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इजराइल और ईरान से क्या-क्या आयात करता है भारत, आने वाले दिनों में हो सकता है बदलाव - ISRAEL IRAN TENSIONS

अगर इजराइल-ईरान युद्ध आगे बढ़ता है, तो कच्चे तेल की कीमतें और भी बढ़ सकती हैं, जिसका सीधा असर भारत की आयात लागत पर पड़ेगा.

Israel-Iran tensions
प्रतीकात्मक फोटो (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : June 16, 2025 at 5:15 PM IST

3 Min Read

नई दिल्ली: इजराइल और ईरान के बीच इस समय भयंकर संघर्ष चल रहा है. दोनों देश एक दूसरे पर भारी मिसाइल हमले कर रहे हैं, जिससे दोनों पक्षों में भारी तबाही मची है. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि स्थिति और भी खराब होने की संभावना है और यह पूरे मध्य पूर्व को संघर्ष में घसीट सकता है. अगर युद्ध लंबे समय तक जारी रहता है, तो दोनों देशों के साथ अपने व्यापारिक संबंधों के कारण भारत पर इसका बहुत बुरा असर पड़ सकता है.

भारत ईरान और इजराइल को कई तरह की वस्तुओं का निर्यात करता है और उनसे कई जरूरी वस्तुओं का आयात भी करता है. युद्ध की स्थिति में भारत में कई वस्तुओं की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिल सकता है.

भारत इजराइल से क्या आयात करता है?
भारत एशिया में इजराइल का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और वैश्विक स्तर पर नौवें स्थान पर है. हाल के सालों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में काफी विस्तार हुआ है, खासकर इलेक्ट्रॉनिक मशीनरी, उच्च तकनीक वाले उत्पाद, चिकित्सा उपकरण और संचार प्रणाली जैसे क्षेत्रों में.

  • इलेक्ट्रिसिटी और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण
  • हथियार और गोला-बारूद
  • ऑप्टिकल, फोटो, तकनीकी और चिकित्सा उपकरण
  • फर्टिलाइजर
  • मशीनरी, परमाणु रिएक्टर और बॉयलर
  • एल्यूमीनियम, विविध रासायनिक उत्पाद
  • मोती, कीमती पत्थर, धातु और सिक्के
  • कार्बनिक रसायन
  • आधार धातुओं से बने उपकरण आदि।

भारत ईरान से क्या आयात करता है?
मार्च 2025 में, भारत ने ईरान को 130 मिलियन डॉलर का माल निर्यात किया और 43 मिलियन डॉलर का माल आयात किया. पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में, ईरान को निर्यात 88.1 मिलियन डॉलर से बढ़कर 41.5 मिलियन डॉलर (47.1 फीसदी की बढ़ोतरी) हो गया, जबकि ईरान से आयात 56.2 मिलियन डॉलर से घटकर 13.3 मिलियन डॉलर (23.6 फीसदी की गिरावट) रह गया.

  • जैविक रसायन
  • खाद्य फल, मेवे
  • खनिज ईंधन, तेल
  • नमक, सल्फर, मिट्टी, पत्थर, प्लास्टर, चूना और सीमेंट
  • प्लास्टिक और उनके उत्पाद
  • लोहा और इस्पात
  • गोंद, रेजिन और लाह जैसे वनस्पति उत्पाद

कच्चे तेल में उछाल
भारत अपनी तेल मांग का 85 फीसदी अलग-अलग देशों से आयात के माध्यम से पूरा करता है. भले ही भारत ईरान से सीधे तौर पर बड़ी मात्रा में तेल आयात नहीं करता है, लेकिन वैश्विक तेल उत्पादकों में यह एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना हुआ है.

इजराइल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष ने पहले ही तेल बाजार को अस्त-व्यस्त कर दिया है, जिससे कच्चे तेल की कीमतों में 11 फीसदी से अधिक की तेजी आई है.

