नई दिल्ली: भारत के ऑपरेशन सिंदूर से शुरू हुए कूटनीतिक गतिरोध ने तुर्की के तेजी से बढ़ते डेस्टिनेशन वेडिंग उद्योग को झकझोर कर रख दिया है. पाकिस्तान के लिए तुर्की के सार्वजनिक समर्थन से उपजे आक्रोश के कारण भारतीय वेडिंग प्लानर और परिवारों ने व्यापक बहिष्कार किया है, जिससे लग्जरी टूरिज्म के आधारशिला रहे एक सेगमेंट के खत्म होने का खतरा है.
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार प्रमुख भारतीय विवाह योजना फर्म केस्टोन उत्सव के वरिष्ठ प्रतिनिधि निखिल महाजन ने कहा कि भारतीय विवाह यात्री तुर्की की पर्यटन अर्थव्यवस्था में सालाना 140 मिलियन डॉलर से अधिक का योगदान करते हैं. इस बदलाव का प्रभाव सिस्मिक है.
शादियों के लिए तुर्की पसंदीदा जगह
तुर्की भारतीय जोड़ों के लिए एक पसंदीदा जगह बन गया है, जो किफायती दामों पर विलासिता चाहते हैं. इस्तांबुल के महलों से लेकर बोडरम के तटीय इलाकों तक. अकेले 2024 में, तुर्की ने 50 भव्य भारतीय शादियों की मेजबानी की, जिनमें से प्रत्येक की औसत लागत 3 मिलियन डॉलर थी. और कुछ की तो 8 मिलियन डॉलर तक पहुंच गई. समारोह अक्सर कई दिनों तक चलते हैं और लगभग 500 मेहमान शामिल होते हैं. इन शादियों ने स्थानीय विक्रेताओं और पर्यटन से जुड़े व्यवसायों को काफी बढ़ावा दिया.
तुर्की में भारतीय शादियों का बाजार
उद्योग के आंकड़ों से पता चलता है कि 100 मेहमानों के लिए एक सामान्य भारतीय विवाह पैकेज की कीमत 385,000 डॉलर से शुरू होती है, जो स्थानीय तुर्की शादियों की लागत से कहीं ज्यादा है, जो आमतौर पर 1,600 और 5,400 डॉलर के बीच होती है. तुर्की में भारतीय विवाह बाजार में 2018 में सिर्फ 13 शादियों से लगभग 300 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जो 2024 में 50 हो गई है, जिससे पिछले साल ही लगभग 150 मिलियन डॉलर की कमाई हुई.
तुर्की को 90 मिलियन डॉलर का नुकसान
हालांकि मई 2025 में शुरू हुए राजनीतिक तनाव के कारण पहले ही 2,000 पर्यटक बुकिंग रद्द हो चुकी हैं और 2025 में होने वाली 50 भारतीय शादियों में से 30 खतरे में पड़ गई हैं. प्रत्येक शादी की कीमत लगभग 3 मिलियन डॉलर है. इसलिए रद्दीकरण से तुर्की को 90 मिलियन डॉलर तक का सीधा नुकसान हो सकता है.