ओटावा: लिबरल पार्टी ने कनाडा का आम चुनाव जीत लिया है. इसका एलान निवर्तमान प्रधानमंत्री मार्क कॉर्नी ने किया. लिबरल पार्टी लगातार चौथी बार सत्ता हासिल करने में कामयाब हुई है. वहीं मार्क कार्नी ने मतदाताओं को यह विश्वास दिलाया है कि आर्थिक संकटों के प्रबंधन के उनके अनुभव ने उन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार किया है.
कनाडाई ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन का अनुमान है कि प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी ने कनाडा के संघीय चुनाव में जीत हासिल कर ली है. बता दें कि कल यानी 28 अप्रैल को कनाडा में चुनाव हुए थे. कनाडा के 41 मिलियन लोगों में से लगभग 29 मिलियन लोग 6 समय क्षेत्रों में फैले विशाल G7 देश में मतदान करने के पात्र थे. यहां पर रिकॉर्ड 7.3 मिलियन लोगों ने अग्रिम मतदान किया. नवीनतम चुनाव रुझानों से पता चलता है कि लिबरल 158 क्षेत्रों में आगे हैं, जबकि कंजर्वेटिव 147 क्षेत्रों में आगे हैं. इस तरह से लिबरल सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरे हैं. ऐसे में ये तय लग रहा है कि वो अल्पमत की सरकार बनाएंगे.
कनाडा चुनाव को लेकर सार्वजनिक प्रसारक सीबीसी और सीटीवी न्यूज ने अनुमान लगाया है कि लिबरल्स ही कनाडा की अगली सरकार बनाएंगे. लेकिन यह अभी तक साफ नहीं हो पाया है कि वे संसद में बहुमत हासिल कर पाएंगे या नहीं.
गौर करें तो अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के व्यापार युद्ध और कनाडा को अपने में मिलाने की धमकियां दी थीं. लिबरल्स ने चुनाव के दिन सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में इसी बात को दोहराया. इस कैंपेन का लिबरल्स को फायदा मिला. इससे पहले कार्नी ने कभी भी कोई निर्वाचित पद नहीं संभाला था. बीते महीने ही जस्टिन ट्रूडो की जगह कनाडा के प्रधानमंत्री बने थे. कार्नी ने अपने चुनाव अभियान को ट्रम्प विरोधी संदेश पर ही केंद्रित रखा.
पीएम कार्नी ने इससे पहले ब्रिटेन और कनाडा दोनों में केंद्रीय बैंक के गवर्नर के रूप में अपनी सेवाएं दी थीं. उन्होंने मतदाताओं को आश्वस्त किया कि उनके वैश्विक वित्तीय अनुभव ने उन्हें कनाडा का मार्गदर्शन करने के लिए तैयार किया है. उन्होंने यूएसए पर कनाडा की निर्भरता को कम करने के लिए विदेशी व्यापार संबंधों का विस्तार करने का भी भरोसा दिलाया है. ट्रम्प के खतरे के बारे में कार्नी ने पूरे देश को आगाह किया है.
उन्होंने अभियान के दौरान कहा 'डोनाल्ड ट्रम्प हमें तोड़ना चाहते हैं ताकि अमेरिका हमारा मालिक बन सके." 'वे हमारे संसाधन चाहते हैं, वे हमारा पानी चाहते हैं, वे हमारी ज़मीन चाहते हैं, वे हमारा देश चाहते हैं. वे इसे नहीं ले सकते.'
ट्रूडो का जाना लिबरल के लिए रहा फायदेमंद
अगर देखा जाए तो पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की विदाई लिबरल की जीत के लिए खास था. इसने कनाडा के राजनीतिक इतिहास में सबसे नाटकीय बदलावों में से एक को समाप्त कर दिया.
बीते 6 जनवरी को ट्रूडो ने घोषणा की कि वे पीएम पद से इस्तीफा देंगे. उस समय तक अधिकतर सर्वेक्षणों में कंजर्वेटिव, लिबरल से कहीं 20 से अधिक अंकों से आगे थे. इसकी वजह ये थी कि ट्रूडो के सत्ता में एक दशक रहने के बाद मतदाताओं का गुस्सा बढ़ गया था. लेकिन ट्रूडो की जगह कार्नी के आने और ट्रम्प के बारे में देशव्यापी बेचैनी ने रेस को ही बदल दिया. इतना ही नहीं 60 वर्षीय कार्नी ने पूरे अभियान के दौरान ट्रूडो से खुद को दूर ही रखा.
उन्होंने कहा कि पूर्व पीएम ट्रूडो ने कनाडा की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया. कार्बन उत्सर्जन पर विवादास्पद ट्रूडो कर को समाप्त कर दिया. इससे कई मतदाता नाराज हो गए.
कनाडा के 41 मिलियन लोगों में से लगभग 29 मिलियन लोग 6 समय क्षेत्रों में फैले विशाल G7 देश में मतदान करने के पात्र थे. यहां पर रिकॉर्ड 7.3 मिलियन लोगों ने अग्रिम मतदान किया.
कनाडा की 343 सदस्यीय संसद के स्वरूप पर नतीजे अब भी लंबित हैं, जिसमें बहुमत के लिए 172 सीटों की आवश्यकता है. लिबरल्स ने 2015 में बहुमत हासिल किया था. हालांकि साल 2019 से अल्पमत के साथ शासन कर रहे हैं.
केंद्रीय बैंकर से कनाडा के पीएम प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के रूप में उभरना एक उल्लेखनीय राजनीतिक परिवर्तन रहा. कार्नी अब देश का नेतृत्व करने के लिए पूर्ण जनादेश प्राप्त करने के कगार पर हैं. नवीनतम चुनाव रुझानों से पता चलता है कि लिबरल 158 क्षेत्रों में आगे हैं, जबकि कंजर्वेटिव 147 क्षेत्रों में आगे हैं. इस तरह से लिबरल सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरे हैं. ऐसे में ये तय लग रहा है कि वो अल्पमत की सरकार बनाएंगे.
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