ETV Bharat / health

अचानक किसी को आ जाए कार्डियक अरेस्ट तो CPR से बचा सकते हैं जान, जरा सी जानकारी से कोई भी दे सकता है जीवनदान - What is cardiac arrest - WHAT IS CARDIAC ARREST

Cardiac arrest and CPR: इन दिनों अचानक राह चलते लोग कार्डियक अरेस्ट यानी दिल का दौरा पड़ने से मौत का शिकार हो रहे हैं. हाल ही में हमीरपुर में ऐसी ही दुखद घटना देखने को मिली. एक व्यक्ति को अचानक दिल का दौरा पड़ा. वहां मौजूद लोग और पुलिस वाले व्यक्ति को पानी पिलाने और चेहरे पर पानी के छींटे मारकर होश में लाने का प्रयास करने लगे, लेकिन ये प्रयास सफल नहीं हुए. यदि मौके पर मौजूद कोई व्यक्ति सीपीआर तकनीक जानता तो संभवत उस व्यक्ति की जान बचाई जा सकती थी.

WHAT IS CARDIAC ARREST
कार्डियक अरेस्ट से कैसे बचें (ETV Bharat GFX)
author img

By ETV Bharat Health Team

Published : Sep 30, 2024, 9:38 PM IST

Updated : Oct 1, 2024, 12:28 PM IST

शिमला: आजकल की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में ज्यादातर लोग अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाते हैं. खान-पान की गलत आदतें, शारीरिक व्यायाम ना करना और तनाव बीमारियों का प्रमुख कारण है. इन्हीं में से एक है दिल से जुड़ी बीमारियां. भारत समेत दुनियाभर में दिल से जुड़ी बीमारियां कम उम्र में मौत का कारण बनती जा रही हैं. कार्डियक अरेस्ट इन्हीं में से एक है. हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर रहे डॉ. रमेश चंद ने कार्डियक अरेस्ट को लेकर जानकारी दी.

क्या है कार्डियक अरेस्ट?

डॉक्टर रमेश चंद ने बताया "अचानक से दिल का काम बंद करने की स्थिति को कार्डियक अरेस्ट कहते हैं. यह कोई लंबी बीमारी का हिस्‍सा नहीं है, इसलिए ये दिल से जुड़ी बीमारियों में सबसे खतरनाक माना जाता है."

हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में अंतर

डॉक्टर रमेश चंद ने बताया "लोग अक्सर कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक को एक ही समझते हैं, लेकिन यह दोनों अलग-अलग हैं. कार्डियक अरेस्ट में दिल अचानक से काम करना बंद कर देता है और कुछ ही मिनटों में व्यक्ति की मौत हो जाती है. जबकि हार्ट अटैक एक ऐसी स्थिति है, जिसमें हार्ट में खून नहीं पहुंचता. आर्टिरीज में ब्लड फ्लो रुक जाता है. इस कारण ऑक्सीजन की कमी होती है और अटैक आता है. मेडिकल टर्म में हार्ट अटैक को "हार्ट अटैक सर्कुलेटरी" कहते हैं जबकि कार्डियक अरेस्ट को "इलेक्ट्रिक कंडक्शन" कहा जाता है. 'कार्डियक अरेस्ट' में हार्ट में ब्लड सर्कुलेशन पूरी तरह से बंद हो जाता है."

WHAT IS CARDIAC ARREST
डॉक्टर रमेश चंद, हिमाचल स्वास्थ्य विभाग के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर (ETV Bharat)

क्‍या होते हैं लक्षण?

डॉक्टर रमेश चंद ने बताया, "कार्डियक अरेस्ट वैसे तो अचानक होता है. हालांकि जिन्हें दिल की बीमारी होती है उनमें कार्डियक अरेस्ट की संभावना ज्यादा होती है."

  • कार्डियक अरेस्ट से पहले छाती में दर्द
  • सांस लेने में परेशानी
  • पल्पीटेशन
  • चक्कर आना
  • बेहोशी
  • थकान या ब्लैकआउट

कैसे होता है इलाज?

