नई दिल्ली: केंद्रीय बजट 2024 पेश होने के बाद से ही देश में कैपिटल गेन टैक्स सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रहा है. चाहे रियल एस्टेट हो, सोना हो या स्टॉक, आपको सभी तरह के प्रॉफिट पर कैपिटल गेन टैक्स देना ही पड़ता है. सरकार ने इस तरह के टैक्स के कैलकुलेशन के लिए कई फॉर्मूले भी बनाए हैं और टैक्सपेयर को कई तरह की टैक्स छूट भी दी जाती है.
इन्हीं विकल्पों में से एक है कैपिटल गेन अकाउंट स्कीम (CGAS) है. इस खास तरह के अकाउंट को कैपिटल गेन पर टैक्स से बचने के लिए खोला जाता है, चाहे आपका कैपिटल गेन किसी भी कैटेगरी का हो. आयकर अधिनियम के अनुसार, कैपिटल गेन यानी रियल एस्टेट या सोने से होने वाले लाभ को टैक्स से बचने के लिए सरकार द्वारा सुझाए गए विकल्पों में निर्धारित अवधि के भीतर फिर से निवेश करना चाहिए.
ज्यादातर निवेशक जानते हैं कि उन्हें अपने कैपिटल गेन को फिर से निवेश करना होगा, लेकिन बहुत कम लोग इस अकाउंट के बारे में जानते हैं.
कैसे काम करता है और इसे कैसे खोला जाता है?
आइए जानते हैं कि यह कैसे काम करता है और इसे कैसे खोला जाता है. सरकार ने सबसे पहले इस तरह के अकाउंट की शुरुआत 1988 में की थी. जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं. आयकर अधिनियम के तहत आपको टैक्स बचाने के लिए अपने कैपिटल गेन को निर्धारित अवधि के भीतर फिर से निवेश करना होता है.
इसलिए, अगर आप उस रकम को CGAS खाते में जमा करते हैं, तो यह टैक्स छूट के दायरे में आएगा. बेशक, अगर आप निवेश नहीं करते हैं और इस खाते में जमा नहीं करते हैं, तो आपके द्वारा किए गए लाभ पर कैपिटल प्रॉफिट कर लगाया जाएगा.
निवेशकों के पास टैक्स बचाने का ऑप्शन
आयकर अधिनियम की धारा 54, 54बी, 54डी, 54एफ, 54जी और 54जीए के तहत निवेशकों के पास पूंजीगत लाभ कर बचाने का मौका है. यह धारा मुनाफे पर टैक्स छूट देती है. अगर उसे निर्धारित अवधि के भीतर रीइन्वेस्ट किया जाए और यह मान लिया जाए कि आपको अभी तक लाभ नहीं हुआ है और आपका पैसा अभी भी निवेशित है. जाहिर सी बात है कि यदि आप समय सीमा से चूक जाते हैं, तो आपको भारी नुकसान हो सकता है. यदि आप इस नुकसान से बचना चाहते हैं, तो आप सीजीएएस खाते में पैसा जमा कर सकते हैं. हालांकि, ध्यान रहे कि इस खाते में 10 लाख से अधिक जमा नहीं किया जा सकता है.
सीजीएएस खाता एसबीआई समेत किसी भी लाइन बैंक की किसी भी शाखा में खोला जा सकता है. पैसा नकद, चेक, डीडी या किसी अन्य माध्यम से जमा किया जा सकता है. बैंक दो तरह से खाते खोलते हैं। टाइप ए अकाउंट को बचत खाते की तरह माना जाता है और इस पर ब्याज बचत खाते के समान ही मिलता है. वहीं टाइप बी अकाउंट एफडी की तरह काम करता है. इस पर आपको एफडी के समान ही ब्याज मिलता है, लेकिन लॉक-इन अवधि निश्चित होती है और अधिकतम 3 वर्ष हो सकती है.