ETV Bharat / international

कनाडा में आम चुनाव आज, पीएम मार्क कार्नी और पोलीवरे के बीच चुनावी रेस - CANADA ELECTION

कनाडा चुनाव में लिबरल पार्टी के पीएम मार्क कार्नी और कंजर्वेटिव के नेता पियरे पोलीवरे के बीच कड़ी टक्कर है.

Canada goes to polls on April 28
कनाडा चुनाव में आम चुनाव आज (AP)
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : April 28, 2025 at 8:07 AM IST

Updated : April 28, 2025 at 8:14 AM IST

3 Min Read

ओटावा: कनाडा में सोमवार को संसदीय चुनाव होने जा रहा है. यहां मुख्य मुकाबला लिबरल पार्टी के पीएम मार्क कार्नी और कंजर्वेटिव के नेता पियरे पोलीवरे के बीच है. जनवरी के सर्वेक्षणों से संकेत मिलता है कि कंजर्वेटिव पार्टी निश्चित जीत की ओर अग्रसर है, हालांकि लिबरल्स की स्थिति भी मजबूत बताई जा रही है.

हालांकि बताया जा रहा है कि पिछले कुछ समय में मुकाबला कमजोर हुआ है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शुरुआती दौर में रिकॉर्ड वोटिंग हुई. इस दौरान करीब 73 लाख से अधिक मत पड़े.

बता दें कि पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो ने जनवरी में इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद से ही कनाडा में चुनाव कराने की मांग उठने लगी. यह उल्लेख करना जरूरी है कि पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल के दौरान खालिस्तानियों के मुद्दे को लेकर भारत और कनाडा के बीच संबंध बेहद खराब रहा.

जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने का बेबूनियाद आरोप लगाया. भारत ने किसी भी हत्या में शामिल होने से इनकार किया और ट्रूडो के आरोपों की कड़ी आलोचना की. इस दौरान भारत ने कनाडा के खिलाफ कई कड़े फैसले लिए. बाद में कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने ट्रूडो की गलतियों का अहसास हुआ और उन्होंने अपनी कैबिनेट में भारतीय मूल की दो महिलाओं को जगह दी.

कनाडाई पोलिंग फर्म ईकेओएस रिसर्च के अध्यक्ष और संस्थापक फ्रैंक ग्रेव्स ने कहा, 'यह बिल्कुल स्पष्ट है कि लिबरल्स अब जीतने जा रहे हैं.' उन्होंने अल जजीरा से कहा कि इस साल की शुरुआत में यह बिल्कुल अकल्पनीय था. पिछले साल, कंजर्वेटिव नेता पियरे पोलीवरे ने लंबे समय से कनाडा के प्रधानमंत्री रहे जस्टिन ट्रूडो के शासनकाल में सामर्थ्य संकट और मुद्रास्फीति के जवाब में बढ़ती लोकलुभावनवाद की नीति का लाभ उठाया.

लेकिन इस साल की शुरुआत में 6 जनवरी को ट्रूडो के पद से हटने के बाद स्थिति बदल गई. इससे नए लिबरल नेतृत्व का मार्ग प्रशस्त हुआ. इस बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में प्रवेश किया जिससे कनाडा की अर्थव्यवस्था को ट्रेड वार का खतरा पैदा हो गया. अचानक, कनाडाई अपनी राष्ट्रीय पहचान के इर्द-गिर्द एकजुट हो गए.

अमेरिकी नेतृत्व में बदलाव का उसके उत्तरी पड़ोसी पर नाटकीय प्रभाव पड़ा है. वर्ष की शुरुआत में पोलीवरे को बेजोड़ लोकप्रियता मिली. 2025 में किसी समय चुनाव होने थे और ऐसा लग रहा था कि उनका मुकाबला ट्रूडो से होगा जो नौ साल से सत्ता में थे. अल जजीरा के अनुसार वे बेहद अलोकप्रिय हो गए थे.

ट्रंप के अचानक टैरिफ ने कनाडा की अर्थव्यवस्था को अनिश्चितता में डाल दिया है. देश के 70 प्रतिशत से अधिक निर्यात अमेरिका को जाते हैं, जिसमें ऑटोमोटिव पार्ट्स, लकड़ी, कृषि उत्पाद और स्टील शामिल हैं. मार्च में कनाडा की दूसरी सबसे बड़ी इस्पात उत्पादक कंपनी, अल्गोमा स्टील ने ट्रम्प के टैरिफ के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में छंटनी की घोषणा की.

