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इंटरनेट पर बीमारियों की दवाइयां ढूंढकर सेवन करना हो सकता है जानलेवा! - SOCIALMEDIA AND IMPACT ON HEALTH

दवाओं और बीमारियों के बारे में जानकारी खोजने के लिए इंटरनेट का उपयोग ना करें, यह खतरनाक और जानलेवा हो सकता है. जानें कैसे...

Searching for medicines for diseases on the internet and consuming them can be fatal!
इंटरनेट पर बीमारियों की दवाइयां ढूंढकर सेवन करना हो सकता है जानलेवा! (GETTY IMAGES)
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By ETV Bharat Health Team

Published : March 26, 2025 at 6:51 PM IST

7 Min Read

डिजिटलाइजेशन के इस दौर में लगभग हर तरह की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध है. लोग इसका इस्तेमाल बड़े चाव से कर रहे हैं, लेकिन आज के दौर में जहां लगभग सभी लोग डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही दवाइयों का सेवन करते हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो बीमारियों का इलाज ऑनलाइन खोजते हैं और उन दवाओं का सेवन भी करते हैं, जिसकी वजह से उन्हें कई दूसरी बीमारियां भी हो जाती हैं. डॉक्टर भी मान रहे हैं कि कई बार उनके सामने ऐसे मरीज आए हैं जो इंटरनेट पर दवाओं की जानकारी लेते हैं. ऐसे में ऑनलाइन दवाइयों को खोजना और उनका सेवन करना कितना खतरनाक या नुकसानदेह हो सकता है? देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

एक तरफ प्रदेश के सरकारी और निजी अस्पतालों में मरीजों की भारी भीड़ देखने को मिलती है. वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अस्पताल जाने के बजाय इंटरनेट पर बीमारियों का इलाज खोजते हैं और दवाइयां खा लेते हैं. ऐसा सिर्फ हम नहीं कह रहे बल्कि अस्पतालों में ऐसे मरीजों को देखने वाले डॉक्टर्स कह रहे हैं. डिजिटलाइजेशन के इस दौर में इंटरनेट पर दवाओं की जानकारी आसानी से मिल जाती है. इन दवाओं का इस्तेमाल किस बीमारी के लिए किया जा रहा है, इसकी जानकारी के साथ ही इनके साइड इफेक्ट की जानकारी भी आसानी से मिल जाती है. जिसके चलते कुछ लोग डॉक्टर से सलाह लेने के बजाय ऑनलाइन बीमारियों का इलाज खोजना पसंद करते हैं, लेकिन उन्हें इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ता है.

इंटरनेट पर बीमारियों की दवाइयां ढूंढकर सेवन करना हो सकता है जानलेवा! (ETV Bharat)

वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के देश में दस्तक देने के बाद डिजिटलाइजेशन का दौर शुरू हुआ जो आज लोगों पर हावी हो चुका है. आज लगभग हर चीज डिजिटल हो चुकी है, इसके साथ ही कोविड काल में टेली मेडिसिन की व्यवस्था भी शुरू की गई जो आज भी जारी है. हालांकि, टेली मेडिसिन की सुविधा इंटरनेट पर दवा ढूंढ़कर उसका सेवन करने जितना नुकसानदायक नहीं है. कोरोना काल में पैरासिटामोल 625एमजी की खपत भी काफी बढ़ गई. क्योंकि, उस दौरान यह चलन था कि बुखार है तो पैरासिटामोल की गोली खा लो, लेकिन उस दौरान लोग इस बात पर ध्यान नहीं दे रहे थे कि कई ऐसी बीमारियां हैं जिनमें पैरासिटामोल खाना काफी जानलेवा साबित हो सकता है.

