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म्यूचुअल फंड में कर रहे हैं निवेश, भूलकर भी न करें ये गलतियां, तभी कमा पाएंगे मोटा पैसा - Mutual Fund SIP

Mutual Fund SIP- इंवेस्टमेंट वो जरिया है जिससे आपका भविष्य सुरक्षित होता है. इसी वजह से लोग निवेश के लिए अलग-अलग जरिया ढूंढते है. ताकि आमदनी बढ़ जाए. ऐसे में अपनी कमाई को बढ़ाने के लिए कई तरह के निवेश पोर्टफोलियो में एड करना चाहिए. तेजी से ग्रोथ के लिए म्यूचुअल फंड एसआईपी काफी चर्चित है. लेकिन निवेश करने से पहले आप इन बातों का जरुर ध्यान रखें. पढ़ें पूरी खबर...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 2, 2024, 6:01 AM IST

Mutual Fund SIP
म्यूचुअल फंड (प्रतीकात्मक फोटो) (Getty Image)

नई दिल्ली: क्या आप भी म्यूचुअल फंड के सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान में निवेश करते है? अगर नहीं करते और करने का सोच रहे है तो ये खबर आपके लिए है. निवेश करने से पहले कुछ बातों को जान लें ताकि आप किसी भी तरह के नुकसानदेह से बच जाएं. लाभदायक निवेश और लाभ कमाने के लिए प्रभावी निर्णय लेना आवश्यक है. निवेश को पूरी समझ होना जरूरी है, जिसमें इसकी सभी विशेषताएं, लाभ, जोखिम और अंतर्निहित संपत्तियां को जान लें.

वेल्थ प्लानर डॉ. पंकज मिश्रा ने बताया कि निवेश के मूल रूप से दो उद्देश्य होते हैं. पहला, सेविंग और दूसरा भविष्य की योजना. जब हम सेविंग के लिए निवेश करते हैं जो हमें यह कोशिश करनी चाहिए कि ऐसे फंड चुने जिसमें जोखिम कम से कम हो. लेकिन, जब हमारे पास भविष्य की कोई योजना होती है मसलन- कार खरीदना, घर खरीदना, बच्चों की पढ़ाई या शादी इत्यादी तो हम अधिक-से-अधिक रिटर्न देने वाले फंड की ओर रूख करते हैं. ऐसे में अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करने का सोच रहे है तो कई अन्य बातों का ध्यान रखना भी जरुरी है.

एसआईपी निवेश कैसे काम करता है?
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स ऑफ इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के अनुसार, एसआईपी जिसमें नियमित अंतराल पर, आमतौर पर मासिक आधार पर, म्यूचुअल फंड स्कीम में एक निश्चित राशि का निवेश करना शामिल है - अधिक से अधिक लोकप्रिय हो रही है.

एसआईपी कैसे काम करती है?

  • म्यूचुअल फंड स्कीम चुनें- अपनी जोखिम सहनशीलता और निवेश उद्देश्यों के आधार पर म्यूचुअल फंड स्कीम चुनें.
  • एसआईपी राशि और फ्रीक्वेंसी चुनें- मासिक निवेश राशि और फ्रीक्वेंसी चुनें जिसे आप करना चाहते हैं.
  • ऑटो-पे- पने बैंक को चयनित तिथि पर अपने खाते से एसआईपी राशि ऑटो रूप से काटने की अनुमति दें.
  • यूनिट को ऑलोकेट- निवेश किए गए पैसे का उपयोग म्यूचुअल फंड स्कीम यूनिट को खरीदने के लिए किया जाता है. उस विशेष दिन पर फंड का नेट एसेट वैल्यू (NAV) निर्धारित करता है कि आपको कितनी यूनिट मिलेंगी.
  • कंपाउंड का पावर- कंपाउंड जिसमें अतिरिक्त रिटर्न उत्पन्न करने के लिए रिटर्न को फिर से निवेश किया जाता है, समय के साथ आपके निवेश में मदद करता है.

इन गलतियों से बचे
एसआईपी में निवेश करते समय कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है. ताकि आगे चलकर आपको किसी भी तरह का वित्तिय नुकसान का सामना नहीं करना पड़े.

  • अपनी वित्तीय स्थिति को नजरअंदाज करना- ऐसी SIP राशि चुनना जो आपके वित्त पर बहुत ज्यादा दबाव डालती है, निवेश में व्यवधान पैदा कर सकती है. सुनिश्चित करें कि आपका SIP आपके कुल वित्तीय दायित्वों, जिसमें लोन और किराया शामिल है, के लिए उपयुक्त है.
  • शॉर्ट टर्म में- जल्दी रिटर्न की उम्मीद करने से अचानक फैसले लिए जा सकते हैं. बाजार में समय बिताने के प्रयास में लगातार SIP शुरू करना और बंद करना अप्रभावी हो सकता है.
  • डायवैरिफिकेशन में कमी- अपना सारा पैसा एक ही फंड में लगाने से आप ज्यादा जोखिम में पड़ सकते हैं. अगर आप अपने निवेश को डेट, इक्विटी और अन्य एसेट क्लास में संतुलित नहीं करते हैं, तो आपको कम रिटर्न का जोखिम उठाना पड़ सकता है.
  • शुल्कों को नजरअंदाज करना- हाई एक्पेंस वाले फंड का चयन करने से आपका रिटर्न कम हो सकता है. प्रवेश और निकास भार के साथ-साथ अतिरिक्त शुल्कों का भी ध्यान रखें.
  • पोर्टफोलियो मूल्यांकन को नजरअंदाज करना- अपने निवेशों की नियमित समीक्षा न करने से खराब प्रदर्शन हो सकता है. फंड के प्रदर्शन और बाजार में होने वाले बदलावों को नजरअंदाज करने से आपके रिटर्न पर असर पड़ सकता है.