कार्डियक अरेस्ट के इलाज के लिए मरीज को कार्डियोपल्मोनरी रेसस्टिसेशन (सीपीआर) दिया जाता है, जिससे उसकी दिल की धड़कन को रेगुलर किया जा सके. मरीज या घायल व्यक्ति की जान बचाने के लिए सीपीआर एक बहुत महवपूर्ण तरीका है. सीपीआर की फुल फॉर्म "कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन" (Cardiopulmonary resuscitation) है. Cardio मतलब 'दिल' से Pulmonary मतलब फेफड़ों से (सांस) Resuscitation मतलब पुनर्जीवन (होश में लाना), यानी रुकी हुई दिल की धड़कन, रुकी हुई सांसों को चला कर मरीज को मौत के मुंह से वापस लाना. इससे कार्डियक अरेस्ट और सांस न ले पाने जैसी आपातकालीन स्थिति में व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है. सीपीआर देने से पहले इसकी ट्रेनिंग लेनी जरूरी है.

सीपीआर क्या है?

सीपीआर एक 'आपातकालीन' स्थिति में प्रयोग की जाने वाली प्रक्रिया है जो किसी व्यक्ति की धड़कन या सांस रुक जाने पर प्रयोग की जाती है. सीपीआर में बेहोश व्यक्ति को सांसें दी जाती हैं, जिससे फेफड़ों को ऑक्सीजन मिलती है और सांस वापस आने तक या दिल की धड़कन सामान्य होने तक छाती को दबाया जाता है. जिससे शरीर में पहले से मौजूद ऑक्सीजन वाला खून संचारित हो जाता है. हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट, डूबना, सांस घुटना और करंट लगने जैसी स्थितियों में सीपीआर की जरूरत हो सकती है. अगर व्यक्ति की सांस या धड़कन रुक गई है, तो जल्द से जल्द उसे सीपीआर दें, क्योंकि पर्याप्त ऑक्सीजन के बिना शरीर की कोशिकाएं बहुत जल्द खत्म होने लगती हैं. मस्तिष्क की कोशिकाएं कुछ ही मिनटों में खत्म होने लगती हैं, जिससे गंभीर नुकसान या मौत भी हो सकती है.

डॉक्टर रमेश ने बताया "अगर सीपीआर देना आ जाए तो कई जानें बचाई जा सकती हैं, क्योंकि सही समय पर सीपीआर देने से व्यक्ति के बचने की सम्भावना दोगुनी हो सकती है. इन स्थितियों में सीपीआर देने की आवश्यकता हो सकती है"

अचानक गिर जाना

व्यक्ति के अचानक गिर जाने पर या बेहोश होने पर सांस और नब्ज़ देखें. इसको 'ABC' से याद रखा जा सकता है -A- Airway यानी सांस का रास्ता खुला है या नहीं, चेक करें. मुंह में या गले में कुछ फंसा तो नहीं है, यह चेक करें. Breathing यानी मरीज सांस ले पा रहा है या नहीं. C- Circulation नाड़ी चेक करें चल रही है या नहीं. इसी से पता चल जाएगा दिल धड़क रहा है या रुक गया है.

बेहोश मरीज को ना दें खाने-पीने की चीज

याद रखिए बेहोश मरीज को कोई खाने व पीने की चीज ना दें. यहां तक की उसे पानी भी ना दें. यह उसकी सांस की नली में जा सकता है. ऐसे में समस्या और गंभीर हो सकती है. ऐसे अवस्था में पानी के छींटे मुंह पर मार सकते हैं.

सीपीआर कब देना चाहिए?

  1. बेहोश होने पर: बेहोश होने पर व्यक्ति को होश में लाने की कोशिश करें और अगर वह होश में न आए, तो उसकी सांस और नब्ज देखें.
  2. सांस की समस्या: सांस रुक जाने या अनियमित सांस लेने की स्थिति में सीपीआर देने की आवश्यकता होती है.
  3. नब्ज रुक जाना: अगर व्यक्ति की नब्ज नहीं मिल रही है, तो हो सकता है उसके दिल ने काम करना बंद कर दिया हो. ऐसे में व्यक्ति को सीपीआर देने की आवश्यकता हो सकती है.
  4. करंट लगने पर: अगर किसी व्यक्ति को करंट लगा है, तो उसे छुएं नहीं. लकड़ी की मदद से उसके आसपास से करंट के स्त्रोत को हटाएं और इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी वस्तु में करंट पास न हो सके.

