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भारत में स्वाइन फ्लू का कहर जारी, 20,000 से अधिक संक्रमित, 347 मौतें, स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से गाइडलाइन जारी - H1N1 CASES IN INDIA

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2024 तक भारत में H1N1 वायरस के कारण होने वाले स्वाइन फ्लू से 20,414 लोग संक्रमित हुए और 347 लोगों...

Health ministry issues guidelines as India witness surge in H1N1 cases
स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी किए दिशा-निर्देश (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Health Team

Published : March 10, 2025 at 6:49 PM IST

Updated : March 10, 2025 at 7:15 PM IST

5 Min Read

देश भर में स्वाइन फ्लू (H1N1) के मामलों में वृद्धि के बाद, स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से होम आइसोलेशन, परीक्षण उपचार और अस्पताल में भर्ती होने के लिए स्क्रीनिंग के दौरान इन्फ्लूएंजा ए H1N1 मामलों के वर्गीकरण पर दिशानिर्देशों का पालन करने को कहा है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने शनिवार को ईटीवी भारत को बताया कि इन्फ्लूएंजा ए H1N1 मामलों का ऐसा वर्गीकरण निश्चित रूप से स्वास्थ्य अधिकारियों को स्थिति का प्रबंधन करने में मदद करेगा.

ईटीवी भारत के पास मौजूद सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल जनवरी में H1N1 के कारण कम से कम 516 लोग संक्रमित हुए और 6 की मौत हो गई. आंकड़ों के अनुसार, भारत में पिछले पांच वर्षों में 20,414 लोग संक्रमित हुए और 347 लोगों की मृत्यु हुई, और दिल्ली, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और राजस्थान जैसे राज्य मामलों में वृद्धि से गंभीर रूप से प्रभावित हुए.

केरल में H1N1 वायरस के कारण चार मौतें हुईं, जबकि कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में H1N1 के कारण एक-एक व्यक्ति की मौत हुई. सरकारी आंकड़ों के अनुसार दिसंबर 2024 तक भारत में H1N1 वायरस के कारण होने वाले स्वाइन फ्लू से 20,414 लोग संक्रमित हुए और 347 लोगों की मौत हो गई. संक्रमण लगातार बढ़ रहा है और राष्ट्रीय राजधानी में 3,141 मामले दर्ज किए गए हैं.

अन्य राज्यों में भी मौसमी इन्फ्लूएंजा ए (H1N1) वायरस के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है, जो मनुष्यों, पक्षियों और सूअरों को संक्रमित कर सकता है. इनमें केरल में 2,846 मामले, महाराष्ट्र में 2,027 मामले, गुजरात में 1,711 मामले, तमिलनाडु में 1,777 मामले और राजस्थान में 1,149 मामले शामिल हैं. मामलों में वृद्धि के बाद, स्वास्थ्य मंत्रालय बढ़ते इन्फ्लूएंजा मामलों पर कड़ी नजर रख रहा है और एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के माध्यम से प्रवृत्ति की निगरानी कर रहा है.

प्रसिद्ध स्वास्थ्य विशेषज्ञ और इंटरनेशनल फेडरेशन फॉर इमरजेंसी मेडिसिन में क्लिनिकल प्रैक्टिस कमेटी के अध्यक्ष डॉ. तामोरिश कोले ने ईटीवी भारत से कहा कि भारत में आमतौर पर जनवरी से मार्च तक इन्फ्लूएंजा के मामलों में मौसमी वृद्धि देखी जाती है, जो अगस्त से अक्टूबर तक जारी रहती है. देश में वर्तमान में इन्फ्लूएंजा के सबसे प्रमुख उपप्रकार इन्फ्लूएंजा ए (H1N1 ) और इसके उपप्रकार एच3एन2 हैं.

सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, फ्लू जैसे लक्षणों के लिए परामर्श चाहने वाले सभी व्यक्तियों की सरकारी और निजी दोनों स्वास्थ्य सुविधाओं में जांच की जानी चाहिए या उपचार की क्लासिफिकेशन सिस्टम के साथ डॉक्टर द्वारा जांच की जानी चाहिए...

क्लासिफिकेशन सिस्टम कुछ इस प्रकार है...

फर्स्ट स्टेप

  • हल्के बुखार के साथ खांसी, गले में दर्द, शरीर में दर्द, सिरदर्द, दस्त और उल्टी के साथ या बिना इस सिम्पटम्स वाले मरीजों को कैटेगरी-A में रखा जाएगा. उन्हें ओसेल्टामिविर की आवश्यकता नहीं है और उन्हें ऊपर बताए गए लक्षणों के लिए इलाज किया जाना चाहिए. मरीजों की प्रगति की निगरानी की जानी चाहिए और डॉक्टर द्वारा 24 से 48 घंटों में फिर से मूल्यांकन किया जाना चाहिए.
  • रोगी की H1N1 के लिए कोई जांच आवश्यक नहीं है.
  • मरीजों को स्वयं को घर तक ही सीमित रखना चाहिए तथा सार्वजनिक स्थानों पर जाने वाले लोगों तथा परिवार के हाई रिस्क वाले सदस्यों से मिलने-जुलने से बचना चाहिए.

