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जद्दनबाई के यहां सजती थी ठुमरी की महफिल, बिहार की इस हवेली से है संजय दत्त-नरगिस का संबंध - JADDANBAI STORY

बिहार के गया में हिंदी सिनेमा की पहली महिला संगीतकार जद्दनबाई की हवेली में हर शाम गीत संगीत की महफिल सजती थी. जानिए दिलचस्प कहानी

Jaddanbai Story
गया में जद्दनबाई की हवेली (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : April 8, 2025 at 2:47 PM IST

7 Min Read

गया: बिहार के गया में बॉलीवुड स्टार संजय दत्त की नानी की हवेली आज भी मौजूद है. पंचायती अखाड़ा में डायट परिसर में मौजूद यह हवेली अब खंडहर में तब्दील हो चुकी है, लेकिन आज भी ये संजय दत्त की नानी मशहूर अदाकारा जद्दनबाई की यादों को ताजा करती है. 8 अप्रैल को पुण्यतिथि के मौके पर एक बार फिर से लोग जद्दनबाई की कलाकारी और उनके संघर्ष से लेकर सफलता तक की कहानी को याद कर रहे हैं.

गया में संजय दत्त की नानी की हवेली: जद्दनबाई देश की काफी प्रसिद्ध नर्तकी-गायिका रह चुकी हैं. जद्दनबाई फिल्म अभिनेता संजय दत्त की नानी और नरगिस की मां थीं. आज भी गया में उनके नाम की हवेली मौजूद है. कहा जाता है कि इस हवेली में रईसों की महफिल सजती थी.

देखें वीडियो (ETV Bharat)

जद्दनबाई की हवेली मन्नत मांगने आते हैं लोग: हवेली में जद्दनबाई की ठुमरी गायन और नृत्य के एक से बढ़कर एक कद्रदान आते थे. जद्दनबाई बहुमुखी प्रतिभा की धनी थीं. गायिका, लेखिका, डायरेक्टर और एक्ट्रेस के रूप में उनकी पहचान थी. लोगों का मानना है कि यहां खड़े होकर कोई भी मन्नत मांगने से पूरी होती है.

जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हवेली: संजय दत्त की नानी जद्दनबाई के महल की प्रसिद्धी इतनी है, कि इसे देखने न सिर्फ देश के राज्यों से लोग आते हैं, बल्कि इनकी कलाकारी की मुरीद रहे पीढ़ी के लोग विदेशों से भी आते हैं. कुछ लोग जद्दनबाई के महल का जीर्णोद्धार कर संगीत विद्यालय खोलने की बात करते हैं, ताकि महल का अस्तित्व भी बना रहे. वहीं, कुछ इस धरोहर को संरक्षित कर रखे जाने की मांग कर रहे हैं. हर किसी को इस हवेली से लगाव है.

Jaddanbai Story
जद्दनबाई की हवेली (ETV Bharat)

'देखते-देखते जर्जर हो गई ये विरासत': डायट में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के रूप में काम करने वाली उर्मिला देवी बताती है, कि वर्ष 1986 से महल को देख रही हैं. देखभाल भी कर रही हैं. तब यह महल काफी सुंदर था, लेकिन धीरे-धीरे इसकी हालत जीर्ण शीर्ण हो गई है. इसे बचा लिया जाता तो अच्छा होता. जद्दनबाई के इस महल में राजा रजवाड़े उनके ठुमरी गायन संगीत को देखने सुनने आते थे. आज इस महल को देखने विदेश से भी लोग आते हैं.

"हम लोग जबसे देख रहे हैं इसी हालत में है. संजय दत्त भी देख कर गए थे. लेकिन कुछ नहीं हुआ है. ये हवेली टूटने वाली है. नापी- जोखी सब हो गया है. कोई इस ओर ध्यान नहीं देता है."- उर्मिला देवी, डायट से जुड़ी महिला

खतरे में हवेली का अस्तित्व: नरगिस की मां और संजय दत्त की नानी जद्दनबाई के इस महस को आज तक सुरक्षित करने की पहल नहीं की. नतीजतन जद्दनबाई का यह महल आने वाले समय में जमींदोज हो जाएगा, इसकी पूरी संभावना है. अब तो यहां निर्माण कार्य भी बड़े पैमाने पर हो रहे हैं.

कई भवनों के निर्माण की रूपरेखा तैयार: सरकार द्वारा नए योजना के तहत करीब 9.5 करोड़ की राशि से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तहत शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए कई भवन बनाने की रूपरेखा भी तैयार कर ली गई है. इसके पहले भी महल के चारों ओर कई नए भवनों का निर्माण हो चुका है. ताबड़तोड़ निर्माण को देखते हुए यह कहा जा सकता है, कि इस महल का अस्तित्व अब खतरे में आ गया है.

