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फुले X रिव्यू: प्रतीक-चित्रलेखा की नेशनल अवार्ड विनिंग एक्टिंग, कॉन्ट्रोवर्सी के बीच जानें दर्शकों को कैसी लगी फिल्म - PHULE X REVIEW

कॉन्ट्रोवर्सी के बीच रिलीज हुई फिल्म प्रतीक गांधी-पत्रलेखा स्टारर 'फुले' को देखने से पहले पढ़ें सोशल मीडिया पर दर्शकों के रिएक्शन.

Phule X Review
फुले एक्स रिव्यू (Film Poster)
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By ETV Bharat Entertainment Team

Published : April 25, 2025 at 11:31 AM IST

3 Min Read

हैदराबाद: प्रतीक गांधी और पत्रलेखा स्टारर फुले विरोध के बावजूद 25 अप्रैल को आखिरकार रिलीज हो गई है. 'फुले' समाज सुधारक ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले पर आधारित है जिन्होंने समाज में महिलाओं, दलितों और विधवाओं के जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.लेकिन इन सब कामों को करते हुए उन्हें समाज के विरोध का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और समाज के उत्थान के लिए कड़ा संघर्ष करते हुए बेटियों को स्कूल तक पहुंचाया और दलितों को उनका आत्म सम्मान वापस दिलवाया.

नेटिजन्स के सामने आए रिएक्शन

'फुले' 25 अप्रैल को रिलीज हो गई है और फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखने वाले दर्शकों ने इस पर अपने रिएक्शन दे दिए हैं. एक यूजर ने लिखा, 'फिल्म 'फुले' महज एक ऐतिहासिक कहानी नहीं है, बल्कि एक चेतना है जो हमें महात्मा ज्योतिबा फुले और माता सावित्रीबाई फुले द्वारा समाज के लिए किए गए संघर्ष, विचारधारा और बलिदान से जोड़ती है. इस फिल्म के जरिए हम समझ सकते हैं कि उन्होंने किस तरह से इतने मुश्किल हालातों का सामना किया'.

फिल्म डायरेक्टर और प्रोड्यूसर राहुल ढोलकिया ने लिखा, 'अभी प्रतीक गांधी और पत्रलेखा की फिल्म फुले देखी. दो बेहतरीन कलाकार बहुत ही आकर्षक थे और उन्होंने हमें एक बहुत ही महत्वपूर्ण कहानी सुनाई- सावित्रीबाई और महात्मा ज्योतिबा फुले का जीवन. यह काफी महत्वपूर्ण है इसे सिनेमाघरों में जरूर देखें'.

एक ने लिखा, 'जाओ, 'फुले' देखो. बच्चों को जरूर साथ ले जाना...' एक यूजर ने कमेंट किया, 'सिनेमा और समाज की आत्मा जिंदा रखने के लिए 'फुले' जैसी फिल्में जरूरी प्रतीक, पत्रलेखा का नेशनल अवॉर्ड विनिंग परफॉर्मेंस'. एक ने लिखा, 'सामाजिक कुरीतियों,अशिक्षा और पाखंडवाद के खिलाफ गरीबों, शोषितों, पीड़ितों, वंचितों, पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं में शिक्षा और जागृति का अलख जगाने वाले महात्मा ज्योतिबा फुले और देश की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के संघर्षों पर आधारित फिल्म'.

फिल्म का हो रहा विरोध

प्रतीक गांधी की फुले पर महाराष्ट्र के ब्राह्मण समुदाय ने आपत्ति जताई जिसकी वजह से इसकी रिलीज को पोस्टपोन कर दिया गया था. पहले यह 11 अप्रैल को रिलीज होने वाली थी. इस मुद्दे को लेकर गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी कल्ट फिल्म देने वाले फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप ने सेंसर बोर्ड को आड़े हाथों लिया था. उन्होंने सवाल उठाए थे कि फिल्म की रिलीज से पहले ही ब्राह्मण समुदाय को कैसे पता चला कि इसमें कुछ गलत है. उन्होंने जातिवाद को लेकर भी सरकार पर सवाल खड़े किए थे.

