इस्लामाबाद/बीजिंग : पाकिस्तान की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि सीपीईसी से संबंधित घोषणा पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री/ विदेश मंत्री इसहाक डार, चीनी विदेश मंत्री वांग यी और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी के बीच बीजिंग में एक अनौपचारिक त्रिपक्षीय बैठक के बाद की गई.
भारत सीपीईसी की कड़ी आलोचना करता रहा है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है. वह चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ का भी विरोध करता है क्योंकि इस परियोजना में सीपीईसी शामिल है.
यह त्रिपक्षीय बैठक अंतरिम तालिबान सरकार द्वारा हाल ही में भारत के प्रति दोस्ताना रुख दिखाए जाने के कुछ दिन बाद हुई है. तीनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तान लगातार अंतरिम तालिबान सरकार की आलोचना कर रहा है और कह रहा है कि वह अफगानिस्तान की धरती से संचालित आतंकवादी समूहों पर कार्रवाई करने में विफल रही है जो पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध छेड़े हुए हैं.
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने बीजिंग में इस बैठक को ‘‘अनौपचारिक’’ करार दिया. त्रिपक्षीय बैठक पर चीनी विदेश मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति में वांग के हवाले से कहा गया कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान की संप्रभुता, सुरक्षा और राष्ट्रीय गरिमा की रक्षा करने में चीन उनका समर्थन करता है.
इसमें कहा गया कि तीनों पक्षों को ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के संयुक्त निर्माण में सहयोग को गहरा करना चाहिए, अफगानिस्तान तक चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के विस्तार को बढ़ावा देना चाहिए तथा क्षेत्रीय अंतर्संबंध नेटवर्क के निर्माण को मजबूत करना चाहिए.
त्रिपक्षीय बैठक डार की तीन दिवसीय बीजिंग यात्रा के अंतिम दिन हुई. यह भारत द्वारा सात मई को पाकिस्तान और इसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी स्थलों को निशाना बनाकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किए जाने के बाद पहली उच्चस्तरीय बातचीत थी. भारत ने पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान और इसके कब्जे वाले कश्मीर स्थित आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की शुरुआत की थी.
डार तीन दिवसीय बीजिंग यात्रा पर हैं. बैठक के बाद ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में डार ने कहा, ‘‘पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और विकास के लिए एक साथ खड़े हैं.’’ उन्होंने तीनों नेताओं की एक साथ तस्वीर भी साझा की.
सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, वांग ने बुधवार को मुत्ताकी के साथ एक अलग द्विपक्षीय बैठक की. पाकिस्तान के विदेश कार्यालय द्वारा इस्लामाबाद में जारी एक बयान में कहा गया कि तीनों विदेश मंत्रियों ने क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक संपर्क को बढ़ावा देने के लिए त्रिपक्षीय सहयोग को एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में दोहराया.
बयान में कहा गया, ‘‘उन्होंने कूटनीतिक जुड़ाव बढ़ाने, संचार को मजबूत करने और साझा समृद्धि के प्रमुख कारकों के रूप में व्यापार, बुनियादी ढांचे और विकास को बढ़ावा देने के लिए व्यावहारिक कदम उठाने पर चर्चा की.’’ इसमें कहा गया, ‘‘उन्होंने ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) सहयोग को गहरा करने और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को अफगानिस्तान तक विस्तारित करने पर सहमति व्यक्त की.’’
बयान में कहा गया कि इस बात पर सहमति हुई कि विदेश मंत्रियों की छठी त्रिपक्षीय बैठक काबुल में शीघ्र ही पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तिथि पर आयोजित की जाएगी. भारत ने 60 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत वाले सीपीईसी के निर्माण का विरोध किया है, क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरता है, जबकि चीन ने इस बहु-परियोजना कॉरिडोर पर लगातार हो रहे उग्रवादी हमलों पर चिंता व्यक्त की है.
पाकिस्तान ने अंतरिम तालिबान सरकार की लगातार इस बात के लिए आलोचना की है कि वह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) पर कार्रवाई नहीं कर रही है. बीएलए पाकिस्तान से बलूचिस्तान की आजादी के लिए लड़ाई लड़ रही है. यह अनौपचारिक त्रिपक्षीय बैठक भारत और अंतरिम तालिबान सरकार के बीच बढ़ते संबंधों के बीच हुई, जिससे पाकिस्तान काफी नाराज है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 16 मई को मुत्ताकी के साथ टेलीफोन पर बातचीत की, जो अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता पर कब्जा करने के बाद से नयी दिल्ली और काबुल के बीच उच्चस्तरीय संपर्क है. यह अफगानिस्तान में भारत के प्रतिनिधि आनंद प्रकाश द्वारा काबुल में मुत्ताकी के साथ बातचीत किए जाने के तीन सप्ताह बाद हुयी.
ये भी पढ़ें : पाकिस्तान में CPEC पर हमले शर्मनाक, क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ीं