Jaddanbai Story
कई भवनों के निर्माण की रूपरेखा तैयार (ETV Bharat)

'अनमोल है ये धरोहर': स्थानीय आकाश कुमार शर्मा का कहना है कि यह अनमोल धरोहर है. इसे संरक्षित करने की आवश्यकता है. यहां पर्यटन की भी संभावनाएं हैं. क्योंकि देश की प्रसिद्ध ठुमरी गायन, नृत्यांगना, अभिनेत्री, संगीतकार जद्दनबाई का यह महल है. इस धरोहर को संजोने की जरूरत है.

"यह बहुत पुराना है. संजय दत्त एक बार आए थे, तब कहा था कि मेरा ननिहाल है. सरकार को इस विरासत को बचाना चाहिए. इसे म्यूजियम का रूप दिया जा सकता है. विदेशों से भी लोग जद्दनबाई की इस हवेली को देखने के लिए आते हैं."- आकाश कुमार शर्म, स्थानीय निवासी

संजय दत्त को है विशेष लगाव: सिने स्टार संजय दत्त कई बार कह चुके हैं, कि उन्हें गया से बड़ा लगाव है. गया में उनका ननिहाल भी है. अपनी नानी जद्दनबाई के महल को देखने संजय दत्त गया डायट को भी आ चुके हैं. हालांकि, गया डायट में रहे नानी जद्दनबाई के महल को संरक्षित करने की दिशा में उन्होंने ठोस प्रयास नहीं किया. नतीजतन आज जद्दनबाई का महल जर्जर और जीर्ण शीर्ण हालत में आ गया है.

नृत्य के थे सभी थे कायल: संजय दत्त की नानी का पूरा नाम जद्दनबाई हुसैन था. उनका जन्म 1892 में बनारस में हुआ था. जद्दनबाई हुसैन फिल्म अभिनेता संजय दत्त की नानी और नरगिस की मां थीं. जानकारों के अनुसार जद्दनबाई की मां दलीपबाई तवायफ थी और जद्दनबाई को विरासत में संगीत और नृत्य मिली थी. जब वह नृत्य करती थीं, तो राजा रजवाड़े मंत्र मुग्ध हो जाते थे.

जफर नवाब ने किया था गिफ्ट: गया घराने से जुड़े पंडित राजेंद्र सिजुआर शास्त्रीय उप शास्त्रीय गायकी से संबंध रखते हैं और जद्दनबाई के बारे में काफी जानकारी रखते हैं. पंडित सिजुआर का कहना है कि जद्दनबाई को जफर नवाब ने ये हवेली दी थी.

"जफर नवाब बड़े संगीत प्रेमी थे. यही कारण है कि जफर की हवेलियों के बीच में जद्दनबाई की हवेली आज भी मौजूद है. जफर नवाब ने जद्दनबाई को ये महल दिया था."- पंडित राजेंद्र सिजुआर, शास्त्रीय गायक

बनारस, कोलकाता और गया से रिश्ता: जद्दनबाई का लगाव बनारस से लेकर गया तक से रहा. हालांकि जद्दनबाई के इतिहास में गया से जुड़े तथ्यों को गंभीरता से अब तक रेखांकित नहीं किया गया, लेकिन जानकार कई तथ्यों को उजागर करते हैं. उनका मानना है कि संजय दत्त की नानी का बनारस और कोलकाता के साथ ही बिहार के गया से भी रिश्ता रहा है.

जद्दनबाई का बनारस में हुआ था जन्म: बता दें कि जद्दनबाई का जन्म 1892 में बनारस में हुआ था.बनारस और कोलकाता के साथ ही गया भी उस दौर में संगीत का बड़ा केंद्र था. इसका प्रमाण शहर में स्थित जद्दनबाई की हवेली है. नरगीस की मां जद्दनबाई गया घराना से ताल्लुक रखती थीं. उनके ठुमरी गायन और नृत्य के कद्र करने वाले रईस, प्रसिद्ध राजा रजवाड़े के वंशज भी थे. 8 अप्रैल 1949 को जद्दनबाई ने कैंसर से जंग लड़ते हुए दुनिया को अलविदा कह दिया.

गया आ चुके हैं संजय दत्त: पिछले साल जनवरी 2024 में संजय दत्त गया आए थे. गया में विष्णुपद पहुंचकर उन्होंने अपने पिता सुनील दत्त और मां नरगिस का पिंडदान किया था. फल्गु, भगवान विष्णु चरण और सीता साक्षी अक्षयवट में पिंडदान का कर्मकांड उन्होंने पूरा किया था.

अपने ननिहाल पर दे चुके हैं बयान: संजय दत्त भी अपने ननिहाल को लेकर प्रतिक्रिया दे चुके हैं और कहते भी रहे हैं, कि गया से मेरा गहरा नाता है. गया हमारा ननिहाल है. इसका बड़ा उदाहरण जद्दनबाई की हवेली है, जो आज भी मौजूद है. इस हवेली की देख-देख उनकी बेटी नरगिस ने काफी समय तक की.

