नई दिल्ली: बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि स्वतंत्रता विरोधी ताकतों ने अवैध रूप से देश की सत्ता पर कब्जा कर लिया है और वे धर्मनिरपेक्ष संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने लोगों से इन हड़पने वालों को बाहर निकालने का आग्रह किया.
77 वर्षीय स्व-निर्वासित अपदस्थ प्रधानमंत्री ने बंगाली नववर्ष- पोहेला बैशाख के अवसर पर एक बयान में कहा, "आज, स्वतंत्रता विरोधी ताकतों ने बांग्लादेश में अवैध रूप से सत्ता पर कब्जा कर लिया है. वे सक्रिय रूप से बंगाली संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं."
हसीना ने पिछले साल अगस्त में उस समय बांग्लादेश छोड़ दिया था, जब उनकी लगभग 16 साल पुरानी अवामी लीग सरकार को छात्रों के नेतृत्व वाले विद्रोह ने गिरा दिया था. इसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार का कार्यभार संभाला.
'राष्ट्र और हमारी संस्कृति के दुश्मन'
हसीना ने कहा, "जब भी अतीत में स्वतंत्रता-विरोधी ताकतों ने नियंत्रण हासिल किया, उन्होंने देश के इतिहास, विरासत और संस्कृति पर हमला किया. उन्होंने न केवल मंगल शोभायात्रा को रोकने की कोशिश की, बल्कि इसका नाम बदलने का भी प्रयास किया." भारत में रह रहीं हसीना ने कहा कि जो लोग अब बांग्लादेश चलाते हैं, वे राष्ट्र और हमारी संस्कृति के दुश्मन हैं.
'संस्कृति-विरोधी ताकतों को बाहर निकालें'
बांग्लादेश द्वारा बदले हुए सांस्कृतिक परिदृश्य में बंगाली नववर्ष मनाए जाने पर पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, "आइए हम मुक्ति-विरोधी और संस्कृति-विरोधी ताकतों को बाहर निकालें और वैश्विक मंच पर बांग्लादेश का सिर ऊंचा करें." उन्होंने कहा, "बंगाली नववर्ष के इस शुभ अवसर पर, आइए हम उन सभी चीजों को अस्वीकार करने का संकल्प लें जो अस्वस्थ, बदसूरत या विकृत संस्कृति का हिस्सा हैं - और इसके बजाय, एक स्वस्थ, सुंदर और रचनात्मक जीवन शैली को अपनाएं."
पारंपरिक मंगल शोभायात्रा जुलूस का नाम बदला
बता दें कि इस साल बांग्लादेश के अधिकारियों ने पारंपरिक मंगल शोभायात्रा जुलूस का नाम बदलकर अनोंडो शोभायात्रा कर दिया, जो पोहेला बैशाख समारोहों का एक मुख्य आकर्षण था, क्योंकि हिफाजत-ए-इस्लाम जैसे रूढ़िवादी इस्लामवादी समूहों ने मंगल शोभायात्रा को हिंदू अनुष्ठान कहा था और सरकार से इसका नाम बदलने का आग्रह किया.
ढाका यूनिवर्सिटी का फाइन आर्ट फैकल्टी, जो ढाका में रंगारंग सड़क मार्च का आयोजन करता है, उसने पिछले सप्ताह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस कार्यक्रम का नाम बदलने की घोषणा की, जिसमें विशाल मास्क, हस्तनिर्मित कठपुतलियां और जानवरों के वाइब्रेंट चित्रण जुलूस की खासियत हैं.
यूनिवर्सिटी के नए कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद नियाज अहमद खान ने हालांकि सोमवार को कहा कि इस साल अनोंडो शोभायात्रा अब तक की सबसे बड़ी और सबसे विविधतापूर्ण थी, जिसमें स्वदेशी समूहों सहित सबसे अधिक संख्या में जातीय समुदायों का प्रतिनिधित्व था.
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