नई दिल्ली: 8वें वेतन आयोग के गठन की अनुमति मिलने के बाद से सैलरी स्ट्रक्चर और पेंशन को लेकर लगातार चर्चाएं हो रही हैं. इस बीच कम्यूटेड पेंशन फिर से बहाल करने की लंबे समय से चली आ रही मांग को लेकर फिर से चर्चा होने लगी है. वर्तमान में यह पेंशन 15 साल बाद बहाल की जाती है, लेकिन कर्मचारी संगठन चाहते हैं कि सरकार इस कम्यूटेशन अवधि 3 साल को घटाकर 12 साल करे.
ऐसे में 8वें वेतन आयोग की घोषणा के बाद कर्मचारी को सरकार के इस मुद्दे पर विचार करने की उम्मीद है. फिलहाल सरकार वेतन आयोग की शर्तें तय करने की प्रक्रिया में लगी है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस के मुताबिक कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स का कहना है कि सरकार लगातार उनकी मांगों की अनदेखी कर रही है.
क्या हैं कर्मचारियों की मांगें?
- ट्रेड यूनियन की मांग है 8वें वेतन आयोग की तत्काल स्थापना की जाए और इसमें कर्मचारियों की मांगों को शामिल किया जाए.
- नई पेंशन योजना (NPS) को खत्म करके ओल्ड पेंशन योजना (OPS) को लागू किया जाए.
- कोविड-19 के दौरान रोके गए महंगाई भत्ते (DA) को तत्काल जारी किया जाए.
- कम्यूटेड पेंशन की बहाली अवधि को घटाकर 12 साल किया जाए.
- रेकमंडेशन नियुक्तियों की सीमा हटाई जाए और रिक्त पदों को भरे जाए.
- संगठनों में लोकतांत्रिक कामकाज सुनिश्चित किया जाए.
क्या है कम्यूटेड पेंशन?
कम्यूटेड पेंशन एक अग्रिम राशि है जो आपको एकमुश्त मिलती है और जिसे आपके कुल पेंशन फंड से काट लिया जाता है.
कम्यूटेड पेंशन को लेकर कर्मचारी क्या बदलाव चाहते हैं?
कर्मचारियों की मांग है कि कम्यूटेड पेंशन की अवधि 15 साल घटाकर 12 साल की जाए, ताकि रिटायर्ड कर्मचारियों को जल्द ही पूरी पेंशन मिल सके. कर्मचारियों का कहना है कि बढ़ती महंगाई और खर्चों को देखते हुए 15 साल की कटौती करना आवश्यक है. इतना ही नहीं कर्मचारी पहले से ही अपनी सर्विस के दौरान टैक्स और कटौतियों का बोझ उठाते हैं. ऐसे में सरकार अगर इन मांगो को मान लेती है तो इससे लाखों रिटायर्ड कर्मचारियों को फायदा मिलेगा.
क्या सोच रही है सरकार?
फिलहाल सरकार की ओर से कम्यूटेशन पेंशन की बहाली अवधि पर कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है. हालांकि, कर्मचारी संगठन सरकार पर दबाव बना रहे हैं और अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे हैं.
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