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संजय दत्त ने गया में पिता सुनील दत्त और माता नरगिस का किया पिंडदान, विष्णुपद में की पूजा अर्चना

गया: बिहार के गया में बॉलीवुड स्टार संजय दत्त की नानी की हवेली आज भी मौजूद है. पंचायती अखाड़ा में डायट परिसर में मौजूद यह हवेली अब खंडहर में तब्दील हो चुकी है, लेकिन आज भी ये संजय दत्त की नानी मशहूर अदाकारा जद्दनबाई की यादों को ताजा करती है. 8 अप्रैल को पुण्यतिथि के मौके पर एक बार फिर से लोग जद्दनबाई की कलाकारी और उनके संघर्ष से लेकर सफलता तक की कहानी को याद कर रहे हैं.

गया में संजय दत्त की नानी की हवेली: जद्दनबाई देश की काफी प्रसिद्ध नर्तकी-गायिका रह चुकी हैं. जद्दनबाई फिल्म अभिनेता संजय दत्त की नानी और नरगिस की मां थीं. आज भी गया में उनके नाम की हवेली मौजूद है. कहा जाता है कि इस हवेली में रईसों की महफिल सजती थी.

देखें वीडियो (ETV Bharat)

जद्दनबाई की हवेली मन्नत मांगने आते हैं लोग: हवेली में जद्दनबाई की ठुमरी गायन और नृत्य के एक से बढ़कर एक कद्रदान आते थे. जद्दनबाई बहुमुखी प्रतिभा की धनी थीं. गायिका, लेखिका, डायरेक्टर और एक्ट्रेस के रूप में उनकी पहचान थी. लोगों का मानना है कि यहां खड़े होकर कोई भी मन्नत मांगने से पूरी होती है.

जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हवेली: संजय दत्त की नानी जद्दनबाई के महल की प्रसिद्धी इतनी है, कि इसे देखने न सिर्फ देश के राज्यों से लोग आते हैं, बल्कि इनकी कलाकारी की मुरीद रहे पीढ़ी के लोग विदेशों से भी आते हैं. कुछ लोग जद्दनबाई के महल का जीर्णोद्धार कर संगीत विद्यालय खोलने की बात करते हैं, ताकि महल का अस्तित्व भी बना रहे. वहीं, कुछ इस धरोहर को संरक्षित कर रखे जाने की मांग कर रहे हैं. हर किसी को इस हवेली से लगाव है.

Jaddanbai Story
जद्दनबाई की हवेली (ETV Bharat)

'देखते-देखते जर्जर हो गई ये विरासत': डायट में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के रूप में काम करने वाली उर्मिला देवी बताती है, कि वर्ष 1986 से महल को देख रही हैं. देखभाल भी कर रही हैं. तब यह महल काफी सुंदर था, लेकिन धीरे-धीरे इसकी हालत जीर्ण शीर्ण हो गई है. इसे बचा लिया जाता तो अच्छा होता. जद्दनबाई के इस महल में राजा रजवाड़े उनके ठुमरी गायन संगीत को देखने सुनने आते थे. आज इस महल को देखने विदेश से भी लोग आते हैं.

"हम लोग जबसे देख रहे हैं इसी हालत में है. संजय दत्त भी देख कर गए थे. लेकिन कुछ नहीं हुआ है. ये हवेली टूटने वाली है. नापी- जोखी सब हो गया है. कोई इस ओर ध्यान नहीं देता है."- उर्मिला देवी, डायट से जुड़ी महिला

खतरे में हवेली का अस्तित्व: नरगिस की मां और संजय दत्त की नानी जद्दनबाई के इस महस को आज तक सुरक्षित करने की पहल नहीं की. नतीजतन जद्दनबाई का यह महल आने वाले समय में जमींदोज हो जाएगा, इसकी पूरी संभावना है. अब तो यहां निर्माण कार्य भी बड़े पैमाने पर हो रहे हैं.

कई भवनों के निर्माण की रूपरेखा तैयार: सरकार द्वारा नए योजना के तहत करीब 9.5 करोड़ की राशि से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तहत शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए कई भवन बनाने की रूपरेखा भी तैयार कर ली गई है. इसके पहले भी महल के चारों ओर कई नए भवनों का निर्माण हो चुका है. ताबड़तोड़ निर्माण को देखते हुए यह कहा जा सकता है, कि इस महल का अस्तित्व अब खतरे में आ गया है.

