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किसे होता है टाइप 5 डायबिटीज, जानें इसके लक्षण और कारण, बच्चों और दुबले-पतले लोगों को क्यों सावधान रहने की जरूरत? - WHAT IS TYPE 5 DIABETES

अगर बच्चा जन्म से पहले और बाद में कुपोषित रहता है, तो उसे कुपोषण से संबंधित डायबिटीज हो सकता है, जो टाइप 5 डायबिटीज कहलाता...

Who gets type-5 diabetes, know its symptoms and causes
किसे होता है टाइप 5 डायबिटीज, जानें इसके लक्षण और कारण, बच्चों और दुबले-पतले लोगों को क्यों सावधान रहने की जरूरत? (GETTY IMAGES)
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By ETV Bharat Health Team

Published : April 19, 2025 at 12:30 PM IST

7 Min Read

व्यस्त जीवनशैली और लाइफस्टाइल में बदलाव के कारण आज लोगों की खानपान की आदतों में काफी बदलाव आया है. कई बार, लोग समय की कमी या सुविधा के कारण अनहेल्दी फूड पसंद करते हैं, जो उनकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं. आज की व्यस्त जीवनशैली ने लोगों में तनाव, जंक फूड के प्रति प्रेम और सुस्त जीवन को बढ़ा दिया है, जिससे कुछ साल पहले की तुलना में लोगों में डायबिटीज का खतरा बढ़ गया है.

आमतौर पर लोग डायबिटीज के दो प्रकारों के बारे में जानते हैं - जिनमें टाइप 1 और टाइप 2 शामिल हैं. टाइप 1 में शरीर इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है, जबकि टाइप 2 में शरीर इंसुलिन का सही तरीके से उपयोग नहीं करता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि टाइप-5 डायबिटीज एक नई पहचानी गई डायबिटीज की श्रेणी है, जो मुख्य रूप से कम वजन वाले व्यक्तियों में देखी जाती है, विशेषकर कम संसाधन वाले क्षेत्रों में...

इस टाइप-5 डायबिटीज का पता हाल ही में चला है. इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (IDF) ने आधिकारिक तौर पर डायबिटीज के इस नए रूप को टाइप-5 डायबिटीज के रूप में मान्यता दे दी है. डायबिटीज का यह रूप खास तौर पर किशोरों और वयस्कों से जुड़ा हुआ है. खास बात यह है कि यह टाइप-1 और टाइप-2 से काफी अलग है. यशोदा हॉस्पिटल्स, हैदराबाद के प्रवक्ता और वरिष्ठ परामर्शदाता चिकित्सक और मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ. जी. कृष्ण मोहन रेड्डी से इसके बारे में विस्तार से जानें...

क्या है टाइप-5 डायबिटीज?
डॉ. जी. कृष्ण मोहन रेड्डी के मुताबिक, टाइप 5 डायबिटीज, जिसे कुपोषण से संबंधित डायबिटीज भी कहा जाता है, ज्यादातर दुबले-पतले लोगों को प्रभावित करती है जो बचपन में कुपोषण से पीड़ित रहे हैं. यह प्रकार आमतौर पर कम और मध्यम आय वाले देशों में दुबले-पतले और कुपोषित किशोरों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है. अनुमान है कि टाइप 5 डायबिटीज दुनिया भर में 20 से 25 मिलियन लोगों को प्रभावित करता है, खासकर एशिया और अफ्रीका जैसे देशों में...पहले के निष्कर्षों से पता चला है कि कुपोषण से संबंधित डायबिटीज इंसुलिन प्रतिरोध के कारण होता है.