सकेंड स्टेप

1. कैटेगरी-A के तहत उल्लिखित सभी संकेतों और लक्षणों के अलावा, यदि रोगी को तेज बुखार और गले में गंभीर खराश है, तो उसे होम आइसोलेशन और ओसेल्टामिविर की आवश्यकता हो सकती है.

2. कैटेगरी-A के अंतर्गत उल्लिखित सभी संकेतों और लक्षणों के अतिरिक्त, निम्नलिखित हाई रिस्क स्थितियों में से एक या अधिक वाले व्यक्तियों का ओसेल्टामिविर से उपचार किया जाएगा

  • ऐसे बच्चे जिनमें हल्की बीमारी है लेकिन रिस्क फैक्टर्स पहले से मौजूद हैं.
  • प्रेग्नेंट औरत.
  • 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्ति.
  • फेफड़े के रोग, हृदय रोग, लीवर रोग, किडनी की बीमारी, ब्लड डिसऑर्डर, डायबिटीज, तंत्रिका संबंधी विकार, कैंसर और एचआईवी या एड्स से पीड़ित रोगी.
  • दीर्घकालिक कॉर्टिसोन चिकित्सा पर रोगी.
  • कैटेगरी-बी (1) और (2) के लिए एच1एन1 के लिए कोई परीक्षण आवश्यक नहीं है.
  • कैटेगरी-B (i) और (ii) के सभी रोगियों को स्वयं को घर तक ही सीमित रखना चाहिए तथा सार्वजनिक स्थानों पर जाने तथा परिवार के उच्च जोखिम वाले सदस्यों से मिलने-जुलने से बचना चाहिए.

थर्ड स्टेप

कैटेगरी-A और B के उपरोक्त संकेतों और लक्षणों के अतिरिक्त, यदि रोगी में निम्नलिखित में से एक या अधिक लक्षण हों, जैसे कि...

  • सांस फूलना, सीने में दर्द, उनींदापन, रक्तचाप में गिरावट, खून मिला हुआ बलगम, नाखूनों का नीला पड़ना.
  • इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी से ग्रस्त बच्चे जिनमें गंभीर बीमारी हो, जो लाल झंडी वाले लक्षणों (तंद्रा, तेज और लगातार बुखार, ठीक से भोजन न कर पाना, ऐंठन, सांस फूलना, सांस लेने में कठिनाई आदि) से प्रकट होती हो.
  • अंतर्निहित दीर्घकालिक स्थितियों का बिगड़ना.

श्रेणी-सी में उल्लिखित सभी रोगियों को परीक्षण, तत्काल अस्पताल में भर्ती और उपचार की आवश्यकता होती है.

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देश भर में स्वाइन फ्लू (H1N1) के मामलों में वृद्धि के बाद, स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से होम आइसोलेशन, परीक्षण उपचार और अस्पताल में भर्ती होने के लिए स्क्रीनिंग के दौरान इन्फ्लूएंजा ए H1N1 मामलों के वर्गीकरण पर दिशानिर्देशों का पालन करने को कहा है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने शनिवार को ईटीवी भारत को बताया कि इन्फ्लूएंजा ए H1N1 मामलों का ऐसा वर्गीकरण निश्चित रूप से स्वास्थ्य अधिकारियों को स्थिति का प्रबंधन करने में मदद करेगा.

ईटीवी भारत के पास मौजूद सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल जनवरी में H1N1 के कारण कम से कम 516 लोग संक्रमित हुए और 6 की मौत हो गई. आंकड़ों के अनुसार, भारत में पिछले पांच वर्षों में 20,414 लोग संक्रमित हुए और 347 लोगों की मृत्यु हुई, और दिल्ली, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और राजस्थान जैसे राज्य मामलों में वृद्धि से गंभीर रूप से प्रभावित हुए.

केरल में H1N1 वायरस के कारण चार मौतें हुईं, जबकि कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में H1N1 के कारण एक-एक व्यक्ति की मौत हुई. सरकारी आंकड़ों के अनुसार दिसंबर 2024 तक भारत में H1N1 वायरस के कारण होने वाले स्वाइन फ्लू से 20,414 लोग संक्रमित हुए और 347 लोगों की मौत हो गई. संक्रमण लगातार बढ़ रहा है और राष्ट्रीय राजधानी में 3,141 मामले दर्ज किए गए हैं.

अन्य राज्यों में भी मौसमी इन्फ्लूएंजा ए (H1N1) वायरस के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है, जो मनुष्यों, पक्षियों और सूअरों को संक्रमित कर सकता है. इनमें केरल में 2,846 मामले, महाराष्ट्र में 2,027 मामले, गुजरात में 1,711 मामले, तमिलनाडु में 1,777 मामले और राजस्थान में 1,149 मामले शामिल हैं. मामलों में वृद्धि के बाद, स्वास्थ्य मंत्रालय बढ़ते इन्फ्लूएंजा मामलों पर कड़ी नजर रख रहा है और एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के माध्यम से प्रवृत्ति की निगरानी कर रहा है.

