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बीएनपी का छलका दर्द: कहा- बांग्लादेश में चुनाव तिथि के समय को लेकर लोग निराश - BANGLADESH POLLS DISAPPOINTED BNP

बांग्लादेश में चुनाव की घोषणा पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा की बीएनपी और अन्य समूहों द्वारा दिसंबर तक चुनाव कराने की मांग के बाद आई है.

Chief Adviser of Bangladesh Muhammad Yunus.
बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद युनुस. (AFP)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : June 7, 2025 at 6:00 PM IST

3 Min Read

ढाका: बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने शनिवार को कहा कि मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस द्वारा अप्रैल 2026 में चुनाव कराने की घोषणा से लोग "निराश" हैं. पार्टी ने इस साल दिसंबर तक चुनाव कराने की अपनी मांग दोहराई.

ढाका ट्रिब्यून ने पार्टी के बयान के हवाले से कहा, "लोगों की जीत जुलाई के विद्रोह के दौरान छात्रों और जनता द्वारा किए गए अपार बलिदानों के माध्यम से हासिल हुई थी. लेकिन चुनाव की व्यवस्था में अनुचित देरी ने लोगों को निराश कर दिया है. इसके साथ ही लोगों को नाराज कर दिया है.

बयान में कहा गया है कि बीएनपी की राष्ट्रीय स्थायी समिति ने एक आपातकालीन वर्चुअल बैठक में रमजान, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक या समकक्ष परीक्षाओं और मौसम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए इस साल दिसंबर तक चुनाव कराने का अपना प्रस्ताव दोहराया है.

बीएनपी के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान की अध्यक्षता में यह बैठक मुख्य सलाहकार की उस घोषणा के बाद बुलाई गई थी. इसमें लंबे संघर्षों के माध्यम से मतदान के अपने अधिकार को दोबारा प्राप्त करने का प्रयास कर रहे राष्ट्र की आकांक्षाओं को नजरअंदाज किया गया था.

इसमें कहा गया, "लगभग डेढ़ दशक से अपने मूल मतदान अधिकारों से वंचित इस देश के लोगों ने गायब होने, हत्या किए जाने, कैद किए जाने, घायल होने और प्रताड़ित किए जाने के बावजूद मतदान के माध्यम से लोकतंत्र को बहाल करने के लिए अपना संघर्ष जारी रखा है."

"बीएनपी की बैठक का मानना ​​है कि देश के लोग इस सरकार के तहत स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की संभावना के बारे में चिंतित हैं." बीएनपी की स्थायी समिति ने पाया कि अप्रैल की शुरुआत में चुनाव कराने से जटिलताएं पैदा हो सकती हैं.

चुनाव के दौरान प्रतिकूल मौसम की स्थिति और रमजान के दौरान अभियान और चुनाव संबंधी गतिविधियों के संचालन की चुनौतियों के कारण बहुत मुश्किलें पैदा होंगी. अंततः इसका इस्तेमाल चुनावों को स्थगित करने के आधार के रूप में किया जा सकता है.

इसने कहा कि मुख्य सलाहकार के संबोधन में इस बात का कोई स्पष्ट औचित्य नहीं दिया गया कि दिसंबर तक चुनाव कराना क्यों संभव नहीं होगा. इसने कहा कि यूनुस ने अपने भाषण में बंदरगाहों और गलियारों जैसे मुद्दों को छुआ. ऐसे विषय अंतरिम सरकार के तीन जनादेशों न्याय, सुधार और चुनाव के अंतर्गत नहीं आते.

बीएनपी के बयान में कहा गया, ''बैठक में उनके भाषण में शब्दों के चयन पर गुस्सा व्यक्त किया गया, जो राजनीतिक शिष्टाचार की सीमाओं को पार कर गया.'' बीते साल अगस्त में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद कार्यभार संभालने वाले यूनुस ने कहा कि अंतरिम सरकार की मुख्य जिम्मेदारी स्वच्छ, शांतिपूर्ण, उत्सवपूर्ण और समावेशी चुनाव कराना है.

यूनुस की यह घोषणा पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बीएनपी और कई अन्य समूहों द्वारा दिसंबर तक चुनाव कराने के बढ़ते दबाव के बीच आई है. हालांकि, छात्र नेतृत्व वाली एनसीपी और कई दक्षिणपंथी समूहों ने कहा कि चुनावों को तब तक इंतजार करना चाहिए, जब तक कि “सुधार” और “न्याय” नहीं हो जाते.

