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क्या ज्वार की रोटी खाने से ब्लड शुगर कम होता है? इसमें कितनी सच्चाई है? जानें क्या कहते हैं डॉक्टर - IS JOWAR GOOD FOR DIABETES

ब्लड शुगर लेवल बढ़ ना जाए इसलिए क्या आप चावल और गेहूं की रोटी छोड़कर ज्वार की रोटी खा रहे हैं? तो पढ़ें यह खबर...

Does eating jowar roti reduce blood sugar?
क्या ज्वार की रोटी खाने से ब्लड शुगर कम होता है? (GETTY IMAGES)
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By ETV Bharat Health Team

Published : March 18, 2025 at 2:16 PM IST

6 Min Read

जीवनशैली में बदलाव और खानपान की गलत आदतों के कारण लोग कम उम्र में ही डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं. डायबिटीज होने पर खान-पान और डाइट पैटर्न पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है. ऐसा न करने पर ब्लड शुगर लेवल काफी बढ़ जाता है, जिससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ऐसे में आज इस खबर के माध्यम से जानें कि क्या ज्वार की रोटी सचमुच ब्लड शुगर लेवल को कम करती है? ऐसा माना जाता है कि इन्हें खाने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है. इस बात में कितनी सच्चाई है एक्सपर्ट से जानें...

वरिष्ठ डायबिटीज रोग विशेषज्ञ डॉ. पीवी राव का कहना है कि ज्वार की रोटी डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है. यह एक मध्यम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली साबुत अनाज की रोटी होती है और इसमें फाइबर, विटामिन और खनिज भरपूर मात्रा में होते हैं. हाई फाइबर सामग्री ब्लड फ्लो में ग्लूकोज अवशोषण को धीमा करने में मदद करती है, जो ब्लड शुगर लेवल को प्रबंधित करने में मदद करती है. ज्वार में एंटीऑक्सीडेंट भी भरपूर मात्रा में होते हैं, जो डायबिटीज से संबंधित सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं.

Does eating jowar roti reduce blood sugar?
क्या ज्वार की रोटी खाने से ब्लड शुगर कम होता है? (GETTY IMAGES)

वरिष्ठ डायबिटीज रोग विशेषज्ञ डॉ. पीवी राव के मुताबिक चावल जल्दी पच जाता है इसके कारण इसे खाने वाले लोगों में ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है. अगर डायबिटीज मरीज गेहूं की रोटी भी खाते हैं, तो भी शुगर लेवल वही रहता है. लेकिन डायबिटीज वाले लोग अगर ज्वार, रागी, साजा, अलसी, क्विनोआ, ओट्स आदि की रोटी खाते हैं, तो इन्हे पचने में थोड़ा समय लगता है. नतीजतन, डायबिटीज मरीजों का ब्लड शुगर लेवल उतनी जल्दी नहीं बढ़ता जितना जल्दी चावल या गेहूं की रोटी खाने से बढ़ता है.

वरिष्ठ डायबिटीज रोग विशेषज्ञ डॉ. पीवी राव का कहना है कि ज्वार को डायबिटीज रोगियों के भोजन में शामिल किया जाने वाला एक आइडल अनाज माना जाता है , क्योंकि इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स में मीडियम होती है. टैनिन से भरपूर ज्वार का चोकर ऐसे एंजाइम स्रावित करता है जो शरीर में शुगर और स्टार्च के अवशोषण को कम करने की क्षमता रखते हैं. इस प्रकार ज्वार शरीर में ग्लूकोज के स्तर और इंसुलिन संवेदनशीलता को नियंत्रित करता है, जिससे डायबिटीज को बेहतर तरीके से नियंत्रित करने में मदद मिलती है. इसके अलावा, फाइबर, थायमिन, नियासिन, राइबोफ्लेविन और फोलेट से भरपूर ज्वार गैस्ट्रिक खाली करने में देरी करता है, रक्तप्रवाह में ग्लूकोज की रिहाई और अवशोषण को धीमा करता है और ब्लड शुगर के स्पाइक्स को रोकता है. नियमित रूप से ज्वार की रोटी खाने से हेपेटिक ग्लुकोनियोजेनेसिस को कम किया जा सकता है.