सीपीआर देने से पहले ध्यान रखें ये चीज

क्या आसपास का वातावरण व्यक्ति के लिए सुरक्षित है? व्यक्ति होश में है या बेहोश है? अगर व्यक्ति बेहोश है, तो उसके कंधे को हिलाकर ऊंची आवाज में पूछें कि क्या वह ठीक है. अगर व्यक्ति जवाब नहीं देता है तो सीपीआर शुरू करने से पहले तुरंत एंबुलेंस बुलाएं.

सीपीआर कैसे देते हैं?

सीपीआर में व्यक्ति की छाती को दबाना और उसे मुंह से सांस देना शामिल होते हैं. बच्चों और बड़ों को सीपीआर देने का तरीका थोड़ा अलग होता है. बड़ों को सीपीआर देने का तरीका एक साल से लेकर किशोरावस्था तक के बच्चों को सीपीआर उसी तरह दिया जाता है जैसे बड़ों को दिया जाता है. हालांकि चार महीने से लेकर एक साल तक के बच्चों को सीपीआर देने का तरीका थोड़ा अलग होता है.

बच्चों को सीपीआर कैसे देते हैं

ज़्यादातर नवजात शिशुओं को "कार्डियक अरेस्ट" होने का कारण डूबना या दम घुटना होता है. अगर आपको पता है कि बच्चे की श्वसन नली में रुकावट के कारण वह सांस नहीं ले पा रहा है, तो दम घुटने के लिए किए जाने वाले फर्स्ट ऐड का उपयोग करें. अगर आपको नहीं पता है कि बच्चा सांस क्यों नहीं ले रहा है तो उसे सीपीआर दें. शिशु की स्थिति को समझें और उसे छूकर उसकी प्रतिक्रिया देखें लेकिन बच्चे को तेजी से हिलाएं नहीं. अगर बच्चा कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है, तो सीपीआर शुरू करें. बच्चे के पास घुटनों के बल बैठें. नवजात शिशु को सीपीआर देने के लिए अपनी दो उंगलियों का इस्तेमाल करें और उसकी छाती को 30 बार दबाएं. उसे 2 बार मुंह से सांस दें. जब तक मदद न आ जाए या बच्चा सांस न लेने लगे या आप बहुत अधिक थक न जाएं या स्थिति असुरक्षित ना हो जाए, तब तक बच्चे को सीपीआर देते रहें.

बड़ों को सीपीआर देने का तरीका

व्यक्ति को एक समतल जगह पर पीठ के बल लिटा दें. व्यक्ति के कन्धों के पास घुटनों के बल बैठ जाएं. अपनी एक हाथ की हथेली को व्यक्ति की छाती के बीच में रखें. दूसरे हाथ की हथेली को पहले हाथ की हथेली के ऊपर रखें. अपनी कोहनी को सीधा रखें और कन्धों को व्यक्ति की छाती के ऊपर सिधाई में रखें. अपने ऊपर के शरीर के वजन का इस्तेमाल करते हुए व्यक्ति की छाती को कम से कम 2 इंच (5 सेंटीमीटर) और ज़्यादा से ज़्यादा 2.5 इंच (6 सेंटीमीटर) तक दबाएं और छोड़ें. एक मिनट में 100 से 120 बार ऐसा करें. अगर आपको सीपीआर देना नहीं आता है, तो व्यक्ति के हिलने डुलने तक या मदद आने तक उसकी छाती दबाते रहें. अगर आपको सीपीआर देना आता है और आपने 30 बार व्यक्ति की छाती को दबाया है, तो उसकी ठोड़ी को उठाएं जिससे उसका सिर पीछे की ओर झुकेगा और उसकी श्वसन नली खुलेगी

सांस देने के तरीके

घायल व्यक्ति को सांस देने के दो तरीके होते हैं, ‘मुंह से मुंह’ में सांस देना और ‘मुंह से नाक’ में सांस देना. अगर व्यक्ति का मुंह बुरी तरह से घायल है और खुल नहीं सकता, तो उसे नाक में सांस दिया जाता है. व्यक्ति की ठोड़ी ऊपर उठाएं और मुंह से सांस देने से पहले व्यक्ति की नाक को बंद करें. पहले एक सेकेंड के लिए व्यक्ति को सांस दें और देखें कि क्या उसकी छाती ऊपर उठ रही है. अगर उठ रही है, तो दूसरी दें. अगर नहीं उठ रही है, तो फिर से व्यक्ति की ठोड़ी ऊपर उठाएं और सांस दें. हर जिम्मेवार नागरिक को इसकी ट्रेनिंग होनी चाहिए. इससे आप बिना किसी दवाई के आपातकालीन स्थिति में बेशकीमती जानें बचा सकते हैं.