अगर युद्ध आगे बढ़ता है, तो कच्चे तेल की कीमतें और भी बढ़ सकती हैं, जिसका सीधा असर भारत की आयात लागत पर पड़ेगा. नतीजतन, भारत में पेट्रोल, डीजल, एलपीजी और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) सहित ईंधन की कीमतों में तेज बढ़ोतरी हो सकती है.

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नई दिल्ली: इजराइल और ईरान के बीच इस समय भयंकर संघर्ष चल रहा है. दोनों देश एक दूसरे पर भारी मिसाइल हमले कर रहे हैं, जिससे दोनों पक्षों में भारी तबाही मची है. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि स्थिति और भी खराब होने की संभावना है और यह पूरे मध्य पूर्व को संघर्ष में घसीट सकता है. अगर युद्ध लंबे समय तक जारी रहता है, तो दोनों देशों के साथ अपने व्यापारिक संबंधों के कारण भारत पर इसका बहुत बुरा असर पड़ सकता है.

भारत ईरान और इजराइल को कई तरह की वस्तुओं का निर्यात करता है और उनसे कई जरूरी वस्तुओं का आयात भी करता है. युद्ध की स्थिति में भारत में कई वस्तुओं की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिल सकता है.

भारत इजराइल से क्या आयात करता है?
भारत एशिया में इजराइल का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और वैश्विक स्तर पर नौवें स्थान पर है. हाल के सालों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में काफी विस्तार हुआ है, खासकर इलेक्ट्रॉनिक मशीनरी, उच्च तकनीक वाले उत्पाद, चिकित्सा उपकरण और संचार प्रणाली जैसे क्षेत्रों में.

  • इलेक्ट्रिसिटी और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण
  • हथियार और गोला-बारूद
  • ऑप्टिकल, फोटो, तकनीकी और चिकित्सा उपकरण
  • फर्टिलाइजर
  • मशीनरी, परमाणु रिएक्टर और बॉयलर
  • एल्यूमीनियम, विविध रासायनिक उत्पाद
  • मोती, कीमती पत्थर, धातु और सिक्के
  • कार्बनिक रसायन
  • आधार धातुओं से बने उपकरण आदि।

भारत ईरान से क्या आयात करता है?
मार्च 2025 में, भारत ने ईरान को 130 मिलियन डॉलर का माल निर्यात किया और 43 मिलियन डॉलर का माल आयात किया. पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में, ईरान को निर्यात 88.1 मिलियन डॉलर से बढ़कर 41.5 मिलियन डॉलर (47.1 फीसदी की बढ़ोतरी) हो गया, जबकि ईरान से आयात 56.2 मिलियन डॉलर से घटकर 13.3 मिलियन डॉलर (23.6 फीसदी की गिरावट) रह गया.

  • जैविक रसायन
  • खाद्य फल, मेवे
  • खनिज ईंधन, तेल
  • नमक, सल्फर, मिट्टी, पत्थर, प्लास्टर, चूना और सीमेंट
  • प्लास्टिक और उनके उत्पाद
  • लोहा और इस्पात
  • गोंद, रेजिन और लाह जैसे वनस्पति उत्पाद

कच्चे तेल में उछाल
भारत अपनी तेल मांग का 85 फीसदी अलग-अलग देशों से आयात के माध्यम से पूरा करता है. भले ही भारत ईरान से सीधे तौर पर बड़ी मात्रा में तेल आयात नहीं करता है, लेकिन वैश्विक तेल उत्पादकों में यह एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना हुआ है.

इजराइल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष ने पहले ही तेल बाजार को अस्त-व्यस्त कर दिया है, जिससे कच्चे तेल की कीमतों में 11 फीसदी से अधिक की तेजी आई है.

अगर युद्ध आगे बढ़ता है, तो कच्चे तेल की कीमतें और भी बढ़ सकती हैं, जिसका सीधा असर भारत की आयात लागत पर पड़ेगा. नतीजतन, भारत में पेट्रोल, डीजल, एलपीजी और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) सहित ईंधन की कीमतों में तेज बढ़ोतरी हो सकती है.

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