प्रसिद्ध स्वास्थ्य विशेषज्ञ और इंटरनेशनल फेडरेशन फॉर इमरजेंसी मेडिसिन में क्लिनिकल प्रैक्टिस कमेटी के अध्यक्ष डॉ. तामोरिश कोले ने ईटीवी भारत से कहा कि भारत में आमतौर पर जनवरी से मार्च तक इन्फ्लूएंजा के मामलों में मौसमी वृद्धि देखी जाती है, जो अगस्त से अक्टूबर तक जारी रहती है. देश में वर्तमान में इन्फ्लूएंजा के सबसे प्रमुख उपप्रकार इन्फ्लूएंजा ए (H1N1 ) और इसके उपप्रकार एच3एन2 हैं.

सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, फ्लू जैसे लक्षणों के लिए परामर्श चाहने वाले सभी व्यक्तियों की सरकारी और निजी दोनों स्वास्थ्य सुविधाओं में जांच की जानी चाहिए या उपचार की क्लासिफिकेशन सिस्टम के साथ डॉक्टर द्वारा जांच की जानी चाहिए...

क्लासिफिकेशन सिस्टम कुछ इस प्रकार है...

फर्स्ट स्टेप

  • हल्के बुखार के साथ खांसी, गले में दर्द, शरीर में दर्द, सिरदर्द, दस्त और उल्टी के साथ या बिना इस सिम्पटम्स वाले मरीजों को कैटेगरी-A में रखा जाएगा. उन्हें ओसेल्टामिविर की आवश्यकता नहीं है और उन्हें ऊपर बताए गए लक्षणों के लिए इलाज किया जाना चाहिए. मरीजों की प्रगति की निगरानी की जानी चाहिए और डॉक्टर द्वारा 24 से 48 घंटों में फिर से मूल्यांकन किया जाना चाहिए.
  • रोगी की H1N1 के लिए कोई जांच आवश्यक नहीं है.
  • मरीजों को स्वयं को घर तक ही सीमित रखना चाहिए तथा सार्वजनिक स्थानों पर जाने वाले लोगों तथा परिवार के हाई रिस्क वाले सदस्यों से मिलने-जुलने से बचना चाहिए.

सकेंड स्टेप

1. कैटेगरी-A के तहत उल्लिखित सभी संकेतों और लक्षणों के अलावा, यदि रोगी को तेज बुखार और गले में गंभीर खराश है, तो उसे होम आइसोलेशन और ओसेल्टामिविर की आवश्यकता हो सकती है.

2. कैटेगरी-A के अंतर्गत उल्लिखित सभी संकेतों और लक्षणों के अतिरिक्त, निम्नलिखित हाई रिस्क स्थितियों में से एक या अधिक वाले व्यक्तियों का ओसेल्टामिविर से उपचार किया जाएगा

  • ऐसे बच्चे जिनमें हल्की बीमारी है लेकिन रिस्क फैक्टर्स पहले से मौजूद हैं.
  • प्रेग्नेंट औरत.
  • 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्ति.
  • फेफड़े के रोग, हृदय रोग, लीवर रोग, किडनी की बीमारी, ब्लड डिसऑर्डर, डायबिटीज, तंत्रिका संबंधी विकार, कैंसर और एचआईवी या एड्स से पीड़ित रोगी.
  • दीर्घकालिक कॉर्टिसोन चिकित्सा पर रोगी.
  • कैटेगरी-बी (1) और (2) के लिए एच1एन1 के लिए कोई परीक्षण आवश्यक नहीं है.
  • कैटेगरी-B (i) और (ii) के सभी रोगियों को स्वयं को घर तक ही सीमित रखना चाहिए तथा सार्वजनिक स्थानों पर जाने तथा परिवार के उच्च जोखिम वाले सदस्यों से मिलने-जुलने से बचना चाहिए.

थर्ड स्टेप

कैटेगरी-A और B के उपरोक्त संकेतों और लक्षणों के अतिरिक्त, यदि रोगी में निम्नलिखित में से एक या अधिक लक्षण हों, जैसे कि...

  • सांस फूलना, सीने में दर्द, उनींदापन, रक्तचाप में गिरावट, खून मिला हुआ बलगम, नाखूनों का नीला पड़ना.
  • इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी से ग्रस्त बच्चे जिनमें गंभीर बीमारी हो, जो लाल झंडी वाले लक्षणों (तंद्रा, तेज और लगातार बुखार, ठीक से भोजन न कर पाना, ऐंठन, सांस फूलना, सांस लेने में कठिनाई आदि) से प्रकट होती हो.
  • अंतर्निहित दीर्घकालिक स्थितियों का बिगड़ना.

श्रेणी-सी में उल्लिखित सभी रोगियों को परीक्षण, तत्काल अस्पताल में भर्ती और उपचार की आवश्यकता होती है.

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Last Updated : March 10, 2025 at 7:15 PM IST
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