ये भी पढ़ें: World Heart Day: हिमाचल के नौजवान का दिल हो रहा कमजोर, 100 में से 33 हार्ट मरीज युवा, डॉक्टर ने बताए 3 मुख्य कारण

ये भी पढ़ें: World Heart Day 2022 : हिमाचल में बढ़ रहे हैं दिल के मरीज, 40 साल तक पहुंचते-पहुंचते क्यों हांफ रहा है दिल ?

शिमला: आजकल की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में ज्यादातर लोग अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाते हैं. खान-पान की गलत आदतें, शारीरिक व्यायाम ना करना और तनाव बीमारियों का प्रमुख कारण है. इन्हीं में से एक है दिल से जुड़ी बीमारियां. भारत समेत दुनियाभर में दिल से जुड़ी बीमारियां कम उम्र में मौत का कारण बनती जा रही हैं. कार्डियक अरेस्ट इन्हीं में से एक है. हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर रहे डॉ. रमेश चंद ने कार्डियक अरेस्ट को लेकर जानकारी दी.

क्या है कार्डियक अरेस्ट?

डॉक्टर रमेश चंद ने बताया "अचानक से दिल का काम बंद करने की स्थिति को कार्डियक अरेस्ट कहते हैं. यह कोई लंबी बीमारी का हिस्‍सा नहीं है, इसलिए ये दिल से जुड़ी बीमारियों में सबसे खतरनाक माना जाता है."

हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में अंतर

डॉक्टर रमेश चंद ने बताया "लोग अक्सर कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक को एक ही समझते हैं, लेकिन यह दोनों अलग-अलग हैं. कार्डियक अरेस्ट में दिल अचानक से काम करना बंद कर देता है और कुछ ही मिनटों में व्यक्ति की मौत हो जाती है. जबकि हार्ट अटैक एक ऐसी स्थिति है, जिसमें हार्ट में खून नहीं पहुंचता. आर्टिरीज में ब्लड फ्लो रुक जाता है. इस कारण ऑक्सीजन की कमी होती है और अटैक आता है. मेडिकल टर्म में हार्ट अटैक को "हार्ट अटैक सर्कुलेटरी" कहते हैं जबकि कार्डियक अरेस्ट को "इलेक्ट्रिक कंडक्शन" कहा जाता है. 'कार्डियक अरेस्ट' में हार्ट में ब्लड सर्कुलेशन पूरी तरह से बंद हो जाता है."

WHAT IS CARDIAC ARREST
डॉक्टर रमेश चंद, हिमाचल स्वास्थ्य विभाग के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर (ETV Bharat)

क्‍या होते हैं लक्षण?

डॉक्टर रमेश चंद ने बताया, "कार्डियक अरेस्ट वैसे तो अचानक होता है. हालांकि जिन्हें दिल की बीमारी होती है उनमें कार्डियक अरेस्ट की संभावना ज्यादा होती है."

  • कार्डियक अरेस्ट से पहले छाती में दर्द
  • सांस लेने में परेशानी
  • पल्पीटेशन
  • चक्कर आना
  • बेहोशी
  • थकान या ब्लैकआउट

कैसे होता है इलाज?

कार्डियक अरेस्ट के इलाज के लिए मरीज को कार्डियोपल्मोनरी रेसस्टिसेशन (सीपीआर) दिया जाता है, जिससे उसकी दिल की धड़कन को रेगुलर किया जा सके. मरीज या घायल व्यक्ति की जान बचाने के लिए सीपीआर एक बहुत महवपूर्ण तरीका है. सीपीआर की फुल फॉर्म "कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन" (Cardiopulmonary resuscitation) है. Cardio मतलब 'दिल' से Pulmonary मतलब फेफड़ों से (सांस) Resuscitation मतलब पुनर्जीवन (होश में लाना), यानी रुकी हुई दिल की धड़कन, रुकी हुई सांसों को चला कर मरीज को मौत के मुंह से वापस लाना. इससे कार्डियक अरेस्ट और सांस न ले पाने जैसी आपातकालीन स्थिति में व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है. सीपीआर देने से पहले इसकी ट्रेनिंग लेनी जरूरी है.

