हैदराबाद: प्रतीक गांधी और पत्रलेखा स्टारर फुले विरोध के बावजूद 25 अप्रैल को आखिरकार रिलीज हो गई है. 'फुले' समाज सुधारक ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले पर आधारित है जिन्होंने समाज में महिलाओं, दलितों और विधवाओं के जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.लेकिन इन सब कामों को करते हुए उन्हें समाज के विरोध का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और समाज के उत्थान के लिए कड़ा संघर्ष करते हुए बेटियों को स्कूल तक पहुंचाया और दलितों को उनका आत्म सम्मान वापस दिलवाया.
नेटिजन्स के सामने आए रिएक्शन
'फुले' 25 अप्रैल को रिलीज हो गई है और फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखने वाले दर्शकों ने इस पर अपने रिएक्शन दे दिए हैं. एक यूजर ने लिखा, 'फिल्म 'फुले' महज एक ऐतिहासिक कहानी नहीं है, बल्कि एक चेतना है जो हमें महात्मा ज्योतिबा फुले और माता सावित्रीबाई फुले द्वारा समाज के लिए किए गए संघर्ष, विचारधारा और बलिदान से जोड़ती है. इस फिल्म के जरिए हम समझ सकते हैं कि उन्होंने किस तरह से इतने मुश्किल हालातों का सामना किया'.
The film 'Phule' is not just a historical story, but a consciousness that connects us with the amazing struggle, ideology and sacrifices made by Mahatma Jyotiba Phule and Mata Savitribai Phule for the society.
— Aarav Gautam (@IAmAarav8) April 25, 2025
Through this film, we can understand how they faced so
1/3 pic.twitter.com/H6ghpyPQBH
Just saw @pratikg80 & #patralekha in @ananthmahadevan ‘ #Phule ! It was gripping and entertaining- the two very fine actors were captivating and told us a very important story- the life of savitribai and mahatma Jyotiba Phule. An important and difficult story to make. Watch it…
— rahul dholakia (@rahuldholakia) April 24, 2025
फिल्म डायरेक्टर और प्रोड्यूसर राहुल ढोलकिया ने लिखा, 'अभी प्रतीक गांधी और पत्रलेखा की फिल्म फुले देखी. दो बेहतरीन कलाकार बहुत ही आकर्षक थे और उन्होंने हमें एक बहुत ही महत्वपूर्ण कहानी सुनाई- सावित्रीबाई और महात्मा ज्योतिबा फुले का जीवन. यह काफी महत्वपूर्ण है इसे सिनेमाघरों में जरूर देखें'.
जाओ, 'फुले' देखो। बच्चों का ज़रूर साथ ले जाना...!
— Pankaj Shukla (@PankajShuklaa) April 25, 2025
⭐⭐⭐ 1/2#AnanthMahadevan#phule #phulemoviereview @pratikg80 @Patralekhaa9 pic.twitter.com/XhTmpdHbbg
एक ने लिखा, 'जाओ, 'फुले' देखो. बच्चों को जरूर साथ ले जाना...' एक यूजर ने कमेंट किया, 'सिनेमा और समाज की आत्मा जिंदा रखने के लिए 'फुले' जैसी फिल्में जरूरी प्रतीक, पत्रलेखा का नेशनल अवॉर्ड विनिंग परफॉर्मेंस'. एक ने लिखा, 'सामाजिक कुरीतियों,अशिक्षा और पाखंडवाद के खिलाफ गरीबों, शोषितों, पीड़ितों, वंचितों, पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं में शिक्षा और जागृति का अलख जगाने वाले महात्मा ज्योतिबा फुले और देश की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के संघर्षों पर आधारित फिल्म'.
सिनेमा और समाज की आत्मा जिंदा रखने के लिए 'फुले' जैसी फिल्में जरूरी
— Alok Kumar Prajapati (@alokkprajapati) April 25, 2025
प्रतीक, पत्रलेखा का नेशनल अवॉर्ड विनिंग परफॉर्मेंस#Phule pic.twitter.com/dwriLU4sZC
फिल्म का हो रहा विरोध
प्रतीक गांधी की फुले पर महाराष्ट्र के ब्राह्मण समुदाय ने आपत्ति जताई जिसकी वजह से इसकी रिलीज को पोस्टपोन कर दिया गया था. पहले यह 11 अप्रैल को रिलीज होने वाली थी. इस मुद्दे को लेकर गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी कल्ट फिल्म देने वाले फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप ने सेंसर बोर्ड को आड़े हाथों लिया था. उन्होंने सवाल उठाए थे कि फिल्म की रिलीज से पहले ही ब्राह्मण समुदाय को कैसे पता चला कि इसमें कुछ गलत है. उन्होंने जातिवाद को लेकर भी सरकार पर सवाल खड़े किए थे.
इसके बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई और लोग दो वर्गों में बंट गए, एक जो फिल्म के पक्ष में और दूसरे जो इसका विरोध कर रहे थे. लेकिन फिल्म से ज्यादा दिलचस्पी लोगों के बीच अनुराग के जाति विशेष पर की गई टिप्पणी में थी. हालांकि उस विवादास्पद कमेंट के बाद अनुराग ने सार्वजनिक तौर पर माफी मांग ली.