लेकिन जिस तरह से आज के दौर में दवाइयों का चलन बढ़ गया है या यूं कहें कि लोग दवाइयों के बारे में तो बहुत जागरूक हैं लेकिन दवाइयों के इस्तेमाल के बारे में नहीं. क्योंकि आज भी लोग ऑनलाइन दवाइयों को सर्च करके उनका सेवन कर रहे हैं, जबकि होना यह चाहिए कि अस्पतालों में डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही दवाइयों का सेवन किया जाना चाहिए. हालांकि एक अवधारणा यह भी देखने को मिली है कि अगर किसी व्यक्ति को कोई बीमारी है और वही बीमारी किसी दूसरे व्यक्ति को भी हो जाती है तो डॉक्टर के पास जाने की बजाय दूसरे व्यक्ति द्वारा खाई जा रही दवाइयों का सेवन करना ज्यादा आसान होता है.

https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC4988641/

इस पूरे मामले पर दून मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ए.के. पांडे ने कहा कि अगर कोई डॉक्टर टेली कंसल्टेशन के जरिए दवा लेने की सलाह देता है तो उस दवा को लेने में कोई दिक्कत नहीं है. क्योंकि डॉक्टर जो भी दवा लेने की सलाह देगा, वह दवा के फायदे और नुकसान को ध्यान में रखकर ही देगा. लेकिन अगर कोई व्यक्ति गूगल करके या किसी और द्वारा उसी बीमारी के लिए ली जा रही दवा को लेकर दवा लेता है तो उस व्यक्ति को साइड इफेक्ट होने की संभावना ज्यादा होती है.

डॉ. ए.के. पांडे ने कहा कि अलग-अलग दवाओं के अलग-अलग साइड इफेक्ट होते हैं. अगर किसी मरीज को किडनी से जुड़ी समस्या है और वह दर्द निवारक दवा लेता है, तो उसकी किडनी की समस्या और बढ़ सकती है. इसी तरह सांस और दिल से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित मरीजों के लिए भी सभी दवाएं नुकसानदेह साबित हो सकती हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अक्सर ऐसे मरीज देखने को मिलते हैं जो बिना डॉक्टर की सलाह के दवा ले लेते हैं और जब उन्हें दूसरी बीमारियां घेर लेती हैं, तो वे अस्पताल जाते हैं. जब ऐसे मरीजों की मेडिकल हिस्ट्री ली जाती है, तो पता चलता है कि वे डॉक्टर की सलाह के बिना दवा ले रहे थे.

वहीं, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक कुमार ने कहा कि अगर आप ऑनलाइन किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लेंगे तो वह बेहतर दवाइयां लिख सकते हैं, लेकिन ज्यादातर कोशिश यह होनी चाहिए कि डॉक्टर से मिलकर और उनकी जांच के बाद ही डॉक्टर द्वारा दी गई सलाह के आधार पर ही दवाइयां लें. उन्होंने यह भी कहा कि बिना डॉक्टर की सलाह के ऑनलाइन दवाइयां सर्च करके मेडिकल स्टोर से दवाइयां नहीं लेनी चाहिए, क्योंकि यह तरीका हमेशा घातक साबित होगा. डॉ. अशोक ने कहा कि उनके पास ऐसे कई मरीज आते हैं जो मेडिकल स्टोर से दवाइयां लेते हैं, जिसकी वजह से बच्चों को कई बार दूसरी परेशानियां भी हो जाती हैं. कई बच्चे ऐसे सामने आते हैं जिन्हें वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत पड़ती है. खासकर ऐसे मरीजों का इलाज डॉक्टरों के लिए भी बड़ी चुनौती बन जाता है.

तो वहीं, दून मेडिकल चिकित्सालय के सीनियर फिजिशियन डॉ. के. सी. पंत ने बताया कि ऑनलाइन मेडिसिन लेना पूरी तरह से गलत है क्योंकि जब तक डॉक्टर्स मरीज की जांच नहीं कर लेता तब वो की सलाह नहीं दे सकता है. यही वजह है कि टेलीमेडिसिन बहुत अधिक सक्सेस नहीं हुई है. कई बार टेलीमेडिसिन के जरिए मरीजों को सलाह तो दे दी जाती है लेकिन उससे मरीज को काफी नुकसान होता है. साथ ही कहा कि ऑनलाइन मेडिसिन ढूंढना मरीज के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है क्योंकि जब कोई मरीज डॉक्टर्स के पास जाते है तो उनके लक्षणों के ध्यान में रखते हुए अपने ज्ञान और अनुभव से दवाई दी जाती है. लेकिन ऑनलाइन या फिर मेडिकल स्टोर से दवाई लेना खतरनाक हो सकता है.

