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सुप्रीम कोर्ट ने AGR मामले में एयरटेल-वोडाफोन की याचिका को किया खारिज, VI के शेयर 10% टूटे - VODAFONE IDEA SHARE

सर्वोच्च न्यायालय ने आज दूरसंचार क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों का एजीआर बकाया माफ करने की याचिका खारिज कर दी.

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प्रतीकात्मक फोटो (Getty Image)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 19, 2025 at 2:28 PM IST

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को दूरसंचार क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों वोडाफोन, एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज की समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया माफ करने की याचिका खारिज कर दी. न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने याचिकाओं को गलत धारणा वाला बताया है. इस खबर के बाद वोडाफोन आईडिया के शेयर 10 फीसदी तक टूट गए.

वोडाफोन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से पीठ ने कहा कि हमारे समक्ष आई इन याचिकाओं से हम सचमुच स्तब्ध हैं. एक बहुराष्ट्रीय कंपनी से ऐसी अपेक्षा नहीं की जाती. हम इसे खारिज करेंगे.

टॉप अदालत ने दूरसंचार कंपनियों की मदद करने की सरकार की इच्छा के आड़े आने से इनकार कर दिया.

दूरसंचार कंपनियों के याचिकाओं के अनुसार भारती एयरटेल और भारती हेक्साकॉम ने समायोजित सकल राजस्व से संबंधित बकाया में 34,745 करोड़ रुपये की छूट मांगी, जबकि वोडाफोन आइडिया ने 45,457 करोड़ रुपये की छूट मांगी थी.

वोडाफोन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पहले कहा था कि दूरसंचार क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए याचिकाकर्ता फर्म का अस्तित्व महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि हाल ही में ब्याज बकाया के इक्विटी रूपांतरण के बाद अब केंद्र के पास कंपनी में 49 फीसदी हिस्सेदारी है.

कंपनी की याचिका में कहा गया है कि वर्तमान रिट याचिका में फैसले की समीक्षा की मांग नहीं की गई है, बल्कि फैसले के तहत ब्याज, जुर्माना और जुर्माने के ब्याज के भुगतान की कठोरता से छूट मांगी गई है.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को दूरसंचार क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों वोडाफोन, एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज की समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया माफ करने की याचिका खारिज कर दी. न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने याचिकाओं को गलत धारणा वाला बताया है. इस खबर के बाद वोडाफोन आईडिया के शेयर 10 फीसदी तक टूट गए.

वोडाफोन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से पीठ ने कहा कि हमारे समक्ष आई इन याचिकाओं से हम सचमुच स्तब्ध हैं. एक बहुराष्ट्रीय कंपनी से ऐसी अपेक्षा नहीं की जाती. हम इसे खारिज करेंगे.

टॉप अदालत ने दूरसंचार कंपनियों की मदद करने की सरकार की इच्छा के आड़े आने से इनकार कर दिया.

दूरसंचार कंपनियों के याचिकाओं के अनुसार भारती एयरटेल और भारती हेक्साकॉम ने समायोजित सकल राजस्व से संबंधित बकाया में 34,745 करोड़ रुपये की छूट मांगी, जबकि वोडाफोन आइडिया ने 45,457 करोड़ रुपये की छूट मांगी थी.

वोडाफोन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पहले कहा था कि दूरसंचार क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए याचिकाकर्ता फर्म का अस्तित्व महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि हाल ही में ब्याज बकाया के इक्विटी रूपांतरण के बाद अब केंद्र के पास कंपनी में 49 फीसदी हिस्सेदारी है.

कंपनी की याचिका में कहा गया है कि वर्तमान रिट याचिका में फैसले की समीक्षा की मांग नहीं की गई है, बल्कि फैसले के तहत ब्याज, जुर्माना और जुर्माने के ब्याज के भुगतान की कठोरता से छूट मांगी गई है.

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