ये भी पढ़ें- बांग्लादेश में अप्रैल 2026 में होंगे चुनाव, तो क्या लोकतंत्र की होगी वापसी? मोहम्मद यूनुस ने कर दिया बड़ा ऐलान

ढाका: बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने शनिवार को कहा कि मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस द्वारा अप्रैल 2026 में चुनाव कराने की घोषणा से लोग "निराश" हैं. पार्टी ने इस साल दिसंबर तक चुनाव कराने की अपनी मांग दोहराई.

ढाका ट्रिब्यून ने पार्टी के बयान के हवाले से कहा, "लोगों की जीत जुलाई के विद्रोह के दौरान छात्रों और जनता द्वारा किए गए अपार बलिदानों के माध्यम से हासिल हुई थी. लेकिन चुनाव की व्यवस्था में अनुचित देरी ने लोगों को निराश कर दिया है. इसके साथ ही लोगों को नाराज कर दिया है.

बयान में कहा गया है कि बीएनपी की राष्ट्रीय स्थायी समिति ने एक आपातकालीन वर्चुअल बैठक में रमजान, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक या समकक्ष परीक्षाओं और मौसम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए इस साल दिसंबर तक चुनाव कराने का अपना प्रस्ताव दोहराया है.

बीएनपी के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान की अध्यक्षता में यह बैठक मुख्य सलाहकार की उस घोषणा के बाद बुलाई गई थी. इसमें लंबे संघर्षों के माध्यम से मतदान के अपने अधिकार को दोबारा प्राप्त करने का प्रयास कर रहे राष्ट्र की आकांक्षाओं को नजरअंदाज किया गया था.

इसमें कहा गया, "लगभग डेढ़ दशक से अपने मूल मतदान अधिकारों से वंचित इस देश के लोगों ने गायब होने, हत्या किए जाने, कैद किए जाने, घायल होने और प्रताड़ित किए जाने के बावजूद मतदान के माध्यम से लोकतंत्र को बहाल करने के लिए अपना संघर्ष जारी रखा है."

"बीएनपी की बैठक का मानना ​​है कि देश के लोग इस सरकार के तहत स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की संभावना के बारे में चिंतित हैं." बीएनपी की स्थायी समिति ने पाया कि अप्रैल की शुरुआत में चुनाव कराने से जटिलताएं पैदा हो सकती हैं.

चुनाव के दौरान प्रतिकूल मौसम की स्थिति और रमजान के दौरान अभियान और चुनाव संबंधी गतिविधियों के संचालन की चुनौतियों के कारण बहुत मुश्किलें पैदा होंगी. अंततः इसका इस्तेमाल चुनावों को स्थगित करने के आधार के रूप में किया जा सकता है.

इसने कहा कि मुख्य सलाहकार के संबोधन में इस बात का कोई स्पष्ट औचित्य नहीं दिया गया कि दिसंबर तक चुनाव कराना क्यों संभव नहीं होगा. इसने कहा कि यूनुस ने अपने भाषण में बंदरगाहों और गलियारों जैसे मुद्दों को छुआ. ऐसे विषय अंतरिम सरकार के तीन जनादेशों न्याय, सुधार और चुनाव के अंतर्गत नहीं आते.

बीएनपी के बयान में कहा गया, ''बैठक में उनके भाषण में शब्दों के चयन पर गुस्सा व्यक्त किया गया, जो राजनीतिक शिष्टाचार की सीमाओं को पार कर गया.'' बीते साल अगस्त में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद कार्यभार संभालने वाले यूनुस ने कहा कि अंतरिम सरकार की मुख्य जिम्मेदारी स्वच्छ, शांतिपूर्ण, उत्सवपूर्ण और समावेशी चुनाव कराना है.

यूनुस की यह घोषणा पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बीएनपी और कई अन्य समूहों द्वारा दिसंबर तक चुनाव कराने के बढ़ते दबाव के बीच आई है. हालांकि, छात्र नेतृत्व वाली एनसीपी और कई दक्षिणपंथी समूहों ने कहा कि चुनावों को तब तक इंतजार करना चाहिए, जब तक कि “सुधार” और “न्याय” नहीं हो जाते.

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