इसके बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई और लोग दो वर्गों में बंट गए, एक जो फिल्म के पक्ष में और दूसरे जो इसका विरोध कर रहे थे. लेकिन फिल्म से ज्यादा दिलचस्पी लोगों के बीच अनुराग के जाति विशेष पर की गई टिप्पणी में थी. हालांकि उस विवादास्पद कमेंट के बाद अनुराग ने सार्वजनिक तौर पर माफी मांग ली.

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नेटिजन्स के सामने आए रिएक्शन

'फुले' 25 अप्रैल को रिलीज हो गई है और फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखने वाले दर्शकों ने इस पर अपने रिएक्शन दे दिए हैं. एक यूजर ने लिखा, 'फिल्म 'फुले' महज एक ऐतिहासिक कहानी नहीं है, बल्कि एक चेतना है जो हमें महात्मा ज्योतिबा फुले और माता सावित्रीबाई फुले द्वारा समाज के लिए किए गए संघर्ष, विचारधारा और बलिदान से जोड़ती है. इस फिल्म के जरिए हम समझ सकते हैं कि उन्होंने किस तरह से इतने मुश्किल हालातों का सामना किया'.

फिल्म डायरेक्टर और प्रोड्यूसर राहुल ढोलकिया ने लिखा, 'अभी प्रतीक गांधी और पत्रलेखा की फिल्म फुले देखी. दो बेहतरीन कलाकार बहुत ही आकर्षक थे और उन्होंने हमें एक बहुत ही महत्वपूर्ण कहानी सुनाई- सावित्रीबाई और महात्मा ज्योतिबा फुले का जीवन. यह काफी महत्वपूर्ण है इसे सिनेमाघरों में जरूर देखें'.

एक ने लिखा, 'जाओ, 'फुले' देखो. बच्चों को जरूर साथ ले जाना...' एक यूजर ने कमेंट किया, 'सिनेमा और समाज की आत्मा जिंदा रखने के लिए 'फुले' जैसी फिल्में जरूरी प्रतीक, पत्रलेखा का नेशनल अवॉर्ड विनिंग परफॉर्मेंस'. एक ने लिखा, 'सामाजिक कुरीतियों,अशिक्षा और पाखंडवाद के खिलाफ गरीबों, शोषितों, पीड़ितों, वंचितों, पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं में शिक्षा और जागृति का अलख जगाने वाले महात्मा ज्योतिबा फुले और देश की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के संघर्षों पर आधारित फिल्म'.

फिल्म का हो रहा विरोध

प्रतीक गांधी की फुले पर महाराष्ट्र के ब्राह्मण समुदाय ने आपत्ति जताई जिसकी वजह से इसकी रिलीज को पोस्टपोन कर दिया गया था. पहले यह 11 अप्रैल को रिलीज होने वाली थी. इस मुद्दे को लेकर गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी कल्ट फिल्म देने वाले फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप ने सेंसर बोर्ड को आड़े हाथों लिया था. उन्होंने सवाल उठाए थे कि फिल्म की रिलीज से पहले ही ब्राह्मण समुदाय को कैसे पता चला कि इसमें कुछ गलत है. उन्होंने जातिवाद को लेकर भी सरकार पर सवाल खड़े किए थे.

इसके बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई और लोग दो वर्गों में बंट गए, एक जो फिल्म के पक्ष में और दूसरे जो इसका विरोध कर रहे थे. लेकिन फिल्म से ज्यादा दिलचस्पी लोगों के बीच अनुराग के जाति विशेष पर की गई टिप्पणी में थी. हालांकि उस विवादास्पद कमेंट के बाद अनुराग ने सार्वजनिक तौर पर माफी मांग ली.

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