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दर्जन भर राज्यों ने टैरिफ नीति के खिलाफ ट्रंप प्रशासन पर दायर किया मुकदमा - STATES SUE THE TRUMP ADMINISTRATION

ट्रंप प्रशासन पर उसकी टैरिफ नीति को रोकने के लिए एक दर्जन राज्यों ने न्यूयॉर्क स्थित अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार न्यायालय में केस किया है.

File image of Donald Trump.
डोनाल्ड ट्रंप, यूएस प्रेसिडेंट. (File Photo (AP))
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By AP (Associated Press)

Published : April 24, 2025 at 11:55 AM IST

3 Min Read

न्यूयार्क: ट्रंप की टैरिफ नीति को रोकने के लिए यूएस के एक दर्जन राज्यों ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए मुकदमा दायर कर दिया है. मुकदमे में कहा गया है कि राष्ट्रपति ट्रंप की नीति उनकी सनक पर आधारित है. इन नीतियों में कानूनी प्राधिकारों का उचित प्रयोग नहीं किया गया है.

राज्यों के दायर मुकदमे में कहा गया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीति 'कानूनी प्राधिकार के उचित प्रयोग के बजाय उनकी सनक के अधीन रही है.'

एक दर्जन राज्यों ने बुधवार को न्यूयॉर्क स्थित अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार न्यायालय में ट्रम्प प्रशासन पर उसकी टैरिफ नीति को रोकने के लिए केस किया. इसमें कहा गया कि यह गैर कानूनी है और इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अराजकता आई है. मुकदमे में कहा गया है कि लागू की गई नीति किसी तरह से सही नहीं है.

दायर वाद में ट्रंप के इस दावे को चुनौती दी कि वह अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम के आधार पर जैसा चाहें वैसा टैरिफ लगा सकते हैं. इसके साथ ही अदालत से ये अपील की गई है कि टैरिफ को अवैध घोषित कर सरकारी एजेंसियों और अधिकारियों को उसे लागू करने से रोकने की मांग की गई है.

टैरिफ को लेकर मुकदमा करने वाले राज्यों में वादी के रूप में ओरेगन, एरिज़ोना, कोलोराडो, कनेक्टिकट, डेलावेयर, इलिनोइस, मेन, मिनेसोटा, नेवादा, न्यू मैक्सिको, न्यूयॉर्क और वर्मोंट राज्य शामिल हैं. इसी कड़ी में एरिजोना के अटॉर्नी जनरल क्रिस मेयस ने ट्रम्प की टैरिफ योजना को "पागलपन" करार दिया है. उन्होंने कहा कि यह 'न केवल आर्थिक रूप से लापरवाही है - यह अवैध भी है.'

कनेक्टिकट के अटॉर्नी जनरल विलियम टोंग ने कहा, 'ट्रम्प के टैरिफ कनेक्टिकट परिवारों पर एक बड़ा कर है. साथ ही कनेक्टिकट के व्यवसायों और नौकरियों के लिए एक बड़ी आपदा है.'

मुकदमे में कहा गया है कि टैरिफ लगाने का अधिकार केवल कांग्रेस के पास है. इसके अलावा राष्ट्रपति तभी अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम का प्रयोग कर सकते हैं, जब विदेश से कोई बड़ा खतरा हो.

मुकदमे में कहा गया है, 'राष्ट्रपति ने संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश करने वाली किसी भी वस्तु पर अत्यधिक और निरंतर परिवर्तनशील टैरिफ लगाने का अधिकार होने का दावा करके संवैधानिक व्यवस्था को पलट दिया है. साथ ही अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अराजकता ला दी है.'

गौर करें तो बीते सप्ताह, टैरिफ नीति को लेकर कैलिफोर्निया के डेमोक्रेट गवर्नर गैविन न्यूसम ने उत्तरी जिले में अमेरिकी जिला न्यायालय में ट्रम्प प्रशासन पर मुकदमा दायर किया था. इस मुकदमे में कहा गया था कि इस नई टैरिफ नीति से उनके राज्य को अरबों डॉलर का राजस्व खोना पड़ सकता है.