सीपीआर क्या है?

सीपीआर एक 'आपातकालीन' स्थिति में प्रयोग की जाने वाली प्रक्रिया है जो किसी व्यक्ति की धड़कन या सांस रुक जाने पर प्रयोग की जाती है. सीपीआर में बेहोश व्यक्ति को सांसें दी जाती हैं, जिससे फेफड़ों को ऑक्सीजन मिलती है और सांस वापस आने तक या दिल की धड़कन सामान्य होने तक छाती को दबाया जाता है. जिससे शरीर में पहले से मौजूद ऑक्सीजन वाला खून संचारित हो जाता है. हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट, डूबना, सांस घुटना और करंट लगने जैसी स्थितियों में सीपीआर की जरूरत हो सकती है. अगर व्यक्ति की सांस या धड़कन रुक गई है, तो जल्द से जल्द उसे सीपीआर दें, क्योंकि पर्याप्त ऑक्सीजन के बिना शरीर की कोशिकाएं बहुत जल्द खत्म होने लगती हैं. मस्तिष्क की कोशिकाएं कुछ ही मिनटों में खत्म होने लगती हैं, जिससे गंभीर नुकसान या मौत भी हो सकती है.

डॉक्टर रमेश ने बताया "अगर सीपीआर देना आ जाए तो कई जानें बचाई जा सकती हैं, क्योंकि सही समय पर सीपीआर देने से व्यक्ति के बचने की सम्भावना दोगुनी हो सकती है. इन स्थितियों में सीपीआर देने की आवश्यकता हो सकती है"

अचानक गिर जाना

व्यक्ति के अचानक गिर जाने पर या बेहोश होने पर सांस और नब्ज़ देखें. इसको 'ABC' से याद रखा जा सकता है -A- Airway यानी सांस का रास्ता खुला है या नहीं, चेक करें. मुंह में या गले में कुछ फंसा तो नहीं है, यह चेक करें. Breathing यानी मरीज सांस ले पा रहा है या नहीं. C- Circulation नाड़ी चेक करें चल रही है या नहीं. इसी से पता चल जाएगा दिल धड़क रहा है या रुक गया है.

बेहोश मरीज को ना दें खाने-पीने की चीज

याद रखिए बेहोश मरीज को कोई खाने व पीने की चीज ना दें. यहां तक की उसे पानी भी ना दें. यह उसकी सांस की नली में जा सकता है. ऐसे में समस्या और गंभीर हो सकती है. ऐसे अवस्था में पानी के छींटे मुंह पर मार सकते हैं.

सीपीआर कब देना चाहिए?

  1. बेहोश होने पर: बेहोश होने पर व्यक्ति को होश में लाने की कोशिश करें और अगर वह होश में न आए, तो उसकी सांस और नब्ज देखें.
  2. सांस की समस्या: सांस रुक जाने या अनियमित सांस लेने की स्थिति में सीपीआर देने की आवश्यकता होती है.
  3. नब्ज रुक जाना: अगर व्यक्ति की नब्ज नहीं मिल रही है, तो हो सकता है उसके दिल ने काम करना बंद कर दिया हो. ऐसे में व्यक्ति को सीपीआर देने की आवश्यकता हो सकती है.
  4. करंट लगने पर: अगर किसी व्यक्ति को करंट लगा है, तो उसे छुएं नहीं. लकड़ी की मदद से उसके आसपास से करंट के स्त्रोत को हटाएं और इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी वस्तु में करंट पास न हो सके.

सीपीआर देने से पहले ध्यान रखें ये चीज

क्या आसपास का वातावरण व्यक्ति के लिए सुरक्षित है? व्यक्ति होश में है या बेहोश है? अगर व्यक्ति बेहोश है, तो उसके कंधे को हिलाकर ऊंची आवाज में पूछें कि क्या वह ठीक है. अगर व्यक्ति जवाब नहीं देता है तो सीपीआर शुरू करने से पहले तुरंत एंबुलेंस बुलाएं.

सीपीआर कैसे देते हैं?

सीपीआर में व्यक्ति की छाती को दबाना और उसे मुंह से सांस देना शामिल होते हैं. बच्चों और बड़ों को सीपीआर देने का तरीका थोड़ा अलग होता है. बड़ों को सीपीआर देने का तरीका एक साल से लेकर किशोरावस्था तक के बच्चों को सीपीआर उसी तरह दिया जाता है जैसे बड़ों को दिया जाता है. हालांकि चार महीने से लेकर एक साल तक के बच्चों को सीपीआर देने का तरीका थोड़ा अलग होता है.

