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बिगड़ सकता है किचन का बजट, सरकार ने बढ़ाया तेलों का आयात शुल्क - Edible oil import tax hike

Edible oil import tax hike- भारत सरकार ने कच्चे और रिफाइंड एडिबल ऑयल पर लगने वाले इंपोर्ट टैक्स में 20 फीसदी की बढ़ोतरी की है. पाम ऑयल, सोया ऑयल और सूरजमुखी तेल पर सीमा शुल्क बढ़ा दिया है. पढ़ें पूरी खबर...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 14, 2024, 10:16 AM IST

Edible oil import tax hike
तेल (प्रतीकात्मक फोटो) (Getty Image)

नई दिल्ली: सरकार ने भारत ने कच्चे और रिफाइंड एडिबल ऑयल पर बेसिक इंपोर्ट टैक्स में 20 फीसदी की बढ़ोतरी की है. क्योंकि दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य तेल आयातक कम तिलहन कीमतों से जूझ रहे किसानों की मदद करने की कोशिश कर रहा है. इस कदम से खाद्य तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं और मांग कम हो सकती है. इसके परिणामस्वरूप पाम ऑयल, सोया ऑयल और सूरजमुखी तेल की विदेशी खरीद कम हो सकती है.

शुल्क वृद्धि की घोषणा के बाद, शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड सोया तेल में घाटा बढ़ा और इसमें 2 फीसदी से अधिक की गिरावट आई.

अधिसूचना में कहा गया है कि कच्चे पाम तेल, कच्चे सोया तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर 20 फीसदी मूल सीमा शुल्क लगाया. इससे तीनों तेलों पर कुल आयात शुल्क 5.5 फीसदी से बढ़कर 27.5 फीसदी हो जाएगा. क्योंकि वे भारत के कृषि अवसंरचना और विकास उपकर और सामाजिक कल्याण अधिभार के भी अधीन हैं.

रिफाइंड पाम तेल, रिफाइंड सोया तेल और रिफाइंड सूरजमुखी तेल के आयात पर 13.75 फीसदी के पहले के शुल्क के मुकाबले 35.75 फीसदी आयात शुल्क लगेगा.

वनस्पति तेल ब्रोकरेज फर्म सनविन ग्रुप के सीईओ संदीप बाजोरिया ने कहा कि लंबे समय के बाद सरकार उपभोक्ताओं और किसानों दोनों के हितों को संतुलित करने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि इस कदम से किसानों को सोयाबीन और रेपसीड की फसल के लिए सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने की संभावना बढ़ गई है.

घरेलू सोयाबीन की कीमतें लगभग 4,600 रुपये (54.84 डॉलर) ​​प्रति 100 किलोग्राम हैं, जो राज्य द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य 4,892 रुपये से कम है. भारत अपनी वनस्पति तेल की 70 फीसदी से अधिक मांग आयात के माध्यम से पूरी करता है.

यह मुख्य रूप से इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से पाम ऑयल खरीदता है, जबकि यह अर्जेंटीना, ब्राजील, रूस और यूक्रेन से सोया तेल और सूरजमुखी तेल आयात करता है.

एक वैश्विक व्यापार घराने के नई दिल्ली स्थित डीलर ने कहा कि भारत के खाद्य तेल आयात में 50 फीसदी से अधिक पाम तेल शामिल है, इसलिए यह स्पष्ट है कि भारतीय शुल्क बढ़ोतरी का अगले सप्ताह पाम तेल की कीमतों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

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नई दिल्ली: सरकार ने भारत ने कच्चे और रिफाइंड एडिबल ऑयल पर बेसिक इंपोर्ट टैक्स में 20 फीसदी की बढ़ोतरी की है. क्योंकि दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य तेल आयातक कम तिलहन कीमतों से जूझ रहे किसानों की मदद करने की कोशिश कर रहा है. इस कदम से खाद्य तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं और मांग कम हो सकती है. इसके परिणामस्वरूप पाम ऑयल, सोया ऑयल और सूरजमुखी तेल की विदेशी खरीद कम हो सकती है.

शुल्क वृद्धि की घोषणा के बाद, शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड सोया तेल में घाटा बढ़ा और इसमें 2 फीसदी से अधिक की गिरावट आई.

अधिसूचना में कहा गया है कि कच्चे पाम तेल, कच्चे सोया तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर 20 फीसदी मूल सीमा शुल्क लगाया. इससे तीनों तेलों पर कुल आयात शुल्क 5.5 फीसदी से बढ़कर 27.5 फीसदी हो जाएगा. क्योंकि वे भारत के कृषि अवसंरचना और विकास उपकर और सामाजिक कल्याण अधिभार के भी अधीन हैं.

रिफाइंड पाम तेल, रिफाइंड सोया तेल और रिफाइंड सूरजमुखी तेल के आयात पर 13.75 फीसदी के पहले के शुल्क के मुकाबले 35.75 फीसदी आयात शुल्क लगेगा.

वनस्पति तेल ब्रोकरेज फर्म सनविन ग्रुप के सीईओ संदीप बाजोरिया ने कहा कि लंबे समय के बाद सरकार उपभोक्ताओं और किसानों दोनों के हितों को संतुलित करने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि इस कदम से किसानों को सोयाबीन और रेपसीड की फसल के लिए सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने की संभावना बढ़ गई है.

घरेलू सोयाबीन की कीमतें लगभग 4,600 रुपये (54.84 डॉलर) ​​प्रति 100 किलोग्राम हैं, जो राज्य द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य 4,892 रुपये से कम है. भारत अपनी वनस्पति तेल की 70 फीसदी से अधिक मांग आयात के माध्यम से पूरी करता है.

यह मुख्य रूप से इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से पाम ऑयल खरीदता है, जबकि यह अर्जेंटीना, ब्राजील, रूस और यूक्रेन से सोया तेल और सूरजमुखी तेल आयात करता है.

एक वैश्विक व्यापार घराने के नई दिल्ली स्थित डीलर ने कहा कि भारत के खाद्य तेल आयात में 50 फीसदी से अधिक पाम तेल शामिल है, इसलिए यह स्पष्ट है कि भारतीय शुल्क बढ़ोतरी का अगले सप्ताह पाम तेल की कीमतों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

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