Does eating jowar roti reduce blood sugar?
क्या ज्वार की रोटी खाने से ब्लड शुगर कम होता है? (GETTY IMAGES)

ज्वार के अन्य स्वास्थ्य लाभ

  • आंत के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है- ज्वार में भरपूर मात्रा में आहार फाइबर होने के कारण यह पाचन तंत्र के सुचारू संचालन में सहायता करता है. इसके अलावा, ज्वार को नियमित रूप से खाने से पेट फूलना, कब्ज, पेट फूलना, अपच, ऐंठन, दस्त और जठरांत्र संबंधी समस्याओं से बचने में मदद मिल सकती है।
  • कैंसर के खतरे को कम करने में मददगार- ज्वार में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट की मौजूदगी बहुत मूल्यवान है क्योंकि यह कई प्रकार के कैंसर के खतरे को रोकता है. जो लोग ज्वार को मुख्य भोजन के रूप में खाते हैं, उनमें गेहूं या मकई खाने वालों की तुलना में कैंसर होने की संभावना काफी कम होती है, क्योंकि एंटीऑक्सीडेंट कैंसर कोशिकाओं के निर्माण को बढ़ावा देने वाले मुक्त कणों को नष्ट कर देते हैं.
  • हार्ट हेल्थ को लिए फायदेमंद- ज्वार में मौजूद फाइटोकेमिकल्स फिनोल, टैनिन और प्लांट स्टेरोल्स की अच्छाई हाइपोकोलेस्ट्रोलेमिक प्रभाव के लिए जानी जाती है. जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन के अनुसार ज्वार से निकाले गए 10-20 मिलीग्राम पॉलीकोसैनोल एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को काफी हद तक कम कर सकते हैं.
  • एनर्जी बूस्टर- ज्वार में नियासिन या विटामिन बी3 भरपूर मात्रा में पाया जाता है , नियासिन एक आवश्यक पोषक तत्व है जो शरीर में एनर्जी के चयापचय में एक महत्वपूर्ण घटक है. आहार में ज्वार को शामिल करने से चयापचय बढ़ता है और पूरे दिन एनर्जी का स्तर बढ़ता है.
  • हड्डियों को मजबूत बनाता है- ज्वार में मैग्नीशियम की भरपूर मात्रा कैल्शियम अवशोषण को बढ़ाने में सहायता करती है, जो कैल्शियम के स्तर को बनाए रखने और हड्डियों के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करती है.
  • हीमोग्लोबिन लेवल में सुधार करता है- ज्वार में जरूरी मिनरल्स, आयरन और कॉपर होते हैं जो शरीर में ब्लड फ्लो और सर्कुलेशन को बेहतर बनाने के लिए मिलकर काम करते हैं.
  • वजन घटाने में मददगार- अगर आप वाकई एक्स्ट्रा फैट कम करने की कोशिश कर रहे हैं, तो अपने डाइट में ज्वार को शामिल करना शुरू करें

ग्लाइसेमिक इंडेक्स क्या है?
विशेषज्ञों का कहना है कि ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) यह मापता है कि कोई खाद्य पदार्थ आपके रक्त शर्करा (ग्लूकोज) को कितनी तेजी से बढ़ सकता है. केवल कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों में जीआई होता है. तेल, फैट और मांस जैसे खाद्य पदार्थों में जीआई नहीं होता है, हालांकि डायबिटीज वाले लोगों में, वे ब्लड शुगर को प्रभावित कर सकते हैं. आम तौर पर, कम जीआई वाले खाद्य पदार्थ आपके शरीर में ग्लूकोज को धीरे-धीरे बढ़ते हैं. वहीं हाई जीआई वाले खाद्य पदार्थ ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ते हैं. यदि जीआई 56-69 के बीच है, तो इसे मध्यम ग्लाइसेमिक इंडेक्स माना जाता है, और यदि यह 70 से ऊपर है, तो इसे हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स माना जाता है.

