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भारत में पहली बार होगी मंदिर मैनेजमेंट की पढ़ाई, जानिए क्यों पड़ी इसकी जरूरत? - STUDY OF TEMPLE MANAGEMENT

धार्मिक इकोनॉमी में वृद्धि से मंदिर प्रबंधन की मांग भी बढ़ी. कोर्स में पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक प्रबंधन सिखाया जाएगा.

भारत में पहली बार मंदिर प्रबंधन की पढ़ाई
भारत में पहली बार मंदिर प्रबंधन की पढ़ाई (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : April 26, 2025 at 2:29 PM IST

2 Min Read

वाराणसी: मंदिरों के प्रबंधन में व्याप्त खामियों को दूर करने और युवा पीढ़ी को शास्त्रीय रीति-रिवाजों से अवगत कराने के उद्देश्य से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी ने एक अनूठी पहल की है. विश्वविद्यालय ने मंदिर प्रबंधन में एक सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया है, जो युवा पीढ़ी को मंदिर प्रबंधन के गूढ़ रहस्यों से अवगत कराएगा और साथ ही पुजारियों को आधुनिक प्रबंधन तकनीकों की जानकारी देगा.

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित इस विश्वविद्यालय में छात्रों को संस्कृत भाषा में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलता है. मंदिर प्रबंधन का यह कोर्स मंदिर निर्माण, पुजारियों के लिए पूजा पद्धति, मंदिर वास्तुकला, मूर्ति स्थापना के नियम, मंदिरों का रखरखाव, ड्रेस कोड जैसे विषयों पर केंद्रित होगा.

भारत में पहली बार मंदिर प्रबंधन की पढ़ाई (ETV Bharat)

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि इस कोर्स का उद्देश्य युवाओं को वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ भारतीय संस्कृति से जोड़ना है. उन्होंने कहा कि यह कोर्स मंदिरों से जुड़े युवा पुजारियों को विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा. दो वर्षीय यह कोर्स ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों माध्यमों से उपलब्ध होगा और विश्वविद्यालय ने 15 मई तक रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू कर दी है.

विदेशों में भी है मांग
इस कोर्स को लेकर युवा छात्रों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. स्थानीय स्तर के साथ-साथ विदेशों से भी रजिस्ट्रेशन आ रहे हैं, जिनमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा जैसे देशों के छात्र शामिल हैं. यह एक वर्षीय डिप्लोमा प्रोग्राम है. प्रो. शर्मा ने बताया कि इस कोर्स को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि अक्सर अधूरी जानकारी के साथ मंदिरों में पुजारी पूजा पद्धति के नए नियमों को लागू करते हैं, जिससे कई बार त्रुटियां हो जाती हैं. इस प्रबंधन कोर्स के अध्ययन से उन्हें शास्त्रों में लिखी जानकारी प्राप्त होगी, जिससे उन्हें मंदिर से जुड़ी सभी अवस्थाओं और परंपराओं का ज्ञान होगा और मंदिर में पूजा का कार्य एक दिशा में संचालित होगा.

पाठ्यक्रम के उद्देश्य

  • मंदिरों के प्रबंधन के बारे में जन जागरूकता पैदा करना
  • मंदिर के व्यावहारिक पहलुओं के माध्यम से आम जनता को लाभान्वित करना
  • भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुरूप मंदिरों के वैज्ञानिक और कलात्मक पहलुओं को विश्व पटल पर स्थापित करना
  • सनातन धर्म की विकास यात्रा और जन कल्याण में मंदिरों के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना
  • मंदिरों के प्रबंधन के लिए शास्त्र सम्मत दिशा-निर्देशों की स्थापना

प्रवेश विवरण

  • प्रवेश शुल्क (वार्षिक): ₹ 11,000/-
  • प्रवेश प्रारंभ तिथि: 01-04-2025
  • अंतिम तिथि: 15-05-2025

यह भी पढ़ें- UGC ने विदेशी डिग्रियों की मान्यता के लिए नए नियम अधिसूचित किए, इन प्रोफेशनल्स पर नहीं होगा लागू

वाराणसी: मंदिरों के प्रबंधन में व्याप्त खामियों को दूर करने और युवा पीढ़ी को शास्त्रीय रीति-रिवाजों से अवगत कराने के उद्देश्य से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी ने एक अनूठी पहल की है. विश्वविद्यालय ने मंदिर प्रबंधन में एक सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया है, जो युवा पीढ़ी को मंदिर प्रबंधन के गूढ़ रहस्यों से अवगत कराएगा और साथ ही पुजारियों को आधुनिक प्रबंधन तकनीकों की जानकारी देगा.

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संचालित इस विश्वविद्यालय में छात्रों को संस्कृत भाषा में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलता है. मंदिर प्रबंधन का यह कोर्स मंदिर निर्माण, पुजारियों के लिए पूजा पद्धति, मंदिर वास्तुकला, मूर्ति स्थापना के नियम, मंदिरों का रखरखाव, ड्रेस कोड जैसे विषयों पर केंद्रित होगा.

भारत में पहली बार मंदिर प्रबंधन की पढ़ाई (ETV Bharat)

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि इस कोर्स का उद्देश्य युवाओं को वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ भारतीय संस्कृति से जोड़ना है. उन्होंने कहा कि यह कोर्स मंदिरों से जुड़े युवा पुजारियों को विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा. दो वर्षीय यह कोर्स ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों माध्यमों से उपलब्ध होगा और विश्वविद्यालय ने 15 मई तक रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू कर दी है.

विदेशों में भी है मांग
इस कोर्स को लेकर युवा छात्रों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. स्थानीय स्तर के साथ-साथ विदेशों से भी रजिस्ट्रेशन आ रहे हैं, जिनमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा जैसे देशों के छात्र शामिल हैं. यह एक वर्षीय डिप्लोमा प्रोग्राम है. प्रो. शर्मा ने बताया कि इस कोर्स को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि अक्सर अधूरी जानकारी के साथ मंदिरों में पुजारी पूजा पद्धति के नए नियमों को लागू करते हैं, जिससे कई बार त्रुटियां हो जाती हैं. इस प्रबंधन कोर्स के अध्ययन से उन्हें शास्त्रों में लिखी जानकारी प्राप्त होगी, जिससे उन्हें मंदिर से जुड़ी सभी अवस्थाओं और परंपराओं का ज्ञान होगा और मंदिर में पूजा का कार्य एक दिशा में संचालित होगा.

पाठ्यक्रम के उद्देश्य

  • मंदिरों के प्रबंधन के बारे में जन जागरूकता पैदा करना
  • मंदिर के व्यावहारिक पहलुओं के माध्यम से आम जनता को लाभान्वित करना
  • भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुरूप मंदिरों के वैज्ञानिक और कलात्मक पहलुओं को विश्व पटल पर स्थापित करना
  • सनातन धर्म की विकास यात्रा और जन कल्याण में मंदिरों के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना
  • मंदिरों के प्रबंधन के लिए शास्त्र सम्मत दिशा-निर्देशों की स्थापना

प्रवेश विवरण

  • प्रवेश शुल्क (वार्षिक): ₹ 11,000/-
  • प्रवेश प्रारंभ तिथि: 01-04-2025
  • अंतिम तिथि: 15-05-2025

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