नई दिल्ली : अमेरिका में सबकुछ ठीकठाक नहीं है. पश्चिमी अमेरिका स्थित कैलिफोर्निया राज्य के लॉस एंजिल्स शहर में हालात बिगड़ते जा रहे हैं. यहां पर इमिग्रेशन छापों के विरोध में हिंसक प्रदर्शन जारी है. हालात ऐसे हो गए हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नेशनल गार्ड और मरीन सैनिकों की तैनाती करने के आदेश देने पड़े. राष्ट्रपति ट्रंप ने विरोध करने वालों के खिलाफ सख्ती बरतने के आदेश दिए हैं. उन्होंने विरोध करने वालों को 'विद्रोही' भीड़ बताया.
दरअसल, जब से डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने हैं, उन्होंने अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दे रखे हैं. बड़ी संख्या में लोगों को डिपोर्ट भी किया गया है. इसी कड़ी में लॉस एंजिल्स में भी कार्रवाई की गई है. लेकिन यहां पर ट्रंप नीति का जमकर विरोध हो रहा है. कैलिफोर्निया एक डेमोक्रेट स्टेट है, जबकि ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी से हैं.

लॉस एंजिल्स में स्थिति को काबू में करने के लिए बड़ी संख्या में लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है. शहर में जगह-जगह पर आगजनी की घटनाएं हो रहीं हैं. लूटपाट की भी कई घटनाएं हुई हैं. ट्रंप का कहना है कि इस तरह के हालात से निपटने के लिए नेशनल गार्ड की तैनाती जरूरी है.

आपको बता दें कि अमेरिका में नेशनल गार्ड की तैनाती बहुत ही असाधारण स्थिति में की जाती है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वहां की स्थिति कैसी है. दरअसल, अमेरिका में एक कानून है, जिसका नाम है - विद्रोही अधिनियम. इस कानून के तहत राष्ट्रपति को सिटीजन ऑथरिटीज की सहायता के लिए अमेरिकी सैन्य अधिकारियों की तैनाती का अधिकार है. अगर भारत की स्थिति से तुलना करें तो यहां पर आंतरिक अशांति के कारण अनुच्छेद 355 का प्रयोग किया जाता है. इसके तहत सेना या फिर अर्धसैनिक बलों की तैनाती की जाती है.

हालांकि, अमेरिका में नेशनल गार्ड की तैनाती तब की जाती है, जब संबंधित राज्य, केंद्र से इसका अनुरोध करता है. आम तौर पर अनुरोध गवर्नर करते हैं. ऐसा देखा गया है कि प्राकृतिक आपदा या फिर दंगे जैसे हालात में ही इनकी तैनाती की जाती है. तैनाती होने के बाद गवर्नर कमांडर इन चीफ की भूमिका निभाते हैं. लेकिन केंद्र चाहे तो उन्हें साइडलाइन कर राष्ट्रपति को सारा अधिकार सौंप दे. ट्रंप इस समय यही कर रहे हैं.

ट्रंप ने गवर्नर की किसी भी अनुशंसा का इंतजार नहीं किया. उन्होंने फेडरल कानून का हवाला देकर नेशनल गार्ड की तैनाती के आदेश दे दिए. ट्रंप के इस फैसले से गवर्नर अंचभित रह गए. उन्होंने खुलकर इसका विरोध किया. वैसे, इससे पहले 1992 में भी लॉस एंजिल्स में दंगे फैल गए थे. उस समय जॉर्ज एच डब्लू बुश राष्ट्रपति थे. उन्होंने भी मरीन सैनिकों की तैनाती के आदेश दिए थे.
अमेरिका के अलबामा में 1965 में राष्ट्रपति लिंडन बी. जॉनसन ने भी बिना राज्य की सहमति के नेशनल गार्ड को तैनात किया था.

इस बार हिंसा की शुरुआत आठ जून से हुई. हिंसा की घटना तब हुई, जब अप्रवासन विभाग ने अवैध प्रवासियों को गिरफ्तार करना शुरू किया. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जहां पर लैटिनो की अधिक आबादी है, वहां से लोगों को उठाया गया. इसको लेकर पूरे इलाके में तनाव फैल गया. लोगों ने विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. विरोध को दबाने के लिए पुलिस ने सख्ती बरती और फिर अचानक ही हिंसा फैल गई. इस समय पुलिस ने पब्लिक मीटिंग पर प्रतिबंध जारी कर दिया है.