बच्चों को सीपीआर कैसे देते हैं

ज़्यादातर नवजात शिशुओं को "कार्डियक अरेस्ट" होने का कारण डूबना या दम घुटना होता है. अगर आपको पता है कि बच्चे की श्वसन नली में रुकावट के कारण वह सांस नहीं ले पा रहा है, तो दम घुटने के लिए किए जाने वाले फर्स्ट ऐड का उपयोग करें. अगर आपको नहीं पता है कि बच्चा सांस क्यों नहीं ले रहा है तो उसे सीपीआर दें. शिशु की स्थिति को समझें और उसे छूकर उसकी प्रतिक्रिया देखें लेकिन बच्चे को तेजी से हिलाएं नहीं. अगर बच्चा कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है, तो सीपीआर शुरू करें. बच्चे के पास घुटनों के बल बैठें. नवजात शिशु को सीपीआर देने के लिए अपनी दो उंगलियों का इस्तेमाल करें और उसकी छाती को 30 बार दबाएं. उसे 2 बार मुंह से सांस दें. जब तक मदद न आ जाए या बच्चा सांस न लेने लगे या आप बहुत अधिक थक न जाएं या स्थिति असुरक्षित ना हो जाए, तब तक बच्चे को सीपीआर देते रहें.

बड़ों को सीपीआर देने का तरीका

व्यक्ति को एक समतल जगह पर पीठ के बल लिटा दें. व्यक्ति के कन्धों के पास घुटनों के बल बैठ जाएं. अपनी एक हाथ की हथेली को व्यक्ति की छाती के बीच में रखें. दूसरे हाथ की हथेली को पहले हाथ की हथेली के ऊपर रखें. अपनी कोहनी को सीधा रखें और कन्धों को व्यक्ति की छाती के ऊपर सिधाई में रखें. अपने ऊपर के शरीर के वजन का इस्तेमाल करते हुए व्यक्ति की छाती को कम से कम 2 इंच (5 सेंटीमीटर) और ज़्यादा से ज़्यादा 2.5 इंच (6 सेंटीमीटर) तक दबाएं और छोड़ें. एक मिनट में 100 से 120 बार ऐसा करें. अगर आपको सीपीआर देना नहीं आता है, तो व्यक्ति के हिलने डुलने तक या मदद आने तक उसकी छाती दबाते रहें. अगर आपको सीपीआर देना आता है और आपने 30 बार व्यक्ति की छाती को दबाया है, तो उसकी ठोड़ी को उठाएं जिससे उसका सिर पीछे की ओर झुकेगा और उसकी श्वसन नली खुलेगी

सांस देने के तरीके

घायल व्यक्ति को सांस देने के दो तरीके होते हैं, ‘मुंह से मुंह’ में सांस देना और ‘मुंह से नाक’ में सांस देना. अगर व्यक्ति का मुंह बुरी तरह से घायल है और खुल नहीं सकता, तो उसे नाक में सांस दिया जाता है. व्यक्ति की ठोड़ी ऊपर उठाएं और मुंह से सांस देने से पहले व्यक्ति की नाक को बंद करें. पहले एक सेकेंड के लिए व्यक्ति को सांस दें और देखें कि क्या उसकी छाती ऊपर उठ रही है. अगर उठ रही है, तो दूसरी दें. अगर नहीं उठ रही है, तो फिर से व्यक्ति की ठोड़ी ऊपर उठाएं और सांस दें. हर जिम्मेवार नागरिक को इसकी ट्रेनिंग होनी चाहिए. इससे आप बिना किसी दवाई के आपातकालीन स्थिति में बेशकीमती जानें बचा सकते हैं.

ये भी पढ़ें: World Heart Day: हिमाचल के नौजवान का दिल हो रहा कमजोर, 100 में से 33 हार्ट मरीज युवा, डॉक्टर ने बताए 3 मुख्य कारण

ये भी पढ़ें: World Heart Day 2022 : हिमाचल में बढ़ रहे हैं दिल के मरीज, 40 साल तक पहुंचते-पहुंचते क्यों हांफ रहा है दिल ?

Last Updated : Oct 1, 2024, 12:28 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.