आपको बता दें, टाइप 2 डायबिटीज (जो मोटापे और इंसुलिन प्रतिरोध से जुड़ी है) के विपरीत, टाइप 5 डायबिटीज पोषण की कमी के कारण अग्न्याशय के खराब विकास के कारण होती है. टाइप 5 डायबिटीज वाले लोगों को पर्याप्त इंसुलिन बनाने में कठिनाई होती है, जो कि वह हार्मोन है जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है. लेकिन टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों के विपरीत, उनका शरीर अभी भी इंसुलिन के प्रति अच्छी प्रतिक्रिया दे सकता है. यह इसे टाइप 1 (एक ऑटोइम्यून स्थिति) और टाइप 2 डायबिटीज दोनों से अलग बनाता है. टाइप 5 डायबिटीज वाले कई लोगों को इंसुलिन इंजेक्शन की भी जरूरत नहीं होती है, और उनका इलाज मौखिक दवाओं से किया जा सकता है, जिससे कम आय वाले क्षेत्रों में इलाज अधिक किफायती हो जाता है.

किसी व्यक्ति को टाइप 5 डायबिटीज क्यों होता है?
डॉ. जी. कृष्ण मोहन रेड्डी के मुताबिक, टाइप 5 डायबिटीज का मुख्य कारण एक जेनेटिक म्यूटेशन है जो माता-पिता से बच्चे में ऑटोसोमल डोमिनेंट पैटर्न में पारित होता है, जिसका अर्थ है कि इस स्थिति को विकसित करने के लिए दोषपूर्ण जीन की केवल एक कॉपी की जरूरत होती है. यदि माता-पिता में MODY है, तो 50 फीसदी संभावना है कि उनके बच्चे को यह स्थिति विरासत में मिलेगी. इसके अलावा एनवायरमेंटल फैक्टर्स या जीवनशैली इस प्रकार के डायबिटीज का बनते हैं. यह एक जेनेटिक डिसऑर्डर है जो अग्न्याशय के कार्य या सेलुलर स्तर पर इंसुलिन के उत्पादन को प्रभावित करता है.

कुपोषण मां के गर्भ में ही शुरू हो जाता है
अध्ययन कर रहें डॉक्टरों के मुताबिक, अगर गर्भ में पल रहे बच्चे को सही मात्रा में पोषण नहीं मिलता है, तो आगे चलकर उसे डायबिटीज होने का खतरा बढ़ सकता है. लंबे समय तक, कई भारतीय कड़ी मेहनत, उपनिवेशवाद और अकाल के कारण कुपोषित थे. लेकिन पिछले 50 वर्षों में, तेजी से शहरी विकास के साथ, अधिक भोजन करना भी एक समस्या बन गया है. जब जन्म से पहले बच्चे को कम या अधिक पोषण मिलता है और बाद में उसका वजन बहुत अधिक बढ़ जाता है, तो उसे टाइप 2 डायबिटीज हो सकता है. लेकिन अगर बच्चा जन्म से पहले और बाद में कुपोषित रहता है, तो उसे कुपोषण से संबंधित डायबिटीज हो सकता है, जिसे अब टाइप 5 डायबिटीज कहा जाता है. इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि गर्भावस्था के दौरान मातृ कुपोषण, भ्रूण के अग्नाशय के विकास को प्रभावित करता है, जिससे टाइप 5 डायबिटीज हो जाता है.

आनुवंशिक कारणों का कोई सबूत नहीं
विशेषज्ञों के अनुसार, एशियाई भारतीयों में पाए जाने वाले डायबिटीज के इस अनोखे प्रकार में ऑटोएंटीबॉडीज या जेनेटिक कारणों का कोई सबूत नहीं है.

इसका पता कैसे लगाया जाता है?
टाइप 5 डायबिटीज या गंभीर इंसुलिन-कमी वाले डायबिटीज (SIDD) के निदान में Diagnostic Evaluation और ब्लड टेस्ट दोनों शामिल हैं. टाइप 5 डायबिटीज का पता लगाने के लिए डॉक्टर यहां दिए गए कुछ टेस्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिनमें शामिल है..