लॉस एंजिल्स में 82 फीसदी तक हिस्पैनिक आबादी रहती है. यानि वे मूल रूप से मध्य और दक्षिण अमेरिकी देशों से आए हुए लोग हैं. ट्रंप की इस नीति का विरोध करने के लिए लोग शहर के फेडरल बिल्डिंग के बाहर बड़ी संख्या में एकत्रित हुए. उन्हें इस बात की जानकारी मिली थी कि इस बिल्डिंग में अमेरिकी अधिकारियों ने प्रवासियों को हिरासत में ले रखा है. यहीं से हिंसा की शुरुआत हुई.

ट्रंप वर्सेस गवर्नर
कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन नूजम ट्रंप से नाराज हैं. उन्होंने राज्य के अधिकार में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है. शहर के मेयर करेन बास ने भी गवर्नर का साथ दिया. उन्होंने कहा कि प्रदर्शन करने से वे किसी को भी नहीं रोक सकते हैं, जब तक कि वे हिंसा की कार्रवाई में शामिल नहीं होते हैं. बास ने कहा कि ट्रंप की चाल में कोई भी प्रदर्शनकारी न फंसे. मेयर ने कहा कि आप किसी भी लूटपाट और फिर मारपीट की घटना में बिलकुल ही शामिल न हों और ऐसा करेंगे तो पुलिस कड़ी कार्रवाई करेगी.
दरअसल, गवर्नर और मेयर चाहते थे कि राज्य की पुलिस को ही स्थिति संभालने की जिम्मेदारी दी जाए. लेकिन ट्रंप नहीं माने. मेयर और गवर्नर के फैसलों से हटकर डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि आपने घटना का एक ही पहलू देखा है. उन्होंने कहा कि अगर आप दूसरी साइड देखेंगे, तब जाकर हकीकत का पता चल सकेगा. ट्रंप ने कहा कि लोगों के घरों को जलाया जा रहा है, गाड़ियों को नुकसान पहुंचाया गया, गोलीबारी की जा रही है, क्या हम इसे जारी रहने दे सकते हैं.
ट्रंप ने कहा कि उनकी मजबूरी है कि वह हालात को रोकने के लिए नेशनल गार्ड की तैनाती कर रहे हैं. उन्होंने 4000 से अधिक नेशनल गार्ड की तैनाती कर दी है. उनकी मदद करने के लिए 700 मरीन सैनिकों को भी अलर्ट रखा गया है.

गवर्नर ने इस फैसले को चुनौती देने की बात कही है. इस पर ट्रंप ने कहा कि आप विरोध करेंगे तो आपको भी गिरफ्तार कर लेंगे. पलटवार करते हुए गवर्नर ने कहा कि मुझे गिरफ्तार करके तो देखिए. कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बोंटा ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ मामला दायर कर लिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि नेशनल गार्ड की तैनाती 10वें संशोधन के खिलाफ है. इसके तहत राज्यों को अधिकार मिले हुए हैं.

गवर्नर ने ये भी आरोप लगाए हैं कि ट्रंप इसके बाद दूसरे राज्यों में भी इसी आधार पर हस्तक्षेप कर सकते हैं, जिसकी वजह से देशव्यापी तनाव बढ़ेगा. कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर ट्रंप इस तरह से राज्यों के मामलों में दखलंदाजी करेंगे, तो अमेरिका में गृह युद्ध जैसे हालात भी पैदा हो सकते हैं. राज्य सरकार नहीं चाहती है कि उनके मामलों में अनावश्यक रूप से केंद्र हस्तक्षेप करे. रिपब्लिकन पार्टी के मुख्य प्रतिद्वंद्वी डेमोक्रेट्स ने भी ट्रंप के फैसले को अनुचित बताया है.

अटॉर्नी जनरल बोंटा ने कहा, 'राष्ट्रपति अपने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए जमीन पर अराजकता और संकट पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. कैलिफोर्निया में नेशनल गार्ड की तैनाती संघीय कानून के तहत राष्ट्रपति के अधिकारों का दुरुपयोग है. हम इसे हल्के में नहीं लेते. हम अदालत से इस गैरकानूनी, अभूतपूर्व आदेश पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं.'