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थायरायड के कारण हो सकती है हड्डियों की यह गंभीर बीमारी, विशेषज्ञों से जानें कैसे - WORLD THYROID DAY 2025

थायरायड की समस्या जीवनशैली, खानपान, प्रदूषण आदि के कारण होती है. जानें थायराइड डिजीज और ऑस्टियोपोरोसिस के बीच क्या है संबंध?...

Etv BharatWorld Thyroid Day 2025 What is the connection between thyroid disease and osteoporosis?
थायरायड के कारण हो सकती है हड्डियों की यह गंभीर बीमारी, विशेषज्ञों से जानें कैसे (GETTY IMAGES)
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By ETV Bharat Health Team

Published : May 25, 2025 at 6:01 AM IST

5 Min Read

थायरायड एक छोटी, तितली के आकार की ग्रंथि है जो गर्दन के सामने, एडम के सेब के ठीक नीचे पाई जाती है. यह शरीर के एंडोक्राइन सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मेटाबॉलिज्म, वृद्धि और विकास को कंट्रोल करने वाले हार्मोन का प्रोडक्शन करता है. थायरायड का पहला और मुख्य कार्य शरीर में मेटाबॉलिज्म रेट को नियंत्रित करना है. इसे मेटाबॉलिज्म की मास्टर ग्रंथि भी कहा जाता है. यह शरीर में मेटाबॉलिज्म रेट को नियंत्रित करने के लिए, यह T4 (थायरोक्सिन) और T3 (ट्राईआयोडोथायोनिन) हार्मोन का उत्पादन करता है जो शरीर में कोशिकाओं को एनर्जी का उपयोग करने का निर्देश देते हैं.

थायरायड की बीमारी बहुत आम है. भारत में करीब 40-50 मिलियन लोग थायरायड की बीमारी से पीड़ित हैं. अगर गर्भवती महिला के परिवार में किसी सदस्य को थायरायड की समस्या है, तो होने वाला बच्चा भी थायरायड की समस्या से ग्रस्त हो सकता है. महिलाओं में थायरायड का प्रचलन पुरुषों की तुलना में बहुत अधिक है. थायरायड की समस्या जीवनशैली, खानपान, प्रदूषण आदि के कारण होती है. इसलिए लोगों को थायरायड से संबंधित समस्याओं और उनके समाधान के बारे में जागरूक करने के लिए हर साल 25 मई को विश्व थायरायड दिवस मनाया जाता है.

बता दें, थायरायड की बीमारी बुजुर्गों में एक आम समस्या है, लेकिन अब यह युवाओं और बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रही है. इसके साथ ही थायरायड की समस्या (हाइपरथायरायडिज्म या हाइपोथायरायडिज्म) से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं.थायरायड हार्मोन हड्डियों के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं. ऐसे में आज इस खबर के माध्यम से सैफी अस्पताल मुंबई के एंडोक्राइनोलॉजिस्ट, डॉ. शीला शेख से जानें कि थायरॉइड रोग और ऑस्टियोपोरोसिस के बीच क्या संबंध है?

जानिए ऑस्टियोपोरोसिस होता क्या है
ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों का एक कॉम्प्लेक्स डिजीज है, जो हड्डियों को कमजोर कर देता है, जिससे हड्डियां भंगुर हो जाती हैं और टूटने की संभावना बढ़ जाती है. ऑस्टियोपोरोसिस से दर्द और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का भी खतरा बढ़ जाता है. ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती है कि कई बार उनमें हल्की सी चोट या किसी चीज से हल्की सी टक्कर लगने से भी उनके टूटने की आशंका बढ़ जाती है. यह आज के दौर की एक आम लेकिन गंभीर बीमारी है. अलग-अलग वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, देश में हर 8 में से 1 पुरुष और हर 3 में से 1 महिला में यह डिजीज होता है. इस बात की पुष्टि डॉक्टर्स भी करते हैं.

थायरॉइड डिजीज और ऑस्टियोपोरोसिस के बीच क्या है संबंध?
थायरायड अक्सर वजन की समस्याओं से जुड़ा होता है, लेकिन थायरायड की समस्या हड्डियों के स्वास्थ्य से भी जुड़ी होती है. आपकी थायरायड ग्रंथि हड्डियों सहित पूरे शरीर में चयापचय को विनियमित करने के लिए जिम्मेदार होती है. थायरायड हार्मोन के स्तर में असंतुलन बोन हेल्थ को प्रभावित कर सकता है, जिससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ सकता है. हाइपरथायरायडिज्म में, थायरायड हार्मोन का अधिक प्रो़क्शन होता है, जो हड्डियों के नुकसान को बढ़ा सकता है.