  • ब्लड शुगर जांच
  • HbA1c ग्लाइकेडेट हीमोग्लोबिन जांच
  • ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस जांच (OGTT)
  • रैंडम ब्लड शुगर जांच (RBS)
  • इंसुलिन जांच
  • लिपिड प्रोफाइल जांच
  • बॉडि स्कैन-शरीर के स्कैन से अक्सर बहुत कम वसा भंडार का पता चलता है। पोषण संबंधी आकलन प्रोटीन, जिंक और विटामिन ए जैसे आवश्यक पोषक तत्वों की कमी दिखाते हैं, जो अग्नाशय के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं.

टाइप 5 डायबिटीज के लक्षण क्या हैं?
डॉ. जी. कृष्ण मोहन रेड्डी के मुताबिक, लक्षण अन्य प्रकार के डायबिटीज से मिलते-जुलते हो सकते हैं:

  • अत्यधिक प्यास और पेशाब आना
  • थकान
  • वजन कम होना
  • बच्चों में देरी से विकास
  • बार-बार संक्रमण होना

टाइप 5 डायबिटीज को विशिष्ट बनाने वाली बात यह है कि इसके लक्षण आमतौर पर कुपोषित व्यक्तियों में होते हैं जिनके शरीर में वसा का भंडार बहुत कम या बिलकुल नहीं होता है, तथा जो अक्सर सीमित संसाधनों वाले वातावरण में रहते हैं.

टाइप 5 डायबिटीज में ब्लड शुगर लेवल कितना होता है?
डॉ. जी. कृष्ण मोहन रेड्डी के मुताबिक, टाइप 5 डायबिटीज को विशिष्ट ब्लड शुगर थ्रेसहोल्ड की तुलना में इंसुलिन की कमी से अधिक परिभाषित किया जाता है. हालांकि, रोगियों को निम्न अनुभव हो सकता है: जैसे कि...

उल्लेखनीय रूप से बढ़ा हुआ ग्लूकोज लेवल अक्सर 200 mg/dL से अधिक

गंभीर मामलों में, ग्लूकोज 350 mg/dL से अधिक हो सकता है

हालांकि, केवल हाई ब्लड शुगर लेवल ही इस प्रकार को परिभाषित नहीं करता है - इंसुलिन की कमी और कुपोषण की पृष्ठभूमि महत्वपूर्ण हैं.

(डिस्क्लेमर सामान्य जानकारी केवल पढ़ने के उद्देश्य से प्रदान की जाती है. ईटीवी भारत जानकारी या वैज्ञानिक वैधता के बारे में कोई समर्थन नहीं करता है. अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श लें.)

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व्यस्त जीवनशैली और लाइफस्टाइल में बदलाव के कारण आज लोगों की खानपान की आदतों में काफी बदलाव आया है. कई बार, लोग समय की कमी या सुविधा के कारण अनहेल्दी फूड पसंद करते हैं, जो उनकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं. आज की व्यस्त जीवनशैली ने लोगों में तनाव, जंक फूड के प्रति प्रेम और सुस्त जीवन को बढ़ा दिया है, जिससे कुछ साल पहले की तुलना में लोगों में डायबिटीज का खतरा बढ़ गया है.

आमतौर पर लोग डायबिटीज के दो प्रकारों के बारे में जानते हैं - जिनमें टाइप 1 और टाइप 2 शामिल हैं. टाइप 1 में शरीर इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है, जबकि टाइप 2 में शरीर इंसुलिन का सही तरीके से उपयोग नहीं करता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि टाइप-5 डायबिटीज एक नई पहचानी गई डायबिटीज की श्रेणी है, जो मुख्य रूप से कम वजन वाले व्यक्तियों में देखी जाती है, विशेषकर कम संसाधन वाले क्षेत्रों में...

इस टाइप-5 डायबिटीज का पता हाल ही में चला है. इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (IDF) ने आधिकारिक तौर पर डायबिटीज के इस नए रूप को टाइप-5 डायबिटीज के रूप में मान्यता दे दी है. डायबिटीज का यह रूप खास तौर पर किशोरों और वयस्कों से जुड़ा हुआ है. खास बात यह है कि यह टाइप-1 और टाइप-2 से काफी अलग है. यशोदा हॉस्पिटल्स, हैदराबाद के प्रवक्ता और वरिष्ठ परामर्शदाता चिकित्सक और मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ. जी. कृष्ण मोहन रेड्डी से इसके बारे में विस्तार से जानें...

