हैदराबाद: ऑस्कर नॉमिनेटेड इंडो-अमेरिकन शॉर्ट फिल्म अनुजा 5 फरवरी को ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो चुकी है. फिल्म को 97वें एकेडमी अवार्ड्स में बेस्ट लाइव एक्शन शॉर्ट फिल्म की कैटेगरी के लिए नॉमिनेट किया गया है. 22 मिनट की शॉर्ट फिल्म दर्शकों को खूब पसंद आ रही है. दूसरी तरफ फिल्म देखने के बाद लोगों के मन में एक ही सवाल उठ रहा है कि आखिर अनुजा अपने भविष्य को लेकर क्या फैसला लेती है. क्या वह बोर्डिंग स्कूल का एग्जाम देने जाती है या फिर वह अपनी बहन का फ्यूचर देखते हुए डिसीजन नहीं ले पाती. आइए समझते हैं क्या कहता है अनुजा का क्लाइमैक्स.
फिल्म का नाम | अनुजा |
कलाकार | सजदा पठान, अनन्या शानबाग, नागेश भोंसले गुलशन वालिया |
निर्देशक | एडम जे. ग्रेव्स |
प्रोड्यूसर | गुनीत मुंगा, प्रियंका चोपड़ा, सुचित्रा मित्तल और अन्य |
रन टाइम | 22 मिनट |
क्या है अनुजा की कहानी ?
अनुजा एक 9 साल की बच्ची की कहानी है जो अनाथ है और अपनी बड़ी बहन के साथ रहती है. दोनों बहने एक गारमेंट फैक्ट्री में सिलाई का काम करते हुए अपना गुजारा करती हैं. अनुजा पढ़ाई में काफी होशियार होती है और उसे अपनी किस्मत बदलने का एक बड़ा मौका मिलता है- बोर्डिंग स्कूल में एडमिशन का. जिसके लिए अनुजा को एक एग्जाम देना होगा. लेकिन फैक्ट्री का मालिक उसकी मजबूरी का फायदा उठाते हुए उसे धमकी देता है कि अगर वह एग्जाम देने गई तो वह उसे और उसकी बहन को नौकरी से बेदखल कर देगा. इस बात से अनुजा डर जाती है और अपनी बहन से पूछती है कि बोर्डिंग स्कूल क्या है ? क्या उसकी बहन उसके साथ वहां रह पाएगी? इस पर अनुजा की बहन कहती है कि उसे इन सब बातों की चिंता करने की जरुरत नहीं है उसे बस अपने फ्यूचर पर देना है. एग्जाम वाले दिन अनुजा घर से निकल जाती है लेकिन रास्ते में वह यही सोचती है कि उसे क्या करना है. वह अपनी बहन को दिवार को पीछे छुपकर फैक्ट्री के अंदर जाते हुए देखती है और यही पर फिल्म खत्म हो जाती है. अब आगे अनुजा क्या फैसला लेती है, क्या वह एग्जाम देने जाएगी या नहीं? आइए इसका जवाब जानने की कोशिश करते हैं.
क्या अनुजा बदलती है अपनी किस्मत?
इस क्लाइमैक्स के दो पहलू हो सकते हैं आइए समझने की कोशिश करते हैं आखिर अनुजा ने क्या फैसला लिया?
- इस कहानी की एंडिंग दर्शकों पर छोड़ी गई है कि वे क्या सोचते हैं. इसमें एक पहलू तो ये निकल कर आता है कि अनुजा वो एग्जाम देने गई थी. ऐसा कहने के पीछे दो वजह हैं पहला अनुजा की बहन फिल्म की शुरुआत में एक कहानी सुनाती है जिसमें सेल्फलेस नेवला मारा जाता है. कहानी ये है कि एक कपल अपने बच्चे को पालतू नेवले के भरोसे घर पर छोड़कर जाता है. जब वह वापस लौटता है तो नेवले के मुंह पर खून लगा देखकर बच्चे के पिता नेवले को मार डालते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि नेवले ने उनके बच्चे को मार दिया है. लेकिन जब उनकी पत्नी अंदर जाकर देखती है तो माजरा कुछ और ही होता है क्योंकि असल में नेवले ने सांप को मारा होता है जो बच्चे की जान ले सकता है. इस कहानी से अनुजा प्रभावित हो सकती है और अपने फ्यूचर को ब्राइट बनाने के लिए वह एग्जाम देने का फैसला लेती है. वहीं दूसरा कारण है कि अनुजा का किरदार निभाने वाली सजदा पाठक भी एनजीओ से निकलकर एक्टर बनीं है और मेकर्स ने इसी स्टोरी को फिल्म में पिरोया है. क्योंकि सजदा एक बाल मजदूर थी जिसे सलाम बालक ट्रस्ट ने रेस्क्यू किया था. इसी ट्रस्ट के सहयोग से इस फिल्म को बनाया गया है.
- फिल्म की कहानी का दूसरा पहलू है कि अनुजा एग्जाम देने नहीं जाती. क्योंकि फिल्म अनुजा और उसकी बहन के बीच गहरा कनेक्शन दिखाया गया है. एक सीन में अनुजा अपनी बहन को अखबार में छपा मैट्रिमोनियल एड पढ़कर सुनाती है. जिसमें लिखा होता है कि लड़की महत्वाकांक्षी नहीं होनी चोहिए. इस पर उसकी बहन कहती है कि लड़की महत्वाकांक्षी नहीं होगी तो कौन होगा? वहीं एग्जाम की फीस 400 रुपये होती है और अनुजा की बहन फैक्ट्री से रोज एक बैग चुराकर लाती है और उसे दोनों बहनें मार्केट में बेचकर एग्जाम की फीस जुटाती है. अनुजा को पता होता है कि उसकी बहन उसके लिए कितना कुछ कर रही है और जब उसे पता चलता है कि बोर्डिंग स्कूल में उसकी बहन उसके साथ नहीं होगी तो अनुजा का दिल बैठ जाता है. दूसरी ओर अनुजा को कोई सही रास्ता दिखाने और समझाने वाला भी नहीं होता जिससे वह अपने ब्राइट फ्यूचर को नहीं देख पाती और एग्जाम ना देने का फैसला लेती है.
'अनुजा' की कहानी काफी इमोशनल और दिल जीतने वाली है. अनुजा का किरदार निभाने वाली सजदा की कहानी रियल लाइफ में भी काफी प्रेरणादायक है. बाल मजदूरी से सिर्फ 9 साल की उम्र में ऑस्कर नॉमिनेशन मिलना कोई छोटी बात नहीं.