बीजिंग : कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने के लिए चीन, भारत के साथ मिलकर तैयारियों को आगे बढ़ा रहा है. इस बारे में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने यात्रा को दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और जनसंपर्क आदान-प्रदान का अहम हिस्सा बताया. उन्होंने कहा कि पवित्र पर्वत और झील तिब्बती बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म समेत कई धर्मों के श्रद्धालुओं विशेष महत्व रखता है.
नियमित प्रेस ब्रीफिंग के दौरान प्रवक्ता ने कहा कि चीन और भारत के बीच हुए समझौते के मुताबिक कैलाश मानसरोवर यात्रा इस गर्मी में फिर से प्रारंभ होगी. फिलहाल दोनों पक्ष जरूरी तैयारियों को आगे बढ़ा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इस साल चीन-भारत राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ है. प्रवक्ता ने कहा कि चीन, भारत के साथ मिलकर नेताओं के बीच बनी अहम समझ को ईमानदारी से लागू करने के अलावा द्विपक्षीय संबंधों को अच्छा और स्थिर विकास के मार्ग पर आगे बढ़ाने के लिए तैयार है.
बता दें कि पिछले हफ्ते भारत के विदेश मंत्रालय ने भी घोषणा की थी कि कैलाश मानसरोवर यात्रा इस वर्ष जून से अगस्त के बीच आयोजित की जाएगी. इस बारे में बताया गया था कि इस वर्ष पांच दल में प्रत्येक में 50 यात्री होंगे और उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से और 10 दल, प्रत्येक में 50 यात्री, सिक्किम के नाथू ला दर्रे होकर जाने वाले मार्ग से यात्रा करेंगे.
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए आवेदन करने के लिए वेबसाइट kmy.gov.in प्रारंभ कर दी गई है. 2015 से ही ऑनलाइन आवेदन से लेकर यात्रियों के चयन तक की पूरी प्रक्रिया कम्प्यूटरीकृत है.
विदेश मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि आवेदक जानकारी हासिल करने के लिए पत्र या फैक्स का उपयोग नहीं करेंगे. वेबसाइट पर उपलब्ध फीडबैक विकल्प के जरिए जानकारी हासिल की जा सकती है. बता दें कि भारत और चीन इस वर्ष की प्रारंभ से ही यात्रा को फिर से शुरू करने की प्रक्रिया और नियम तय करने में लग गए थे.
कैलाश मानसरोवर यात्रा 2020 में कोविड-19 महामारी के फैलने के बाद से स्थगित कर दी गई थी. हालांकि इससे पहले केंद्र सरकार ने 1981 से लिपुलेख दर्रे और 2015 से नाथू ला दर्रे के जरिए यात्रा का आयोजन किया था.
जनवरी 2025 में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री और चीन के उप विदेश मंत्री के नेतृत्व में हुई बैठक में दोनों देशों ने यात्रा को फिर से शुरू करने की योजना पर सहमति जताई थी.
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