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पाकिस्तान भी अपना डेलिगेशन विदेश भेजेगा, दुनिया के सामने बेनकाब होने से घबराया - PAKISTAN PEACE DELEGATION

पाकिस्तान दुनिया के सामने बेनकाब होने से घबराया गया है. ऐसे में वह भी अपना डेलिगेशन विदेश में भेजने का फैसला किया है.

Shehbaz Sharif Prime Minister of Pakistan
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 18, 2025 at 10:32 AM IST

3 Min Read

इस्लामाबाद: पाकिस्तान भारत के डेलिगेशन से घबराया गया है. ऐसे में वह अपनी छवि को बचाने के लिए एक डेलिगेशन विदेश में भेजने का फैसला किया है. इसका प्रतिनिधित्व बिलावल भुट्टो जरदारी करेंगे. पहलगाम आतंकी हमले के बाद आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान की वैश्विक स्तर पर फजीहत हुई है.

भारत ने आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान को दुनिया में बेनकाब करने के लिए बड़ा कदम उठाया है. इसी के मद्देनजर अपना एक डेलिगेशन विदेशों में भेजने का फैसला लिया है. भारत के इस निर्णय के बाद अब पाकिस्तान ने भारत की नकल कर अपना एक डेलिगेशन विदेश में भेजने का फैसला किया है. बता दें कि भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' के मद्देनजर पाकिस्तान अपनी छवि बचाने की कोशिश कर रहा है. हाल के पहलगाम आतंकी हमले ने पाकिस्तान के आतंकवाद के साथ गहरे संबंधों को उजागर कर दिया है.

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने विदेश में अपना डेलिगेशन भेजने को लेकर शनिवार को जानकारी दी. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान का पक्ष रखने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने का काम उन्हें सौंपा है.

जरदारी ने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा, 'आज सुबह प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मुझसे संपर्क किया और अनुरोध किया कि मैं अंतरराष्ट्रीय मंच पर शांति के लिए पाकिस्तान का मामला पेश करने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करूं.' भुट्टो जरदारी ने कहा कि वह इस जिम्मेदारी को स्वीकार करते है. साथ ही इस काम को करने के लिए सम्मानित महसूस करते है.

यह घोषणा पाकिस्तान की अपनी धूमिल हो चुकी प्रतिष्ठा को सुधारने के लिए किए गए हताशाजनक प्रयास को दर्शाती है, क्योंकि वह लंबे समय से आतंकवाद को समर्थन दे रहा है. इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक आलोचना हो रही है. भुट्टो जरदारी के प्रतिनिधिमंडल को एक कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि आतंकवाद को रोकने में विफल रहने तथा ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में भारतीय नागरिकों को निशाना बनाकर की गई जवाबी कार्रवाई के कारण पाकिस्तान की विश्वसनीयता को भारी नुकसान पहुंचा है. ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया गया था.

इससे पहले शनिवार को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बहुपक्षीय प्रतिनिधिमंडल की घोषणा की. इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्य विभिन्न देशों का दौरा कर पाकिस्तान का आतंकवाद को लेकर रवैये को बेनकाब करेंगे. सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से निपटने के लिए भारत की राष्ट्रीय सहमति और दृढ़ दृष्टिकोण को सामने रखेगा. वे आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहनशीलता के देश के मजबूत संदेश को दुनिया के सामने रखेंगे. प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न दलों के सांसद, प्रमुख राजनीतिक हस्तियां और प्रतिष्ठित राजनयिक शामिल होंगे.

यह 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत की निर्णायक सैन्य प्रतिक्रिया के बाद आया है. 7 मई को शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया, जिसके परिणामस्वरूप जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी संगठनों से जुड़े 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए.

ये भी पढ़ें- पाक PM शहबाज शरीफ ने कबूला भारत की मिसाइलों ने नूर खान एयरबेस को किया तबाह

इस्लामाबाद: पाकिस्तान भारत के डेलिगेशन से घबराया गया है. ऐसे में वह अपनी छवि को बचाने के लिए एक डेलिगेशन विदेश में भेजने का फैसला किया है. इसका प्रतिनिधित्व बिलावल भुट्टो जरदारी करेंगे. पहलगाम आतंकी हमले के बाद आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान की वैश्विक स्तर पर फजीहत हुई है.

भारत ने आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान को दुनिया में बेनकाब करने के लिए बड़ा कदम उठाया है. इसी के मद्देनजर अपना एक डेलिगेशन विदेशों में भेजने का फैसला लिया है. भारत के इस निर्णय के बाद अब पाकिस्तान ने भारत की नकल कर अपना एक डेलिगेशन विदेश में भेजने का फैसला किया है. बता दें कि भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' के मद्देनजर पाकिस्तान अपनी छवि बचाने की कोशिश कर रहा है. हाल के पहलगाम आतंकी हमले ने पाकिस्तान के आतंकवाद के साथ गहरे संबंधों को उजागर कर दिया है.

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने विदेश में अपना डेलिगेशन भेजने को लेकर शनिवार को जानकारी दी. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान का पक्ष रखने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने का काम उन्हें सौंपा है.

जरदारी ने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा, 'आज सुबह प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मुझसे संपर्क किया और अनुरोध किया कि मैं अंतरराष्ट्रीय मंच पर शांति के लिए पाकिस्तान का मामला पेश करने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करूं.' भुट्टो जरदारी ने कहा कि वह इस जिम्मेदारी को स्वीकार करते है. साथ ही इस काम को करने के लिए सम्मानित महसूस करते है.

यह घोषणा पाकिस्तान की अपनी धूमिल हो चुकी प्रतिष्ठा को सुधारने के लिए किए गए हताशाजनक प्रयास को दर्शाती है, क्योंकि वह लंबे समय से आतंकवाद को समर्थन दे रहा है. इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक आलोचना हो रही है. भुट्टो जरदारी के प्रतिनिधिमंडल को एक कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि आतंकवाद को रोकने में विफल रहने तथा ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में भारतीय नागरिकों को निशाना बनाकर की गई जवाबी कार्रवाई के कारण पाकिस्तान की विश्वसनीयता को भारी नुकसान पहुंचा है. ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया गया था.

इससे पहले शनिवार को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बहुपक्षीय प्रतिनिधिमंडल की घोषणा की. इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्य विभिन्न देशों का दौरा कर पाकिस्तान का आतंकवाद को लेकर रवैये को बेनकाब करेंगे. सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से निपटने के लिए भारत की राष्ट्रीय सहमति और दृढ़ दृष्टिकोण को सामने रखेगा. वे आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहनशीलता के देश के मजबूत संदेश को दुनिया के सामने रखेंगे. प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न दलों के सांसद, प्रमुख राजनीतिक हस्तियां और प्रतिष्ठित राजनयिक शामिल होंगे.

यह 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत की निर्णायक सैन्य प्रतिक्रिया के बाद आया है. 7 मई को शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया, जिसके परिणामस्वरूप जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी संगठनों से जुड़े 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए.

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