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SEBI के नए चेयरमैन की पहली बैठक, जानें आज बैठक के एजेंडे में क्या है? - SEBI BOARD MEET TODAY

नए चेयरमैन तुहिन कांत पांडे के कार्यभार संभालने के बाद यह पहली बोर्ड मीटिंग है.

Sebi board meet today
प्रतीकात्मक फोटो (Getty Image)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : March 24, 2025 at 11:57 AM IST

2 Min Read

मुंबई: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड आज नवनियुक्त अध्यक्ष तुहिन कांत पांडे के नेतृत्व में अपनी पहली बैठक आयोजित करेगा. सभी की निगाहें आज बोर्ड की बैठक में संभावित मुख्य बिंदुओं पर टिकी हैं. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार सेबी बोर्ड हितों के टकराव की रूपरेखा और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए व्यापार मानदंडों को आसान बनाने पर चर्चा कर सकता है. सरकार के स्पष्टीकरण दिए जाने के बाद एफपीआई के बाहर निकलने की कुछ चिंताएं थीं, जिसमें कहा गया था कि एफपीआई को 1 अप्रैल से 10 फीसदी की दर के बजाय 12.5 फीसदी ​​की दर से दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर का भुगतान करना होगा. पिछले 5 महीनों में एफपीआई सेगमेंट ने 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक की इक्विटी बेची है.

आज सेबी की बैठक में एफपीआई पर कर पर चर्चा हो सकती है
शनिवार, 22 मार्च को बिजनेस टुडे के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सेबी के अध्यक्ष ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि मौजूदा कराधान को अस्थिर करने का कोई मतलब नहीं है, और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को इस प्रणाली के साथ रहने की आवश्यकता है. कराधान के मुद्दे पर पांडे ने भारत को दिअ जाने वाले प्रमुख लाभों को सूचीबद्ध किया. दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक, उन्होंने बताया कि बेहतर रिटर्न, स्थिर नीतिगत माहौल और मुद्रास्फीति का नियंत्रण में होना कुछ प्रमुख लाभ हैं. उन्होंने कहा कि उपभोग बढ़ रहा है, और सरकार और निजी कंपनियों दोनों द्वारा पूंजी निर्माण में तेजी आ रही है

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आज सेबी की बैठक में एफपीआई पर कर पर चर्चा हो सकती है
शनिवार, 22 मार्च को बिजनेस टुडे के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सेबी के अध्यक्ष ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि मौजूदा कराधान को अस्थिर करने का कोई मतलब नहीं है, और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को इस प्रणाली के साथ रहने की आवश्यकता है. कराधान के मुद्दे पर पांडे ने भारत को दिअ जाने वाले प्रमुख लाभों को सूचीबद्ध किया. दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक, उन्होंने बताया कि बेहतर रिटर्न, स्थिर नीतिगत माहौल और मुद्रास्फीति का नियंत्रण में होना कुछ प्रमुख लाभ हैं. उन्होंने कहा कि उपभोग बढ़ रहा है, और सरकार और निजी कंपनियों दोनों द्वारा पूंजी निर्माण में तेजी आ रही है

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