(डिस्क्लेमर: इस रिपोर्ट में आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी सामान्य जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान करते हैं. आपको इसके बारे में विस्तार से जानना चाहिए और इस विधि या प्रक्रिया को अपनाने से पहले अपने निजी चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.)

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जीवनशैली में बदलाव और खानपान की गलत आदतों के कारण लोग कम उम्र में ही डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं. डायबिटीज होने पर खान-पान और डाइट पैटर्न पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है. ऐसा न करने पर ब्लड शुगर लेवल काफी बढ़ जाता है, जिससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ऐसे में आज इस खबर के माध्यम से जानें कि क्या ज्वार की रोटी सचमुच ब्लड शुगर लेवल को कम करती है? ऐसा माना जाता है कि इन्हें खाने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है. इस बात में कितनी सच्चाई है एक्सपर्ट से जानें...

वरिष्ठ डायबिटीज रोग विशेषज्ञ डॉ. पीवी राव का कहना है कि ज्वार की रोटी डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है. यह एक मध्यम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली साबुत अनाज की रोटी होती है और इसमें फाइबर, विटामिन और खनिज भरपूर मात्रा में होते हैं. हाई फाइबर सामग्री ब्लड फ्लो में ग्लूकोज अवशोषण को धीमा करने में मदद करती है, जो ब्लड शुगर लेवल को प्रबंधित करने में मदद करती है. ज्वार में एंटीऑक्सीडेंट भी भरपूर मात्रा में होते हैं, जो डायबिटीज से संबंधित सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं.

Does eating jowar roti reduce blood sugar?
क्या ज्वार की रोटी खाने से ब्लड शुगर कम होता है? (GETTY IMAGES)

वरिष्ठ डायबिटीज रोग विशेषज्ञ डॉ. पीवी राव के मुताबिक चावल जल्दी पच जाता है इसके कारण इसे खाने वाले लोगों में ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है. अगर डायबिटीज मरीज गेहूं की रोटी भी खाते हैं, तो भी शुगर लेवल वही रहता है. लेकिन डायबिटीज वाले लोग अगर ज्वार, रागी, साजा, अलसी, क्विनोआ, ओट्स आदि की रोटी खाते हैं, तो इन्हे पचने में थोड़ा समय लगता है. नतीजतन, डायबिटीज मरीजों का ब्लड शुगर लेवल उतनी जल्दी नहीं बढ़ता जितना जल्दी चावल या गेहूं की रोटी खाने से बढ़ता है.

वरिष्ठ डायबिटीज रोग विशेषज्ञ डॉ. पीवी राव का कहना है कि ज्वार को डायबिटीज रोगियों के भोजन में शामिल किया जाने वाला एक आइडल अनाज माना जाता है , क्योंकि इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स में मीडियम होती है. टैनिन से भरपूर ज्वार का चोकर ऐसे एंजाइम स्रावित करता है जो शरीर में शुगर और स्टार्च के अवशोषण को कम करने की क्षमता रखते हैं. इस प्रकार ज्वार शरीर में ग्लूकोज के स्तर और इंसुलिन संवेदनशीलता को नियंत्रित करता है, जिससे डायबिटीज को बेहतर तरीके से नियंत्रित करने में मदद मिलती है. इसके अलावा, फाइबर, थायमिन, नियासिन, राइबोफ्लेविन और फोलेट से भरपूर ज्वार गैस्ट्रिक खाली करने में देरी करता है, रक्तप्रवाह में ग्लूकोज की रिहाई और अवशोषण को धीमा करता है और ब्लड शुगर के स्पाइक्स को रोकता है. नियमित रूप से ज्वार की रोटी खाने से हेपेटिक ग्लुकोनियोजेनेसिस को कम किया जा सकता है.