(डिस्क्लेमर: इस रिपोर्ट में आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी सामान्य जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान करते हैं. आपको इसके बारे में विस्तार से जानना चाहिए और इस विधि या प्रक्रिया को अपनाने से पहले अपने निजी चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.)

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डिजिटलाइजेशन के इस दौर में लगभग हर तरह की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध है. लोग इसका इस्तेमाल बड़े चाव से कर रहे हैं, लेकिन आज के दौर में जहां लगभग सभी लोग डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही दवाइयों का सेवन करते हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो बीमारियों का इलाज ऑनलाइन खोजते हैं और उन दवाओं का सेवन भी करते हैं, जिसकी वजह से उन्हें कई दूसरी बीमारियां भी हो जाती हैं. डॉक्टर भी मान रहे हैं कि कई बार उनके सामने ऐसे मरीज आए हैं जो इंटरनेट पर दवाओं की जानकारी लेते हैं. ऐसे में ऑनलाइन दवाइयों को खोजना और उनका सेवन करना कितना खतरनाक या नुकसानदेह हो सकता है? देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

एक तरफ प्रदेश के सरकारी और निजी अस्पतालों में मरीजों की भारी भीड़ देखने को मिलती है. वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अस्पताल जाने के बजाय इंटरनेट पर बीमारियों का इलाज खोजते हैं और दवाइयां खा लेते हैं. ऐसा सिर्फ हम नहीं कह रहे बल्कि अस्पतालों में ऐसे मरीजों को देखने वाले डॉक्टर्स कह रहे हैं. डिजिटलाइजेशन के इस दौर में इंटरनेट पर दवाओं की जानकारी आसानी से मिल जाती है. इन दवाओं का इस्तेमाल किस बीमारी के लिए किया जा रहा है, इसकी जानकारी के साथ ही इनके साइड इफेक्ट की जानकारी भी आसानी से मिल जाती है. जिसके चलते कुछ लोग डॉक्टर से सलाह लेने के बजाय ऑनलाइन बीमारियों का इलाज खोजना पसंद करते हैं, लेकिन उन्हें इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ता है.

इंटरनेट पर बीमारियों की दवाइयां ढूंढकर सेवन करना हो सकता है जानलेवा! (ETV Bharat)

वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के देश में दस्तक देने के बाद डिजिटलाइजेशन का दौर शुरू हुआ जो आज लोगों पर हावी हो चुका है. आज लगभग हर चीज डिजिटल हो चुकी है, इसके साथ ही कोविड काल में टेली मेडिसिन की व्यवस्था भी शुरू की गई जो आज भी जारी है. हालांकि, टेली मेडिसिन की सुविधा इंटरनेट पर दवा ढूंढ़कर उसका सेवन करने जितना नुकसानदायक नहीं है. कोरोना काल में पैरासिटामोल 625एमजी की खपत भी काफी बढ़ गई. क्योंकि, उस दौरान यह चलन था कि बुखार है तो पैरासिटामोल की गोली खा लो, लेकिन उस दौरान लोग इस बात पर ध्यान नहीं दे रहे थे कि कई ऐसी बीमारियां हैं जिनमें पैरासिटामोल खाना काफी जानलेवा साबित हो सकता है.

लेकिन जिस तरह से आज के दौर में दवाइयों का चलन बढ़ गया है या यूं कहें कि लोग दवाइयों के बारे में तो बहुत जागरूक हैं लेकिन दवाइयों के इस्तेमाल के बारे में नहीं. क्योंकि आज भी लोग ऑनलाइन दवाइयों को सर्च करके उनका सेवन कर रहे हैं, जबकि होना यह चाहिए कि अस्पतालों में डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही दवाइयों का सेवन किया जाना चाहिए. हालांकि एक अवधारणा यह भी देखने को मिली है कि अगर किसी व्यक्ति को कोई बीमारी है और वही बीमारी किसी दूसरे व्यक्ति को भी हो जाती है तो डॉक्टर के पास जाने की बजाय दूसरे व्यक्ति द्वारा खाई जा रही दवाइयों का सेवन करना ज्यादा आसान होता है.

