थायरॉइड एक छोटी, तितली के आकार की ग्रंथि है जो गर्दन के सामने, एडम्स एप्पल के ठीक नीचे पाई जाती है. यह शरीर के एंडोक्राइन सिस्टम के लिए जरूरी है क्योंकि यह हार्मोन का उत्पादन करता है जो मेटाबॉलिज्म, वृद्धि और विकास को कंट्रोल करता है. थायराइड का पहला और मुख्य काम शरीर की मेटाबॉलिज्म रेट को कंट्रोल करना है. इसे मेटाबॉलिज्म की मास्टर ग्रंथि भी कहा जाता है. शरीर की मेटाबॉलिज्म रेट को कंट्रोल करने के लिए यह T4 (थायरोक्सिन) और T3 (ट्राईआयोडोथायरोनिन) हार्मोन का उत्पादन करता है जो शरीर में कोशिकाओं को एनर्जी का इस्तेमाल करने का निर्देश देता है.
थायराइड की बीमारी बहुत आम है भारत में लगभग 40-50 मिलियन लोग थायराइड की बीमारी से पीड़ित हैं अगर किसी गर्भवती महिला के परिवार में किसी सदस्य को थायराइड की समस्या है, तो पैदा होने वाला बच्चा भी थायराइड की समस्या से पीड़ित हो सकता है. महिलाओं में थायराइड का प्रचलन पुरुषों की तुलना में बहुत अधिक है. थायराइड की समस्या जीवनशैली, आहार, प्रदूषण आदि के कारण होती है. थायराइड की बीमारी बुजुर्गों में एक आम समस्या है, लेकिन अब यह युवाओं और बच्चों को भी प्रभावित कर रही है. थायराइड की समस्या से पीड़ित लोग अक्सर अपने डॉक्टर से एक ही सवाल पूछते हैं कि उन्हें कौन सा नमक का सेवन करना चाहिए?
थायराइड के मरीजों को कौन सा नमक खाना चाहिए?
डॉ. सुरिंदर कुमार के अनुसार, थायरॉयड ग्रंथि के ठीक से काम करने के लिए पर्याप्त मात्रा में नमक का सेवन करना जरूरी है. थायरॉयड ग्रंथि को ठीक से काम करने के लिए आयोडीन की जरूरत होती है, इसलिए थायरॉयड के रोगियों को हमेशा आयोडीन युक्त नमक का सेवन करना चाहिए. यह नमक आमतौर पर रिफाइंड टेबल सॉल्ट के रूप में उपलब्ध होता है. और इसमें आयोडीन मिलाया जाता है. आयोडीन युक्त नमक थायरॉयड ग्रंथि को ठीक से काम करने में मदद करता है और हाइपोथायरायडिज्म के रिस्क को कम करता है.
थायरॉयड के लिए आयोडीन क्यों महत्वपूर्ण है?
आयोडीन थायराइड हार्मोन (T3 और T4) के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसकी कमी से गण्डमाला रोग जैसी समस्याएं हो सकती हैं. आयोडीन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए आयोडीन युक्त नमक आवश्यक है.
थायरॉइड के मरीजों को नहीं खाना चाहिए ये नमक
डॉ. सुरिंदर कुमार कहते हैं कि थायरॉइड के मरीजों को हिमालयन पिंक सॉल्ट खाने से बचना चाहिए. हिमालयन पिंक सॉल्ट में आयोडीन की मात्रा बहुत कम होती है. यह नमक उन लोगों के लिए ज्यादा उपयोगी है जिन्हें सीमित मात्रा में आयोडीन लेने की सलाह दी जाती है. हिमालयन पिंक सॉल्ट हाइपरथायरायडिज्म के लिए एक अच्छा स्रोत है. समुद्री नमक भी थायरॉइड के लिए अनुशंसित नहीं है. इसमें स्वाभाविक रूप से कम आयोडीन होता है. यह हाइपरथायरायडिज्म से पीड़ित लोगों के लिए भी अच्छा हो सकता है, लेकिन आयोडीन की कमी वाले लोगों के लिए नहीं है.
अपने थायरॉइड को कैसे नियंत्रित करें
अपने थायरॉयड को हेल्दी या कंट्रोल में रखना कोई बड़ी चुनौती नहीं है थायरॉयड ग्रंथि के निर्माण के लिए आयोडीन आवश्यक होता है. अगर हम नियमित रूप से अपने आहार में आवश्यक मात्रा में आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करते हैं, तो हमारा थायरॉयड संतुलित रहेगा. इसलिए, हमें बहुत कम आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही हमें बहुत अधिक आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए.
ज्यादातर लोग आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ खाते हैं जब भोजन से आयोडीन संतुलित मात्रा में उपलब्ध नहीं होता है, तो डॉक्टर कभी-कभी आयोडीन युक्त नमक और आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों की सलाह देते हैं.
निष्कर्ष
व्यक्ति को किस तरह का नमक खाना चाहिए यह व्यक्ति की स्थिति पर निर्भर करता है. हाइपोथायरायडिज्म के मरीजों को आयोडीन युक्त नमक लेना चाहिए, जबकि हाइपरथायरायडिज्म के मरीज हिमालयन पिंक नमक या समुद्री नमक ले सकते हैं. अगर आपको थायरॉयड की बीमारी है, तो अपने डॉक्टर से अपने लिए सही नमक के बारे में बात करें...
उत्तर:- https://www.webmd.com/diet/what-is-iodized-salt
(डिस्क्लेमर: इस रिपोर्ट में आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी सामान्य जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान करते हैं. आपको इसके बारे में विस्तार से जानना चाहिए और इस विधि या प्रक्रिया को अपनाने से पहले अपने निजी चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.)