क्या है टाइप-5 डायबिटीज?
डॉ. जी. कृष्ण मोहन रेड्डी के मुताबिक, टाइप 5 डायबिटीज, जिसे कुपोषण से संबंधित डायबिटीज भी कहा जाता है, ज्यादातर दुबले-पतले लोगों को प्रभावित करती है जो बचपन में कुपोषण से पीड़ित रहे हैं. यह प्रकार आमतौर पर कम और मध्यम आय वाले देशों में दुबले-पतले और कुपोषित किशोरों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है. अनुमान है कि टाइप 5 डायबिटीज दुनिया भर में 20 से 25 मिलियन लोगों को प्रभावित करता है, खासकर एशिया और अफ्रीका जैसे देशों में...पहले के निष्कर्षों से पता चला है कि कुपोषण से संबंधित डायबिटीज इंसुलिन प्रतिरोध के कारण होता है.

आपको बता दें, टाइप 2 डायबिटीज (जो मोटापे और इंसुलिन प्रतिरोध से जुड़ी है) के विपरीत, टाइप 5 डायबिटीज पोषण की कमी के कारण अग्न्याशय के खराब विकास के कारण होती है. टाइप 5 डायबिटीज वाले लोगों को पर्याप्त इंसुलिन बनाने में कठिनाई होती है, जो कि वह हार्मोन है जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है. लेकिन टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों के विपरीत, उनका शरीर अभी भी इंसुलिन के प्रति अच्छी प्रतिक्रिया दे सकता है. यह इसे टाइप 1 (एक ऑटोइम्यून स्थिति) और टाइप 2 डायबिटीज दोनों से अलग बनाता है. टाइप 5 डायबिटीज वाले कई लोगों को इंसुलिन इंजेक्शन की भी जरूरत नहीं होती है, और उनका इलाज मौखिक दवाओं से किया जा सकता है, जिससे कम आय वाले क्षेत्रों में इलाज अधिक किफायती हो जाता है.

किसी व्यक्ति को टाइप 5 डायबिटीज क्यों होता है?
डॉ. जी. कृष्ण मोहन रेड्डी के मुताबिक, टाइप 5 डायबिटीज का मुख्य कारण एक जेनेटिक म्यूटेशन है जो माता-पिता से बच्चे में ऑटोसोमल डोमिनेंट पैटर्न में पारित होता है, जिसका अर्थ है कि इस स्थिति को विकसित करने के लिए दोषपूर्ण जीन की केवल एक कॉपी की जरूरत होती है. यदि माता-पिता में MODY है, तो 50 फीसदी संभावना है कि उनके बच्चे को यह स्थिति विरासत में मिलेगी. इसके अलावा एनवायरमेंटल फैक्टर्स या जीवनशैली इस प्रकार के डायबिटीज का बनते हैं. यह एक जेनेटिक डिसऑर्डर है जो अग्न्याशय के कार्य या सेलुलर स्तर पर इंसुलिन के उत्पादन को प्रभावित करता है.

कुपोषण मां के गर्भ में ही शुरू हो जाता है
अध्ययन कर रहें डॉक्टरों के मुताबिक, अगर गर्भ में पल रहे बच्चे को सही मात्रा में पोषण नहीं मिलता है, तो आगे चलकर उसे डायबिटीज होने का खतरा बढ़ सकता है. लंबे समय तक, कई भारतीय कड़ी मेहनत, उपनिवेशवाद और अकाल के कारण कुपोषित थे. लेकिन पिछले 50 वर्षों में, तेजी से शहरी विकास के साथ, अधिक भोजन करना भी एक समस्या बन गया है. जब जन्म से पहले बच्चे को कम या अधिक पोषण मिलता है और बाद में उसका वजन बहुत अधिक बढ़ जाता है, तो उसे टाइप 2 डायबिटीज हो सकता है. लेकिन अगर बच्चा जन्म से पहले और बाद में कुपोषित रहता है, तो उसे कुपोषण से संबंधित डायबिटीज हो सकता है, जिसे अब टाइप 5 डायबिटीज कहा जाता है. इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि गर्भावस्था के दौरान मातृ कुपोषण, भ्रूण के अग्नाशय के विकास को प्रभावित करता है, जिससे टाइप 5 डायबिटीज हो जाता है.