https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC4988641/

इस पूरे मामले पर दून मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ए.के. पांडे ने कहा कि अगर कोई डॉक्टर टेली कंसल्टेशन के जरिए दवा लेने की सलाह देता है तो उस दवा को लेने में कोई दिक्कत नहीं है. क्योंकि डॉक्टर जो भी दवा लेने की सलाह देगा, वह दवा के फायदे और नुकसान को ध्यान में रखकर ही देगा. लेकिन अगर कोई व्यक्ति गूगल करके या किसी और द्वारा उसी बीमारी के लिए ली जा रही दवा को लेकर दवा लेता है तो उस व्यक्ति को साइड इफेक्ट होने की संभावना ज्यादा होती है.

डॉ. ए.के. पांडे ने कहा कि अलग-अलग दवाओं के अलग-अलग साइड इफेक्ट होते हैं. अगर किसी मरीज को किडनी से जुड़ी समस्या है और वह दर्द निवारक दवा लेता है, तो उसकी किडनी की समस्या और बढ़ सकती है. इसी तरह सांस और दिल से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित मरीजों के लिए भी सभी दवाएं नुकसानदेह साबित हो सकती हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अक्सर ऐसे मरीज देखने को मिलते हैं जो बिना डॉक्टर की सलाह के दवा ले लेते हैं और जब उन्हें दूसरी बीमारियां घेर लेती हैं, तो वे अस्पताल जाते हैं. जब ऐसे मरीजों की मेडिकल हिस्ट्री ली जाती है, तो पता चलता है कि वे डॉक्टर की सलाह के बिना दवा ले रहे थे.

वहीं, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक कुमार ने कहा कि अगर आप ऑनलाइन किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लेंगे तो वह बेहतर दवाइयां लिख सकते हैं, लेकिन ज्यादातर कोशिश यह होनी चाहिए कि डॉक्टर से मिलकर और उनकी जांच के बाद ही डॉक्टर द्वारा दी गई सलाह के आधार पर ही दवाइयां लें. उन्होंने यह भी कहा कि बिना डॉक्टर की सलाह के ऑनलाइन दवाइयां सर्च करके मेडिकल स्टोर से दवाइयां नहीं लेनी चाहिए, क्योंकि यह तरीका हमेशा घातक साबित होगा. डॉ. अशोक ने कहा कि उनके पास ऐसे कई मरीज आते हैं जो मेडिकल स्टोर से दवाइयां लेते हैं, जिसकी वजह से बच्चों को कई बार दूसरी परेशानियां भी हो जाती हैं. कई बच्चे ऐसे सामने आते हैं जिन्हें वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत पड़ती है. खासकर ऐसे मरीजों का इलाज डॉक्टरों के लिए भी बड़ी चुनौती बन जाता है.

तो वहीं, दून मेडिकल चिकित्सालय के सीनियर फिजिशियन डॉ. के. सी. पंत ने बताया कि ऑनलाइन मेडिसिन लेना पूरी तरह से गलत है क्योंकि जब तक डॉक्टर्स मरीज की जांच नहीं कर लेता तब वो की सलाह नहीं दे सकता है. यही वजह है कि टेलीमेडिसिन बहुत अधिक सक्सेस नहीं हुई है. कई बार टेलीमेडिसिन के जरिए मरीजों को सलाह तो दे दी जाती है लेकिन उससे मरीज को काफी नुकसान होता है. साथ ही कहा कि ऑनलाइन मेडिसिन ढूंढना मरीज के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है क्योंकि जब कोई मरीज डॉक्टर्स के पास जाते है तो उनके लक्षणों के ध्यान में रखते हुए अपने ज्ञान और अनुभव से दवाई दी जाती है. लेकिन ऑनलाइन या फिर मेडिकल स्टोर से दवाई लेना खतरनाक हो सकता है.

(डिस्क्लेमर: इस रिपोर्ट में आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी सामान्य जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान करते हैं. आपको इसके बारे में विस्तार से जानना चाहिए और इस विधि या प्रक्रिया को अपनाने से पहले अपने निजी चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.)

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