ये भी पढ़ें- कनाडा में पीएम मार्क कार्नी का संसद को भंग करने का प्रस्ताव, 28 अप्रैल को चुनाव कराने का ऐलान

ओटावा: कनाडा में सोमवार को संसदीय चुनाव होने जा रहा है. यहां मुख्य मुकाबला लिबरल पार्टी के पीएम मार्क कार्नी और कंजर्वेटिव के नेता पियरे पोलीवरे के बीच है. जनवरी के सर्वेक्षणों से संकेत मिलता है कि कंजर्वेटिव पार्टी निश्चित जीत की ओर अग्रसर है, हालांकि लिबरल्स की स्थिति भी मजबूत बताई जा रही है.

हालांकि बताया जा रहा है कि पिछले कुछ समय में मुकाबला कमजोर हुआ है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शुरुआती दौर में रिकॉर्ड वोटिंग हुई. इस दौरान करीब 73 लाख से अधिक मत पड़े.

बता दें कि पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो ने जनवरी में इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद से ही कनाडा में चुनाव कराने की मांग उठने लगी. यह उल्लेख करना जरूरी है कि पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल के दौरान खालिस्तानियों के मुद्दे को लेकर भारत और कनाडा के बीच संबंध बेहद खराब रहा.

जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने का बेबूनियाद आरोप लगाया. भारत ने किसी भी हत्या में शामिल होने से इनकार किया और ट्रूडो के आरोपों की कड़ी आलोचना की. इस दौरान भारत ने कनाडा के खिलाफ कई कड़े फैसले लिए. बाद में कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने ट्रूडो की गलतियों का अहसास हुआ और उन्होंने अपनी कैबिनेट में भारतीय मूल की दो महिलाओं को जगह दी.

कनाडाई पोलिंग फर्म ईकेओएस रिसर्च के अध्यक्ष और संस्थापक फ्रैंक ग्रेव्स ने कहा, 'यह बिल्कुल स्पष्ट है कि लिबरल्स अब जीतने जा रहे हैं.' उन्होंने अल जजीरा से कहा कि इस साल की शुरुआत में यह बिल्कुल अकल्पनीय था. पिछले साल, कंजर्वेटिव नेता पियरे पोलीवरे ने लंबे समय से कनाडा के प्रधानमंत्री रहे जस्टिन ट्रूडो के शासनकाल में सामर्थ्य संकट और मुद्रास्फीति के जवाब में बढ़ती लोकलुभावनवाद की नीति का लाभ उठाया.

लेकिन इस साल की शुरुआत में 6 जनवरी को ट्रूडो के पद से हटने के बाद स्थिति बदल गई. इससे नए लिबरल नेतृत्व का मार्ग प्रशस्त हुआ. इस बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में प्रवेश किया जिससे कनाडा की अर्थव्यवस्था को ट्रेड वार का खतरा पैदा हो गया. अचानक, कनाडाई अपनी राष्ट्रीय पहचान के इर्द-गिर्द एकजुट हो गए.

अमेरिकी नेतृत्व में बदलाव का उसके उत्तरी पड़ोसी पर नाटकीय प्रभाव पड़ा है. वर्ष की शुरुआत में पोलीवरे को बेजोड़ लोकप्रियता मिली. 2025 में किसी समय चुनाव होने थे और ऐसा लग रहा था कि उनका मुकाबला ट्रूडो से होगा जो नौ साल से सत्ता में थे. अल जजीरा के अनुसार वे बेहद अलोकप्रिय हो गए थे.

ट्रंप के अचानक टैरिफ ने कनाडा की अर्थव्यवस्था को अनिश्चितता में डाल दिया है. देश के 70 प्रतिशत से अधिक निर्यात अमेरिका को जाते हैं, जिसमें ऑटोमोटिव पार्ट्स, लकड़ी, कृषि उत्पाद और स्टील शामिल हैं. मार्च में कनाडा की दूसरी सबसे बड़ी इस्पात उत्पादक कंपनी, अल्गोमा स्टील ने ट्रम्प के टैरिफ के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में छंटनी की घोषणा की.

ये भी पढ़ें- कनाडा में पीएम मार्क कार्नी का संसद को भंग करने का प्रस्ताव, 28 अप्रैल को चुनाव कराने का ऐलान
Last Updated : April 28, 2025 at 8:14 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.