Jaddanbai Story
कई भवनों के निर्माण की रूपरेखा तैयार (ETV Bharat)

'अनमोल है ये धरोहर': स्थानीय आकाश कुमार शर्मा का कहना है कि यह अनमोल धरोहर है. इसे संरक्षित करने की आवश्यकता है. यहां पर्यटन की भी संभावनाएं हैं. क्योंकि देश की प्रसिद्ध ठुमरी गायन, नृत्यांगना, अभिनेत्री, संगीतकार जद्दनबाई का यह महल है. इस धरोहर को संजोने की जरूरत है.

"यह बहुत पुराना है. संजय दत्त एक बार आए थे, तब कहा था कि मेरा ननिहाल है. सरकार को इस विरासत को बचाना चाहिए. इसे म्यूजियम का रूप दिया जा सकता है. विदेशों से भी लोग जद्दनबाई की इस हवेली को देखने के लिए आते हैं."- आकाश कुमार शर्म, स्थानीय निवासी

संजय दत्त को है विशेष लगाव: सिने स्टार संजय दत्त कई बार कह चुके हैं, कि उन्हें गया से बड़ा लगाव है. गया में उनका ननिहाल भी है. अपनी नानी जद्दनबाई के महल को देखने संजय दत्त गया डायट को भी आ चुके हैं. हालांकि, गया डायट में रहे नानी जद्दनबाई के महल को संरक्षित करने की दिशा में उन्होंने ठोस प्रयास नहीं किया. नतीजतन आज जद्दनबाई का महल जर्जर और जीर्ण शीर्ण हालत में आ गया है.

नृत्य के थे सभी थे कायल: संजय दत्त की नानी का पूरा नाम जद्दनबाई हुसैन था. उनका जन्म 1892 में बनारस में हुआ था. जद्दनबाई हुसैन फिल्म अभिनेता संजय दत्त की नानी और नरगिस की मां थीं. जानकारों के अनुसार जद्दनबाई की मां दलीपबाई तवायफ थी और जद्दनबाई को विरासत में संगीत और नृत्य मिली थी. जब वह नृत्य करती थीं, तो राजा रजवाड़े मंत्र मुग्ध हो जाते थे.

जफर नवाब ने किया था गिफ्ट: गया घराने से जुड़े पंडित राजेंद्र सिजुआर शास्त्रीय उप शास्त्रीय गायकी से संबंध रखते हैं और जद्दनबाई के बारे में काफी जानकारी रखते हैं. पंडित सिजुआर का कहना है कि जद्दनबाई को जफर नवाब ने ये हवेली दी थी.

"जफर नवाब बड़े संगीत प्रेमी थे. यही कारण है कि जफर की हवेलियों के बीच में जद्दनबाई की हवेली आज भी मौजूद है. जफर नवाब ने जद्दनबाई को ये महल दिया था."- पंडित राजेंद्र सिजुआर, शास्त्रीय गायक

बनारस, कोलकाता और गया से रिश्ता: जद्दनबाई का लगाव बनारस से लेकर गया तक से रहा. हालांकि जद्दनबाई के इतिहास में गया से जुड़े तथ्यों को गंभीरता से अब तक रेखांकित नहीं किया गया, लेकिन जानकार कई तथ्यों को उजागर करते हैं. उनका मानना है कि संजय दत्त की नानी का बनारस और कोलकाता के साथ ही बिहार के गया से भी रिश्ता रहा है.

जद्दनबाई का बनारस में हुआ था जन्म: बता दें कि जद्दनबाई का जन्म 1892 में बनारस में हुआ था.बनारस और कोलकाता के साथ ही गया भी उस दौर में संगीत का बड़ा केंद्र था. इसका प्रमाण शहर में स्थित जद्दनबाई की हवेली है. नरगीस की मां जद्दनबाई गया घराना से ताल्लुक रखती थीं. उनके ठुमरी गायन और नृत्य के कद्र करने वाले रईस, प्रसिद्ध राजा रजवाड़े के वंशज भी थे. 8 अप्रैल 1949 को जद्दनबाई ने कैंसर से जंग लड़ते हुए दुनिया को अलविदा कह दिया.

गया आ चुके हैं संजय दत्त: पिछले साल जनवरी 2024 में संजय दत्त गया आए थे. गया में विष्णुपद पहुंचकर उन्होंने अपने पिता सुनील दत्त और मां नरगिस का पिंडदान किया था. फल्गु, भगवान विष्णु चरण और सीता साक्षी अक्षयवट में पिंडदान का कर्मकांड उन्होंने पूरा किया था.

अपने ननिहाल पर दे चुके हैं बयान: संजय दत्त भी अपने ननिहाल को लेकर प्रतिक्रिया दे चुके हैं और कहते भी रहे हैं, कि गया से मेरा गहरा नाता है. गया हमारा ननिहाल है. इसका बड़ा उदाहरण जद्दनबाई की हवेली है, जो आज भी मौजूद है. इस हवेली की देख-देख उनकी बेटी नरगिस ने काफी समय तक की.

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