उधर व्हॉइट हाउस के प्रवक्ता कुश देसाई ने न्यूसम के दायर मुकदमे पर कहा कि ट्रम्प प्रशासन 'इस राष्ट्रीय आपातकाल को संबोधित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो अमेरिका के उद्योगों को नष्ट कर रहा है. साथ ही हमारे श्रमिकों को टैरिफ से लेकर वार्ता तक हर उपकरण के साथ पीछे छोड़ रहा है.'

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एक दर्जन राज्यों ने बुधवार को न्यूयॉर्क स्थित अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार न्यायालय में ट्रम्प प्रशासन पर उसकी टैरिफ नीति को रोकने के लिए केस किया. इसमें कहा गया कि यह गैर कानूनी है और इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अराजकता आई है. मुकदमे में कहा गया है कि लागू की गई नीति किसी तरह से सही नहीं है.

दायर वाद में ट्रंप के इस दावे को चुनौती दी कि वह अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम के आधार पर जैसा चाहें वैसा टैरिफ लगा सकते हैं. इसके साथ ही अदालत से ये अपील की गई है कि टैरिफ को अवैध घोषित कर सरकारी एजेंसियों और अधिकारियों को उसे लागू करने से रोकने की मांग की गई है.

टैरिफ को लेकर मुकदमा करने वाले राज्यों में वादी के रूप में ओरेगन, एरिज़ोना, कोलोराडो, कनेक्टिकट, डेलावेयर, इलिनोइस, मेन, मिनेसोटा, नेवादा, न्यू मैक्सिको, न्यूयॉर्क और वर्मोंट राज्य शामिल हैं. इसी कड़ी में एरिजोना के अटॉर्नी जनरल क्रिस मेयस ने ट्रम्प की टैरिफ योजना को "पागलपन" करार दिया है. उन्होंने कहा कि यह 'न केवल आर्थिक रूप से लापरवाही है - यह अवैध भी है.'

कनेक्टिकट के अटॉर्नी जनरल विलियम टोंग ने कहा, 'ट्रम्प के टैरिफ कनेक्टिकट परिवारों पर एक बड़ा कर है. साथ ही कनेक्टिकट के व्यवसायों और नौकरियों के लिए एक बड़ी आपदा है.'

मुकदमे में कहा गया है कि टैरिफ लगाने का अधिकार केवल कांग्रेस के पास है. इसके अलावा राष्ट्रपति तभी अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम का प्रयोग कर सकते हैं, जब विदेश से कोई बड़ा खतरा हो.

मुकदमे में कहा गया है, 'राष्ट्रपति ने संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश करने वाली किसी भी वस्तु पर अत्यधिक और निरंतर परिवर्तनशील टैरिफ लगाने का अधिकार होने का दावा करके संवैधानिक व्यवस्था को पलट दिया है. साथ ही अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अराजकता ला दी है.'

गौर करें तो बीते सप्ताह, टैरिफ नीति को लेकर कैलिफोर्निया के डेमोक्रेट गवर्नर गैविन न्यूसम ने उत्तरी जिले में अमेरिकी जिला न्यायालय में ट्रम्प प्रशासन पर मुकदमा दायर किया था. इस मुकदमे में कहा गया था कि इस नई टैरिफ नीति से उनके राज्य को अरबों डॉलर का राजस्व खोना पड़ सकता है.

उधर व्हॉइट हाउस के प्रवक्ता कुश देसाई ने न्यूसम के दायर मुकदमे पर कहा कि ट्रम्प प्रशासन 'इस राष्ट्रीय आपातकाल को संबोधित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो अमेरिका के उद्योगों को नष्ट कर रहा है. साथ ही हमारे श्रमिकों को टैरिफ से लेकर वार्ता तक हर उपकरण के साथ पीछे छोड़ रहा है.'

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