याद रखने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने SIP निवेशों की लगातार समीक्षा करते रहें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आप उच्च प्रदर्शन वाले फंड में जाने या अपने पोर्टफोलियो को रिबैंलेस करने का मौका न चूकें.

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नई दिल्ली: क्या आप भी म्यूचुअल फंड के सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान में निवेश करते है? अगर नहीं करते और करने का सोच रहे है तो ये खबर आपके लिए है. निवेश करने से पहले कुछ बातों को जान लें ताकि आप किसी भी तरह के नुकसानदेह से बच जाएं. लाभदायक निवेश और लाभ कमाने के लिए प्रभावी निर्णय लेना आवश्यक है. निवेश को पूरी समझ होना जरूरी है, जिसमें इसकी सभी विशेषताएं, लाभ, जोखिम और अंतर्निहित संपत्तियां को जान लें.

वेल्थ प्लानर डॉ. पंकज मिश्रा ने बताया कि निवेश के मूल रूप से दो उद्देश्य होते हैं. पहला, सेविंग और दूसरा भविष्य की योजना. जब हम सेविंग के लिए निवेश करते हैं जो हमें यह कोशिश करनी चाहिए कि ऐसे फंड चुने जिसमें जोखिम कम से कम हो. लेकिन, जब हमारे पास भविष्य की कोई योजना होती है मसलन- कार खरीदना, घर खरीदना, बच्चों की पढ़ाई या शादी इत्यादी तो हम अधिक-से-अधिक रिटर्न देने वाले फंड की ओर रूख करते हैं. ऐसे में अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करने का सोच रहे है तो कई अन्य बातों का ध्यान रखना भी जरुरी है.

एसआईपी निवेश कैसे काम करता है?
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स ऑफ इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के अनुसार, एसआईपी जिसमें नियमित अंतराल पर, आमतौर पर मासिक आधार पर, म्यूचुअल फंड स्कीम में एक निश्चित राशि का निवेश करना शामिल है - अधिक से अधिक लोकप्रिय हो रही है.

एसआईपी कैसे काम करती है?

  • म्यूचुअल फंड स्कीम चुनें- अपनी जोखिम सहनशीलता और निवेश उद्देश्यों के आधार पर म्यूचुअल फंड स्कीम चुनें.
  • एसआईपी राशि और फ्रीक्वेंसी चुनें- मासिक निवेश राशि और फ्रीक्वेंसी चुनें जिसे आप करना चाहते हैं.
  • ऑटो-पे- पने बैंक को चयनित तिथि पर अपने खाते से एसआईपी राशि ऑटो रूप से काटने की अनुमति दें.
  • यूनिट को ऑलोकेट- निवेश किए गए पैसे का उपयोग म्यूचुअल फंड स्कीम यूनिट को खरीदने के लिए किया जाता है. उस विशेष दिन पर फंड का नेट एसेट वैल्यू (NAV) निर्धारित करता है कि आपको कितनी यूनिट मिलेंगी.
  • कंपाउंड का पावर- कंपाउंड जिसमें अतिरिक्त रिटर्न उत्पन्न करने के लिए रिटर्न को फिर से निवेश किया जाता है, समय के साथ आपके निवेश में मदद करता है.

इन गलतियों से बचे
एसआईपी में निवेश करते समय कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है. ताकि आगे चलकर आपको किसी भी तरह का वित्तिय नुकसान का सामना नहीं करना पड़े.

  • अपनी वित्तीय स्थिति को नजरअंदाज करना- ऐसी SIP राशि चुनना जो आपके वित्त पर बहुत ज्यादा दबाव डालती है, निवेश में व्यवधान पैदा कर सकती है. सुनिश्चित करें कि आपका SIP आपके कुल वित्तीय दायित्वों, जिसमें लोन और किराया शामिल है, के लिए उपयुक्त है.
  • शॉर्ट टर्म में- जल्दी रिटर्न की उम्मीद करने से अचानक फैसले लिए जा सकते हैं. बाजार में समय बिताने के प्रयास में लगातार SIP शुरू करना और बंद करना अप्रभावी हो सकता है.
  • डायवैरिफिकेशन में कमी- अपना सारा पैसा एक ही फंड में लगाने से आप ज्यादा जोखिम में पड़ सकते हैं. अगर आप अपने निवेश को डेट, इक्विटी और अन्य एसेट क्लास में संतुलित नहीं करते हैं, तो आपको कम रिटर्न का जोखिम उठाना पड़ सकता है.
  • शुल्कों को नजरअंदाज करना- हाई एक्पेंस वाले फंड का चयन करने से आपका रिटर्न कम हो सकता है. प्रवेश और निकास भार के साथ-साथ अतिरिक्त शुल्कों का भी ध्यान रखें.
  • पोर्टफोलियो मूल्यांकन को नजरअंदाज करना- अपने निवेशों की नियमित समीक्षा न करने से खराब प्रदर्शन हो सकता है. फंड के प्रदर्शन और बाजार में होने वाले बदलावों को नजरअंदाज करने से आपके रिटर्न पर असर पड़ सकता है.

याद रखने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने SIP निवेशों की लगातार समीक्षा करते रहें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आप उच्च प्रदर्शन वाले फंड में जाने या अपने पोर्टफोलियो को रिबैंलेस करने का मौका न चूकें.

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