Does eating jowar roti reduce blood sugar?
क्या ज्वार की रोटी खाने से ब्लड शुगर कम होता है? (GETTY IMAGES)

ज्वार के अन्य स्वास्थ्य लाभ

  • आंत के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है- ज्वार में भरपूर मात्रा में आहार फाइबर होने के कारण यह पाचन तंत्र के सुचारू संचालन में सहायता करता है. इसके अलावा, ज्वार को नियमित रूप से खाने से पेट फूलना, कब्ज, पेट फूलना, अपच, ऐंठन, दस्त और जठरांत्र संबंधी समस्याओं से बचने में मदद मिल सकती है।
  • कैंसर के खतरे को कम करने में मददगार- ज्वार में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट की मौजूदगी बहुत मूल्यवान है क्योंकि यह कई प्रकार के कैंसर के खतरे को रोकता है. जो लोग ज्वार को मुख्य भोजन के रूप में खाते हैं, उनमें गेहूं या मकई खाने वालों की तुलना में कैंसर होने की संभावना काफी कम होती है, क्योंकि एंटीऑक्सीडेंट कैंसर कोशिकाओं के निर्माण को बढ़ावा देने वाले मुक्त कणों को नष्ट कर देते हैं.
  • हार्ट हेल्थ को लिए फायदेमंद- ज्वार में मौजूद फाइटोकेमिकल्स फिनोल, टैनिन और प्लांट स्टेरोल्स की अच्छाई हाइपोकोलेस्ट्रोलेमिक प्रभाव के लिए जानी जाती है. जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन के अनुसार ज्वार से निकाले गए 10-20 मिलीग्राम पॉलीकोसैनोल एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को काफी हद तक कम कर सकते हैं.
  • एनर्जी बूस्टर- ज्वार में नियासिन या विटामिन बी3 भरपूर मात्रा में पाया जाता है , नियासिन एक आवश्यक पोषक तत्व है जो शरीर में एनर्जी के चयापचय में एक महत्वपूर्ण घटक है. आहार में ज्वार को शामिल करने से चयापचय बढ़ता है और पूरे दिन एनर्जी का स्तर बढ़ता है.
  • हड्डियों को मजबूत बनाता है- ज्वार में मैग्नीशियम की भरपूर मात्रा कैल्शियम अवशोषण को बढ़ाने में सहायता करती है, जो कैल्शियम के स्तर को बनाए रखने और हड्डियों के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करती है.
  • हीमोग्लोबिन लेवल में सुधार करता है- ज्वार में जरूरी मिनरल्स, आयरन और कॉपर होते हैं जो शरीर में ब्लड फ्लो और सर्कुलेशन को बेहतर बनाने के लिए मिलकर काम करते हैं.
  • वजन घटाने में मददगार- अगर आप वाकई एक्स्ट्रा फैट कम करने की कोशिश कर रहे हैं, तो अपने डाइट में ज्वार को शामिल करना शुरू करें

ग्लाइसेमिक इंडेक्स क्या है?
विशेषज्ञों का कहना है कि ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) यह मापता है कि कोई खाद्य पदार्थ आपके रक्त शर्करा (ग्लूकोज) को कितनी तेजी से बढ़ सकता है. केवल कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों में जीआई होता है. तेल, फैट और मांस जैसे खाद्य पदार्थों में जीआई नहीं होता है, हालांकि डायबिटीज वाले लोगों में, वे ब्लड शुगर को प्रभावित कर सकते हैं. आम तौर पर, कम जीआई वाले खाद्य पदार्थ आपके शरीर में ग्लूकोज को धीरे-धीरे बढ़ते हैं. वहीं हाई जीआई वाले खाद्य पदार्थ ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ते हैं. यदि जीआई 56-69 के बीच है, तो इसे मध्यम ग्लाइसेमिक इंडेक्स माना जाता है, और यदि यह 70 से ऊपर है, तो इसे हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स माना जाता है.

(डिस्क्लेमर: इस रिपोर्ट में आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी सामान्य जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान करते हैं. आपको इसके बारे में विस्तार से जानना चाहिए और इस विधि या प्रक्रिया को अपनाने से पहले अपने निजी चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.)

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