थायरॉइड के बढ़े हुए स्तर (हाइपरथायरायडिज्म) से हाई बोन टर्नओवर ऑस्टियोपोरोसिस नामक स्थिति हो सकती है, जिसमें हड्डियों का नुकसान तेजी से होता है और बोन डेंसिटी कम हो जाता है. थायरॉइड हार्मोन हड्डियों के रिहाइड्रेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. हाइपरथायरायडिज्म में, हड्डियों का रिहाइड्रेशन बहुत तेजी से होता है, जिससे बोन डेंसिटी कम हो जाता है. यहां तक ​​कि सबक्लीनिकल हाइपोथायरायडिज्म ऑस्टियोपोरोसिस के रिस्क को बढ़ा सकता है, भले ही TSH का स्तर सामान्य सीमा के भीतर हो. मतलब, सबक्लीनिकल हाइपोथायरायडिज्म में, TSH का लेवल सामान्य सीमा के भीतर रहता है, लेकिन T3 और T4 (थायरॉइड हार्मोन) का लेवल हाई हो सकता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ सकता है.

हाइपोथायरायडिज्म में हड्डियों का स्वास्थ्य

  • थायराइड हार्मोन रिप्लेसमेंट का अनुचित प्रबंधन, खासकर जब यह TSH को अत्यधिक दबाता है, तो हड्डी के नुकसान का जोखिम बढ़ सकता है.
  • थायराइड हार्मोन थेरेपी से गुजरने वाले मरीजों को अपनी हड्डी के स्वास्थ्य की बारीकी से निगरानी करनी चाहिए, खासकर जब उपचार कम TSH स्तरों को लक्षित करता है.
  • एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर होने के नाते, हाइपोथायरायडिज्म हड्डी रीमॉडलिंग प्रक्रियाओं को प्रभावित कर सकता है. यह अस्थायी रूप से हड्डी के द्रव्यमान में वृद्धि का कारण बन सकता है, यह हड्डी की गुणवत्ता से समझौता करता है और ऑस्टियोस्क्लेरोसिस का कारण बन सकता है, जिससे अंततः फ्रैक्चर की संभावना बढ़ जाती है.
  • मतलब, हाइपोथायरायडिज्म सीधे ऑस्टियोपोरोसिस का कारण नहीं बनता है, लेकिन लेवोथायरोक्सिन (थायरायड हार्मोन दवा) के साथ अधिक रिप्लेसमेंट से हो सकता है. जबकि हाइपोथायरायडिज्म हड्डियों केमेटाबॉलिज्म को स्लो कर देता है, यह हड्डियों के नुकसान का कारण नहीं बनता है. हालांकि, यदि लेवोथायरोक्सिन का लेवल बहुत अधिक है, तो हड्डियों का नुकसान हो सकता है, खासकर बुजुर्ग व्यक्तियों में..

सोर्स-

https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC7230461/

https://www.btf-thyroid.org/thyroid-disease-and-osteoporosis

डिस्क्लेमर: इस रिपोर्ट में उल्लिखित जानकारी केवल वैचारिक और सामान्य ज्ञान के उद्देश्य से लिखी गई है. यहां बताई गई किसी भी सलाह पर अमल करने से पहले किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह जरूर लें. अगर आपको पहले से कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो आपको डॉक्टर को पहले ही बता देना चाहिए.)

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थायरायड एक छोटी, तितली के आकार की ग्रंथि है जो गर्दन के सामने, एडम के सेब के ठीक नीचे पाई जाती है. यह शरीर के एंडोक्राइन सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मेटाबॉलिज्म, वृद्धि और विकास को कंट्रोल करने वाले हार्मोन का प्रोडक्शन करता है. थायरायड का पहला और मुख्य कार्य शरीर में मेटाबॉलिज्म रेट को नियंत्रित करना है. इसे मेटाबॉलिज्म की मास्टर ग्रंथि भी कहा जाता है. यह शरीर में मेटाबॉलिज्म रेट को नियंत्रित करने के लिए, यह T4 (थायरोक्सिन) और T3 (ट्राईआयोडोथायोनिन) हार्मोन का उत्पादन करता है जो शरीर में कोशिकाओं को एनर्जी का उपयोग करने का निर्देश देते हैं.

थायरायड की बीमारी बहुत आम है. भारत में करीब 40-50 मिलियन लोग थायरायड की बीमारी से पीड़ित हैं. अगर गर्भवती महिला के परिवार में किसी सदस्य को थायरायड की समस्या है, तो होने वाला बच्चा भी थायरायड की समस्या से ग्रस्त हो सकता है. महिलाओं में थायरायड का प्रचलन पुरुषों की तुलना में बहुत अधिक है. थायरायड की समस्या जीवनशैली, खानपान, प्रदूषण आदि के कारण होती है. इसलिए लोगों को थायरायड से संबंधित समस्याओं और उनके समाधान के बारे में जागरूक करने के लिए हर साल 25 मई को विश्व थायरायड दिवस मनाया जाता है.

बता दें, थायरायड की बीमारी बुजुर्गों में एक आम समस्या है, लेकिन अब यह युवाओं और बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रही है. इसके साथ ही थायरायड की समस्या (हाइपरथायरायडिज्म या हाइपोथायरायडिज्म) से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं.थायरायड हार्मोन हड्डियों के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं. ऐसे में आज इस खबर के माध्यम से सैफी अस्पताल मुंबई के एंडोक्राइनोलॉजिस्ट, डॉ. शीला शेख से जानें कि थायरॉइड रोग और ऑस्टियोपोरोसिस के बीच क्या संबंध है?

