हैदराबाद: सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन (CBSE) ने छात्रों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. बोर्ड ने स्कूलों के लिए एक सर्कुलर जारी किया है जिसके तहत बच्चों को मीठा खाने से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करने के लिए 'शुगर बोर्ड' (Sugar Board) बनाने की सलाह दी गई है. सीबीएसई की इस नई पहल का उद्देश्य बच्चों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है.
क्यों जरूरी है यह पहल?
सीबीएसई का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. पहले यह बीमारी केवल वयस्कों में देखी जाती थी, लेकिन अब बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं. इसका मुख्य कारण है अत्यधिक चीनी का सेवन और जंक फूड की बढ़ती लोकप्रियता. यही कारण है कि ‘शुगर बोर्ड’ की स्थापना की आवश्यकता महसूस हुई. इसका मुख्य लक्ष्य बच्चों को पिज्जा, बर्गर, कोल्ड ड्रिंक्स और प्रोसेस्ड फूड जैसे खाद्य पदार्थों से होने वाली बीमारियों, खासकर डायबिटीज के खतरे से बचाना है

'शुगर बोर्ड' क्या करेगा?
'शुगर बोर्ड' स्कूलों में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करेगा, जिनमें शामिल हैं.
- सेमिनार और वर्कशॉप: स्कूलों में सेमिनार और वर्कशॉप आयोजित किए जाएंगे, जिनमें विशेषज्ञ बच्चों और उनके माता-पिता को अधिक चीनी खाने के नुकसान के बारे में जानकारी देंगे.
- जागरूकता अभियान: स्कूल की दीवारों पर पोस्टर और अन्य जानकारी लगाई जाएगी, जिसमें यह बताया जाएगा कि एक दिन में कितनी चीनी का सेवन करना सुरक्षित है.
- खाद्य पदार्थों में चीनी की मात्रा की जानकारी: लोकप्रिय खाद्य पदार्थों (जैसे चॉकलेट, जूस, कोल्ड ड्रिंक्स) में कितनी चीनी होती है, इसकी जानकारी प्रदान की जाएगी. इससे बच्चों को यह समझने में मदद मिलेगी कि वे कितनी चीनी का सेवन कर रहे हैं.
स्वस्थ आहार पर जोर
'शुगर बोर्ड' बच्चों को स्वस्थ आहार के बारे में भी शिक्षित करेगा. उन्हें सिखाया जाएगा कि स्वस्थ आहार में क्या-क्या शामिल करें और चीनी की आदत को कैसे कम करें. सीबीएसई ने यह भी बताया है कि बच्चों को उनकी उम्र के हिसाब से अधिकतम 5 प्रतिशत कैलोरी ही चीनी से मिलनी चाहिए. हालांकि, आज के बच्चे इससे कई गुना ज्यादा मीठा खा रहे हैं, जो उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.
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