शिमला: 27 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस यानी वर्ल्ड थियेटर डे मनाया जा रहा है. World Theatre Day के अवसर पर हम आपको शिमला के प्रतिष्ठित गेयटी थियेटर का इतिहास बताने जा रहे हैं. यह थियेटर न केवल हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि ये कई प्रसिद्ध कलाकारों के करियर की शुरुआत का साक्षी भी रहा है. शिमला की शान कहे जाने वाले इस गेयटी थिएटर के बिना माल रोड शिमला की ऐतिहासिक हेरिटेज वॉक अधूरी है.
गेयटी थियेटर का इतिहास
गेयटी थियेटर के गाइड हेम सिंह चौहान ने बताया कि ब्रिटिश सरकार ने थियेटर को शिमला के मॉल रोड पर स्थापित किया था. गेयटी थियेटर का निर्माण साल 1887 में नियो विक्टोरियन गोथिक शैली में हेनरी इरविन (Henry Irwin) ने किया था. दरअसल, 1887 में गेयटी नाम का एक परिवार होता था उसके कुछ सदस्य अमेरिका में रहते थे, कुछ इंग्लैंड में रहते थे. वो उस समय कंस्ट्रक्शन का काम करते थे. 1887 में गेयटी परिवार ने करीब 100 थियेटर बनाए थे. इनमें से शिमला का गेयटी थियेटर भी एक है, लेकिन आज के समय में 100 में से कुल 10 का ही अस्तित्व रह गया है. खास बात है कि विश्वभर में गेयटी थियेटर में एक राजधानी शिमला में भी है.
"समर कैपिटल होने की वजह से शिमला में विदेशों से कलाकार थियेटरकरने या अन्य कार्यक्रमों की प्रस्तुति देने आया करते थे, लेकिन उस दौरान कोई मंच या थियेटर न होने के कारण कलाकार अन्नाडेल ग्राउंड या फिर अंग्रेजी अफसरों के घरों में जाकर कला का प्रदर्शन किया करते थे. ब्रिटिश काल में शिमला को अंग्रेज कल्चरल सेंटर भी बनाना चाहते थे, इसी उद्देश्य से उन्होंने गेयटी थियेटर का निर्माण किया." - हेम सिंह चौहान, गेयटी थियेटर के गाइड
135 साल बाद भी शिमला की शान बढ़ा रहा थियेटर
गेयटी थियेटर के गाइड हेम सिंह चौहान ने बताया कि उस वक्त लाइट न होने की वजह से प्रस्तुति के दौरान रोशनी के लिए मिट्टी के तेल से जलने वाली लालटेन को छत पर लगाया जाता था. आज 135 साल का समय बीत जाने के बाद भी यह थियेटर राजधानी शिमला की शान बढ़ा रहा है. इस थियेटर की खास बात यह भी है कि यहां नाटक मंचन के दौरान माइक का इस्तेमाल नहीं किया जाता.

साल 2008 में हुआ थियेटर का पुनरुद्धार
साल 2008 में गेयटी थियेटर के 121 साल पूरे हो जाने के बाद आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की निर्देशों के मुताबिक इसका पुनरुद्धार किया गया. समय के साथ, गेयटी थियेटर की हालत खराब होने लगी. इस दौरान मशहूर आर्किटेक्ट वेद सिंघल की देखरेख में थिएटर को संवारने का काम किया गया. पुनरुद्धार के दौरान थियेटर की बनावट के साथ किसी तरह की कोई छेड़छाड़ नहीं की गई. आज गेयटी थियेटर शिमला एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में उभरा है. यहां पर नाटक, संगीत समारोह और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो शहर के सांस्कृतिक जीवन को समृद्ध बनाते हैं.

