नई दिल्ली: किसी खास परिस्थिति या इमरजेंसी में पर्सनल लोन काफी काम आता है. बैंक भी अपने ग्राहकों को बड़ी आसानी से पर्सनल लोन मुहैया करवा देता है. आज कल बैंक कुछ ही मिनटों में ग्राहकों पर्सनल लोन देता है. हालांकि, बैंक के लिए पर्सनल लोन देना सबसे ज्यादा अनसिक्योर माना जाता है. ऐसे में ग्राहक की यह जिम्मेदारी बन जाती है कि वह समय पर इसका भुगतान करे.
हालांकि, कई बार ग्राहक किसी कारणवश लोन को चुका नहीं पाता है. ऐसे में बैंक को लोन न चुकाना ग्राहक को महंगा पड़ सकता है. दरअसल, भारत में पर्सनल लोन की अदायगी में चूक के गंभीर वित्तीय और कानूनी परिणाम हो सकते हैं. नियमों के मुताबिक बैंक लोन न चुकाने वाले ग्राहकों पर लीगल एक्शन ले सकता है.
लोन न चुकाने पर क्या लीगल एक्शन हो सकते हैं?
बजाज फिन्सर्व के मुताबिक भारत में पर्सनल लोन डिफॉल्टर के खिलाफ सिविल मुकदमा दायर किया जा सकता है. बैंक पुनर्भुगतान की डिमांड करते हुए ग्राहक के खिलाफ सिविल कोर्ट में केस दर्ज कर सकते हैं. इसके अलावा लोन पे न करने पर डिफॉल्टर की संपत्ति जब्त हो सकती है या उसका वेतन जब्त किया जा सकता है.
क्रेडिट हिस्ट्री पर पड़ सकता है असर
इतना ही नहीं पर्सनल लोन न चुकाने पर ग्राहक के क्रेडिट हिस्ट्री पर भी असर पड़ सकता है. इसे चलते आपको भविष्य में लोन मिलने में मुश्किलें पेश आ सकती हैं. इतना ही नहीं बैंक ग्राहक पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के तहत भी मामला दर्ज करवा सकता है, जिसमें कारावास की सजा का प्रावधान भी शामिल है.
लोन वसूली एजेंसियों का सहारा ले सकती है बैंक
जब बैंक लोन किसी ग्राहक के राशि वसूल नहीं कर पाते हैं,तो वे बकाया राशि वसूलने के लिए लोन वसूली एजेंसियों का सहारा ले सकते हैं. इससे कर्ज लेने वाले को उत्पीड़न का सामना करना पड़ सकता है, जिससे काफी तनाव और चिंता हो सकती है.
पर्सनल लोन डिफॉल्टर के लिए RBI के क्या दिशा-निर्देश है?
भारतीय रिजर्व बैंक पर्सनल लोन के लिए कर्ज वसूली में निष्पक्ष व्यवहार को अनिवार्य करता है. लोन डिफॉल्ट के मामलों में बैंकों के लिए आरबीआई के दिशा-निर्देशों का पालन करना जरूरी है. इसके तहत बैंक को कर्ज लेने वाले ग्राहक को वसूली शुरू करने से पहले नोटिस देना होगा. बैंकों को आरबीआई के तरफ से गाइडलाइंस में उचित और सम्मानजनक कम्यूनिकेशन करने के लिए कहा गया ह और बैंकों को उत्पीड़न से बचने की सलाह दी गई है.