करने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के साथ सुरक्षा समझौते के तहत उसके रिपोर्टिंग दायित्वों से बाहर है.
दो साल बाद सितंबर 2011 में तत्कालीन IAEA महानिदेशक याकिया अमानो ने खुलासा किया कि ईरान ने 20 प्रतिशत तक संवर्धित यूरेनियम का उत्पादन करने के उद्देश्य से फोर्डो में सेंट्रीफ्यूज स्थापित किए थे. मार्च 2012 तक अमानो ने बताया कि फ़ोर्डो में 20 प्रतिशत-संवर्धित यूरेनियम का मासिक उत्पादन तीन गुना हो गया था क्योंकि सेंट्रीफ्यूज के चार कैस्केड ने पहली बार एक साथ संचालन शुरू किया था.
यूरेनियम संवर्धन प्राकृतिक यूरेनियम में यूरेनियम-235 आइसोटोप की सांद्रता बढ़ाने की प्रक्रिया है, जिसमें आम तौर पर केवल 0.7 प्रतिशत यू-235 होता है. परमाणु हथियार बनाने के लिए, यूरेनियम को लगभग 90 प्रतिशत यू-235 तक समृद्ध किया जाना चाहिए. एक बार उन स्तरों तक समृद्ध होने के बाद, यूरेनियम को वेपन-ग्रेड माना जाता है.
2015 में, ईरान, चीन, रूस, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, यूके और यूरोपीय संघ ने संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते ने प्रतिबंधों को हटाने के बदले में ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर सख्त प्रतिबंध लगा दिए. माना जाता है कि 2015 में, ईरान ने फ़ोर्डो में 2,700 सेंट्रीफ्यूज लगाए थे.

फोर्डो सुविधा को क्या नष्ट किया जा सकता है?
यह व्यापक रूप से माना जाता है कि इजराइल के पास सुविधा में घुसने के साधन नहीं हैं, जब तक कि वह इसके अंदर जाने और फिजिकल रूप से विस्फोटक लगाने के लिए एक कमांडो यूनिट को तैनात न करे. फोर्डो ईंधन संवर्धन संयंत्र को नतानज की तुलना में बहुत अधिक कठिन लक्ष्य माना जाता है क्योंकि यह एक पहाड़ के अंदर स्थित है.
हालांकि, अमेरिका के पास एक बम है जो सैद्धांतिक रूप से फोर्डो को नष्ट कर सकता है. इस मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर का वजन 13,600 किलोग्राम (30,000 पाउंड) है. यदि इनमें से पर्याप्त बम बी-2 बॉम्बर से गिराए जाते हैं, तो वे संभवतः फोर्डो के भूमिगत बंकरों को ध्वस्त कर सकते हैं.
ट्रंप प्रशासन ने पुष्टि की है कि रविवार के हमले में बी-2 बमवर्षकों का इस्तेमाल किया गया था. हालांकि, अमेरिका ने अभी तक यह नहीं बताया है कि कौन से बम इस्तेमाल किए गए थे.