प्रीडायबिटीज एक ऐसी स्थिति है जहां आपका ब्लड शुगर लेवल सामान्य से अधिक होता है, लेकिन इतना ज्यादा नहीं कि उसे डायबिटीज कहा जा सके, यह टाइप 2 डायबिटीज होने से पहले की एक चेतावनी है. साफ शब्दों में समझे तो प्रीडायबिटीज को Type 2 diabetes हाई रिस्क के रूप में परिभाषित किया जा सकता है. Prediabetes से पीड़ित लोगों में स्ट्रोक, दिल का दौरा, परिधीय न्यूरोपैथी (नसों की क्षति) और रेटिनोपैथी का खतरा भी अधिक होता है.
अगर कोई व्यक्ति रेनियमित रूप से अपने पैरों में झुनझुनी, जलन, सुन्नता और दर्द का अनुभव कर रहे हैं, तो आप प्रीडायबिटिक हो सकते हैं. यह एक संकेत है कि आपके शरीर में इंसुलिन का स्तर बढ़ रहा है, हैदराबाद के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कुमार ने कहा कि प्रीडायबिटीज को सामान्य से अधिक ब्लड शुगर के स्तर की उपस्थिति और Type 2 Diabetes के विकास के हाई रिस्क के रूप में परिभाषित किया जा सकता है.

जानिए प्रीडायबिटिज के लक्षण क्या हैं...
पैरों और टांगों में झुनझुनी..
पैरों और टांगों में झुनझुनी या सुन्नता डायबिटीज से पीड़ित लोगों में एक आम लक्षण है, जिसे डायबिटिक न्यूरोपैथी कहा जाता है. अगर शरीर में शुगर का लेवल बढ़ता है, तो यह सबसे पहले पैरों की नसों को नुकसान पहुंचाता है. यही कारण है कि कई लोगों को चुभन और सुन्नपन महसूस होता है. कई बार यह न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का संकेत भी हो सकता है.

चलते समय पैरों में ऐंठन
क्या थोड़ी दूर चलने पर भी आपके पैर सुन्न महसूस होते हैं? यह मधुमेह परिधीय धमनी रोग (diabetic peripheral artery disease) का संकेत हो सकता है. ब्लड शुगर लेवल में बढ़ोतरी के कारण धमनियां संकरी और सख्त हो जाती हैं, जिससे पैरों और टांगों में खून का प्रवाह बाधित होता है. रक्त संचार में कमी के कारण आपकी जांघों या नितंबों में दर्द, सुन्नता या भारीपन महसूस हो सकता है, खासकर चलते समय.

थकान
अगर आप थोड़ी देर चलने के बाद थका हुआ या कमजोर महसूस करते हैं, तो यह ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव का संकेत हो सकता है. इससे पता चलता है कि आपका शरीर ग्लूकोज को प्रभावी ढंग से प्रबंधित नहीं कर रहा है. यह डायबिटीज के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी संकेत है.
पैरों में सूजन
डायबिटीज किडनी की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है, जिसके परिणामस्वरूप पैरों और टखनों में फ्लूइड रिटेंशन होता है, जो सूजन का कारण बनता है. अगर आपके जूते अचानक तंग महसूस होते हैं या टहलने के बाद आपके पैर सूज जाते हैं, तो आपके शरीर में अतिरिक्त फ्लूइड रिटेंशन हो सकता है. नियमित जांच, संतुलित आहार, सक्रिय रहने और तनाव प्रबंधन जैसे निवारक उपाय करके डायबिटीज को प्रभावी ढंग से रोका या नियंत्रित किया जा सकता है.

टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है
डॉ. सुधीर ने आगे कहा कि प्रीडायबिटीज से पीड़ित लोगों में स्ट्रोक, दिल का दौरा, परिधीय न्यूरोपैथी (तंत्रिका क्षति) और रेटिनोपैथी (जिससे दृष्टि हानि हो सकती है) का खतरा भी अधिक होता है. हालांकि, HbA1C नामक एक साधारण ब्लड टेस्ट का उपयोग करके कोई भी व्यक्ति आसानी से अपने शुगर के स्तर का पता लगा सकता है.
डॉ. सुधीर ने कहा कि 5.7 से अधिक HbA1C को प्रीडायबिटीज कहा जाता है. प्रीडायबिटीज के 10 प्रतिशत से अधिक रोगियों को पैरों में झुनझुनी, जलन, सुन्नता और दर्द की समस्या हो सकती है, जिसे प्रीडायबिटिक न्यूरोपैथी कहा जाता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्री-डायबिटीज को जीवनशैली में बदलाव करके और स्वस्थ आदतों को अपनाकर नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा कम हो सकता है.
(डिस्क्लेमर: इस रिपोर्ट में आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी सामान्य जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान करते हैं. आपको इसके बारे में विस्तार से जानना चाहिए और इस विधि या प्रक्रिया को अपनाने से पहले अपने निजी चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.)