जानिए ऑस्टियोपोरोसिस होता क्या है
ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों का एक कॉम्प्लेक्स डिजीज है, जो हड्डियों को कमजोर कर देता है, जिससे हड्डियां भंगुर हो जाती हैं और टूटने की संभावना बढ़ जाती है. ऑस्टियोपोरोसिस से दर्द और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का भी खतरा बढ़ जाता है. ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती है कि कई बार उनमें हल्की सी चोट या किसी चीज से हल्की सी टक्कर लगने से भी उनके टूटने की आशंका बढ़ जाती है. यह आज के दौर की एक आम लेकिन गंभीर बीमारी है. अलग-अलग वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, देश में हर 8 में से 1 पुरुष और हर 3 में से 1 महिला में यह डिजीज होता है. इस बात की पुष्टि डॉक्टर्स भी करते हैं.

थायरॉइड डिजीज और ऑस्टियोपोरोसिस के बीच क्या है संबंध?
थायरायड अक्सर वजन की समस्याओं से जुड़ा होता है, लेकिन थायरायड की समस्या हड्डियों के स्वास्थ्य से भी जुड़ी होती है. आपकी थायरायड ग्रंथि हड्डियों सहित पूरे शरीर में चयापचय को विनियमित करने के लिए जिम्मेदार होती है. थायरायड हार्मोन के स्तर में असंतुलन बोन हेल्थ को प्रभावित कर सकता है, जिससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ सकता है. हाइपरथायरायडिज्म में, थायरायड हार्मोन का अधिक प्रो़क्शन होता है, जो हड्डियों के नुकसान को बढ़ा सकता है.

थायरॉइड के बढ़े हुए स्तर (हाइपरथायरायडिज्म) से हाई बोन टर्नओवर ऑस्टियोपोरोसिस नामक स्थिति हो सकती है, जिसमें हड्डियों का नुकसान तेजी से होता है और बोन डेंसिटी कम हो जाता है. थायरॉइड हार्मोन हड्डियों के रिहाइड्रेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. हाइपरथायरायडिज्म में, हड्डियों का रिहाइड्रेशन बहुत तेजी से होता है, जिससे बोन डेंसिटी कम हो जाता है. यहां तक ​​कि सबक्लीनिकल हाइपोथायरायडिज्म ऑस्टियोपोरोसिस के रिस्क को बढ़ा सकता है, भले ही TSH का स्तर सामान्य सीमा के भीतर हो. मतलब, सबक्लीनिकल हाइपोथायरायडिज्म में, TSH का लेवल सामान्य सीमा के भीतर रहता है, लेकिन T3 और T4 (थायरॉइड हार्मोन) का लेवल हाई हो सकता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ सकता है.

हाइपोथायरायडिज्म में हड्डियों का स्वास्थ्य

  • थायराइड हार्मोन रिप्लेसमेंट का अनुचित प्रबंधन, खासकर जब यह TSH को अत्यधिक दबाता है, तो हड्डी के नुकसान का जोखिम बढ़ सकता है.
  • थायराइड हार्मोन थेरेपी से गुजरने वाले मरीजों को अपनी हड्डी के स्वास्थ्य की बारीकी से निगरानी करनी चाहिए, खासकर जब उपचार कम TSH स्तरों को लक्षित करता है.
  • एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर होने के नाते, हाइपोथायरायडिज्म हड्डी रीमॉडलिंग प्रक्रियाओं को प्रभावित कर सकता है. यह अस्थायी रूप से हड्डी के द्रव्यमान में वृद्धि का कारण बन सकता है, यह हड्डी की गुणवत्ता से समझौता करता है और ऑस्टियोस्क्लेरोसिस का कारण बन सकता है, जिससे अंततः फ्रैक्चर की संभावना बढ़ जाती है.
  • मतलब, हाइपोथायरायडिज्म सीधे ऑस्टियोपोरोसिस का कारण नहीं बनता है, लेकिन लेवोथायरोक्सिन (थायरायड हार्मोन दवा) के साथ अधिक रिप्लेसमेंट से हो सकता है. जबकि हाइपोथायरायडिज्म हड्डियों केमेटाबॉलिज्म को स्लो कर देता है, यह हड्डियों के नुकसान का कारण नहीं बनता है. हालांकि, यदि लेवोथायरोक्सिन का लेवल बहुत अधिक है, तो हड्डियों का नुकसान हो सकता है, खासकर बुजुर्ग व्यक्तियों में..

सोर्स-

https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC7230461/

https://www.btf-thyroid.org/thyroid-disease-and-osteoporosis

डिस्क्लेमर: इस रिपोर्ट में उल्लिखित जानकारी केवल वैचारिक और सामान्य ज्ञान के उद्देश्य से लिखी गई है. यहां बताई गई किसी भी सलाह पर अमल करने से पहले किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह जरूर लें. अगर आपको पहले से कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो आपको डॉक्टर को पहले ही बता देना चाहिए.)

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