आनुवंशिक कारणों का कोई सबूत नहीं
विशेषज्ञों के अनुसार, एशियाई भारतीयों में पाए जाने वाले डायबिटीज के इस अनोखे प्रकार में ऑटोएंटीबॉडीज या जेनेटिक कारणों का कोई सबूत नहीं है.

इसका पता कैसे लगाया जाता है?
टाइप 5 डायबिटीज या गंभीर इंसुलिन-कमी वाले डायबिटीज (SIDD) के निदान में Diagnostic Evaluation और ब्लड टेस्ट दोनों शामिल हैं. टाइप 5 डायबिटीज का पता लगाने के लिए डॉक्टर यहां दिए गए कुछ टेस्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिनमें शामिल है..

  • ब्लड शुगर जांच
  • HbA1c ग्लाइकेडेट हीमोग्लोबिन जांच
  • ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस जांच (OGTT)
  • रैंडम ब्लड शुगर जांच (RBS)
  • इंसुलिन जांच
  • लिपिड प्रोफाइल जांच
  • बॉडि स्कैन-शरीर के स्कैन से अक्सर बहुत कम वसा भंडार का पता चलता है। पोषण संबंधी आकलन प्रोटीन, जिंक और विटामिन ए जैसे आवश्यक पोषक तत्वों की कमी दिखाते हैं, जो अग्नाशय के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं.

टाइप 5 डायबिटीज के लक्षण क्या हैं?
डॉ. जी. कृष्ण मोहन रेड्डी के मुताबिक, लक्षण अन्य प्रकार के डायबिटीज से मिलते-जुलते हो सकते हैं:

  • अत्यधिक प्यास और पेशाब आना
  • थकान
  • वजन कम होना
  • बच्चों में देरी से विकास
  • बार-बार संक्रमण होना

टाइप 5 डायबिटीज को विशिष्ट बनाने वाली बात यह है कि इसके लक्षण आमतौर पर कुपोषित व्यक्तियों में होते हैं जिनके शरीर में वसा का भंडार बहुत कम या बिलकुल नहीं होता है, तथा जो अक्सर सीमित संसाधनों वाले वातावरण में रहते हैं.

टाइप 5 डायबिटीज में ब्लड शुगर लेवल कितना होता है?
डॉ. जी. कृष्ण मोहन रेड्डी के मुताबिक, टाइप 5 डायबिटीज को विशिष्ट ब्लड शुगर थ्रेसहोल्ड की तुलना में इंसुलिन की कमी से अधिक परिभाषित किया जाता है. हालांकि, रोगियों को निम्न अनुभव हो सकता है: जैसे कि...

उल्लेखनीय रूप से बढ़ा हुआ ग्लूकोज लेवल अक्सर 200 mg/dL से अधिक

गंभीर मामलों में, ग्लूकोज 350 mg/dL से अधिक हो सकता है

हालांकि, केवल हाई ब्लड शुगर लेवल ही इस प्रकार को परिभाषित नहीं करता है - इंसुलिन की कमी और कुपोषण की पृष्ठभूमि महत्वपूर्ण हैं.

(डिस्क्लेमर सामान्य जानकारी केवल पढ़ने के उद्देश्य से प्रदान की जाती है. ईटीवी भारत जानकारी या वैज्ञानिक वैधता के बारे में कोई समर्थन नहीं करता है. अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श लें.)

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