"हम हर वीकेंड पर यहां प्ले करते हैं. गेयटी थियेटर एक एंटरटेनमेंट हब है. यहां पर ज्यादातर क्लासिकल प्ले होते हैं, क्योंकि ये एक हेरीटेज प्रॉपर्टी है. हम लोग हमेशा कोशिश करते हैं कि यहां पर सबसे अच्छे प्ले किए जाएं. थियेटर के कलाकार नियमित रूप से यहां प्रैक्टिस करें, क्योंकि ये एक ऐसी विधा है, जो कि धीरे-धीरे खत्म हो रही है. ये थियेटर बहुत अच्छे से फल-फूल रहा है. हमारी कोशिश रहती है कि थियेटर के साथ-साथ फिल्मों से भी जुड़े रहें. हमारे यहां से बहुत से बॉलीवुड एर्क्टस ने करियर शुरू किया है. यहां पर 'हमें तुमसे प्यार कितना हम नहीं जानते, मगर जी नहीं सकते तुम्हारे बिना' गाना भी शूट हुआ है." - अमित वशिष्ठ, आर्टिस्ट
आज भी रस्सी से खुलते हैं थियेटर के पर्दे
गेयटी थियेटर के पर्दों को आज भी रस्सी से ही खोला जाता है, ये एक ऐतिहासिक परंपरा है जो इस थियेटर को और भी विशेष बनाती है. गेयटी थियेटर का निर्माण 1887 में हुआ था, और उस समय यहां के पर्दों को खोलने के लिए रस्सी का उपयोग किया जाता था. यह परंपरा आज भी जारी है. यह परंपरा न केवल गेयटी थियेटर की ऐतिहासिक विरासत को बनाए रखती है, बल्कि यह थियेटर के दर्शकों के लिए भी एक अनोखा अनुभव प्रदान करती है. साथ ही इस थियेटर के ग्रीन रूम में भी कोई बदलाव नहीं किया गया.

नहीं पड़ती माइक की जरूरत
गेयटी थियेटर के गाइड हेम सिंह चौहान ने बताया कि यह थियेटर ऐसे डिजाइन किया गया है कि यहां कलाकारों को माइक की जरूरत नहीं पड़ती है. इस थियेटर का निर्माण यू शेप में किया गया है जब भी थियेटर में कोई प्ले होता है तो बालकनी में बैठा हर व्यक्ति डायलॉग आराम से सुन सकता है. ये कलाकारों और दर्शकों दोनों के लिए एक अनोखा अनुभव प्रदान करता है.

गेयटी थियेटर से करियर की शुरुआत करने वाले कलाकार
पहला प्ले 9 मई 1887 में शिमला के गेयटी थियेटर में किया गया था. जिसका नाम था 'TIME WILL TELL'. गेयटी थियेटर से कई प्रसिद्ध कलाकारों के करियर की शुरुआत हुई है.
- बलराज साहनी
- देव आनंद
- शशि कपूर
- अनुपम खेर
- प्रदीप कुमार
- प्रेम चोपड़ा
- मधुबाला
"मैंने 24 साल पहले इसी थियेटर से काम शुरू किया था. ये हमारा मंदिर है. अभी भी लगातार यहां काम कर रहा हूं. थियेटर की सबसे खास बात ये है कि ये पर्सनालिटी डेवलप करने में सहायता करता है. थियेटर से बहुत सारी चीजें सीखी जा सकती हैं. थियेटर समाज का आईना है. युवा भी आगे आएं और थियेटर करें, लेकिन थियेटर के लिए पढ़ना बहुत जरूरी है." - नीरज पाराशर, आर्टिस्ट
गेयटी थियेटर ने न केवल अभिनेताओं को प्लेटफ़ॉर्म दिया, बल्कि यह कई प्रसिद्ध नाटकों और संगीत समारोहों का आयोजन स्थल भी रहा है. यह थियेटर आज भी शिमला के सांस्कृतिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यहां पर नियमित रूप से नाटक, संगीत समारोह और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. ये थियेटर शिमला के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है, जहां वे अपनी सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत देख सकते हैं.