काठमांडू: नेपाल की राजधानी काठमांडू में राजशाही और हिंदू राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग कर रहे राजशाही समर्थक कार्यकर्ताओं और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़पें हुईं. राजतंत्र समर्थक काठमांडू और देश के अन्य हिस्सों में रैलियां आयोजित कर रहे हैं. राजशाही समर्थक 2008 में समाप्त की गई 240 वर्ष पुरानी राजशाही को फिर से बहाल करने की मांग कर रहे हैं.
खबर के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने प्रतिबंधित क्षेत्र न्यू बनेश्वर की ओर बढ़ने का प्रयास किया. इस दौरान पुलिस ने कई युवकों को हिरासत में ले लिया. राजतंत्र समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) और अन्य लोग भी प्रदर्शन में शामिल हुए. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, नेपाल पुलिस ने शुक्रवार को राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया. वहीं, प्रदर्शनकारियों ने एक घर में आग लगा दी और सुरक्षा बैरिकेड्स तोड़ने की कोशिश की.
VIDEO | Nepal: Clashes erupt between security and pro monarchy activists in Kathmandu demanding restoration of monarchy and Hindu Kingdom status.
— Press Trust of India (@PTI_News) March 28, 2025
(Source: Third Party)
(Full video available on PTI Videos - https://t.co/n147TvrpG7) pic.twitter.com/4ffcGas6kr
पूर्व राजा ज्ञानेंद्र के समर्थक चाहते हैं कि, नेपाल में राजतंत्र की स्थापना हो
पुलिस ने काठमांडू स्थित तिनकुने इलाके में स्थिति बेकाबू होने के बाद खाली राउंड भी फायर किए, जहां हजारों राजशाही समर्थकों ने नेपाल में राजशाही की बहाली की मांग करते हुए "राजा आओ देश बचाओ....भ्रष्ट सरकार मुर्दाबाद....हमें राजशाही वापस चाहिए" जैसे नारे लगाए.
नेपाल के राष्ट्रीय झंडे और पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की तस्वीरें लेकर आए प्रदर्शनकारियों ने तिनकुने इलाके में घर में आग लगा दी और पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स को तोड़ने की कोशिश करते हुए पुलिस से भिड़ गए. इस झड़प में एक व्यक्ति घायल हो गया. राजशाही समर्थकों और विरोधियों द्वारा अलग-अलग प्रदर्शन किए जाने के कारण झड़प को रोकने के लिए काठमांडू में सैकड़ों दंगा पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था.
#WATCH | Nepal: A clash broke out between pro-monarchists and Police in Kathmandu near the airport. Several rounds of tear gas and rubber bullets fired by the Police. Vehicles and a house torched. Curfew ordered in Tinkune, Sinamangal and Koteshwor area.
— ANI (@ANI) March 28, 2025
Visuals from Kathmandu… pic.twitter.com/Be0Emk8EjO
पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र को लेकर क्या बोले नेपाली कांग्रेस प्रमुख देउबा
वहीं, नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने कहा था कि, पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह संवैधानिक राजा बनने के लिए उपयुक्त नहीं हैं. उनकी टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब राजतंत्र समर्थक काठमांडू और देश के अन्य हिस्सों में रैलियां आयोजित कर रहे हैं तथा 2008 में समाप्त की गई 240 वर्ष पुरानी राजशाही को फिर बहाल करने की मांग कर रहे हैं.
हमें देश की सुरक्षा और एकता के लिए जिम्मेदारी लेनी चाहिए, पूर्व राजा ज्ञानेंद्र ने कहा
राजतंत्र के समर्थक तब से सक्रिय हो गए हैं जब फरवरी में लोकतंत्र दिवस पर पूर्व नरेश ज्ञानेन्द्र शाह ने कहा था कि अब समय आ गया है जब हमें देश की सुरक्षा और एकता के लिए जिम्मेदारी लेनी चाहिए. नेपाली कांग्रेस के बागमती प्रांत प्रशिक्षण विभाग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में देउबा ने सुझाव दिया कि राजतंत्र समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) को पूर्व राजा को अपना अध्यक्ष बनाना चाहिए. उन्होंने कहा था कि नेपाल में राजशाही लौटने की कोई संभावना नहीं है.
साल 2008 में राजतंत्र खत्म, लोकतंत्र किया गया बहाल
नेपाल के राजनीतिक दलों ने संसद में घोषणा के माध्यम से 2008 में 240 साल पुरानी राजशाही को समाप्त कर दिया था. ऐसा करके उन्होंने तत्कालीन हिंदू राज्य को एक धर्मनिरपेक्ष, संघीय, लोकतांत्रिक गणराज्य में बदल दिया. राजतंत्रवादी तब से राजशाही की बहाली की मांग कर रहे हैं, जब से पूर्व राजा ने लोकतंत्र दिवस (19 फरवरी) पर प्रसारित अपने वीडियो संदेश में समर्थन की अपील की थी.
पूर्व राजा ज्ञानेंद्र देश के विभिन्न हिस्सों में धार्मिक स्थलों का दौरा करने के बाद पोखरा से त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे थे. उस दौरान राजतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं ने 9 मार्च को ज्ञानेंद्र के समर्थन में एक रैली भी निकाली थी.
प्रचंड की सीपीएन माओवादी ने नेपाल में राजतंत्र का विरोध किया
दूसरी ओर, समाजवादी मोर्चे के नेतृत्व में हजारों राजशाही विरोधी समर्थक भृकुटीमंडप में एकत्र हुए और 'गणतंत्रीय व्यवस्था अमर रहे... भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कार्रवाई करो...राजशाही मुर्दाबाद" जैसे नारे लगाए. राजशाही विरोधी मोर्चे में नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) और सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट जैसे राजनीतिक दल शामिल हुए. सीपीएन-माओवादी केंद्र के प्रमुख पुष्प कमल दहल प्रचंड सहित अन्य ने भृकुटीमंडप में समाजवादी मंच द्वारा आयोजित एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित किया.
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